शनिवार, 8 जुलाई 2023

चुनाव के बाद भी श्री अग्रवाल शिक्षा मण्‍डल में शह और मात का खेल जारी, यौन उत्पीड़न मामले में जल्द दर्ज हो सकती है FIR

 गुटबाजी की शिकार प्रतिष्‍ठित सामाजिक संस्‍था श्री अग्रवाल शिक्षा मण्‍डल में गत 28 जून को चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के पद पर चुनाव तो सपन्न हो गया किंतु अब तक नव निर्वाचित पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह की तारीख तय नहीं हो सकी है। 

इस संबंध में पूछे जाने पर शिक्षा मण्‍डल से जुड़े कुछ व्‍यक्तियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी मथुरा सहित श्री अग्रवाल शिक्षा मण्‍डल की दूसरी अन्‍य संस्‍थाओं में कई पदों पर चुनाव होना बाकी है। इन पदों के लिए फिलहाल चुनावी प्रक्रिया तक अमल में नहीं लाई गई है क्‍योंकि इन पदों को आम सहमति से भरने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि गुटबाजी और अधिक मुसीबत का कारण न बन सके। 
दरअसल, श्री अग्रवाल शिक्षा मण्‍डल से जुड़े संभ्रांत लोगों का शुरू से ये मानना रहा है कि सभी विवादों और गुटबाजी के पीछे संस्‍था की लगभग एक हजार करोड़ रुपए की वो सपत्ति है जिसका अब तक कुछ तत्‍व मिलकर बंदरबांट करते रहे हैं। 
इन लोगों का कहना है कि आम सहमति से बाकी पदों को भरने का मकसद भी यही है कि विरोध के स्‍वरों को दबाकर श्री अग्रवाल शिक्षा मण्‍डल की संपत्ति का बंदरबांट उसी प्रकार होता रहे जिस प्रकार पूर्व में जमीन आदि की खरीद-फरोख्‍त के नाम पर किया जाता रहा है। 
दूसरी ओर 1926 में रजिस्‍टर्ड 'अग्रवाल शिक्षा मंडल' के पदाधिकारियों समेत समाज के कुछ अन्‍य लोग भी 'श्री अग्रवाल शिक्षा मण्‍डल' के 28 जून को संपन्न हुए चुनावों की वैधता को चुनौती दे रहे हैं। उनके अनुसार 'अग्रवाल शिक्षा मंडल' और 'श्री अग्रवाल शिक्षा मण्‍डल' का विवाद न्‍यायालय में लंबित होते हुए चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं। उनकी मानें तो विवाद के निपटारे से पहले ऐसे कोई भी प्रयास गैरकानूनी और कोर्ट की अवमानना हैं। 
यौन उत्पीड़न मामले में शीघ्र FIR दर्ज करा सकती है पीड़ित युवती 
उधर दो महीने से न्‍याय की आस में बैठी उस महिला कर्मचारी का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है जो GTT की ओर से बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के छात्रों को सॉफ्ट स्‍किल्‍स ट्रेनर के तौर पर प्रशिक्षित करने आई थी और इसलिए कॉलेज छोड़कर जाने पर मजबूर हो गईं क्‍योंकि उससे कॉलेज के एक तत्‍कालीन पदाधिकारी ने स्‍पष्‍ट रूप से न केवल कार्य अवधि के उपरांत अपने साथ अतिरिक्त समय बिताने को कहा बल्‍कि उसके सामने कुछ ऐसी बातें रखीं जिन्‍हें स्‍वीकार करना उनके लिए संभव नहीं था। 
यही कारण था कि उसने अपने साथ हुई घटना का पूरा विवरण लिख कर कॉलेज के चेयरमैन को संबोधित एक शिकायती पत्र 27 अप्रैल 2023 के दिन देते हुए प्रबंधतंत्र से ये अपेक्षा की कि वो आरोपी पदाधिकारी के खिलाफ कोई ऐसी सख्‍त कार्रवाई करे जिससे किसी महिला के साथ भविष्‍य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो और कोई महिला ऐसे प्रतिष्‍ठित कॉलेज में खुद को असुरक्षित महसूस न करे, लेकिन प्रबंधतंत्र इस पत्र को दबाकर बैठ गया। 
कॉलेज कैंपस में एक ऐसी गंभीर एवं शर्मनाक घटना होने के बावजूद प्रबंधतंत्र द्वारा कोई सुनवाई न किए जाने से क्षुब्‍ध युवती ने जॉब छोड़ना ज्‍यादा उचित समझा किंतु फिर भी उसे उम्‍मीद थी कि जांच उपरांत शायद समय रहते सुनवाई कर ली जाए। 
युवती को सबसे अधिक धक्‍का तब लगा, जब उसे पता लगा कि उसके साथ अभद्र व अमर्यादित आचरण करने वाले पदाधिकारी को प्रबंधतंत्र ने फिर चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है। 
बताया जाता है कि प्रबंधतंत्र के इस रवैये को देखकर पीड़ित युवती ने अब अपने खिलाफ शर्मनाक हरकत करने वाले तत्‍कालीन पदाधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का मन बना लिया है और वह शीघ्र ही इस मामले की FIR दर्ज कराने पर विचार कर रही है। 
जो भी हो, लेकिन यदि ऐसा होता है तो एक ओर जहां सबसे प्राचीन इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रतिष्‍ठा धूमिल होगी वहीं दूसरी ओर एक ऐसी प्रतिष्‍ठित सामाजिक संस्‍था की गरिमा भी प्रभावित होगी जिसे शिक्षा व मेडिकल के क्षेत्र में कृष्‍ण की नगरी को बहुत कुछ देने का श्रेय जाता है और जिससे आज भी बड़ी संख्‍या में वो लोग जुड़े हैं जिनके संस्‍कार तमाम लोगों को प्रेरणा देते हैं। 
-Legend News 

सोमवार, 3 जुलाई 2023

मथुरा में कोर्ट के आदेश से केनरा बैंक के 8 अधिकारी और कर्मचारियों पर भ्रष्‍टाचार की FIR दर्ज


 एक ओर जहां केंद्र सरकार व उसका वित्त मंत्रालय भरसक इस कोशिश में लगा है कि न तो बैंकों पर NPA यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स का बोझ बढ़े और न बैंकें किसी उद्योगपति या व्‍यापारी के सामने ऐसी स्‍थितियां उत्पन्न करें कि वह चाहते हुए भी ऋण की अदायगी कर पाने में खुद को असहाय महसूस करने लगे। लेकिन ऐसा हो रहा है, और लगातार हो रहा है क्‍योंकि बैंकें तथा उसके अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी बैंक की बजाय निजी हित साधने में लग जाते हैं। वह उन परिस्‍थितियों का लाभ उठाकर निजी स्‍वार्थ पूरा करने की कोशिश करते हैं जबकि वह चाहें तो सेटलमेंट करके लोन लेने वाले के साथ-साथ बैंक को भी बंधनमुक्त करने का काम कर सकते हैं। 

बैंक अधिकारी एवं कर्मचारियों की ऐसी ही बदनीयती का एक मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद से सामने आया है, जिसके बाद कोर्ट ने संबंधित बैंक के 8 अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में FIR दर्ज करने के आदेश दिए और अब पुलिस फिलहाल इसकी जांच कर रही है। 
केनरा बैंक की महोली रोड शाखा से जुड़े इस मामले में CJM मथुरा के आदेश पर हाईवे थाना पुलिस ने 17 जून 2023 की रात 8 बजे बैंककर्मियों क्रमश: हिमांशु मित्तल, जीके मेहरा, बी. अनंतराव, नईम अख्‍तर, बीएस सत्यार्थी, पंकज, सीजी पासवान तथा पुनीत गौड़ के खिलाफ IPC की धारा 420, 467, 468, 471, 384, 504, 506 और 120 बी के तहत केस दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। 
इस संबंध में वादी श्रीमती नीलिमा खंडेलवाल पत्‍नी श्री उमेश खंडेलवाल डायरेक्‍टर WIC-CHEM (P) LTD. निवासी C-38 इंडस्‍ट्रियल एरिया, साइट A, थाना हाईवे जिला मथुरा द्वारा दायर प्रकीर्ण वाद संख्‍या 746/2023 के अनुसार उन्‍होंने और उनके पति उमेश खंडेलवाल ने सिंडीकेट बैंक (सम्‍प्रति केनरा बैंक) की महोली रोड शाखा से 74 लाख 50 हजार रुपए का लोन लिया था। इस लोन के लिए नीलिमा व उमेश खंडेलवाल द्वारा कंपनी की जमीन, बिल्‍डिंग एवं मशीनरी दृष्‍टिबंधक की गई। 
नीलिमा व उमेश खंडेलवाल के अनुसार कुछ समय तक तो उन्‍होंने ऋण की किश्‍तें बैंक को नियमित रूप से अदा कीं किंतु फिर कारोबार में मंदी के चलते वह किश्‍तें देने में असमर्थ रहे। 
इसके लिए उन्‍होंने बैंक से अतिरिक्‍त ऋण की मांग की किंतु बैंक ने यह कहते हुए अतिरिक्‍त ऋण देने से इंकार कर दिया कि प्रोजेक्‍ट की लैंण्‍ड वैल्‍यूएशन काफी कम है। 
ऐसी स्‍थिति में नीलिमा व उमेश खंडेलवाल ने बैंक के सामने लोन के एकमुश्‍त समाधान का प्रस्‍ताव रखा जिसे बैंक ने 1 मार्च 2011 को स्‍वीकार करते हुए 1 करोड़ 6 लाख रुपए चुकाने पर सहमति दे दी, किंतु जब इन्‍होंने एकमुश्‍त लोन चुकाने की व्‍यवस्‍था की तो बैंक के उक्त कर्मचारी समाधान से पहले 10 लाख रुपए की नाजायज मांग करने लगे। 
नीलिमा व उमेश खंडेलवाल का आरोप है कि समाधान की कोशिश में लगे उनके पुत्र अनुराग खंडेलवाल से उक्त बैंक कर्मचारियों ने चौथ वसूली के रूप में कुछ रकम ले भी ली और जब उन्‍होंने इसका विरोध किया तो बैंक के वैल्‍यूअर हिमांशु मित्तल से एक फर्जी मूल्‍यांकन रिपोर्ट तैयार करवा कर हमारा उत्‍पीड़न किया जाने लगा। 
इन लोगों द्वारा इसके बाद इस आशय की धमकी दी जाने लगी कि यादि हमारी मांग पूरी नहीं की जाती तो बैंक से तय रकम की जगह फर्जी मूल्‍यांकन को आधार बनाकर आपसे अधिक रकम की वसूली की जाएगी। 
नीलिमा व उमेश खंडेलवाल का कहना है कि बैंक कर्मचारियों की बदनीयती और नाजायज मांग के मद्देनजर वो न्‍यायालय की शरण में जाने पर मजबूर हुए अन्‍यथा वो आज भी बैंक के साथ पूर्व में हुए एकमुश्‍त समाधान के समझौते पर कायम हैं तथा बैंक का पूरा पैसा चुकाने की नीयत रखते हैं। 
इस संबंध में 'लीजेण्‍ड न्‍यूज़' ने बैंक के वर्तमान सीनियर मैनेजर को फोन करके बैंक का पक्ष जानने की कोशिश की तो उनका कहना था कि वो कुछ समय पहले ही यहां आए हैं इसलिए उन्‍हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। 
उनका कहना था कि वैसे भी ऐसे मामलों में अपना पक्ष रखने के लिए बैंक का लीगल सेल अधिकृत होता है इसलिए मैं कुछ कहने में असमर्थ हूं। 
बहरहाल, एक बात तय है कि यदि बैंक कर्मचारी चाहते तो संभवत: यह मामला कोर्ट तक नहीं पहुंचता और कानूनी पचड़े में पड़ने की बजाय बैंक की रकम भी अदा हो सकती थी। 
-Legend News 

चुनाव से ठीक पहले श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल के पदाधिकारी पर 'यौन शोषण' के आरोपों की एंट्री, समाज सकते में


 मथुरा की प्रतिष्‍ठित सामाजिक संस्‍था 'अग्रवाल शिक्षा मंडल' के आगे 'श्री' जोड़कर खड़ी कर दी गई 'श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल' वैसे तो विभिन्न कारणवश एक लंबे समय से विवादों के घेरे में है किंतु ताजा मामला कल यानी 28 जून को होने जा रहे इसके 'प्रबंधतंत्र' के चुनाव से जुड़ा है। 

दरअसल, चुनाव से ठीक पहले सामने आए एक शिकायती पत्र ने न केवल 'श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल' को सकते में डाल दिया है बल्‍कि अग्रवाल समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 
27 अप्रैल 2023 के इस पत्र में एक महिला कर्मचारी ने बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रबंधतंत्र से जुड़े एक व्‍यक्‍ति पर 'यौन शोषण' करने की कोशिश जैसे अत्यंत गंभीर आरोप लगाए हैं। जिस व्‍यक्‍ति पर ये आरोप लगाए गए हैं, वह भी चुनाव मैदान में है। 
आश्‍चर्यजनक यह है कि बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के वर्तमान चेयरमैन को संबोधित इस महिला कर्मचारी के पत्र का पिछले दो माह में कोई संज्ञान नहीं लिया गया, जिस कारण महिला कर्मचारी काम छोड़कर जाने पर बाध्‍य हुई लेकिन अब जबकि चुनाव होने थे, तो अचानक वह पत्र सार्वजनिक कर दिया गया जिससे प्रबंधतंत्र और उससे जुड़े लोगों की मंशा पर सवाल खड़े होना स्‍वाभाविक है।
  
'श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल' के कल होने जा रहे चुनाव में बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के चेयरमैन पद पर शहर के दो प्रसिद्ध अधिवक्ता आमने-सामने हैं। 
इनमें से एक हैं बार एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष उमाशंकर अग्रवाल जो फौजदारी के मशहूर वकील हैं, और दूसरे हैं अरविंद अग्रवाल जो टैक्‍स बार एसोसिएशन मथुरा में प्रेक्‍टिस करते हैं और आयकर के सीनियर वकीलों में शुमार हैं। 
वाइस चेयरमैन के पद पर कन्‍हैया अग्रवाल (कोषदा ज्‍वैलर्स) तथा नितिन मित्तल (सर्राफा व्‍यवसायी) खड़े हैं। 
श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल से जुड़े तमाम लोग इस बात की पुष्‍टि करते हैं कि इस प्रतिष्‍ठित सामाजिक संस्‍था में कुछ मछलियां ऐसी प्रवेश कर चुकी हैं जिनके कारण न केवल संस्‍था व समाज कलंकित हो रहा है बल्‍कि प्रबंधतंत्र की अन्‍य शिक्षण संस्‍थाओं पर पकड़ भी ढीली हुई है। 
उनका मानना है कि संस्‍था से जुड़े अधिकांश लोग संस्‍थानों की उन्‍नति चाहते हैं लेकिन कुछ तत्‍व ऐसे हैं जिन्‍हें सिर्फ और सिर्फ 1000 करोड़ रुपए से अधिक की वो संपत्ति दिखाई देती है जिससे संस्‍थाएं संचालित होती हैं। 
ये तत्‍व निजी स्‍वार्थ में इस संपत्ति को खुर्द-बुर्द करना चाहते हैं और इसीलिए किसी भी तरह संस्‍थाओं के महत्‍वपूर्ण पदों पर काबिज होने की कोशिश में लगे रहते हैं। 
गौरतलब है कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग मथुरा जनपद को अग्रवाल समाज द्वारा दी गई सबसे पहली और बड़ी सौगात है किंतु आज कुछ तत्‍वों के कारण समाज अपनी कई संस्‍थाओं से लगभग हाथ धो बैठा है। 
मूल संस्‍था है 'अग्रवाल शिक्षा मंडल'
बताया जाता है कि 1926 में रजिस्‍टर्ड 'अग्रवाल शिक्षा मंडल' ही अग्रवाल समाज की देन है और यही मूल संस्‍था है किंतु कुछ लोगों ने षड्यंत्र पूर्वक 1961 में 'श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल' के नाम से एक अलग संस्‍था रजिस्‍टर्ड करवा ली और इस आशय का प्रचार कर दिया कि दोनों में कोई फर्क नहीं है। 
इसे तथ्‍यहीन बताते हुए 'अग्रवाल शिक्षा मंडल' के पदाधिकारियों ने एक ओर जहां आपत्ति दर्ज कराई वहीं दूसरी ओर मामले को हाई कोर्ट तक ले गए क्‍योंकि दोनों संस्‍थाओं का रजिस्‍ट्रेशन नंबर अलग-अलग है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में फिलहाल यह मामला लंबित है। 
क्या अवैध हैं 'श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल' के चुनाव? 
इस संबंध में अग्रवाल शिक्षा मंडल के पदाधिकारियों का साफ-साफ कहना है कि हाईकोर्ट में मामला पेंडिंग होने के कारण 'श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल' की आड़ में कराए जा रहे चुनाव अवैध होने के साथ-साथ कोर्ट की अवमानना भी हैं। 
अग्रवाल शिक्षा मंडल के पदाधिकारी इन चुनावों को भी कोर्ट में चुनौती देने का मन बना चुके हैं। उनका कहना है कि यदि समाज सेवा ही इन चुनावों का उद्देश्‍य है तो फिर इसके लिए इतनी मारामारी तथा षड्यंत्र क्यों रचे जा रहे हैं। 
क्‍यों एक महिला कर्मचारी द्वारा की गई यौन शोषण जैसी गंभीर शिकायत को दो महीने तक दबाए रखा गया और क्‍यों अब सार्वजनिक किया गया, वो भी तब जबकि आरोपी भी चुनाव मैदान में है। 
ऐसे में बड़ा व महत्‍वपूर्ण सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या पीड़ित महिला को 'श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल' न्‍याय दिला पाएगा, और यदि आरोपी पदाधिकारी चुनाव जीतकर फिर से प्रबंधतंत्र में शामिल हो जाता है तो क्या बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी जैसे एक प्रतिष्‍ठित शिक्षण संस्‍थान की साख पर दाग लगाने का काम उसके द्वारा फिर नहीं किया जाएगा। या उसे संरक्षण देने वाले भी खुद उसी के नक्‍शेकदम पर चलने लगेंगे, चाहे अन्‍य महिला कर्मचारी भी काम छोड़ने पर मजबूर ही क्यों न हों। 
सवाल और भी बहुत हैं लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं, क्‍योंकि फिलहाल श्री अग्रवाल शिक्षा मंडल चुनाव कराने में व्‍यस्‍त है। 
-Legend News 

 
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