स्‍पंदन....कुछ व्‍यंग्‍य

गुरुवार, 28 जून 2012

नेहरू की विरासत को समर्पित ....''जब जनता की सहनशक्‍ित जवाब दे....

आज कुछ लिखने से पहले मैं आपको यह बता देना चाहता हूं कि ना तो मैं निराशावादी हूं और ना ही किसी राजनीतिक दल या उसके किसी नेता विशेष से मेरा लगाव है।
मैं खालिस पत्रकार हूं और उस नाते हर वक्‍त देश, समाज और आम नागरिक की तकलीफों के बावत सोचता रहता हूं।
बेशक आज पत्रकारिता भी ऐसे रास्‍ते पर चल पड़ी है, जहां आम लोगों का भरोसा उसके ऊपर से उठने लगा है लेकिन उम्‍मीद अभी बाकी है।