सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

संदिग्‍ध मौत मर रहे हैं वैज्ञानिक, सो रही है सरकार

कुछ समय पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े एक वैज्ञानिक की मौत ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा था परन्तु बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भारत के सर्वोच्च प्रतिष्ठित परमाणु प्रतिष्ठान बार्क में पिछले तीन वर्ष के दौरान नौ भारतीय वैज्ञानिकों की संदिग्‍ध मौत हो चुकी है।
ईरान की सरकार ने तो अपने वैज्ञानिक की मौत से सबक लेकर सभी वैज्ञानिकों को कड़ी सुरक्षा उपलब्ध कराई परन्तु भारतीय संस्थान में स्थिति इसकी ठीक उलट है। सबसे दुखद बात तो यह है कि भारतीय जनता को इसकी कानों-कान खबर तक नहीं है।
यहीं नहीं, केरल पुलिस तथा इंटेलीजेंस ब्यूरो भी इन वैज्ञानिकों पर गाहे-बगाहे झूठे आरोप लगाने से नहीं चूकते। अप्रैल 2010 की घटना बहुत कम लोगों को याद होगी जब दो शीर्ष स्तर के वैज्ञानिकों को केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और लम्बे समय तक जेल में रखने के बाद उनके खिलाफ सबूत ना मिलने के कारण रिहा कर दिया था।
हाल ही हुई ताजा घटना में भाभा परमाणु रिसर्च सेंटर (बार्क) में काम करने वाले दो प्रमुख इंजीनियर्स के. के. जोश तथा अभिश शिवम के शव इसी माह की सात तारीख को विशाखापट्टनम नौसैनिक यार्ड के पास एक रेलवे पटरी पर पड़े हुए पाए गए थे। दोनों इंजीनियर भारत द्वारा स्वदेशी तकनीक से विकसित परमाण्विक पनडुब्बी पर काम कर रहे थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों की हत्या जहर देकर की गई थी, हत्या के बाद उनके शवों को रेल की पटरी पर लाकर पटका गया था।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...