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शुक्रवार, 4 मार्च 2016

UP: ठेके पर सरकार …या सरकार पर नकल का ठेका

समाजवादी कुनबे के चश्‍मो चिराग और UP के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव पर यूं तो यह कहावत इन दिनों सटीक बैठती है कि बुझता हुआ दीया रौशनी ज्‍यादा करता है लेकिन यहां तो उक्‍त कहावत भी सिर्फ जुबानी जमाखर्च ही मालूम पड़ती है।
चूंकि 2017 के विधानसभा चुनाव लगभग सामने आ खड़े हुए हैं और सभी राजनीतिक दलों ने मिशन 2017 पर काम करना भी शुरू कर दिया है लिहाजा सूबे के सीएम अखिलेश यादव भी इन दिनों पूरी ताकत के साथ अपनी सरकार का बखान करने में लगे हैं।
बात चाहे कानून-व्‍यवस्‍था की हो अथवा विकास कार्यों की, अखिलेश यादव की मानें तो उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश को इतना उत्‍तम प्रदेश बना दिया है कि जितना पिछली कोई सरकार नहीं बना सकी।
अखिलेश के जुबानी जमाखर्च पर यकीन कर भी लिया जाता यदि हर रोज उनके दावों की पोल खोलने वाला कोई न कोई वाकया सामने न आ खड़ा होता।
उदाहरण के लिए इन दिनों यूपी में माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं। ये परीक्षाएं एक लंबे समय से नकल माफियाओं द्वारा संचालित की जाती हैं, उत्‍तर प्रदेश सरकार तो बस जैसे इनका टेंडर निकालती है। बोर्ड की परीक्षाओं के नाम पर शिक्षा का मजाक और शिक्षा व्‍यवसाय का घिनौना रूप इस दौरान खुलेआम देखा जा सकता है।
बोर्ड परीक्षाओं के लिए सेंटर बनाए जाने से शुरू हुआ यह खेल नकल द्वारा पास की गई परीक्षाओं पर जाकर वहां खत्‍म होता है जहां पीढ़ी-दर-पीढ़ी जाहिलों की एक पूरी फौज खड़ी कर दी जाती है। यही फौज फिर कभी कहीं किसी नौकरी में भर्ती के समय तो कभी आरक्षण की मांग के नाम पर किए जाने वाले आंदोलन के वक्‍त उपद्रवियों में तब्‍दील होती दिखाई देती है।
विश्‍व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी मथुरा में आज ”लीजेंड न्‍यूज़” को कुछ ऐसे चित्र मिले जिनसे पूरी तरह स्‍पष्‍ट होता है कि यूपी में बोर्ड परीक्षाएं कितना बड़ा मजाक बनकर रह गई हैं और किस तरह समाजवादी पार्टी की सरकार शिक्षा माफियाओं के सामने या तो बेबस है या फिर उनसे मिली हुई है।
बोर्ड परीक्षाओं के नाम पर चल रहे नकल माफियाओं के इस काले धंधे को देखकर ऐसा लगता है जैसे प्रदेश में शासन नाम की कोई चीज है ही नहीं। और जब शासन ही नहीं होगा तो प्रशासन कहां होगा।
अगर यह राजनीतिक मुद्दा होता तो संभवत: अखिलेश सरकार इस स्‍थिति के लिए भी विपक्ष को जिम्‍मेदार ठहरा देती किंतु दुर्भाग्‍य से यह पूरी तरह कानून-व्‍यवस्‍था का मुद्दा है।
ऐसा नहीं है कि नकल का यह खेल सिर्फ समाजवादी सरकार की उपज हो और बसपा या दूसरे दलों के शासनकाल में परिस्‍थितियां कुछ अलग रही हों, लेकिन इस समय यूपी में अखिलेश के नेतृत्‍व वाली वो समाजवादी सरकार काबिज है जो दावा करती है कि उसके जैसी बेहतर कानून-व्‍यवस्‍था देश के कई दूसरे राज्‍यों में नहीं है।
यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में चल रहा नकल का यह खेल इसलिए अत्‍यंत घातक है क्‍योंकि इससे तथाकथित पढ़े-लिखों की वो जमात तैयार हो रही है जो आगे आने वाले समय में शासन-प्रशासन के लिए चुनौती बनेगी। उसके पास बोर्ड का सर्टीफिकेट तो होगा लेकिन शिक्षा से उसका दूर-दूर तक कोई वास्‍ता नहीं होगा।
अखिलेश सरकार अब इस मामले में कुछ कर भी नहीं सकती क्‍योंकि उसमें इसके लिए इच्‍छाशक्‍ति ही नहीं है और नकल माफिया के पास हर तरह की शक्‍ति है।
उनके पास धनबल भी है और बाहुबल भी। उन्‍हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अखिलेश यादव क्‍या करते हैं और मुलायम सिंह यादव क्‍या कहते हैं। उन्‍हें मतलब है तो इस बात से कि बोर्ड परीक्षाओं में नकल कराने के लिए ली गई उनकी ठेकेदारी इसी प्रकार चलती रहे।
उनकी ठेकेदारी कैसी चल रही है, इसका प्रत्‍यक्ष प्रमाण मथुरा के एक कॉलेज से लिए गए चित्रों के रूप में आपके सामने है।
-लीजेंड न्‍यूज़

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