स्‍पंदन....कुछ व्‍यंग्‍य

गुरुवार, 17 अक्टूबर 2013

क्‍या दूर होगी मथुरा की राजनीतिक 'दरिद्रता'?

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष) 
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्‍यक्ष पदम सिंह शर्मा द्वारा मांट क्षेत्र में एक लंबे समय से पार्टी की दयनीय स्‍थिति को 'राजनीतिक दरिद्रता' कहना भले ही क्षेत्रीय विधायक श्‍यामसुंदर शर्मा को नागवार गुजरा हो लेकिन सच्‍चाई यही है।
सच्‍चाई तो यह भी है कि राजनीति की उलटबांसियों के चलते समूची मथुरा ही राजनीतिक दरिद्रता भोग रही है।
जाहिर है कि ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनावों का जितना इंतजार राजनीतिक पार्टियों और उनके संभावित प्रत्‍याशियों को है, उससे कहीं अधिक उस मतदाता को भी है जो राजनीति की डिक्‍शनरी में 'आमजनता' के तौर पर दर्ज किया गया है।
चूंकि इस बार इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में एक बटन 'नोटा' यानि 'नन ऑफ द एबव' (इनमें से कोई पसंद नहीं) का भी होगा लिहाजा 'आमजन' पहले से कुछ खास तो होगा ही। अब वह चुनाव के लिए इतना मजबूर नहीं रहेगा, जितना अब तक रहा है।
ऐसे में उम्‍मीद की जानी चाहिए कि देश के साथ-साथ राजनीति के सिरमौर भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली को भी कोई ऐसा जनप्रतिनिधि मिलेगा, जो उसके गौरवशाली अतीत को स्‍मरण कराने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाकर न केवल जन अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा बल्‍कि राजनीति के भी एक ऐसे रूप को रेखांकित करेगा जिसका सपना हर ब्रजवासी वर्षों से देखता आ रहा है।