शनिवार, 22 सितंबर 2012

सरकार है या शेखचिल्‍ली उवाच ?

कल प्रधानमंत्री का राष्‍ट्र के नाम पूरे 17 मिनट का संबोधन सुना। ना चेहरे पर कोई भाव, न किसी प्रकार का स्‍पंदन। आंखें जैसे एकदम ठहरी हुई। मुंह से शब्‍द जरूर निकल रहे थे पर कुछ इस तरह कि कोई जबरन बुलवा रहा हो। कोई स्‍क्रिप्‍ट सिर्फ पढ़ी जा रही हो।
सच तो यह है कि उनके चेहरे पर उतने भी भाव नहीं थे जितने कठपुतलियों को नचाते वक्‍त उनका सूत्रधार ले आता है।
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