नई दिल्ली । क्या किसी दोषी की सजा को माफ करने या
उसे कम करने के राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकार को किसी कानून द्वारा
समाप्त किया जा सकता है? उच्चतम न्यायालय नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक
सब्सटेंसिस (एनडीपीएस) कानून की धारा 32ए की वैधता का अध्ययन करते समय इस
विषय पर फैसला करेगा. यह कानून कहता है कि इसके तहत दी गयी सजा में किसी
तरह का निलंबन, कमी या तब्दीली की अनुमति नहीं है.
इस मुद्दे के महत्व को देखते हुये न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति एफ एम इब्राहिम कलीफुल्ली की पीठ ने मामला एक बड़ी पीठ को भेज दिया है.अदालत ने एनडीपीएस कानून के तहत दोषी ठहराये गये कृष्णन नामक शख्स और अन्य लोगों की दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी दिया. इस अपील में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गयी है जिसमें कहा गया था कि उन्हें कानून की धारा 32ए के प्रावधानों के मद्देनजर सजा में कमी का अधिकार नहीं है.
इस मुद्दे के महत्व को देखते हुये न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति एफ एम इब्राहिम कलीफुल्ली की पीठ ने मामला एक बड़ी पीठ को भेज दिया है.अदालत ने एनडीपीएस कानून के तहत दोषी ठहराये गये कृष्णन नामक शख्स और अन्य लोगों की दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी दिया. इस अपील में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गयी है जिसमें कहा गया था कि उन्हें कानून की धारा 32ए के प्रावधानों के मद्देनजर सजा में कमी का अधिकार नहीं है.