बुधवार, 8 अगस्त 2012

सब कुछ दिखावा: तेरा जन्‍म भी, जन्‍मोत्‍सव भी

हे श्रीकृष्‍ण ! यदि वास्‍तव में तुम कभी अवतरित हुए थे, तुमने कभी महाभारत युद्ध का नेतृत्‍व करते हुए अपने सखा अर्जुन को अपने ही बंधु-बांधवों के खिलाफ गांडीव उठाने के लिए इसलिए प्रेरित किया था क्‍योंकि वह अनाचार व अत्‍याचारों के पर्याय बन चुके थे तो आज तुम कहां हो ? 
 एक और कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी आ चुकी है । फिर एक बार मंदिर सजेंगे । मंदिरों के साथ-साथ घर-घर और गली-गली बधाई गीत गाये जायेंगे । नंदोत्‍सव होगा ।
हम भारतवासी उत्‍सव प्रेमी हैं इसलिए जन्‍म से लेकर मृत्‍यु के बाद तक विभिन्‍न रूपों में उत्‍सव मनाते चले आये हैं । मनाने भी चाहिए क्‍योंकि उत्‍सव ही लोगों के जीवन में उल्‍लास व उत्‍साह पैदा करते हैं । उत्‍सव ही लोगों को तनाव मुक्‍त करने तथा मेल-मिलाप का माध्‍यम बनते हैं ।नि:संदेह आज का समाज उत्‍सवों के आयोजन पर पहले से कहीं अधिक पैसा खर्च करने लगा है । पहले से कहीं अधिक भव्‍य उत्‍सव आज होते हैं । धार्मिक उत्‍सव भी स्‍टेटस सिंबल बन चुके हैं और इस दिखावे से वो स्‍थान तक अछूता नहीं रहा जिसे लोग श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान के रूप में पहचानते हैं । यानि श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि ।

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