सोमवार, 11 मई 2015

अखिलेश सरकार की जड़ों में मठ्ठा डाल रहे हैं बिजली विभाग के एसई प्रदीप मित्‍तल

मथुरा। कृष्‍ण की पावन जन्‍मस्‍थली में तैनात बिजली विभाग के एसई प्रदीप मित्‍तल एक ओर जहां अखिलेश सरकार की जड़ों में मठ्ठा डाल रहे हैं, वहीं आम लोगों के लिए ”जले पर नमक छिड़कने” वाली कहावत को बखूबी चरितार्थ कर रहे हैं।
विश्‍वविख्‍यात धार्मिक स्‍थलों में शुमार इस शहर की जनता पिछले करीब पंद्रह दिनों यानि जब से गर्मी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू किया है, बिजली की भारी किल्‍लत का सामना कर रही है।
दिन तो लोगों का काम के बीच जैसे-तैसे बीत जाता है किंतु रात काटे नहीं कटती क्‍योंकि आधी रात के वक्‍त यहां तब बिजली काटी जाती है जब लोग गहरी नींद के आगोश में समाये होते हैं। बिजली की यह कटौती तीन से चार घंटे तक की होती है। दिन…और फिर रात में भी की जा रही इस भारी कटौती की वजह से लोगों के इन्‍वर्टर भी साथ छोड़ देते हैं क्‍योंकि वह पूरी तरह चार्ज ही नहीं हो पाते।
इस स्‍थिति में बीमार, वृद्ध और बच्‍चों के साथ घर के हर सदस्‍य को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जाहिर है कि इन हालातों में लोग यह जानने का प्रयास करते हैं कि बिजली की ऐसी किल्‍लत कब तक रहेगी क्‍योंकि अभी तो गर्मी ने अपने शुरूआती तेवर दिखाना शुरू ही किया है।
जनसामान्‍य इसके लिए मीडिया से भी यह अपेक्षा रखता है कि वह उसे किन्‍हीं बड़े अफसरों के मार्फत जानकारी दे क्‍योंकि बड़े विभागीय अफसर अपनी ओर से कोई जानकारी देना मुनासिब नहीं समझते।
बिना किसी पूर्व सूचना के इस धार्मिक शहर में दिन-रात की जा रही भारी बिजली कटौती के बावत पहले तो ”लीजेण्‍ड न्‍यूज़” ने राधापुरम एस्‍टेट के सब स्‍टेशन पर फोन किया। राधापुरम एस्‍टेट के सब स्‍टेशन पर जिन सज्‍जन ने फोन रिसीव किया उनका कहना था कि कटौती के बारे में उन्‍हें कुछ नहीं बताया जाता लिहाजा वह कुछ भी बता पाने में असमर्थ हैं। उच्‍च अधिकारी ही बता सकते हैं कि असलियत क्‍या है और यह स्‍थिति कब तक बनी रहेगी।
सब स्‍टेशन से इस आशय का जवाब मिलने पर ”लीजेण्‍ड न्‍यूज़” ने रात में ही एसई प्रदीप मित्‍तल को उनके सरकारी मोबाइल पर फोन किया।
आश्‍चर्यजनक रूप से एसई का भी जवाब वही था जो सब स्‍टेशन पर मौजूद रहे कर्मचारी का था।
एसई प्रदीप मित्‍तल के मुताबिक कटौती का फरमान सीधे लखनऊ से जारी होता है और उन्‍हें इसकी कोई सूचना नहीं दी जाती।
एसई का कहना था कि कटौती क्‍यों हो रही है और कितने दिन चलेगी, इसकी जानकारी लखनऊ में बैठे विभागीय अफसर ही दे सकते हैं इसलिए उन्‍हें फोन कर लें।
जब एसई से यह पूछा गया कि यहां के सबसे बड़े अफसर आप है, और आपको ही लखनऊ में बैठे अफसर कोई जानकारी नहीं देते तो किसी अन्‍य को वह जानकारी दे देंगे क्‍या?
इस पर एसई का जवाब था कि इसके लिए मैं क्‍या कर सकता हूं।
जब उनसे यह कहा गया कि लोगों से बिजली बिल के भुगतान की वसूली का जिम्‍मा आपका है और उसके लिए आप हरसंभव हथकंडा अपनाते हैं, बिल न दे पाने वालों के खिलाफ कार्यवाही आप कराते हैं, बिजली विभाग से मोटा वेतन-भत्‍ता आप लेते हैं तो क्‍या आपकी कोई जवाबदेही नहीं बनती, इस पर एसई का जवाब था कि डीएम साहब ने भी मुझसे कटौती के बारे में जानकारी मांगी थी और मैंने उन्‍हें बता दिया कि जवाब लखनऊ से ही मिल सकता है।
कहते हैं कि किसी को गुड़ भले ही न दे सको लेकिन उससे गुड़ जैसी बात तो करो ताकि वह आशान्‍वित रहे तथा उत्‍तेजित न हो…किंतु यहां तो जिम्‍मेदार अफसर ही लोगों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।
जिलाधिकारी राजेश कुमार से उन्‍होंने क्‍या कहा, इसकी पुष्‍टि तो नहीं हो पाई अलबत्‍ता इतना जरूर पता लग गया कि बिजली विभाग के एसई आने वाले समय में अपने जवाबों से इस धार्मिक शहर के अंदर किसी बड़े उपद्रव का कारण बन सकते हैं क्‍योंकि उनका जवाब किसी भी समय आग के अंदर घी डालने का काम कर बैठेगा।
आज ही लखनऊ से छपे समाचार में स्‍पष्‍ट चेतावनी दी गई है कि पॉवर कार्पोरेशन ने पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश को और बिजली दे पाने में असमर्थता जाहिर की है इसलिए पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश के लोग बिजली का भारी संकट झेलने को तैयार रहें।
इन स्‍थितियों में गर्मी और बिजली संकट के साथ-साथ लोगों का दिमागी पारा भी बढ़ना स्‍वाभाविक है। उत्‍तेजित लोगों को जब कहीं से कोई संतोषजनक या आशावादी उत्‍तर नहीं मिलेगा तो टकराव की संभावना भी बढ़ जायेगी।
यूं भी बिजली विभाग ने प्रति किलोवाट के हिसाब से हर कनेक्‍शन पर मिनीमम बिल तो निर्धारित कर रखा है किंतु मिनीमम सप्‍लाई आज तक तय नहीं की।
कहने का मतलब यह है कि यदि कोई उपभोक्‍ता अपने निर्धारित भार का ईमानदारी के साथ इस्‍तेमाल कर रहा है तो बिजली विभाग उसे उसके हक की बिजली दिये बिना भी जबरन मिनमम बिल वसूल रहा है।
यह बात अलग है कि कोई भी ईमानदार उपभोक्‍ता अतिरिक्‍त एक यूनिट बिजली का इस्‍तेमाल नहीं कर सकता।
प्रदेश के सर्वाधिक भ्रष्‍ट विभागों में से एक बिजली विभाग के अंदर बिलिंग से किये गये करोड़ों के भ्रष्‍टाचार का मामला गत दिनों सामने आ ही चुका है। कनेक्‍शन से लेकर बिल के भुगतान तक में सुविधा शुल्‍क देकर कुछ भी खेल इस विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों से करा लेना आम बात है, लेकिन बिजली की भारी किल्‍लत पर जवाबदेही लेने को कोई तैयार नहीं।
मथुरा ही नहीं, प्रदेश के हर जिले में बिजली विभाग के अफसरों की कार्यशैली लगभग ऐसी ही देखने को मिलती है जबकि उनकी माली हैसियत उनके पद से मिलने वाली तनख्‍वाह की तुलना में बहुत अच्‍छी देखी जा सकती है।
अतिरिक्‍त कमाई में बिजली विभाग का अदना सा कर्मचारी भी किसी से पीछे नहीं रहता किंतु जवाबदेही में उच्‍च अफसर भी सबसे छोटे कर्मचारी से तुलना करते नहीं शरमाते। वो बेझिझक कहते हैं कि उन्‍हें कुछ नहीं पता, कब तक हालात सुधरेंगे।
शायद इसीलिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह बार-बार कहते हैं कि कुछ अफसर ही अखिलेश सरकार की छवि धूमिल करने पर आमादा हैं। संभवत: मुलायम सिंह जानते हैं कि प्रदीप मित्‍तल जैसे अफसरों की संख्‍या ही अधिक है जो सरकार से तो सब-कुछ ले रहे हैं लेकिन उसकी ओर से गुड़ तो छोड़िये गुड़ जैसी बात भी नहीं करते।
गौरतलब है कि मथुरा, प्रदेश के उन अजूबे जिलों में से है जहां आज तक समाजवादी पार्टी का न तो कभी लोकसभा में कोई प्रतिनिधि पहुंच सका और न विधानसभा में, हालांकि पार्टी ने हरसंभव प्रयास किया।
अब 2017 में फिर विधानसभा के चुनाव होने हैं, अखिलेश सरकार केंद्र की पिछली यूपीए सरकार जैसा आचार-व्‍यवहार कर रही है। मुख्‍यमंत्री मुगालते में हैं कि उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश को उत्‍तम प्रदेश बनाने की राह पर ला खड़ा किया है। अफसर उनके इस मुगालते को बनाये रखना चाहते हैं। पार्टी की जिला इकाइयां सत्‍ता के मद में चूर हैं। पार्टी के पदाधिकारी या तो अंतर्कलह के शिकार हैं या निजी स्‍वार्थ पूरे कराने में लिप्‍त। आम आदमी के लिए जवाबदेही वह भी महसूस नहीं कर रहे।
फिर चाहे बात आज के लिए आवश्‍यक आवश्‍यकता बन चुकी बिजली की किल्‍लत से ताल्‍लुक रखती हो अथवा बेलगाम हो चुकी कानून-व्‍यवस्‍था से जुड़ी हो। अधिकारी चूंकि ले-देकर सीधे अपनी मनमाफिक तैनाती कराने में सक्षम हैं, इसलिए वह न तो जनता की सुनते हैं और न पार्टी पदाधिकारियों को कुछ समझते हैं।
अब भी वक्‍त है यदि माननीय मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव और उनका समाजवादी कुनबा इस तल्‍ख सच्‍चाई को महसूस करते हुए कुछ ठोस कदम उठा लें अन्‍यथा प्रदीप मित्‍तल जैसे अफसर उनकी जड़ों में मठ्ठा डालने का काम बखूबी कर ही रहे हैं।
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष
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