बुधवार, 16 अप्रैल 2014

बाप रे बाप: ये वकील हैं या..हर पेशी की फीस 25 लाख रुपए

सरकार के कोल ब्लॉक्स डीऐलोकेशन के कदम को चुनौती देने के लिए कैप्टिव कोल कंपनियों ने एक पेशी के लिए 25 लाख रुपये तक लेने वाले नामी-गिरामी वकीलों को हायर किया है। जुलाई में कई अदालतों में इस मामले की सुनवाई शुरू होगी। तब मुकुल रोहतगी और के. के. वेणुगोपाल जैसे सीनियर वकील इन कंपनियों की पैरवी करते हुए दिखेंगे।
इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि जहां कई सीनियर वकील एक पेशी के लिए 20 लाख रुपये की फीस ले रहे हैं, वहीं उनके साथ जाने वाले वकील भी एक पेशी के लिए 4 से 5 लाख रुपये ले रहे हैं। इनमें से एक कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, 'एक पेशी के लिए नॉर्मल फीस 5-7 लाख रुपये होती है लेकिन आउट स्टेशन सुनवाई में खर्च डबल हो जाता है। तब कंपनी को वकीलों और उनके स्टाफ के रहने का भी इंतजाम करना पड़ता है। सभी कंपनियों ने कम से कम दो वकील हायर किए हैं। वहीं कुछ कंपनियों ने दो सीनियर वकील के साथ दो जूनियर वकील अप्वाइंट किए हैं।'
ऊपर की अदालतों में रोहतगी, नीरज किशन कौलव, दुष्यंत दवे, अरविंद निगम और ए. एस. चंडियोक जैसे सीनियर वकील कोल ब्लॉक्स मामले को हैंडल कर रहे हैं। कंपनियों ने करण लूथरा, ऋषि अग्रवाल, महेश अग्रवाल और गौरव जुनेजा जैसे वकीलों को भी हायर किया है। इसके बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के एक वकील ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, 'सीनियर वकील जाने-माने होते हैं और उसी हिसाब से वे फीस भी लेते हैं।
मिसाल के लिए जब रोहतगी, कौल और चंडियोक जैसे वकील पेश हुए तो कोर्ट ने केंद्र सरकार के बैंक गारंटी भुनाने और कोल ब्लॉक डीऐलोकेशन पर स्टे लगा दिया।' सरकार की ओर से 218 कैप्टिव कोल ब्लॉक्स दिए गए हैं। इनमें से प्राइवेट कंपनियों को दिए गए 56 और सरकारी कंपनियों को दिए गए 22 ब्लॉक्स कैंसल किए जा चुके हैं।
करीब-करीब सभी प्राइवेट कंपनियों ने कोल ब्लॉक डीऐलोकेशन और बैंक गारंटी भुनाने को चैलेंज किया है। ये मुकदमे झारखंड, जबलपुर, छत्तीसगढ़, ओडिशा और दिल्ली में चल रहे हैं। वकील ने बताया कि कंपनियां हाईकोर्ट का भी खर्च उठा रही हैं जबकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार हो रहा है। क्या केंद्र सरकार को कैप्टिव कोल ब्लॉक एलोकेट करने का अधिकार है, इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है।
कोर्ट ने कोल माइन ऐलोकेशन मामले में सभी पक्षों की दलील सुन ली है। इसमें 7 राज्यों और माइनिंग कंपनियों की एसोसिएशंस ने भी अपना पक्ष रखा है। इसके बाद अदालत ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा है।

स्पॉट फिक्सिंग रिपोर्ट में 12 क्रिकेटर्स और श्रीनिवासन भी

सुप्रीम कोर्ट ने आज खुलासा किया है कि आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच करने वाली जस्टिस मुद्गल समिति की रिपोर्ट में एन. श्रीनिवासन और 12 प्रतिष्ठित खिलाडियों के नाम हैं। कोर्ट ने कहा कि इन सभी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बीसीसीआई आरोपों की सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने के लिए तैयार नहीं है। उसका कहना है कि इससे प्रतिष्ठित क्रिकेटर्स की छवि धूमिल हो जाएगी। साथ ही क्रिकेट बोर्ड की स्वायत्ता कमजोर हो जाएगी। श्रीनिवासन और चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने जस्टिस मुद्गल समिति की रिपोर्ट के इन निष्कर्षों को चुनौती दी थी कि दोनों ने गुरूनाथ मयप्पन की चेन्नई सुपर किंग्स में भूमिका को लेकर झूठ बोला था।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि सीलबंद रिपोर्ट में जो आरोप लगाए गए हैं, उनकी गहनता से जांच होनी चाहिए। आरोपों की प्रकृति गंभीर किस्म की है। कोर्ट ने कहा जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक श्रीनिवासन को बीसीसीआई से दूर रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरोपों को जानने के बाद हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते।" "हम किसी की छवि खराब नहीं करना चाहते, लेकिन हमें क्रिकेट के भविष्‍य की चिंता है।" कोर्ट ने बीसीसीआई और श्रीनिवासन से पूछा कि आरोपों पर जांच किस तरह की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुदरन रमन को राहत देते हुए पद पर बने रहने की अनुमति दी है। बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष सुनील गावस्कर ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर कहा था कि वह सुंदरन रमन को सीओओ पद से हटाने या बने रहने के संबंध में फैसला नहीं ले सकते।
बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटाए गए श्रीनिवासन ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था। श्रीनिवासन ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि उन्हें इस साल सितंबर तक अध्यक्ष पद पर काम करते रहने की इजाजत दी जाए। इस मामले में श्रीनिवासन ने दलील दी कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से सीनियर वकील ने उनके खिलाफ अनुचित और अप्रमाणित आरोप लगाए हैं।
-एजेंसी

फर्जी ब्रेथ टेस्ट रिपोर्ट बनवाकर उड़ान

डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने गांधी परिवार के सदस्यों को लेकर उड़ान भरने वाली कंपनी को पायलटों की फर्जी ब्रेथ टेस्ट रिपोर्ट बनाने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। डीजीसीए ने पाया कि उड़ान भरने से पहले होने वाले पायलट्स के ब्रेथ ऐनलाइजर (BA) टेस्ट की रिपोर्ट फर्जी भरी जा रही थी। जिन लोगों को SPG सुरक्षा मिली होती है, उन्हें लेकर उड़ान भरने से पहले हर बार यह टेस्ट कराना जरूरी होता है। इस टेस्ट के जरिए पता चलता है कि कहीं पायलट ने शराब तो नहीं पी है। इस तरह से देखा जाए तो गांधी परिवार के सदस्यों की जान खतरे में हो सकती थी।
ताजा वाकया सोमवार 14 अप्रैल का है, जब राहुल गांधी ने जीएमआर के लग्जरी फैल्कन 2000-Lx में दिल्ली से भुवनेश्वर के लिए उड़ान भरी थी। लापरवाही बरतने पर रेग्युलेटर ने 3 महीने के लिए जीएमआर एविएशन के 11 पायलट्स के फ्लाइंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिए हैं और 6 कैबिन क्रू मेंबर्स को बर्खास्त कर दिया है। जिन पायलट्स ने अक्सर सोनिया और राहुल गांधी को लेकर उड़ान भरी थी, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा गया है कि उनके लाइसेंस क्यों न 5 साल के लिए सस्पेंड कर दिए जाएं।
डीजीसीए ने कंपनी के डॉक्टर के खिलाफ भी एफआईआर करवाई है। डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने BA टेस्ट्स के फर्जी रेकॉर्ड बनाए जबकि टेस्ट की मशीन ही खराब थी। एक सीनियर डीजीसीए ऑफिसर ने बताया, 'हम दिल्ली मेडिकल काउंसिल को उनका लाइसेंस रद्द करने के लिए लिख रहे हैं।' कर्मशल फ्लाइट्स के लिए कभी-कभार उड़ान से पहले BA टेस्ट कराया जाता है लेकिन जिन लोगों को SPG सुरक्षा मिली होती है, उन्हें लेकर उड़ने से पहले पायलट्स को हर बार टेस्ट करवाना पड़ता है।
अधिकारी ने बताया, 'हमने जीएमआर एविएशन के मार्च 12 से अप्रैल 14 तक के फ्लाइंग रेकॉर्ड्स की जांच की तो पाया कि उड़ान भरने से पहले किए गए मेडिकल जांच में BA टेस्ट फर्जी थे। इस दौरान BA टेस्ट करने वाले मशीन खराब थी।'
डीजीसीए ने यह भी पाया कि कांग्रेस नेता कमल नाथ की कंपनी स्पैन एविएशन और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के परिवार की कंपनी ऑरबिट एविएशन भी लगातार प्री-फ्लाइट BA टेस्ट नहीं करवा रही है। उनके डॉक्टर भी 3 महीनों के लिए सस्पेंड कर दिए गए हैं।
-एजेंसी
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