शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

मानव अंगों की तस्‍करी भी करता है आसाराम!

मुझे ठीक-ठीक दिन, महीना या साल तो याद नहीं पर इतना जरूर याद है कि सन् 1998 के बाद की बात होगी। संभवत: 1999 से 2000 के बीच की। आसाराम बापू शायद पहली बार मथुरा आए थे और वृंदावन में टीबी सेनोटोरियम के सामने उनका भव्‍य पण्‍डाल लगा था। अपनी कथा शुरू करने से पहले उन्‍होंने एक प्रेस कांफ्रेस वृंदावन के छटीकरा रोड पर स्‍थित नंदनवन में बुलाई। उस समय तक मैं भी पीसी अटेंड करने जाया करता था।
मैंने आसाराम बापू से पूछा कि आप अपने अनुयायियों को क्‍या संदेश देते हैं, क्‍या बताते हैं?
आसाराम का जवाब था- मैं लोगों को भौतिकता की अंधी दौड़ से मुक्‍त होने का मार्ग बताता हूं।
मैंने प्रतिप्रश्‍न किया- आप स्‍वयं सारी भौतिक सुविधाएं इस्‍तेमाल करते हैं, फिर अपने अनुयायियों को कैसे भौतिकता की अंधी दौड़ से मुक्‍ति का मार्ग बता सकते हैं?
इस पर उनका उत्‍तर बड़ा चालाकी भरा था। वह बोले- मैं भौतिक सुविधाओं का 'उपयोग' करता हूं जबकि बाकी लोग उनका 'उपभोग' करते हैं।
सच कहूं तो उनके इस चालाकी भरे जवाब में मुझे पत्रकारिता को चुनौती देने और अपना थोथा अहम् प्रदर्शित करने जैसा आभास हुआ लिहाजा मैंने अगला प्रश्‍न थोड़ा तीखा पर सटीक किया।
मेरा प्रश्‍न था- एक शराबी, किसी दूसरे शराबी को यह कैसे समझा सकता है कि वह उसका 'उपयोग' कर रहा है जबकि सामने वाला उसका 'उपभोग' करता है?
प्रश्‍न तीखा था इसलिए असर करना स्‍वाभाविक था, नतीजतन तथाकथित संत आसाराम प्रेस वार्ता से उठ खड़े हुए और बाकी की जिम्‍मेदारी अपने प्रमुख सेवादारों पर छोड़ दी।
मेरे द्वारा पूछे गए प्रश्‍न का जवाब तो किसी ने नहीं दिया अलबत्‍ता जमकर हंगामा जरूर हुआ।
बाद में आसाराम के कुछ ब्‍यूरोक्रेट शिष्‍य मेरे ऑफिस आए और यह समझाने की कोशिश की कि बापू से टकराव की जगह यदि सामंजस्‍य बनाकर चलूंगा तो फायदे में रहूंगा।
बहरहाल, उनकी यह सलाह न मेरे काम आनी थी और न आई।
आज इस घटना का ज़िक्र इसलिए कर रहा हूं क्‍योंकि वृंदावन में भी आसाराम बापू का एक आश्रम है और यहां का भी एक वृद्ध समाजसेवी, आसाराम की अंधभक्‍ति का शिकार हुआ है। इस वृद्ध की बातों पर भरोसा करें तो आसाराम का जंजाल सिर्फ यौन उत्‍पीड़न, ज़मीन कब्‍जाने आदि तक सीमित नहीं है। उसके कई और ऐसे कारनामे हैं जिनसे यदि परदा उठ जाता है तो ऐसी बातें सामने आयेंगी जो किसी को भी दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर सकती हैं। 
वृंदावनवासी जो व्‍यक्‍ति आसाराम का शिकार बना है, उसे लोग लालबाबा कहकर पुकारते हैं। लालबाबा नामक इस शख्‍स की पत्‍नी आसाराम के साबरमती (गुजरात) आश्रम से तब आधे घंटे के अंदर लापता हो गई जब कुछ लोगों के कहने पर वह अपनी पत्‍नी का इलाज कराने उसे वहां ले गया था। लालबाबा का कहना है कि आसाराम के कहने पर ही मैंने अपनी पत्‍नी को अलग उनके महिला आश्रम में ठहराया था लेकिन उसके बाद उसका कोई पता नहीं लगा।
मूल रूप से राजस्‍थान के निवासी और हार्डवेयर व्‍यवसाई लालबाबा ने कुछ वर्षों पूर्व समाजसेवा करना शुरू कर दिया था और तभी से वृंदावनवासी हो गए।
लालबाबा का पुत्र अपने परिवार सहित उत्‍तम नगर (दिल्‍ली) में रहता है।
चार वर्षों से लालबाबा और उनका परिवार पुलिस, प्रशासन, महिला आयोग आदि के चक्‍कर काट रहा है लेकिन कहीं से उसे राहत नहीं मिली है।
लालबाबा के अनुसार जिस वक्‍त उनकी पत्‍नी गायब हुई थी, तब उसकी उम्र करीब 52 साल थी इसलिए मैंने उनसे यह जानना चाहा कि उनकी पत्‍नी को गायब कराने के पीछे आसाराम या उनके सेवादारों की मंशा क्‍या हो सकती है?
इस प्रश्‍न के जवाब में लालबाबा ने चौंकाने वाली जानकारी दी। उनका कहना था कि एक लंबे समय तक मैं खुद भी इस प्रश्‍न से जूझता रहा कि एक 52 साल की महिला को गायब करने के पीछे क्‍या उद्देश्‍य हो सकता है।
बहुत प्रयास करने पर कुछ लोगों से पता लगा कि आसाराम का नेटवर्क मानव अंगों की तस्‍करी के जघन्‍य आपराधिक कारोबार से भी जुड़ा है। अब तक उनके विभिन्‍न आश्रमों तथा गुरूकुलों से गायब बच्‍चे, लड़कियां तथा महिला-पुरुषों के लापता होने की असली वजह तांत्रिक क्रियाओं के लिए बलि न होकर उनके अंगों को निकालने के लिए हत्‍याएं कर देना रहा है।
लालबाबा के कथन में यदि थोड़ी भी सच्‍चाई है तो यह दुराचार अथवा दूसरे आपराधिक कृत्‍यों से कहीं बहुत बड़ा मामला है और इसकी सच्‍चाई सामने आना अत्‍यंत जरूरी है।
फिलहाल लालबाबा दिल्‍ली के उत्‍तम नगर में अपने पुत्र के साथ रह रहे हैं और कई चैनलों पर उनकी पत्‍नी के चार साल पहले आसाराम आश्रम से गायब होने की कहानी बताई जा चुकी है लेकिन लालबाबा उस कहानी से संतुष्‍ट नहीं हैं।
लालबाबा इसलिए संतुष्‍ट नहीं हैं क्‍योंकि किसी भी मीडिया पर्सन ने उनकी बात को समझने का प्रयास नहीं किया। किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि लालबाबा क्‍या बताना चाहते हैं।
सभी का फोकस आसाराम की तथाकथित हवस तक सीमित है, कोई यह नहीं जानना चाहता कि 52 साल की किसी औरत को गायब करने का मकसद क्‍या हो सकता है।
लालबाबा ने इन चार सालों में जो कुछ पता किया और जितना कुछ जाना, एकबार उस पर भी गौर करना क्‍या जरूरी नहीं। हो सकता है कि आसाराम का एक और रूप सामने आये।
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