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शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

सभ्रांत महिलाओं को हवस का शिकार बनाते MCX और BSE

मल्‍टी कमॉडिटी एक्सचेंज यानि MCX और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानि BSE का अवैध कारोबार अब केवल पुरुषों की आर्थिक बर्बादी तक सीमित नहीं रहा, अब इसके जरिये सभ्रांत परिवार की ऐसी महिलाओं को भी अपने जाल में फंसाकर पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों एवं MCX व BSE के बड़े कारोबारियों की हवस का शिकार बनाया जा रहा है जो अपने स्‍तर पर आसान तरीके से तथा जल्‍दी पैसा कमाने की चाहत रखती हैं।
सोलह कला अवतार श्रीकृष्‍ण की जन्‍मभूमि के रूप में विश्‍व के पटल पर अपनी एक अलग पहचान रखने वाला धार्मिक जनपद मथुरा इस अवैध कारोबार का बड़ा ठिकाना बन चुका है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से संरक्षण प्राप्‍त होने के कारण आज तक इस अवैध कारोबार की कोई बड़ी मछली कानून के शिकंजे में नहीं आ सकी जबकि इसके कारण कई युवक मौत के आगोश में समा चुके हैं।
एक अनुमान के अनुसार MCX और BSE के जरिये मथुरा जनपद से होने वाले अवैध करोबार का वार्षिक टर्नओवर 500 करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है और इसने अपने दायरे में पूरे पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश को समेट लिया है।
विश्‍वस्‍त सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के इस अवैध करोबार से जुड़े कॉकस ने सभ्रांत परिवार की महिलाओं को अपने चंगुल में फंसाने का खेल तब शुरू किया जब उच्‍च अधिकारियों एवं MCX व BSE के बड़े कारोबारियों द्वारा इनसे पैसों के अतिरिक्‍त महिलाओं की भी डिमाण्‍ड की जाने लगी।
इस पूरे खेल को समझने से पहले यहां यह जान लेना जरूरी है कि  MCX और BSE का 'वैध' कारोबार क्‍या है और इसे 'अवैध' में किस तरह तब्‍दील किया जाता है।
दरअसल MCX या BSE का 'वैध करोबार' करने के लिए सरकार से बाकायदा लाइसेंस लेना होता है और लाइसेंस के साथ बड़ी रकम एडवांस जमा करानी होती है। इस तरह किये जाने वाला सारा व्‍यवसाय नम्‍बर एक में ऑनलाइन होता है।
'अवैध कारोबार' के लिए इनमें से किसी चीज की आवश्‍यकता नहीं पड़ती क्‍योंकि इसका संचालन लाइसेंसशुदा कारोबारियों के माध्‍यम से ही होता है।
यही कारण है कि MCX या BSE का जितना कारोबार नम्‍बर एक में होता है, उससे सैंकड़ों फीसदी अधिक नम्‍बर दो में किया जाता है।
जाहिर है कि किसी कारोबार को नम्‍बर दो में करने के लिए एक ओर जहां पुलिस व प्रशासन के संरक्षण की आवश्‍यकता पड़ती है वहीं दूसरी ओर गुण्‍डे- बदमाशों का सहयोग लेना पड़ता है।
बस यही वो कारण है जिन्‍होंने इस अवैध कारोबार को सुविधा शुल्‍क के अलावा हवस की पूर्ति कराने का माध्‍यम भी बना दिया है।
बताया जाता है सैंकड़ों करोड़ के इस अवैध कारोबार को संरक्षण देने के लिए पुलिस व प्रशासन के उच्‍च अधिकारियों ने पिछले कुछ समय से पैसों के अतिरिक्‍त महिलाओं की डिमाण्‍ड करनी शुरू कर दी।
इस डिमाण्‍ड को अवैध कारोबारियों ने कुछ महीनों तक तो दिल्‍ली व आगरा आदि से कॉलगर्ल्‍स मंगवाकर पूरा किया लेकिन बदनामी होने एवं कोई बीमारी लग जाने के डर वश अधिकारियों द्वारा फिर घरेलू महिलाओं की मांग रखी जाने लगी।
अधिकारियों की यह मांग पूरी करना आसान नहीं था पर सवाल करोड़ों के कारोबार से जुड़ा होने के कारण कोई न कोई रास्‍ता निकालना मजबूरी बन गया।
रास्‍ता निकला उन मध्‍यमवर्गीय परिवारों से जिनकी महिलाएं अपनी महत्‍वाकांक्षाओं को पतियों के सहयोग बिना पूरा करना चाहती हैं और उसके लिए कोशिश में लगी रहती हैं।
MCX और BSE के अवैध कारोबारियों ने इसके लिए किटी पार्टियों क्‍लबों व ऐसी ही तथाकथित सामाजिक संस्‍थाओं में शिरकत करने वाली महिलाओं पर अपनी नजरें गढ़ाईं। इन महिलाओं को कम पैसे लगाकर अच्‍छा-खासा पैसा बहुत जल्‍दी कमा लेने का सब्‍जबाग दिखाया।
शुरूआत में इन्‍हें इनके पैसे का अच्‍छा रिटर्न देकर भरोसे में लिया और फिर मूल रकम व कमाई दोनों को मिलाकर बड़ी रकम कमाने का प्रलोभन देकर फंसाया।
कुछ समय बाद इस पूरे खेल के नियमानुसार घाटा दिखाते हुए ऐसी महिलाओं को कर्जदार बना लिया और कर्ज की वसूली के लिए गुण्‍डे-बदमाशों के साथ-साथ इलाका पुलिस का भी दबाव बनाया जाने लगा।
जैसे ही ये महिलाएं भयभीत नजर आईं वैसे ही अवैध कारोबारी अपने असली मकसद पर उतर आये और उन्‍हें अधिकारियों की मंशा पूरी करने को ले जाने लगे।
सूत्रों के मुताबिक इन महिलाओं से ये गिरोह स्‍वेच्‍छा पूर्वक सम्‍बन्‍ध बनाने की बाकायदा लिखा-पढ़ी भी कराता है ताकि जरूरत पड़ने पर उनके परिवार, रिश्‍तेदार या अन्‍य लोगों के समक्ष उसे दिखा सके।
यही नहीं, इन्‍हीं में महिलाओं का इस्‍तेमाल अब एजेंट के रूप में भी दूसरी महिलाओं को फंसाने के लिए किया जा रहा है जिससे इनकी तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
बताया जाता है कि परिजनों की निगाह से घाटे को छिपाने और दबंगों व पुलिस के भयवश ये महिलाओं चुपचाप गिरोह के इशारे पर नाचती रहती हैं।
वो इनके कहने पर परिजनों से झूठ बोलकर पड़ोसी शहरों के होटलों, गेस्‍ट हाउसेस, फार्म हाउसेस व अन्‍य निजी स्‍थानों पर पहुंचकर अधिकारियों एवं दबंगों की हवस पूरी कर रही हैं।
सूत्रों का कहना है कि पहले यह घिनौना खेल केवल स्‍थानीय स्‍तर तक सीमित था लेकिन अब इसने पड़ोसी जनपदों और यहां तक कि लगभग पूरे पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश की तमाम मध्‍यम वर्गीय सभ्रांत महिलाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है और वो समाज व परिवार के भय एवं दबंगों के आतंक के कारण चुपचाप सब-कुछ सहने को बाध्‍य हैं।
यह सारा खेल इस भयावह स्‍थिति तक इसलिए जा पहुंचा क्‍योंकि इसमें धनबल व बाहुबल के साथ-साथ वो तबका भी शामिल है जिसके ऊपर गैर कानून कारोबारियों को पकड़ने तथा उन्‍हें सजा दिलाने की जिम्‍मेदारी है।
MCX के अवैध धंधे से जुड़े एक व्‍यक्‍ति से जब जानकारी की गई तो उसने पहचान छिपाये रखने की शर्त पर बताया कि घरेलू महिलाओं की डिमाण्‍ड सबसे पहले विगत वर्ष कुछ अधिकारियों द्वारा की गई थी। डिमाण्‍ड पूरी न करने पर कारोबार समेट लेने की धमकी दी गई। उसके बाद से जब यह खेल शुरू हुआ तो असानी से और जल्‍दी पैसा कमाने की चाह में संभ्रांत परिवार की अनेक महिलाएं जुड़ती चली गईं। यही महिलाएं फिर दूसरी महिलाओं को जोड़ती रहीं।
उसने बताया कि आज यह खेल बड़े पैमाने पर हो रहा है और चूंकि अधिकारी ही इन महिलाओं से अपनी हवस मिटाते हैं इसलिए डर जैसी कोई बात नहीं है।
इस व्‍यक्‍ति का यह भी कहना था कि मध्‍यम वर्ग की संभ्रांत महिलाएं अपनी व अपने परिवार की इज्‍जत और परिवार को किसी किस्‍म की मुसीबत में फंसने से बचाने के लिए चुपचाप सब-कुछ करती रहती हैं।
रहा सवाल कानून की मदद लेने या कहीं शिकवा-शिकायत करने का तो उसका सवाल ही पैदा नहीं होता। होगा भी कैसे, जब रक्षक ही भक्षक बने बैठे हों। 

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