मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स पर शिकंजा कसने की तैयारी, पुलिस-प्रशासन ने लिया संज्ञान

डस्‍टर ईनाम की घोषणा भी फर्जी, भाग्‍यशाली विजेता भी ग्रुप से जुड़े लोगों के ही परिजन
आगरा से प्रकाशित लगभग सभी प्रमुख दैनिक अखबारों में ”भ्रामक जैकेट विज्ञापन” देकर लोगों को ठगने की कोशिश करने वाले रीयल एस्‍टेट ग्रुप जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स पर जिला प्रशासन ने भी अपनी निगाहें केंद्रित कर दी हैं। प्रशासन ने जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स के विज्ञापनों पर संज्ञान लिया है और आवश्‍यक जांच तथा विचार-विमर्श के बाद शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है।
इधर जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स के विज्ञापनों तथा उनकी मंशा के बारे में आज जब ”लीजेण्‍ड न्‍यूज़” ने और छानबीन की तो बड़े ही चौंकाने वाले तथ्‍य प्रकाश में आये।
उदाहरण के लिए विज्ञापन के तहत ”12 फ्लैट…12 डस्‍टर” की जिस ईनामी स्‍कीम में पांच फ्लैट बुक कराने वाले पांच भाग्‍यशाली विजेताओं का नाम दिया गया है, वह कोई और नहीं जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स के ग्रुप से जुड़े हुए लोगों के परिजन ही हैं। यही कारण है कि कल यानी 26 अप्रैल की शाम इन लोगों को डस्‍टर वितरण करने जैसा कोई कार्यक्रम हुआ ही नहीं जबकि शाम साढ़े सात बजे होटल शीतल रीजेंसी में इस कार्यक्रम को करने का हवाला विज्ञापन के अंदर दिया गया था।
दरअसल, इस आशय का प्रचार लोगों को प्रलोभन देकर फंसाने के लिए किया गया। हालांकि फिलहाल यह ज्ञात नहीं हो सका है कि ग्रुप से जुड़े लोग कितने लोगों को फांसने में सफल रहे और आगे कितने लोगों को फांसे जाने का टारगेट है।
हां, यह जरूर पता लगा है कि विज्ञापन में जिन फ्लैट्स की बात की गई है वह भी उनके अपने नहीं हैं।
ग्रुप से ही जुड़े सूत्रों की मानें तो इसके लिए वृंदावन स्‍थित जिस प्रोजेक्‍ट का इस्‍तेमाल किया जा रहा है जो किसी पूर्व पटवारी तथा उसके भाई का है।
jagran-1प्रोजेक्‍ट के मालिकानों से तो इस संबंध में बात नहीं हो पाई किंतु बताया जाता है कि यहां स्‍थित फ्लैट की कीमत 31 लाख से शुरू है जिन्‍हें जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स इस शर्त पर 15 लाख में बुक कर रहा है कि पूरा पेमेंट उनकी शर्तों के मुताबिक तय समय सीमा व सुविधा के अनुसार देना होगा।
गौरतलब है कि 15 लाख में फ्लैट बुक करके जिस तरह की (एसयूवी) गाड़ी डस्‍टर देने का लालच दिया जा रहा है उसकी कम से कम कीमत साढ़े आठ लाख रुपए है। ऐसे में फ्लैट की कीमत क्‍या रह जायेगी, यह अपने आप में सोचने का विषय है।
जाहिर है कि इसके साथ यह सवाल भी स्‍वत: खड़ा हो जाता है कि जिस फ्लैट को उसके असली मालिक 31 लाख में बेच रहे हैं, उसे जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स कैसे 15 लाख में बेच सकता है, वह भी डस्‍टर गाड़ी ईनाम में देकर।
लीजेण्‍ड न्‍यूज़ द्वारा कल इस बारे में खबर प्रकाशित किये जाने के बाद जब कुछ लोगों ने जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स के लिए काम कर रहे लोगों से पूछताछ की तो उन्‍होंने उन्‍हें यह कहकर गुमराह करने का प्रयास किया कि हम नंबर दो के पैसे को नंबर एक में करने के लिए यह खेल, खेल रहे हैं।
यदि उनकी इस बात को सच मान लिया जाए तो स्‍पष्‍ट हो जाता है कि जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स से जुड़े लोगों की नीयत नेक नहीं है और न उनका इरादा ठीक है। इतना नंबर दो का पैसा कहां से आया और उसमें कौन-कौन शामिल है, इसका पता लगना जरूरी है।
आज इस बारे में होटल शीतल रीजेंसी के मालिक अमित जैन ने भी साफ किया कि हमारा जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स या उससे जुड़े किसी व्‍यक्‍ति से कोई वास्‍ता नहीं है। वह प्राकृतिक आपदा के मारे किसान परिवारों को एक लाख एक रुपए की आर्थिक मदद देने के लिए होटल परिसर का इस्‍तेमाल करने जैसा प्रचार किस आधार पर कर रहे हैं, इस बावत में उनसे पूछताछ करूंगा।
अमित जैन ने भी स्‍वीकार किया कि शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाये बिना ऐसे किसी आयोजन का किया जाना कानून-व्‍यवस्‍था के लिए मुश्‍किलें खड़ी कर सकता है और उससे हालात बिगड़ने की पूरी आशंका है।
इधर एडीएम फाइनेंस तथा पुलिस के आला अधिकारियों ने भी जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स के बारे में आवश्‍यक जांच पड़ताल कर प्रभावी कार्यवाही किये जाने की बात कही है जिससे भविष्‍य में फिर कोई इस तरह का प्रयास करने की हिमाकत न कर सके।
अब देखना यह है कि इतना सब कुछ पता लगने तथा शासन व प्रशासन स्‍तर पर जानकारी हो जाने के बावजूद जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स कितने लोगों को अपने जाल में फंसा पाता है और कितने लोग उसके जाल में फंसते हैं क्‍योंकि जे. एस. इन्‍फ्रा होम्‍स का कारनामा अंतत: पुलिस प्रशासन के लिए ही सिरदर्द साबित होगा। जो लोग आज उसके भ्रामक विज्ञापनों के जाल में फंसकर अपना पैसा लुटा देंगे कल वही पुलिस-प्रशासन पर एफआईआर दर्ज करके पैसा बरामद करने के लिए दबाव बनायेंगे।
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष

करीब नौ हजार एनजीओ के लाइसेंस रद्द किये सरकार ने

नई दिल्‍ली। भारत सरकार ने लगभग नौ हज़ार ऐसे एनजीओ (ग़ैर सरकारी संगठनों) के लाइसेंस रद्द कर दिये हैं जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में अपने वार्षिक वित्तीय रिटर्न दाखिल नहीं किए थे.
गृह मंत्रालय के एक आदेश में कहा गया है कि कुल 10,343 एनजीओ (ग़ैर सरकारी संगठनों) को अक्टूबर, 2014 में अपने सालाना रिटर्न दाख़िल करने के लिए कहा गया था जिसमें विदेश से आई वित्तीय मदद का पूरा विवरण अनिवार्य था लेकिन सिर्फ़ 229 गैर सरकारी संगठनों ने ही गृह मंत्रालय के इस आदेश पर ‘अमल′ किया जबकि 8,975 ने अमल नहीं किया जिनके लाइसेंस सरकार ने रद्द कर दिए हैं.
ये कार्यवाही ग्रीनपीस इंडिया की विदेशी फ़ंडिंग निलंबित किए जाने और फ़ोर्ड फॉउन्डेशन को निगरानी सूची में रखे जाने के बाद की गई है.
इस आदेश के अनुसार जिन गैर सरकारी संगठनों के ख़िलाफ़ कार्यवाही हुई है उन्होंने वर्ष 2009-2010, 2010-2011 और 2011-12 में विदेशी फंडिंग समेत अपने वित्तीय रिटर्न नहीं दाख़िल किए हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक और सम्बंधित एनजीओ के साथ साथ गृह मंत्रालय के इस आदेश को उन सभी ज़िलाधिकारियों को भी भेज दिया गया है जिनके इलाके में इनका पंजीकरण है.
ख़ास बात ये है कि ये सभी लाइसेंस विदेशी चंदा नियमन क़ानून यानी एफसीआरए के कथित उल्लंघन करने के सम्बन्ध में रद्द किए गए हैं.
केंद्र में आसीन भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पिछले कुछ महीनों से एफसीआरए कानून पर कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है.
ग्रीनपीस इंडिया की विदेशी फ़ंडिंग निलंबित किए जाने का मामला दोबारा अदालत पहुँच चुका है.
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