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गुरुवार, 20 अक्टूबर 2022

खेल वाइफ स्वैपिंग का: दिल्‍ली का "कचरा" यमुना को और "कल्चर" मथुरा को कर रहा है प्रदूषित


 हाल ही में मध्‍यप्रदेश की एक 21 वर्षीय विवाहिता युवती ने अपने पति पर आरोप लगाए हैं कि वह उसे "वाइफ स्वैपिंग" (पत्नी की अदला-बदली) वाली पार्टी में शामिल होने के लिए मजबूर करता है। पीड़िता का पति चाहता है कि वह पार्टी में शामिल होकर गैर मर्दों के साथ शरीरिक संबंध बनाए। 

मप्र की राजधानी भोपाल के कोहेफिजा इलाके की रहने वाली इस 21 वर्षीय युवती का निकाह मोहम्मद अम्मार के साथ हुआ था। मोहम्मद अम्मार बीकानेर के एक पांच सितारा होटल में मैनेजर है। निकाह के बाद से वह बीकानेर में अपने पति के साथ रह रही थी। 
पीड़िता का आरोप है कि निकाह के कुछ दिन बाद से ही उसका पति उस पर वाइफ स्वैपिंग पार्टी में शामिल होने और उसका हिस्सा बनने के लिए दबाव डालने लगा। बीमारी का बहाना बनाकर वह बमुश्‍किल अपने मायके भोपाल पहुंच सकी। 
पुलिस ने धारा 377, 498 A, 323, 506, 34, 3/4 के तहत उसके पति पर FIR दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं। 
मध्‍यप्रदेश न तो अकेला ऐसा राज्य है और न बीकानेर एकमात्र ऐसी जगह जहां वाइफ स्‍वैपिंग का यह घिनौना खेल खेला जा रहा है। सच तो यह है कि मेट्रो सिटीज दिल्‍ली, मुंबई, कलकत्‍ता, चेन्‍नई सहित देश के तमाम दूसरे महानगरों सहित अनेक छोटे शहर भी अब इस खेल की गिरफ्त में आ चुके हैं। 
यूं तो अन्य शहरों के मुकाबले तरक्‍की की दौड़ में विश्‍व का नामचीन धार्मिक शहर मथुरा भी बेशक काफी पिछड़ा हुआ प्रतीत होता हो, बेशक यहां अभी तरक्‍की को परिभाषित करने वाली अनेक सुविधाओं का अभाव हो, बेशक देश-दुनिया के साथ तरक्‍की के लिए कदम ताल मिलाने में इसे लंबा समय लगे, लेकिन वाइफ स्‍वैपिंग के मामले में कृष्‍ण की यह नगरी अन्‍य दूसरे महानगरों एवं नगरों से किसी तरह पीछे नहीं है। सच तो यह है कि वह बहुत से नगरों एवं महानगरों से इस क्षेत्र में काफी आगे है।
जी हां! चाहे आपको आसानी से यकीन आये या ना आए, चाहे आपका मुंह आश्‍चर्य से एकबार को खुले का खुला रह जाए लेकिन सच्‍चाई यही है कि विश्‍व की धार्मिक, सांस्‍कृतिक, आध्‍यात्‍मिक एवं साहित्‍यिक विरासत को दरकिनार कर यह शहर उस दिशा में करवट ले चुका है जिसके बारे में सोचना तक आम आदमी के लिए किसी महापाप से कम नहीं है।
"वाइफ स्‍वैपिंग" या "कपल स्‍वैपिंग" कहलाने वाले इस खेल में अधिकांशत: पैसे वाले परिवारों से संबंध रखने वाले लोग कम से कम छ: कपल का एक ग्रुप बनाते हैं और यह ग्रुप फिर वाइफ स्‍वैपिंग करता है। वाइफ स्‍वैपिंग के तहत न्‍यूड एवं सेमी न्‍यूड ग्रुप डांस से लेकर ग्रुप सेक्‍स तक सब-कुछ शामिल होता है।
इसके लिए सबकी सहमति से शहर के किसी बाहरी हिस्‍से में अच्‍छे होटल का हॉल तथा कमरे बुक कराये जाते हैं, जहां ग्रुप के सदस्‍य कपल पूर्व निर्धारित दिन व समय पर अपनी-अपनी गाड़ियों से पहुंचते हैं। इस खेल में शामिल होने के लिए जितना जरूरी है एक अदद कपल का होना, उतना ही जरूरी है एक गाड़ी का होना। खेल की शुरूआत ड्रिंक या ड्रग्‍स से होती है, और उसके बाद जैसे-जैसे सुरूर चढ़ता जाता है, खेल शुरू होने लगता है।
खेल की शुरूआत के लिए ग्रुप के सभी सदस्‍य हॉल की बत्‍तियां बुझाकर एक टेबिल पर अपनी-अपनी गाड़ियों की चाभियां रख देते हैं और फिर अंधेरे में ही ग्रुप के पुरुष सदस्‍य किसी एक गाड़ी की चाभी उठाते हैं। जिसके हाथ में जिसकी गाड़ी की चाभी आ जाती है, वह उस सदस्‍य की बीबी के साथ खेल खेलने को अधिकृत हो जाता है। ठीक इसी प्रकार उसकी बीबी के साथ वह सदस्‍य खेल खेलने का अधिकारी हो जाता है जिसकी चाभी उसके हाथ लगी है।
चाभियों की अदला-बदली के साथ यह सदस्‍य अपने पार्टनर को होटल में ही पहले से बुक्‍ड कमरों में ले जाते हैं और फिर वहां स्‍वछंद सेक्‍स का यह खेल शुरू हो जाता है।
इससे भी आगे इस खेल में कुछ लोग हॉल के अंदर ही एक-दूसरे की पत्‍नियों को लेकर सब-कुछ करने को स्‍वतंत्र होते हैं जबकि कुछ लोग दो-दो और तीन-तीन की संख्‍या में ग्रुप सेक्‍स करते हैं।
जाहिर है कि इस सारे खेल का राजदार और हिस्‍सेदार वह होटल मालिक भी होता है जिसके यहां खेल खेला जाता है। उसे इसके लिए अच्‍छी-खासी रकम मिलती है, वो अलग।
बताया जाता है कि मथुरा के नवधनाढ्यों को इस खेल की लत उस क्‍लब कल्‍चर से लगी है जो कथित तौर पर समाज सेवा के कार्य करते हैं अथवा समाज सेवा करने का दावा करते हैं।
इनके अलावा कुछ लोगों ने पर्सनल क्‍लब या ग्रुप भी बना लिए हैं और उनकी आड़ में विभिन्‍न कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं। जिनका असल मकसद उनके बीच से छांटकर ‘वाइफ स्‍वैपिंग’ अथवा ‘कपल स्‍वैपिंग' के लिए एक अलग ग्रुप बनाना होता है।
विश्‍वस्‍त सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार पिछले कुछ समय के अंदर इस धार्मिक शहर के विशेष वर्ग में हुईं आकस्‍मिक युवा संदिग्‍ध मौंतों के पीछे यही खेल रहा है क्‍योंकि इसके आफ्टर इफेक्‍ट अंतत: ऐसे ही परिणाम निकालते हैं।
सूत्रों की मानें तो एक प्रसिद्ध होटल मालिक की शादी-शुदा बहिन इसी खेल में अपनी जान दे चुकी है। उसकी मौत को इसलिए आत्‍महत्‍या प्रचारित किया गया क्‍योंकि उसने अपने मायके में जान दी थी, परंतु बताया जाता है कि इसके पीछे का असली कारण वाइफ स्‍वैपिंग का खेल ही था।
इसके अलावा कुछ समय पहले एक बिल्‍डर के युवा पुत्र की संदिग्‍ध मौत हो या एक अन्‍य  बड़े व्‍यवसाई के अधेड़ उम्र पुत्र की होटल के कमरे में हुई मौत का मामला हो, सबके पीछे यही खेल बताया जाता है।
जिन परिवारों में यह मौतें हुई हैं, वह दबी जुबान से इतना तो स्‍वीकार करते हैं कि अवैध संबंध इन मौतों का कारण बने हैं लेकिन सीधे-सीधे वाइफ स्‍वैपिंग के खेल में संलिप्‍तता स्‍वीकार नहीं करते।
चूंकि इस खेल के परिणाम स्‍वरूप एचआईवी एड्स तथा आज के दौर की दूसरी संक्रामक बीमारियां भी तोहफे में मिलने की पूरी संभावना रहती है इसलिए इसके परिणाम तो किसी न किसी स्‍तर पर जाकर घातक होने ही होते हैं। ऐसी स्‍थिति में पति-पत्‍नी एक-दूसरे को दोषी ठहराने का प्रयास करते हैं और इसके फलस्‍वरूप गृहक्‍लेश बढ़ जाता है। रोज-रोज के गृहक्‍लेश का नतीजा फिर किसी अनहोनी के रूप में सामने आता है।
इस खेल से जुड़े लोगों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार धार्मिक शहर मथुरा में यूं तो इस खेल की शुरूआत हुए कई साल हो चुके हैं, लेकिन पिछले करीब पांच सालों से इसमें काफी तेजी आई है। पांच सालों में मथुरा के अंदर इस खेल के कई ग्रुप बने हैं और इसी कारण सो-कॉल्‍ड सभ्रांत परिवारों में कई जवान संदिग्‍ध मौतें भी हुई हैं।
आज तक ऐसी किसी मौत का मामला पुलिस के पास न पहुंचने की वजह से पुलिस ने उसमें कोई रुचि नहीं ली क्‍योंकि यूं भी मामला पैसे वालों से जुड़ा होता है।
यही कारण है वाइफ स्‍वैपिंग का यह खेल धर्म की इस नगरी में न केवल बदस्‍तूर जारी है बल्‍कि दिन-प्रतिदिन परवान चढ़ रहा है।
एक-दो नहीं, अनेक अपराधों का रास्‍ता बनाने वाला यह खेल यदि इसी प्रकार फलता-फूलता रहा और पुलिस व प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने इस ओर अपनी निगाहें केंद्रित न कीं तो आने वाले समय में कृष्‍ण की नगरी के लिए यह ऐसा कलंक साबित होगा जिससे पीछा छुड़ाना मुश्‍किल हो जायेगा।
मुश्‍किल इसलिए कि मथुरा से दिल्‍ली बहुत दूर नहीं है। दिल्‍ली का कचरा अगर यमुना में बहकर आ रहा है तो दिल्‍ली का कल्‍चर भी सड़क के रास्‍ते मथुरा को प्रदूषित कर ही रहा है।आप अगर इस गलतफहमी में है कि 'बिहारी जी' सहित मथुरा के अन्‍य धार्मिक स्‍थानों पर धर्म के नाम पर तेजी के साथ बढ़ रही अनियंत्रित भीड़ का कारण अचानक उपजा भक्तिभाव है तो इस गलतफहमी को दूर कर लीजिए। 
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ 

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