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बुधवार, 24 दिसंबर 2025
डालमिया बाग के बाद अब वृंदावन की सनसिटी अनंतम का बड़ा कारनामा: MVDA, वन विभाग सहित 9 को नोटिस
अभी बहुत समय नहीं बीता जब वृंदावन के छटीकरा रोड स्थित डालमिया बाग का मामला NGT से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने उसमें बेहद सख्त रुख अपनाते हुए न केवल करोड़ों रुपए का जुर्माना ठोका बल्कि अनेक शर्तों के साथ ऐसा आदेश पारित किया, जिसके कारण आज 'गुरू कृपा तपोवन' के नाम से प्रस्तावित पूरा हाउसिंग प्रोजेक्ट खटाई में पड़ चुका है।लेकिन लगता है कि रियल एस्टेट के कारोबार में सक्रिय माफिया न तो किसी आदेश-निर्देश से कोई सीख लेता है और न अदालतों के रुख की परवाह करता है। आखिर बात करोड़ों के नहीं, अरबों के लाभ की जो है।
तभी तो अब वृंदावन के ही छटीकरा रोड पर सुनरख बांगर में सनसिटी अनंतम को डेवलप करने वाले समूह ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसकी कल्पना तक कोई आसानी से नहीं कर सकता। ऐसे में एक सवाल यह जरूर उठता है कि कैसे कोई रियल एस्टेट ग्रुप इतना दुस्साहस कर पाता है, और कौन हैं जो किसी समूह को इतना हौसला देते हैं कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश-निर्देश से पेश नजीर को अहमियत देना आवश्यक नहीं समझता। जवाब साफ है। रियल एस्टेट के कारोबार में सक्रिय माफिया को इस दुस्साहस के लिए सबसे अधिक प्रोत्साहन विकास प्राधिकरण से मिलता है जिसे कृष्ण की नगरी में मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण यानी MVDA कहते हैं।
इसके बाद नंबर आता है प्रदूषण विभाग और वन विभाग का। हालांकि सनसिटी अनंतम के केस में उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (UPPCB) ने CTE अर्थात Consent to Establish अस्वीकृत करने की सिफारिश की है, बावजूद इसके रियल एस्टेट माफिया गैरकानूनी तौर पर अपना काम कर रहा है।
दिल्ली-आगरा रोड पर नेशनल हाईवे नंबर 19 के किनारे अनुमानित 400 एकड़ से अधिक में बनाई जा रही इस टाउनशिप की भव्यता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां मात्र 240 वर्गगज में बने एक विला की शुरूआती कीमत 6 करोड़ रुपए से ज्यादा रखी गई है।
बहरहाल, अब NGT की Principal Bench ने इससे संबद्ध मूल आवेदन संख्या 649/2025 की सुनवाई करते हुए सूचीबद्ध किया है और उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण (SEIAA-UP) पर्यावरण विभाग, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC), केंद्रीय भू जल प्राधिकरण (CGWA), प्रभागीय वन अधिकारी वन विभाग मथुरा, MVDA (मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण, जिलाधिकारी मथुरा तथा एमएस सनसिटी हाईटेक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आशुतोष सिंह को नोटिस देकर जवाब तलब किया है।
दरअसल, ताज ट्रपेजियम जोन (TTZ) के अंतर्गत आने वाले सनसिटी अनंतम प्रोजेक्ट को लेकर दायर याचिका पर NGT में 18 दिसंबर को हुई सुनवाई के बीच याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एन के गोस्वामी ने पीठ को अवगत कराया कि अब तक इस प्रोजेक्ट के लिए कोई वैधानिक अनुमति ली ही नहीं गई है। प्रोजेक्ट के लिए न तो Consent to Establish है, न Conset to Operate (CTO) है और न कार्यशील सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) है।
यहां सीवेज को मध्ययुगीन प्रथा की तरह टैंकरों के जरिए आसपास के इलाकों में निस्तारित कराया जा रहा है जो पर्यावरण की दृष्टि से तो अनुचित है ही, स्वास्थ्य के नजरिए से भी हानिकारक है और इसका प्रभाव लोगों पर पड़ रहा है। अधिवक्ता एन के गोस्वामी ने इसे पीठ के समक्ष कानून के शासन को 'कार्डियक अरेस्ट' की संज्ञा देते हुए गंभीर प्रश्न खड़ा किया।
यही नहीं, विद्वान अधिवक्ता ने पीठ के सामने सेटेलाइट इमेज पेश करते हुए यह जानकारी भी दी कि सनसिटी अनंतम के लिए बिना किसी अनुमति के 400 से अधिक दरख्तों को काटा गया है। ये संख्या इससे अधिक भी हो सकती है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इस दौरान MVDA को कठघरे में खड़ा करते हुए पीठ को बताया कि जब उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड जैसी संस्थाएं इस प्रोजेक्ट के लिए एनओसी को खारिज करने की संस्तुति कर चुकी हैं तब जून 2025 में ही MVDA द्वारा सनसिटी अनंतम के लिए लाइसेंस प्रदान कर दिया गया और निजी प्रतिवादियों को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई, जो अब भी जारी है।
इससे साफ जाहिर है कि राज्य की जिस मशीनरी पर प्रोजेक्ट को कानूनी प्रक्रिया से पूरा कराने की जिम्मदारी है, वही निजी स्वार्थ में गैरकानूनी काम करने वालों को संरक्षण दे रही है। यहां यदि ये कहें कि रियल एस्टेट माफिया और अधिकारियों के बीच गहरी सांठगांठ से ही यह संभव है, तो कुछ गलत नहीं होगा। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 मार्च 2026 की तारीख तय की गई है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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