मथुरा।
यदि आपके जेहन में मथुरा की छवि सिर्फ एक धार्मिक स्थान की है और अगर आप ऐसा मानते हैं कि कृष्ण की यह पावन जन्मस्थली सिर्फ यमुना के घाटों, वृंदावन की कुंज गलियों, अरावली पर्वत श्रृंखला की गोवर्धन परिक्रमा, नंदगांव, बरसाना, कोकिलावन के शनिदेव मंदिर, द्वारिकाधीश, बिहारी जी जैसे तमाम मंदिरों तक ही सीमित है तो आप गलतफहमी में हैं। इन सबसे और अपनी धार्मिक छवि से इतर भी एक मथुरा है, और यह मथुरा एक ऐसी अंधी सुरंग में ले जाती है जहां जाते हुए तो बहुत कुछ नजर आता है किंतु वापस होते कुछ नजर नहीं आता। ऐसा लगता है जैसे इस सुरंग से वापसी का कोई मार्ग है ही नहीं।
कभी प्राचीन बेशकीमती मूर्तियों की तस्करी के लिए कुख्यात रहा मथुरा जनपद अपनी भौगोलिक स्थितियों के कारण समय के साथ यूं तो शराब, ड्रग्स, हथियार तथा चांदी आदि की तस्करी के लिए भी मशहूर होता गया किंतु आज यह गर्ल्स ट्रैफिकिंग यानि लड़कियों की तस्करी के लिए भी काफी मुफीद साबित हो रहा है लिहाजा यहां बड़े पैमाने पर लड़कियों के तस्कर सक्रिय हो चुके हैं।
चूंकि मथुरा जनपद की सीमा एक ओर राजस्थान से तथा दूसरी ओर हरियाणा से लगती है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की दूरी भी यहां से मात्र 146 किलोमीटर है इसलिए हर किस्म के अपराधियों का आवागमन यहां काफी आसान रहता है। ऊपर से अनेक तथाकथित मठ, मंदिर एवं आश्रम भी अपराधियों को संरक्षण देने में अहम् भूमिका निभाते हैं।
यही कारण है कि विश्व प्रसिद्ध यह धार्मिक जनपद पिछले कुछ सालों से गर्ल्स ट्रैफिकिंग का बड़ा अड्डा बन चुका है।
यहां से ले जायी जाने वाली लड़कियां कहां गायब हो जाती हैं, इसका पता आज तक नहीं लगा। हां, यह पता जरूर है कि गायब होने की तुलना में बरामद होने वाली लड़कियों की संख्या नगण्य है। जो लड़कियां यदा-कदा मिल जाती हैं, उन्हें लेकर फिर पुलिस ऐसी कोई जांच नहीं करती जिससे दूसरी बेहिसाब लापता लड़कियों का कोई सुराग मिल सके।
सच तो यह है कि पुलिस मात्र खानापूरी करके ऐसे मामलों से पीछा छुड़ाने में ज्यादा रुचि लेती है ताकि कोई बड़ी मुसीबत गले न पड़ जाए।
पुलिस के ही सूत्र बताते हैं कि मथुरा जनपद से हर दिन कोई न कोई लड़की गायब होती है और पुलिस को इसकी सूचना भी दी जाती है किंतु पुलिस पहले तो ऐसे मामले बिना कोई लिखा-पढ़ी किये निपटाने का प्रयास करती है लेकिन यदि लिखा-पढ़ी करना मजबूरी बन जाता है तब मात्र गुमशुदगी दर्ज करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है। उसके बाद लड़की के परिवारीजनों से ही कह दिया जाता है कि यदि आपको कुछ पता लगे तो बता देना। पुलिसजन खुद उसके बाद कोई जानकारी करने की जहमत नहीं उठाते जबकि आज गर्ल्स चिल्ड्रन को अगवा कर उनसे वैश्यावृत्ति कराने, दूसरे प्रांतों में ले जाकर जबरन विवाह करा देने, खाड़ी के देशों में भेज देने तथा भीख मंगवाने से लेकर ड्रग्स की तस्करी कराने जैसे मामले सामने आ चुके हैं।
इसके अलावा निठारी जैसे कांड बताते हैं कि लड़कियों के साथ कितने किस्म के अपराध किये जा सकते हैं।
हाल ही में मथुरा से तीन नाबालिग लड़कियों को फिल्मों में काम दिलाने के बहाने अगवा कर ले जाने का मामला प्रकाश में आ चुका है, बावजूद इसके पुलिस लगभग हर दिन लड़कियों के गायब होने जैसे संगीन मामले को गंभीरता से नहीं लेती।
पुलिस के साथ-साथ इस मामले में न तो मथुरा का कोई सामाजिक संगठन रुचि लेता है और न कोई धार्मिक संस्था। राजनेता तो यहां जैसे केवल वक्त पर चुनाव लड़ने और बाकी समय निठल्ला चिंतन करने के लिए हैं। उनके द्वारा कभी किसी गंभीर समस्या के समाधान की पहल की ही नहीं जाती नतीजतन पुलिस तथा प्रशासनिक अफसर यहां ड्यूटी कम और मौज ज्यादा करते हैं।
नेताओं की निष्क्रियता, अफसरों की उदासीनता, पुलिस की अकर्मयण्यता तथा अपराधियों की इस अति सक्रियता पर यदि अब भी ध्यान नहीं दिया और लड़कियों का जनपद से गायब होना इसी प्रकार जारी रहा तो निश्चित ही वह दिन दूर नहीं जब किसी भयानक कांड के सूत्र मथुरा जैसी विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी से जुड़ते दिखाई देंगे। तब हो सकता है कि राजनीति भी हो और कुछ अफसरों से जवाब-तलब भी किया जाए किंतु तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। उसके बाद भी जरूरी नहीं कि गर्ल्स ट्रैफिकिंग का यह सिलसिला थम ही जाए क्योंकि बेटियों को लेकर समाज जिस कदर संवेदनाहीन हो चुका है, उसी का परिणाम है कि आज बेटियां भेड़-बकरियों से भी ज्यादा असुरक्षित हैं। आश्चर्य इस बात पर भी होता है कि फिर भी हम खुद को सभ्य समाज का हिस्सा कहते हैं। फिर भी हम मथुरा को विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों में शुमार करते हैं।
यहां एक सवाल यह पूछने का मन करता है कि यदि धार्मिक स्थल ऐसे होते हैं तो जरायम की दुनिया और जरायमपेशा शहर कैसे होते होंगे?
-लीजेण्ड न्यूज़ विशेष
यदि आपके जेहन में मथुरा की छवि सिर्फ एक धार्मिक स्थान की है और अगर आप ऐसा मानते हैं कि कृष्ण की यह पावन जन्मस्थली सिर्फ यमुना के घाटों, वृंदावन की कुंज गलियों, अरावली पर्वत श्रृंखला की गोवर्धन परिक्रमा, नंदगांव, बरसाना, कोकिलावन के शनिदेव मंदिर, द्वारिकाधीश, बिहारी जी जैसे तमाम मंदिरों तक ही सीमित है तो आप गलतफहमी में हैं। इन सबसे और अपनी धार्मिक छवि से इतर भी एक मथुरा है, और यह मथुरा एक ऐसी अंधी सुरंग में ले जाती है जहां जाते हुए तो बहुत कुछ नजर आता है किंतु वापस होते कुछ नजर नहीं आता। ऐसा लगता है जैसे इस सुरंग से वापसी का कोई मार्ग है ही नहीं।
कभी प्राचीन बेशकीमती मूर्तियों की तस्करी के लिए कुख्यात रहा मथुरा जनपद अपनी भौगोलिक स्थितियों के कारण समय के साथ यूं तो शराब, ड्रग्स, हथियार तथा चांदी आदि की तस्करी के लिए भी मशहूर होता गया किंतु आज यह गर्ल्स ट्रैफिकिंग यानि लड़कियों की तस्करी के लिए भी काफी मुफीद साबित हो रहा है लिहाजा यहां बड़े पैमाने पर लड़कियों के तस्कर सक्रिय हो चुके हैं।
चूंकि मथुरा जनपद की सीमा एक ओर राजस्थान से तथा दूसरी ओर हरियाणा से लगती है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की दूरी भी यहां से मात्र 146 किलोमीटर है इसलिए हर किस्म के अपराधियों का आवागमन यहां काफी आसान रहता है। ऊपर से अनेक तथाकथित मठ, मंदिर एवं आश्रम भी अपराधियों को संरक्षण देने में अहम् भूमिका निभाते हैं।
यही कारण है कि विश्व प्रसिद्ध यह धार्मिक जनपद पिछले कुछ सालों से गर्ल्स ट्रैफिकिंग का बड़ा अड्डा बन चुका है।
यहां से ले जायी जाने वाली लड़कियां कहां गायब हो जाती हैं, इसका पता आज तक नहीं लगा। हां, यह पता जरूर है कि गायब होने की तुलना में बरामद होने वाली लड़कियों की संख्या नगण्य है। जो लड़कियां यदा-कदा मिल जाती हैं, उन्हें लेकर फिर पुलिस ऐसी कोई जांच नहीं करती जिससे दूसरी बेहिसाब लापता लड़कियों का कोई सुराग मिल सके।
सच तो यह है कि पुलिस मात्र खानापूरी करके ऐसे मामलों से पीछा छुड़ाने में ज्यादा रुचि लेती है ताकि कोई बड़ी मुसीबत गले न पड़ जाए।
पुलिस के ही सूत्र बताते हैं कि मथुरा जनपद से हर दिन कोई न कोई लड़की गायब होती है और पुलिस को इसकी सूचना भी दी जाती है किंतु पुलिस पहले तो ऐसे मामले बिना कोई लिखा-पढ़ी किये निपटाने का प्रयास करती है लेकिन यदि लिखा-पढ़ी करना मजबूरी बन जाता है तब मात्र गुमशुदगी दर्ज करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है। उसके बाद लड़की के परिवारीजनों से ही कह दिया जाता है कि यदि आपको कुछ पता लगे तो बता देना। पुलिसजन खुद उसके बाद कोई जानकारी करने की जहमत नहीं उठाते जबकि आज गर्ल्स चिल्ड्रन को अगवा कर उनसे वैश्यावृत्ति कराने, दूसरे प्रांतों में ले जाकर जबरन विवाह करा देने, खाड़ी के देशों में भेज देने तथा भीख मंगवाने से लेकर ड्रग्स की तस्करी कराने जैसे मामले सामने आ चुके हैं।
इसके अलावा निठारी जैसे कांड बताते हैं कि लड़कियों के साथ कितने किस्म के अपराध किये जा सकते हैं।
हाल ही में मथुरा से तीन नाबालिग लड़कियों को फिल्मों में काम दिलाने के बहाने अगवा कर ले जाने का मामला प्रकाश में आ चुका है, बावजूद इसके पुलिस लगभग हर दिन लड़कियों के गायब होने जैसे संगीन मामले को गंभीरता से नहीं लेती।
पुलिस के साथ-साथ इस मामले में न तो मथुरा का कोई सामाजिक संगठन रुचि लेता है और न कोई धार्मिक संस्था। राजनेता तो यहां जैसे केवल वक्त पर चुनाव लड़ने और बाकी समय निठल्ला चिंतन करने के लिए हैं। उनके द्वारा कभी किसी गंभीर समस्या के समाधान की पहल की ही नहीं जाती नतीजतन पुलिस तथा प्रशासनिक अफसर यहां ड्यूटी कम और मौज ज्यादा करते हैं।
नेताओं की निष्क्रियता, अफसरों की उदासीनता, पुलिस की अकर्मयण्यता तथा अपराधियों की इस अति सक्रियता पर यदि अब भी ध्यान नहीं दिया और लड़कियों का जनपद से गायब होना इसी प्रकार जारी रहा तो निश्चित ही वह दिन दूर नहीं जब किसी भयानक कांड के सूत्र मथुरा जैसी विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी से जुड़ते दिखाई देंगे। तब हो सकता है कि राजनीति भी हो और कुछ अफसरों से जवाब-तलब भी किया जाए किंतु तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। उसके बाद भी जरूरी नहीं कि गर्ल्स ट्रैफिकिंग का यह सिलसिला थम ही जाए क्योंकि बेटियों को लेकर समाज जिस कदर संवेदनाहीन हो चुका है, उसी का परिणाम है कि आज बेटियां भेड़-बकरियों से भी ज्यादा असुरक्षित हैं। आश्चर्य इस बात पर भी होता है कि फिर भी हम खुद को सभ्य समाज का हिस्सा कहते हैं। फिर भी हम मथुरा को विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों में शुमार करते हैं।
यहां एक सवाल यह पूछने का मन करता है कि यदि धार्मिक स्थल ऐसे होते हैं तो जरायम की दुनिया और जरायमपेशा शहर कैसे होते होंगे?
-लीजेण्ड न्यूज़ विशेष