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रविवार, 22 सितंबर 2024

योगी जी, एकबार देखिये तो सही कि भूमाफिया और अधिकारियों का गिरोह धार्मिक नगरी में आपके आदेश-निर्देशों की कैसे धज्जियां उड़ा रहा है...


 अभी दो दिन पहले फायरब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने गोरखपुर प्रवास के दौरान अधिकारियों को निर्देशित किया था कि यूपी में भूमाफिया और दबंग बख्‍शे न जाएं। उनके खिलाफ कठोर से कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। 

गोरखनाथ मंदिर में जनसमस्‍याओं को सुनते हुए सीएम योगी ने अधिकारियों को दो टूक यह हिदायत दी कि भूमाफियाओं के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई करना सरकार का संकल्प है इसलिए पेशेवर भूमाफियाओं को चिन्हित करके ऐसी कार्रवाई करें कि वो एक नजीर बन जाए। 
उधर योगी अपने मठ से प्रदेश की ब्‍यूरोक्रेसी को अपनी सरकार का संकल्प एवं अधिकारियों को उनका कर्तव्य याद दिला रहे थे और इधर गोरखुपर से करीब पौने सात सौ किलोमीटर दूर कृष्‍ण की क्रीड़ा स्‍थली वृंदावन में भूमाफिया एवं ब्‍यूरोक्रेसी का संगठित गिरोह उनके आदेश-निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा था। 
इस गिरोह ने सुनियोजित तरीके से वृंदावन की बेशकीमती जमीन पर खड़े लगभग 300 हरे पेड़ों को रातों-रात काट डाला और इसके मार्ग में बाधक विकास प्राधिकरण की रेलिंग भी उखाड़ दी। 
हालांकि इन दोनों ही मामलों में एक ओर वन विभाग तो दूसरी ओर मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ने अपनी-अपनी तरफ से शिकायत दर्ज कराने की औपचारिकता पूरी कर दी है किंतु इसमें भी यह ध्‍यान रखा गया है उनके कॉकस का कोई साथी न फंसने पाए। 
बहरहाल, ये तो मात्र वो सतही जानकारी है जिसे स्‍थानीय मीडिया सामने लाने पर मजबूर हो गया अन्यथा सच्‍चाई इससे कहीं बहुत अधिक कड़वी है। 
जनसामान्य के होश उड़ा देने वाली है सच्‍चाई 
दरअसल, जनसामान्य के होश उड़ा देने वाली इस सच्‍ची कहानी का प्रारंभ वहां से होता है जहां से एक बड़े भूमाफिया की नजर इस बेशकीमती भूखंड पर पड़ती है। सैकड़ों एकड़ का यह भूखंड राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली से मथुरा और आगरा को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे के किनारे वृंदावन में छटीकरा रोड पर स्‍थित है। 
डालमिया फॉर्म अथवा डालमिया बगीचे के नाम से मशहूर यह भूखंड चूंकि अपनी लोकेशन और वृंदावन जैसे पावन धाम में होने के कारण बहुत कीमती है इसलिए जिस भूमाफिया की नजर सबसे पहले इस पर पड़ी, उसने अपने दूसरे साथियों से इसका जिक्र किया। 
बताया जाता है कि पूरी तरह मन बना लेने तथा पर्याप्‍त पैसों का इंतजाम करने के बाद इन माफियाओं ने डालमिया परिवार से संपर्क साधा और करीब 300 करोड़ रुपए में समूचे भूखंड का सौदा कर डालमिया परिवार को टोकन के रूप में अच्‍छी-खासी रकम भी दे दी। 
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वृंदावन की सर्वाधिक प्राइम लोकेशन पर स्‍थित डालमिया के बगीचे का सौदा तय हो जाने की भनक लगते ही दूसरे माफिया भी सक्रिय हो गए और उन्‍होंने इसमें अपनी घुसपैठ बनाने के प्रयास शुरू कर दिए। 
भूमाफियाओं से ही जुड़े लोगों की मानें तो अंतत: लगभग आठ लोग इस सौदे का हिस्‍सा बनकर डालमिया के बगीचे पर एक आलीशान रियल एस्‍टेट प्रोजेक्ट खड़ा करने के लिए सहमत हो गए। 
इसके लिए सबसे पहले बाकी लोगों से उनके हिस्‍से की रकम एकत्र कर डालमिया परिवार को सौंपी गई जिससे बगीचे पर आधिपत्य स्थापित किया जा सके। और हुआ भी ऐसा ही। 
अब बात शुरू हुई ब्‍यूरोक्रेट्स से सेटिंग और वृंदावन मानइर को कब्जाने की
बगीचे पर काबिज होने के बाद स्‍थानीय प्रशासन की मदद जरूरी थी इसलिए उस पर फोकस किया गया। बहुत कम लोगों की जानकारी में है  कि डालमिया फॉर्म से सटी हुई एक वृंदावन माइनर हुआ करती थी। एक अनुमान के अनुसार 20 फुट चौड़ी इस माइनर को माफिया ने सर्वप्रथम समाप्‍त किया। 
आज की तारीख में माइनर की जगह बमुश्‍किल दो फुट की पट्टी देखी जा सकती है। जमीन का कारोबार करने वाले और स्‍थानीय लोग समझ सकते हैं कि वृंदावन माइनर पर कब्जा कर लेने के क्या मायने हैं और उससे किसी प्रोजेक्ट की कीमत में कितना इजाफा हो सकता है। 
सफेदपोश भूमाफियाओं ने इसकी आड़ में जुटाए सैकड़ों करोड़ रुपए
इतना सब-कुछ कर लेने के बाद असली खेल शुरू हुआ, यानी डालमिया फॉर्म पर प्रोजेक्‍ट खड़ा करने की रूपरेखा तैयार की गई जिसके लिए प्रशासन अर्थात संबंधित विभागों के उच्‍च अधिकारियों का सहयोग चाहिए था।
मथुरा जनपद ही नहीं, इसके बाहर भी लोग जानते हैं कि डालमिया के बगीचे को रियल एस्‍टेट प्रोजेक्ट के तौर पर डेवलप करने की कोशिश में लगे सफेदपोश भूमाफिया कोई मामूली आदमी नहीं हैं। इनमें से सबकी अपनी विशिष्‍ट पहचान तो है ही, साथ ही सबका अपना बड़ा रसूख है। 
कोई सत्ता के शीर्ष तक पहुंच रखने का दावा करता है तो कोई संघ में अपनी तगड़ी पैठ बताता है। इसमें शाायद ही किसी को शक हो कि इस रियल एस्‍टेट प्रोजेक्ट में शामिल दूसरे कथित उद्योगपति एवं व्‍यापारी, ब्यूरोक्रेसी के अच्‍छे लाइजनर हैं और सचिवालय तक से काम कराकर लाने की क्षमता रखते हैं। कुछ तो न्‍यायपालिका तक में दखल रखने का दम भरते हैं। 
मथुरा के एक चर्चित हत्याकांड से भी जुड़ती है कड़ी 
बताते हैं कि पिछले साल मथुरा की एक पॉश कॉलोनी में हुए चर्चित हत्याकांड की कड़ियां भी कहीं न कहीं इस भूखंड के सौदे से जुड़ती हैं, बस जरूरत है तो उसकी तह तक पहुंचने की जो शायद ही संभव हो क्योंकि उसका बड़े तरीके से पटाक्षेप करके लीपापोती की जा चुकी है। यूं भी न तो अब किसी को पूरा सच जानने में रुचि है और न हिम्मत, चाहे सवाल बीसियों करोड़ का ही हो। यहां तो सैकड़ों करोड़ का खेल चल रहा है, फिर दस-बीस करोड़ की क्या अहमियत। 
वन विभाग के साथ-साथ विकास प्राधिकरण और बिजली विभाग की भूमिका भी संदिग्ध 
अगर गौर करें कि एक रात में 300 से अधिक हरे पेड़ कट कैसे गए तो तमाम सवाल खड़े होते हैं। इन सवालों के दायरे में वन विभाग के अलावा विकास प्राधिकरण तथा बिजली विभाग की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध दिखाई देती है। 
सूत्र बताते हैं कि जिस रात डालिमया फॉर्म हाउस के सैकड़ों पेड़ काटे गए, उस रात दर्जनों उपकरणों को विकास प्राधिकरण की रेलिंग तोड़कर अंदर ले जाया गया। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इस दौरान बिजली भी कई घंटे बाधित रही जिस कारण पेड़ों का कटान आसान हो गया। 
डेवलेपमेंट अथॉरिटी और रियल एस्‍टेट कारोबारियों के बीच का रिश्‍ता कितना प्रगाड़ होता है, यह किसी को बताने की शायद जरूरत भी नहीं है। और मथुरा के वन विभाग में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार की गूंज आगरा मंडल ही नहीं, लखनऊ तक सुनी जा सकती है किंतु योगी सरकार इस मामले में आज भी कुछ नहीं कर पा रही। 
शेष रहा बिजली विभाग तो उसके कर्मचारी चंद हरे नोटों में पेड़ों का कटान होने तक बत्ती गुल करने को तैयार हो गए होंगे। उन्‍हें करना ही क्या था, बस किसी बहाने शट डाउन लेना था। 
जब वन विभाग आंखों देखी मक्खी निगल सकता है, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ''एक पेड़ मां के नाम'' जैसे अभियान को पलीता लगाकर सैकड़ों हरे पेड़ एक रात में कटवा सकता है तो बिजली विभाग क्या कुछ घंटों के लिए बत्ती गुल नहीं कर सकता। 
भ्रष्‍टाचार को लेकर योगी जी चलते रहें जीरो टॉलरेंस की नीति पर, मोदी जी चलाते रहें एक पेड़ मां के नाम का अभियान लेकिन सफेदपोश भूमाफिया और सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारियों का गिरोह आज भी अपनी मनमानी से रत्तीभर नहीं चूक रहा। उसके मन में न योगी का कौई खौफ है न मोदी का। 
2027 में 2022 जैसी परफॉरमेंस दोहराने की चिंता योगी जी को हो तो हो, मोदी जी उससे प्रभावित हों तो हों, लेकिन इस माफिया और अफसरों के गठजोड़ को इससे कोई लेना-देना नहीं है। सारे आदेश-निर्देश ताक पर, क्योंकि इतना कुछ हो जाने के बावजूद मथुरा-वृंदावन के लोग यही कहते सुने जा सकते हैं कि इस गठजोड़ का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। 
अब देखना केवल यह है कि इस बार भी किसी के कानों पर जूं रेंगती है या फिर जनता के मन में घर कर चुकी धारणा फिर सच साबित होती है। 
-Legend News