ऐसा लगता है कि
हमारे मंत्रीगण अधिकांश मामलों और विशेषकर पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों पर
या तो अपनी बुद्धि व विवेक का इस्तेमाल किये बिना अमेरिका की लिखी हुई
स्क्रिप्ट पढ़ते हैं या फिर वह इतनी अक्ल भी नहीं रखते जितनी कि उच्च
पदों पर आसीन लोगों के लिए जरूरी होती है।