(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष) तमाम जद्दोजहद के बाद भारतीय जनता पार्टी ने नरेन्द्र मोदी के सिर प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का सेहरा अंतत: बांध दिया। एक बड़ा चैप्टर क्लोज हो गया लेकिन लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इससे कई नए चैप्टर खुल गए।
देश-दुनिया और पक्ष-विपक्ष की बात किनारे करके अगर बात करें सिर्फ कृष्ण नगरी की, तो मोदी के गुजरात का यहां से गहरा नाता जो है। कुछ वैसा ही जैसा कृष्ण का द्वारिका से और द्वारिकाधीश का मथुरा से। जाहिर है कि इस रिश्ते का प्रभाव मथुरा की राजनीति को भी अवश्य प्रभावित करेगा।
राजनीति के सिरमौर श्रीकृष्ण की इस जन्मभूमि का उत्तर प्रदेश की राजनीति में वही स्थान है जो देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का।
किसी भी चुनाव में यहां होने वाली हार-जीत का असर समूचे राजनीतिक परिदृश्य पर साफ दिखाई देता है।
ऐसे में महत्वपूर्ण हो जाता है यह प्रश्न कि मथुरा में लोकसभा की उम्मीदवारी का सेहरा किसके सिर बंधेगा....... यानि कौन होगा मथुरा का मोदी?
देश-दुनिया और पक्ष-विपक्ष की बात किनारे करके अगर बात करें सिर्फ कृष्ण नगरी की, तो मोदी के गुजरात का यहां से गहरा नाता जो है। कुछ वैसा ही जैसा कृष्ण का द्वारिका से और द्वारिकाधीश का मथुरा से। जाहिर है कि इस रिश्ते का प्रभाव मथुरा की राजनीति को भी अवश्य प्रभावित करेगा।
राजनीति के सिरमौर श्रीकृष्ण की इस जन्मभूमि का उत्तर प्रदेश की राजनीति में वही स्थान है जो देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का।
किसी भी चुनाव में यहां होने वाली हार-जीत का असर समूचे राजनीतिक परिदृश्य पर साफ दिखाई देता है।
ऐसे में महत्वपूर्ण हो जाता है यह प्रश्न कि मथुरा में लोकसभा की उम्मीदवारी का सेहरा किसके सिर बंधेगा....... यानि कौन होगा मथुरा का मोदी?