गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

विश्‍वभर में एक जैसी है मर्दों की ये आदत

पुरुषों की महिलाओं को घूरने की आदत सदियों पुरानी है, पर घूरते समय वे क्या देखते हैं। इसका जवाब एक आई-ट्रेकिंग तकनीक ने दिया है। आई-ट्रेकिंग तकनीक से महिला-पुरुष के एक-दूसरे को घूरने पर अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने दिलचस्प खुलासे किए हैं। अमरीका के यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का-लिनकॉल्न के अध्ययनकर्ताओं के अनुसार पुरुष महिलाओं की आंखों और चेहरे को घूरने में कम समय जाया करते हैं। वहीं, महिलाएं भी अन्य महिलाओं को घूरते समय ज्यादा समय चेहरे से नीचे की बॉडी को देती हैं।
क्या घूरते हैं पुरुष?
अध्ययन के मुताबिक पुरुष महिलाओं की आंखों और चेहरे को घूरने में बेहद कम समय लगाते हैं। जबकि महिलाओं के वक्ष स्थल और कमर के आस-पास के हिस्से को घूरने में तुलनात्मक रूप से ज्यादा समय देते हैं।
अध्ययन यह भी बताता है कि पुरुष औसत से बड़े वक्ष स्थल व हिप्स और पतली कमर वाली महिलाओं को और भी ज्यादा देर तक घूरते हैं।

सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

संदिग्‍ध मौत मर रहे हैं वैज्ञानिक, सो रही है सरकार

कुछ समय पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े एक वैज्ञानिक की मौत ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा था परन्तु बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भारत के सर्वोच्च प्रतिष्ठित परमाणु प्रतिष्ठान बार्क में पिछले तीन वर्ष के दौरान नौ भारतीय वैज्ञानिकों की संदिग्‍ध मौत हो चुकी है।
ईरान की सरकार ने तो अपने वैज्ञानिक की मौत से सबक लेकर सभी वैज्ञानिकों को कड़ी सुरक्षा उपलब्ध कराई परन्तु भारतीय संस्थान में स्थिति इसकी ठीक उलट है। सबसे दुखद बात तो यह है कि भारतीय जनता को इसकी कानों-कान खबर तक नहीं है।
यहीं नहीं, केरल पुलिस तथा इंटेलीजेंस ब्यूरो भी इन वैज्ञानिकों पर गाहे-बगाहे झूठे आरोप लगाने से नहीं चूकते। अप्रैल 2010 की घटना बहुत कम लोगों को याद होगी जब दो शीर्ष स्तर के वैज्ञानिकों को केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और लम्बे समय तक जेल में रखने के बाद उनके खिलाफ सबूत ना मिलने के कारण रिहा कर दिया था।
हाल ही हुई ताजा घटना में भाभा परमाणु रिसर्च सेंटर (बार्क) में काम करने वाले दो प्रमुख इंजीनियर्स के. के. जोश तथा अभिश शिवम के शव इसी माह की सात तारीख को विशाखापट्टनम नौसैनिक यार्ड के पास एक रेलवे पटरी पर पड़े हुए पाए गए थे। दोनों इंजीनियर भारत द्वारा स्वदेशी तकनीक से विकसित परमाण्विक पनडुब्बी पर काम कर रहे थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों की हत्या जहर देकर की गई थी, हत्या के बाद उनके शवों को रेल की पटरी पर लाकर पटका गया था।

रविवार, 27 अक्तूबर 2013

2014 के राजनीतिक विदूषक

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
मेरी मां ने मुझसे हाल ही में एक रात को कहा कि राजनीति किसी तेज घातक जहर की तरह है।
मेरी मां की जब संसद में अचानक तबियत खराब हो गई और उन्‍हें हॉस्‍पीटल ले जाया जा रहा था तो उनकी आंखों में आंसू थे। उन्‍होंने मुझसे कहा कि जिस खाद्य सुरक्षा कानून के लिए मैं इतने दिनों से लड़ रही थी, आज उसी के बिल को पास कराने के लिए मैं वोटिंग नहीं कर पा रही। मैं हॉस्‍पीटल जाने से पहले वोटिंग करना चाहती हूं।

मेरी मां ने मुझसे कहा कि मेरी दादी को मार दिया गया, मेरे पापा को मार दिया गया और इसी तरह कुछ लोग मेरी हत्‍या करना चाहते हैं।
तीन अलग-अलग मौकों पर लेकिन एक ही उद्देश्‍य से राहुल गांधी द्वारा दिए गये बयानों के हिस्‍से हैं ये।
इसमें कोई दो राय नहीं कि राजनीति का मकसद ही सत्‍ता पर काबिज होना होता है और उसके लिए आमजन का भावनात्‍मक दोहन भी सारे राजनीतिक दल अपने-अपने तरीकों से करते हैं लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों से पूर्व राजनीति का जो रूप सामने आ रहा है, वह किसी ऐसे विदूषक का है जो हंसाता कम है और डराता ज्‍यादा है।
राहुल गांधी की इन दिनों जो बॉडी लेंग्‍वेज है और जिस तरह वह एग्रेसिव होकर बोलते हैं, जरा कल्‍पना करके देखिए कि क्‍या देश को कोई ऐसा पीएम रास आयेगा।

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

मथुरा से तय होगा मुलायम का PM बनना!

लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष
 अपनी आंखों में प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोए बैठे समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को उत्‍तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों को इस आशय की चेतावनी दी है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जिन मंत्रियों के क्षेत्र से पार्टी प्रत्‍याशी को हार का मुंह देखना पड़ेगा, उन्‍हें अपने राजनीतिक भविष्‍य का खुद ही फैसला करना होगा। मुलायम सिंह का स्‍पष्‍ट संकेत यह था कि हार का मुंह देखने के लिए वहां से ताल्‍लुक रखने वाले मंत्री जिम्‍मेदार माने जायेंगे और इसके लिए उन्‍हें अपना पद तक गंवाना पड़ सकता है।
मुलायम सिंह ने साफ कहा कि उनके पास ऐसी रिपोर्ट है जिससे पता लगता है कि कई मंत्री ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
सपा मुखिया की रिपोर्ट पर तो किसी को कोई शक क्‍यों होने लगा लेकिन जिन लोकसभा क्षेत्रों को लेकर अभी से शक है, उनके लिए पार्टी क्‍या कर रही है?
महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इन क्षेत्रों से प्रदेश सरकार में किसी की नुमाइंदगी तो दूर, विधायक तक नहीं है।
अब बड़ा सवाल यहां यह खड़ा होता है कि ऐसी जगहों पर शिकस्‍त मिलने का ठीकरा समाजवादी पार्टी किसके सिर फोड़ेगी, किसे अपने राजनीतिक भविष्‍य पर सोचने को बाध्‍य करेगी और कैसे यहां अपनी जमीन तैयार करेगी।
यदुवंशी श्रीकृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली मथुरा का नाम एक ऐसे ही जिले के रूप में दर्ज है जहां आज तक समाजवादी पार्टी अपना कोई जनाधार खड़ा करने में सफल नहीं हुई।

सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

यात्रा करना पसंद नहीं, तब यात्राओं पर फूंके 650 करोड़

प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह की विदेश यात्राओं पर वर्ष 2004 से लेकर अब तक 650 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यूपीए-2 के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री 15 बार विदेशी दौरों पर गए। हालांकि, प्रधानमंत्री को ज्यादा यात्रा करना पसंद नहीं है। प्रधानमंत्री कभी रात में हवाई यात्रा नहीं करते, ज्यादा खाना नहीं खाते और यात्रा के दौरान उन्हें पढ़ना काफी पसंद है। उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश यात्रा के दौरान हवाई जहाज में बॉलीवुड फिल्में देखने के साथ झींगा मछली खाना पसंद था लेकिन इस सबके बावजूद डॉक्टर सिंह ने विदेश यात्राओं पर खर्च का रिकॉर्ड बनाया है।
विदेश यात्राओं को लेकर डॉक्टर सिंह वाजपेयी और अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों से आगे निकल गए हैं। यात्राओं को लेकर उन्हें "अनिवासी प्रधानमंत्री" का "खिताब" भी मिल गया है। वर्ष 2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से वे अब तक 70 विदेशी यात्राएं कर चुके हैं और इन पर करीब 650 करोड़ रुपए का खर्चा हो चुका है।
अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री 36 विदेशी यात्राएं कर चुके हैं। रविवार को 37वीं बार वे रूस और चीन की पांच दिन की यात्रा पर रवाना हो गए।

जरूरी नहीं कि हस्ताक्षर करने से पहले PM हर पेज पढ़ें

नई दिल्ली 
ओडिशा में हिंडाल्को को आवंटित एक कोयला ब्लॉक के मामले में कथित तौर पर अनियमितताओं को लेकर प्रधानमंत्री का बचाव करते हुए विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि जरूरी नहीं है कि हस्ताक्षर करने से पहले प्रधानमंत्री फाइल के हर पन्ने को बारीकी से पढ़ें।
खुर्शीद ने कहा कि जब कोई फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) आती है, तो उसका अध्ययन करने के बाद कार्यालय उसे प्रधानमंत्री के पास भेज देता है। आपको क्‍या लगता है कि हस्ताक्षर करने से पहले पीएम हर पन्ने को पढ़ा करें। मैं भी मंत्री हूं। अगर ऎसे काम होने लगा तो हम कुछ भी हासिल नहीं कर पाएंगे।
विदेश मंत्री ने कहा कि इसमें कोई षड्यंत्र नहीं है। हमनें एक फाइल रखी और उस पर फैसला ले लिया। गौरतलब है कि खुर्शीद का यह बयान पीएमओ के उस बयान के एक दिन बाद आया है जिसमें ओडिशा में हिंडाल्को को आवंटित एक कोयला ब्लॉक का बचाव किया गया है। शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने सरकार के फैसले को जायज ठहराते हुए कहा कि यह "यह पूरी तरह उपयुक्त" और योग्यता पर आधारित था।
पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री इस बात से संतुष्ट हैं कि इस संबंध में लिया गया अंतिम निर्णय पूरी तरह उचित था और उनके सामने रखे गए मामलों में योग्यता पर आधारित था।
हिंडाल्को को तालाबीरा कोयला ब्लॉक आवंटन पर चुप्पी तोड़ते हुए पीएमओ ने स्वीकार किया कि अंतिम निर्णय अनुवीक्षण समिति की सिफारिश से भिन्न था लेकिन यह निर्णय एक पक्ष की ओर से आई प्रस्तुति के बाद लिया गया था, जिसे कोयला मंत्रालय को भेज दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने पूर्व कोयला सचिव प्रकाश चंद्र पारख और उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ दो कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितता और आपराधिक साजिश के आरोपी प्राथमिकी दर्ज की है।
पारख ने कहा है कि 2005 में ओडिशा में दोनों कोयला ब्लॉक आवंटन का निर्णय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लिया था। इसी आवंटन को लेकर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है।
बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सीबीआई की जारी जांच में कोई बाधा नहीं डाली जा रही है। बयान में कहा गया है, इस मामले की जांच और अन्य मामले कानून के मुताबिक स्वाभाविक रूप में चलने चाहिए।
-एजेंसी

लखनऊ में बड़े सेक्स रैकेट का भंडाफोड़

 नवाबों का शहर कहा जाने वाला लखनऊ सेक्स रैकेट के अड्डे के रूप में उभरा है। सर्विलांस सेल की टीम ने यहां के मडियांव क्षेत्र के एक आलीशान बंगले में छापा मारकर हाईप्रोफाइल सेक्स रैकेट का भांडाफोड़ किया है। सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ होने पर पता चला कि ऎसी लड़कियां जो नाबालिग होने के साथ-साथ जिनकी उम्र मात्र 12 साल है, को भी इस धंधे में शामिल होना पाया गया।
यह सेक्स रैकेट एक महिला चला रही थी जो कि खुद भी एक सेक्स वर्कर थी और पहले भी इस मामले में कई बार गिरफ्तार हो चुकी है। छापे में सेक्स रैकट संचालिका इस महिला समेत 7 कॉलगर्ल तथा 8 ग्राहकों गिरफ्तार किए गए। इनके साथ-साथ कमरों की तलाशी लेने पर ढेरों आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुईं जिनमें अश्लील साहित्य तथा शराब भी शामिल थी।
बताया गया है कि द एलाएंस नाम के एनजीओ की सूचना पर सर्विलांस सेल के प्रभारी नागेन्द्र चौबे तथा सीओ अलीगंज अखिलेश नारायण सिंह की टीम ने इस बंगले पर छापा मारा।
इस आलीशान बंगले में एक तहखाना भी बना रखा था जहां विभिन्न स्थानों से खरीदी गई नाबालिग लड़कियों को बंधक बना रखा हुआ था। पकड़ी गई इन लड़कियों का कहना है कि उन्हें देह व्यापार के लिए मजबूर किया जाता था तथा यह महिला ग्राहकों से इसके लिए ऊंची कीमत वसूल करती थी।
पकड़ी गई इन नाबालिग लड़कियों में से दो तो सेक्स रैकेट संचालिका की बेटियां ही थीं। बाकी लड़कियां रायबरेली, बाराबंकी, हरदोई, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि से हैं।
इन्हीं लड़कियों में से एक का कहना है कि दो साल पहले जब वो 12 साल की थी, तब उसके पिता ने उसें महज 60 हजार बेच दिया था। ये महिला खुद ग्राहकों के सामने अपने आपको पेश करके इन लड़कियों को सेक्स करने की ट्रेनिंग देती थी।

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

क्‍या दूर होगी मथुरा की राजनीतिक 'दरिद्रता'?

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष) 
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्‍यक्ष पदम सिंह शर्मा द्वारा मांट क्षेत्र में एक लंबे समय से पार्टी की दयनीय स्‍थिति को 'राजनीतिक दरिद्रता' कहना भले ही क्षेत्रीय विधायक श्‍यामसुंदर शर्मा को नागवार गुजरा हो लेकिन सच्‍चाई यही है।
सच्‍चाई तो यह भी है कि राजनीति की उलटबांसियों के चलते समूची मथुरा ही राजनीतिक दरिद्रता भोग रही है।
जाहिर है कि ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनावों का जितना इंतजार राजनीतिक पार्टियों और उनके संभावित प्रत्‍याशियों को है, उससे कहीं अधिक उस मतदाता को भी है जो राजनीति की डिक्‍शनरी में 'आमजनता' के तौर पर दर्ज किया गया है।
चूंकि इस बार इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में एक बटन 'नोटा' यानि 'नन ऑफ द एबव' (इनमें से कोई पसंद नहीं) का भी होगा लिहाजा 'आमजन' पहले से कुछ खास तो होगा ही। अब वह चुनाव के लिए इतना मजबूर नहीं रहेगा, जितना अब तक रहा है।
ऐसे में उम्‍मीद की जानी चाहिए कि देश के साथ-साथ राजनीति के सिरमौर भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली को भी कोई ऐसा जनप्रतिनिधि मिलेगा, जो उसके गौरवशाली अतीत को स्‍मरण कराने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाकर न केवल जन अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा बल्‍कि राजनीति के भी एक ऐसे रूप को रेखांकित करेगा जिसका सपना हर ब्रजवासी वर्षों से देखता आ रहा है।

मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

सपा के 'जीजाजी' भी कम नहीं..

इटावा 
यूपी में समाजवादी पार्टी (एसपी) से जुड़े लोगों की गुंडई एक बार फिर सामने आई है। इस बार इटावा में एसपी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के जीजा ने एक डॉक्टर को बुरी तरह पिटवाया है। और तो और पुलिस मुलायम के जीजा के खिलाफ रिपोर्ट तक दर्ज करने को तैयार नहीं है। इटावा में तैनात डॉक्टर पवन प्रताप सिंह के मुताबिक उन्होंने अपनी कार मुलायम सिंह के जीजा अजयंत सिंह के मकान के सामने खड़ी कर दी थी। इसी से नाराज होकर अजयंत सिंह ने उन्हें अपने घर बुलाया और अपने गुंडों से पिटाई करवा दी। इतना ही नहीं उन गुंडों ने पवन सिंह की कार को भी तोड़ डाला।
पवन सिंह का आरोप है कि जब वह जख्मी हालत में थाना पहुंचे तो पुलिस ने बस उनका मेडिकल करवाया। एफआईआर दर्ज करने के नाम पर चुप्पी साध ली। इस मामले में जिला अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि पवन प्रताप सिंह का मेडिकल टेस्ट किया गया है। उनको 8 जगह चोटें आई हैं। एक चोट गंभीर है जिसका एक्स-रे कराया जाना है।
पवन सिंह का घर मुलायम सिंह के जीजा के घर के पास ही है। पवन सिंह का कहना है कि मैं मुलायम सिंह के जीजा को एक सम्मानित व्यक्ति मानता था। लेकिन, उनके व्यवहार से मैं सदमे में हूं। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
गौरतलब है कि इसके कुछ दिन पहले ही दिल्ली में एसपी के एक बड़े नेता की पुतोह ने अपने गार्डों से एक दवा दुकानदार से पिटवाई करवाई थी। इसका विडियो फुटेज भी मौजूद था। मीडिया में काफी हो-हल्ला के बाद इस मामले मे रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
-एजेंसी

कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ FIR

नई दिल्ली 
कोयला घोटाले में सीबीआई ने देश के बड़े उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई ने सरकारी कंपनी नाल्को, हिंडाल्को और एक पूर्व कोयला सचिव समेत 14 एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई दिल्ली, कोलकाता, भुवनेश्वर और मुंबई में छापेमारी कर रही है, हालांकि अभी तक कुमार मंगलम बिड़ला का पक्ष नहीं मिला है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सीबीआई ने कोयला आवंटन घोटाले में कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ ताजा मामला दर्ज किया है। साथ ही पूर्व कोयला सचिव पीसी पारिख पर भी नया मामला दर्ज किया गया है। इस संबंध में हैदराबाद, कोलकाता और मुम्बई में छापेमारी जारी है। सीबीआई ने हिंडाल्को कंपनी पर भी एफआईआर की है। हिंडाल्को कुमार मंगलम बिड़ला की ही कंपनी है। कुमार मंगलम कंपनी के चेयरमैन हैं।
-एजेंसी

शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

एक सरकारी पाती, जिसने राजनीति में 'फैलिन' ला दिया

लखनऊ 
उत्तर प्रदेश सरकार के एक पत्र से बवाल खड़ा हो गया है। यह कोई मामूली चिट्ठी नहीं है। इसके जरिए सोमनाथ मंदिर की तरह अयोध्या में राममंदिर के पुनर्निमाण पर चर्चा के लिए फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई है। इस चिट्ठी से राजनीतिक हलकों में भूचाल आ गया है।
राज्य सरकार के सचिव सतीश चंद्र द्वारा जारी इस पत्र में डीजीपी व अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से सोमवार शाम को उपस्थित होने के लिए कहा गया है। प्रिंसिपल सेक्रेट्री (गृह) के कार्यालय में बुलाई गई इस बैठक में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर अयोध्या में राम मंदिर के पुनर्निमाण के लिए संसद में कानून बनाने पर चर्चा करने की बात कही गई है।
प्रिंसिपल सेक्रेट्री (गृह) आर. एम. श्रीवास्तव को छोड़कर जिन अधिकारियों को बैठक में बुलाया गया है उनका सीधा संबंध जिले की कानून-व्यवस्था से है लेकिन बैठक के विषय ने सबके कान खड़े कर दिए हैं। श्री रामजन्मभूमि का उल्लेख विवादित स्थल के तौर पर संघ परिवार ही करता है। साथ ही सोमनाथ का उल्लेख भी संशय पैदा करता है क्योंकि भाजपा और संघ परिवार अपने अभियान का बचाव यह कहते हुए करते रहे हैं कि आजादी के बाद सोमनाथ में शिव मंदिर के पुनर्निमाण के लिए सरकार का समर्थन रहा। साथ ही वीएचपी लंबे समय से अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए जाने की मांग करती रही है।
एक अखबार के अनुसार जब इस बैठक की अध्यक्षता करने वाले प्रिंसिपल सेक्रेट्री (गृह) श्रीवास्तव से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मामले को दबाते हुए कहा कि बैठक वीएचपी के ताजा मंदिर अभियान पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। श्रीवास्तव ने कहा कि वीएचपी ने संकल्प दिवस मनाने की योजना बनाई है जिसमें उसके कार्यकर्ता राम मंदिर निर्माण की शपथ लेंगे। जहां तक सोमनाथ के उल्लेख की बात है तो इस पर श्रीवास्तव ने कहा कि वीएचपी इससे पहले सोमनाथ में संकल्प दिवस मना चुकी है और इसीलिए लगता है कि सोमनाथ का जिक्र किया गया है।

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

मानव अंगों की तस्‍करी भी करता है आसाराम!

मुझे ठीक-ठीक दिन, महीना या साल तो याद नहीं पर इतना जरूर याद है कि सन् 1998 के बाद की बात होगी। संभवत: 1999 से 2000 के बीच की। आसाराम बापू शायद पहली बार मथुरा आए थे और वृंदावन में टीबी सेनोटोरियम के सामने उनका भव्‍य पण्‍डाल लगा था। अपनी कथा शुरू करने से पहले उन्‍होंने एक प्रेस कांफ्रेस वृंदावन के छटीकरा रोड पर स्‍थित नंदनवन में बुलाई। उस समय तक मैं भी पीसी अटेंड करने जाया करता था।
मैंने आसाराम बापू से पूछा कि आप अपने अनुयायियों को क्‍या संदेश देते हैं, क्‍या बताते हैं?
आसाराम का जवाब था- मैं लोगों को भौतिकता की अंधी दौड़ से मुक्‍त होने का मार्ग बताता हूं।
मैंने प्रतिप्रश्‍न किया- आप स्‍वयं सारी भौतिक सुविधाएं इस्‍तेमाल करते हैं, फिर अपने अनुयायियों को कैसे भौतिकता की अंधी दौड़ से मुक्‍ति का मार्ग बता सकते हैं?
इस पर उनका उत्‍तर बड़ा चालाकी भरा था। वह बोले- मैं भौतिक सुविधाओं का 'उपयोग' करता हूं जबकि बाकी लोग उनका 'उपभोग' करते हैं।
सच कहूं तो उनके इस चालाकी भरे जवाब में मुझे पत्रकारिता को चुनौती देने और अपना थोथा अहम् प्रदर्शित करने जैसा आभास हुआ लिहाजा मैंने अगला प्रश्‍न थोड़ा तीखा पर सटीक किया।
मेरा प्रश्‍न था- एक शराबी, किसी दूसरे शराबी को यह कैसे समझा सकता है कि वह उसका 'उपयोग' कर रहा है जबकि सामने वाला उसका 'उपभोग' करता है?
प्रश्‍न तीखा था इसलिए असर करना स्‍वाभाविक था, नतीजतन तथाकथित संत आसाराम प्रेस वार्ता से उठ खड़े हुए और बाकी की जिम्‍मेदारी अपने प्रमुख सेवादारों पर छोड़ दी।
मेरे द्वारा पूछे गए प्रश्‍न का जवाब तो किसी ने नहीं दिया अलबत्‍ता जमकर हंगामा जरूर हुआ।
बाद में आसाराम के कुछ ब्‍यूरोक्रेट शिष्‍य मेरे ऑफिस आए और यह समझाने की कोशिश की कि बापू से टकराव की जगह यदि सामंजस्‍य बनाकर चलूंगा तो फायदे में रहूंगा।
बहरहाल, उनकी यह सलाह न मेरे काम आनी थी और न आई।
आज इस घटना का ज़िक्र इसलिए कर रहा हूं क्‍योंकि वृंदावन में भी आसाराम बापू का एक आश्रम है और यहां का भी एक वृद्ध समाजसेवी, आसाराम की अंधभक्‍ति का शिकार हुआ है। इस वृद्ध की बातों पर भरोसा करें तो आसाराम का जंजाल सिर्फ यौन उत्‍पीड़न, ज़मीन कब्‍जाने आदि तक सीमित नहीं है। उसके कई और ऐसे कारनामे हैं जिनसे यदि परदा उठ जाता है तो ऐसी बातें सामने आयेंगी जो किसी को भी दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर सकती हैं। 
वृंदावनवासी जो व्‍यक्‍ति आसाराम का शिकार बना है, उसे लोग लालबाबा कहकर पुकारते हैं। लालबाबा नामक इस शख्‍स की पत्‍नी आसाराम के साबरमती (गुजरात) आश्रम से तब आधे घंटे के अंदर लापता हो गई जब कुछ लोगों के कहने पर वह अपनी पत्‍नी का इलाज कराने उसे वहां ले गया था। लालबाबा का कहना है कि आसाराम के कहने पर ही मैंने अपनी पत्‍नी को अलग उनके महिला आश्रम में ठहराया था लेकिन उसके बाद उसका कोई पता नहीं लगा।
मूल रूप से राजस्‍थान के निवासी और हार्डवेयर व्‍यवसाई लालबाबा ने कुछ वर्षों पूर्व समाजसेवा करना शुरू कर दिया था और तभी से वृंदावनवासी हो गए।
लालबाबा का पुत्र अपने परिवार सहित उत्‍तम नगर (दिल्‍ली) में रहता है।
चार वर्षों से लालबाबा और उनका परिवार पुलिस, प्रशासन, महिला आयोग आदि के चक्‍कर काट रहा है लेकिन कहीं से उसे राहत नहीं मिली है।
लालबाबा के अनुसार जिस वक्‍त उनकी पत्‍नी गायब हुई थी, तब उसकी उम्र करीब 52 साल थी इसलिए मैंने उनसे यह जानना चाहा कि उनकी पत्‍नी को गायब कराने के पीछे आसाराम या उनके सेवादारों की मंशा क्‍या हो सकती है?
इस प्रश्‍न के जवाब में लालबाबा ने चौंकाने वाली जानकारी दी। उनका कहना था कि एक लंबे समय तक मैं खुद भी इस प्रश्‍न से जूझता रहा कि एक 52 साल की महिला को गायब करने के पीछे क्‍या उद्देश्‍य हो सकता है।
बहुत प्रयास करने पर कुछ लोगों से पता लगा कि आसाराम का नेटवर्क मानव अंगों की तस्‍करी के जघन्‍य आपराधिक कारोबार से भी जुड़ा है। अब तक उनके विभिन्‍न आश्रमों तथा गुरूकुलों से गायब बच्‍चे, लड़कियां तथा महिला-पुरुषों के लापता होने की असली वजह तांत्रिक क्रियाओं के लिए बलि न होकर उनके अंगों को निकालने के लिए हत्‍याएं कर देना रहा है।
लालबाबा के कथन में यदि थोड़ी भी सच्‍चाई है तो यह दुराचार अथवा दूसरे आपराधिक कृत्‍यों से कहीं बहुत बड़ा मामला है और इसकी सच्‍चाई सामने आना अत्‍यंत जरूरी है।
फिलहाल लालबाबा दिल्‍ली के उत्‍तम नगर में अपने पुत्र के साथ रह रहे हैं और कई चैनलों पर उनकी पत्‍नी के चार साल पहले आसाराम आश्रम से गायब होने की कहानी बताई जा चुकी है लेकिन लालबाबा उस कहानी से संतुष्‍ट नहीं हैं।
लालबाबा इसलिए संतुष्‍ट नहीं हैं क्‍योंकि किसी भी मीडिया पर्सन ने उनकी बात को समझने का प्रयास नहीं किया। किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि लालबाबा क्‍या बताना चाहते हैं।
सभी का फोकस आसाराम की तथाकथित हवस तक सीमित है, कोई यह नहीं जानना चाहता कि 52 साल की किसी औरत को गायब करने का मकसद क्‍या हो सकता है।
लालबाबा ने इन चार सालों में जो कुछ पता किया और जितना कुछ जाना, एकबार उस पर भी गौर करना क्‍या जरूरी नहीं। हो सकता है कि आसाराम का एक और रूप सामने आये।

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

जेल से ही डायलॉग डिलीवर कर रहे हैं सजायाफ्ता लालू यादव

रांची।  चारा घोटाले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव जेल से ही राजनीति कर रहे हैं। लालू जेल से ही मोबाइल का इस्तेमाल कर दल का संचालन कर रहे हैं। जेल में लालू यादव के पास तीन अलग-अलग मोबाइल फोन हैं, जिनमें से एक में 3जी सुविधा भी है।
खुफिया विभाग ने इससे संबंधित एक रिपोर्ट झारखंड सरकार को भेजी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लालू जेल में खुलेआम मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह वहीं से ही पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश देते हैं।
इस रिपोर्ट की एक प्रति गृह विभाग को भी सौंपी गई है।
लालू यादव अभी बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। उन्हें चारा घोटाला मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक जेल प्रशासन को भी जेल नियमों के उल्लंघन की जानकारी है। इसमें एक जेल अधिकारी की भूमिका को भी संदिग्ध बताया गया है लेकिन अभी इस पर सभी चुप्पी साधे बैठे हैं।
जेल में जैमर भी है, लेकिन लालू की सुविधा के लिए इसे बंद कर दिया गया है।
-एजेंसी

रविवार, 6 अक्तूबर 2013

टेरर फाइनेंस: वशिष्‍ठा कंस्‍ट्रक्‍शंस के खिलाफ कार्यवाही की तैयारी

पटना। बिहार में सड़क निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत एक कंपनी द्वारा नक्सलियों को फाइनेंस करने का मामला उजागर हुआ है. उत्तर बिहार का आतंक माने जानेवाले नक्सली संतोष झा गिरोह को वशिष्टा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, गुंटूर, आंध्रप्रदेश द्वारा 3.50 करोड़ रुपये फाइनेंस किया गया है. संतोष झा गिरोह के विरुद्ध कार्रवाई में जुटे स्पेशल टास्क फोर्स को कई महत्वपूर्ण साक्ष्य हाथ लगे है.
पुलिस मुख्यालय इन साक्ष्यों के आधार पर ‘टेरर फाइनेंस’ में संलिप्त होने के आरोप में वशिष्टा कंस्ट्रक्शन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. पुलिस मुख्यालय के आलाधिकारी की मानें, तो बिहार में विभिन्न इलाकों में कार्यरत सड़क निर्माण कंपनियों द्वारा रंगदारी मांगे जाने की शिकायत पुलिस प्रशासन को की जाती थी, साथ ही इन कंपनियों द्वारा नक्सलियों को फाइनेंस करने की सूचनाएं भी मिलती रहती थीं, लेकिन

गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

एक्ट्रेस के साथ रंगरेलियां मनाते पकड़े गए प्रमुख उद्योगपति

हैदराबाद 
साइबर सिटी में पुलिस ने एक हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने छापा मारकर एक उद्योगपति को एक्ट्रेस के साथ रंगरलियां मनाते पकड़ा है। पुलिस ने दोनों को अपनी हिरासत में लिया है। जयराज इस्पात लिमिटेड के डायरेक्टर 60 वर्षीय एसके गोयनका और 22 साल की उभरती हुए टीवी
एक्ट्रेस को फार्चून टावर में छापा मारकर रंगरैलियां मनाते पकड़ा गया है।
हालांकि इस इस सैक्स रैकेट का मुखिया मदन मौके से भागने में कामयाब हो गया। अभिनेत्री के सैक्स रैकेट में शामिल होने की बात सामने आई है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण में सैक्स रैकेट में मामले में पकड़ी जाने वाली यह पहली अभिनेत्री नहीं है। पहले भी कई बार ऎसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें कई एक्ट्रेसेस को पुलिस ने इस तरह के गोरखधंधे में लिप्तता के चलते पकड़ा है।
-एजेंसी

फ़र्जी कौन..अखबार, सरकार या पीके इंस्टीट्यूट

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
कानपुर ब्‍यूरो के हवाले से 'अमर उजाला' के ऑनलाइन संस्‍करण में 'यूपी के 18 तकनीकी कॉलेज मान्यता विहीन' शीर्षक वाला एक समाचार प्रकाशित हुआ। 29 सितंबर की सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर अपलोड किये गये इस समाचार के अनुसार 'ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्‍नीकल एजुकेशन' (AICTE) ने देश के सभी गैर मान्‍यताप्राप्‍त यानि 'फर्जी' तकनीकी शिक्षण संस्‍थाओं के नाम सार्वजनिक करते हुए अपनी वेबसाइट पर डाल दिए हैं। इन सभी कॉलेजों को 20 जून 2013 से एआईसीटीआई ने अनएप्रूव्ड घोषित किया है।
इस सूची में कुल 328 तकनीकी शिक्षण संस्‍थाओं को फ़र्जी बताया गया है जिनमें से 18 उत्‍तर प्रदेश में संचालित हैं।
यहां चल रहे किसी भी कोर्स की डिग्री मान्य नहीं होगी। 'अमर उजाला' के अनुसार खबर की पुष्टि एआईसीटीई के चेयरमैन शंकर एस मंथा ने की है।
खबर में यह भी लिखा है कि एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा के लिए देश की सर्वोच्च नियामक संस्था है। एआईसीटीई समय-समय पर छात्र हित में (मानक के अनुसार) एप्रूव्ड और अनएप्रूव्ड तकनीकी कॉलेजों की लिस्ट जारी करती है। इस संस्था की संस्तुति के बिना कोई भी तकनीकी कॉलेज संचालित नहीं किया जा सकता।
अखबार ने अपने ऑनलाइन संस्‍करण में उत्‍तर प्रदेश के इन सभी 18 गैर मान्‍यताप्राप्‍त तकनीकी शिक्षण संस्‍थाओं की लिस्‍ट भी जारी की है जिनमें 15वें नंबर पर एक नाम है- पीके इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, मथुरा।
अब इसे इत्‍तेफाक कहें या कुछ और कि आगरा से प्रकाशित अमर उजाला के मथुरा संस्‍करण में 30 सितंबर को 'पीके ग्रुप ऑफ इंस्‍टीट्यूशंस' का हाफ पेज 'जैकेट' विज्ञापन छपता है। यही विज्ञापन इसी दिन आगरा से प्रकाशित अन्‍य प्रमुख अखबारों 'दैनिक जागरण' तथा 'हिंदुस्‍तान' के मथुरा संस्‍करण में भी छपता है। हिंदुस्‍तान में पूरे पेज का 'जैकेट' तथा दैनिक जागरण में 'पेज नंबर दो' पर पूरे पेज का विज्ञापन छापा जाता है।
इस विज्ञापन की विशेषता यह है कि इसमें ऊपर ही लिखा है- अप्रूव्‍ड बाइ "AICTE" एण्‍ड एफीलिएटेड टू UPTU, BTEUP & DBRAU.
साथ ही इस विज्ञापन में पीके इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी एण्‍ड मैंनेजमेंट, पीके इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी, पीके पॉलीटेक्‍निक तथा पीके डिग्री कॉलेज की इमारतों के चित्र छपे हैं जिसका मतलब यह है कि ये सभी शिक्षण संस्‍थाएं पीके ग्रुप ऑफ इंस्‍टीट्यूशंस द्वारा ही संचालित की जाती हैं।
इसके अलावा 'पीके ग्रुप ऑफ इंस्‍टीट्यूशंस' के चेयरमैन जे.पी. शर्मा, मैनेजिंग डायरेक्‍टर डॉ. बी.के. उपाध्‍याय का फोटो लगा है। पूरे विज्ञापन में न तो कोई कांटेक्‍ट नंबर है और ना ही कोई मेल आईडी।
हां, 'OUR SHINING STARS' के रूप में कुल 30 छात्र-छात्राओं के फोटोग्राफ्स भी इस विज्ञापन में लगे हैं।
अब यहां बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि हजारों तकनीकी छात्र-छात्राओं के भविष्‍य को प्रभावित करने वाले इस मामले में 'फर्जी' आखिर है कौन?
अमर उजाला जैसे प्रतिष्‍ठित अखबार का कानुपर ब्‍यूरो या वो सरकारी संस्‍था "AICTE" जिसने यूपी के गैर मान्‍यताप्राप्‍त तकनीकी शिक्षण संस्‍थाओं की लिस्‍ट में पीके इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, मथुरा का नाम शामिल किया है।
अगर ये दोनों सही हैं तो 'पीके ग्रुप ऑफ इंस्‍टीट्यूशंस' के विज्ञापन में लिखी यह बात कैसे सच हो सकती है कि अप्रूव्‍ड बाइ "AICTE" एण्‍ड एफीलिएटेड टू UPTU, BTEUP & DBRAU.
यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि 'पीके इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी' नामक कोई दूसरी शिक्षण संस्‍था मथुरा में संचालित नहीं है।
गौरतलब है कि सभी प्रमुख अखबार अपने यहां विज्ञापनों के संदर्भ में किसी एक पेज पर छोटा सा डिस्‍क्‍लेमर इस आशय का देते हैं कि ''पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह किसी विज्ञापन पर प्रतिक्रिया से पहले विज्ञापन में प्रकाशित किसी उत्‍पाद या सेवा के बारे में पूरी तरह उपयुक्‍त जांच-पड़ताल कर लें। यह समाचार पत्र, उत्‍पाद या सेवा की गुणवत्‍ता आदि के विवरण को लेकर विज्ञापनदाता द्वारा किए गये दावे या उल्‍लेख की पुष्‍टि या समर्थन नहीं करता। समाचार पत्र उपरोक्‍त विज्ञापनों के बारे में किसी भी प्रकार से उत्‍तरदायी नहीं होगा''।
ऐसे में अगला प्रश्‍न यह पैदा होता है कि क्‍या विज्ञापनों को लेकर प्रतिष्‍ठित अखबारों की जिम्‍मेदारी मात्र एक डिस्‍क्‍लेमर देने से पूरी हो जाती है। वह भी तब जबकि ठीक एक दिन पहले अमर उजाला छापता है कि 'पीके इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, मथुरा' एक गैर मान्‍यताप्राप्‍त संस्‍था है अर्थात फर्जी इंस्‍टीट्यूट है।
तो क्‍या अमर उजाला, दैनिक जागरण तथा हिंदुस्‍तान जैसे नामचीन व लब्‍ध प्रतिष्‍ठित अखबार खुलेआम 'यलो जर्नलिज्‍म' (पीत पत्रकारिता) पर आमादा हो चुके हैं या फिर इनका सहारा लेकर 'पीके ग्रुप ऑफ इंस्‍टीट्यूशंस' अपनी फर्जी शिक्षण संस्‍थाओं का संचालन जारी रखना चाहता है और अपने यहां पढ़ रहे हजारों छात्रों का भविष्‍य अखबारी विज्ञापनों के झूठ से अंधकारमय कर रहा है।
कहीं ऐसा तो नहीं कि करोड़ों ही नहीं अरबों रुपये की पूंजी से संचालित नामचीन मीडिया हाउस भी उस कॉकस का हिस्‍सा बन गये हैं जो सरकारी कार्यप्रणाली में बने सूराखों का लाभ उठाकर न केवल देश का भविष्‍य कहलाने वाले स्‍टुडेंट्स का भविष्‍य सुनियोजित षड्यंत्र के साथ चौपट कर रहे हैं बल्‍कि कानून की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।
क्‍या वो मीडिया हाउस जो एक दिन पहले जिस 'पीके ग्रुप ऑफ इंस्‍टीट्यूशंस' के फर्जी होने का समाचार छापता है और दूसरे ही दिन उसी का कीमती विज्ञापन छापकर उसके मान्‍यताप्राप्‍त होने के दावे की लगभग पुष्‍टि करता है,  किसी भी मायने में कम अपराधी है?
क्‍या दूसरे वो मीडिया हाउसेस जो बिना कुछ देखे केवल इसलिए ऐसे विज्ञापन छाप देते हैं क्‍योंकि लाखों रुपये मिल रहे हैं, किसी फर्जी संस्‍था द्वारा किए जा रहे आपराधिक कृत्‍य से कम आपराधिक कृत्‍य कर रहे हैं?
सवाल कई हैं लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं। कोई जवाब देगा भी क्‍यों.. जब सब एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं।
रहा सवाल उस सरकारी संस्‍था "AICTE" का तो उसने अपनी साइट पर देशभर के गैर मान्‍यताप्राप्‍त टेक्‍नीकल इंस्‍टीट्यूट्स की सूची जारी करके अपने कर्तव्‍य की इतिश्री कर ली, अब अखबार उसे खबर बनाकर संबंधित तकनीकी शिक्षण संस्‍थाओं को कैश कर लें, तो वो क्‍या कर सकती है।
बाकी बचे ऐसी शिक्षण संस्‍थाओं में लाखों रुपये खर्च करके पढ़ने वाले छात्र तो उनके प्रति भी इनमें से कोई जवाबदेह नहीं। न अखबार, न सरकार। फर्जी शिक्षण संस्‍थाओं के संचालक तो जिम्‍मेदार होने क्‍यों लगे।

बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

चारा घोटाले में था नीतीश का भी नाम, फिर उन पर कार्यवाही क्‍यों नहीं?

पटनाचारा घोटाले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। विपक्ष के साथ-साथ अब उनकी पार्टी में भी उनके खिलाफ बागी तेवर देखे जा रहे हैं। गोपालगंज से जेडीयू सांसद पूर्णमासी राम ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि चारा घोटाले में नीतीश कुमार का नाम है और अगर वह दोषी हैं तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए। गौरतलब है कि लालू के साथ नीतीश की पार्टी के सांसद जगदीश शर्मा भी चारा घोटाले में दोषी करार दिए गए हैं।
अब नीतीश का क्या होगा?

खादी भंडार से कुर्ता नहीं, सेक्‍स वर्धक दवा खरीदने लगे हैं लोग

सेक्सवर्धक दवाइयां गांधी खादी आश्रम में खादी पर भारी पड़ती नजर आ रही हैं। गांधी खादी आश्रम पर अब कोई खादी के कुर्ते खरीदने नहीं आता लेकिन सेक्सवर्धक दवाइयों के खरीदार काफी तादाद में आते हैं। खादी ग्रोमोद्योग के कर्माचारियों का कहना है कि मुसली पाक जैसी सेक्सवर्धक दवाइयों के हर महीने 500 से 1000 पैकेट की बिक्री होती है लेकिन खादी कुर्ता खरीदने एकमात्र खरीदार भी नहीं आता। साथ की कर्मचारी का कहना है कि समय के साथ-साथ लोगों का टेस्ट भी बदल रहा है। अगर अब मुसली पाक बिकता है तो इसमें क्या गलत है?
केंद्र और राज्य सरकार ऎसे खादी आश्रम दुकानों को खादी और कुटीर उद्योग के प्रोडेक्टों को प्रमोट करने के लिए सब्सिडी देती है।
-एजेंसी

मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

मथुरा: बड़ा खून-खराबा करा सकते हैं अवैध लेनदेन

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
बात निकली है तो दूर तक जायेगी ही। आज नहीं तो कल, धर्म नगरी मथुरा को वो दिन देखने पड़ सकते हैं जिसकी शायद फिलहाल किसी ने कल्‍पना भी नहीं की होगी।
हम बात कर रहे हैं कल रात रत्‍नेश अग्रवाल तथा गुड्डू सिंह के बीच मसानी क्षेत्र में हुए उस विवाद तथा मारपीट की जिसे देर रात पुलिस ने समझौते की आड़ में दबा तो दिया लेकिन यह नहीं सोचा कि यह समझौता सिर्फ कैंसर के घाव को ढंक देने जैसा है, उसका उपचार नहीं।

मोदी को फंसाने के लिए हो रहा CBI-NIA का इस्‍तेमाल

राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है. जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का मसला उठाते हुए उन्होंने कहा है कि बीजेपी के पीएम प्रत्याशी नरेंद्र मोदी और उनके करीबी अमित शाह को जानबूझकर फंसाने की कोशिश हो रही है.
अपनी चिट्ठी की शुरुआत में ही अरुण जेटली ने कांग्रेस पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा है, 'ऐसे वक्त में जब कांग्रेस की लोकप्रियता लगातार घट रही है, उसकी रणनीति और असली चेहरा सबके सामने आ गया है. कांग्रेस राजनीतिक तौर पर बीजेपी और नरेंद्र मोदी से लड़ने में कामयाब नहीं हो पा रही है. पार्टी को हार दिख रही है. ऐसे में जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके नरेंद्र मोदी और उनके करीबी अमित शाह को गलत तरीके से फंसाने की कोशिश हो रही है.'

माननीयों के अवैध कब्‍जे में है 36 सरकारी बंगले

नई दिल्‍ली 
चाहे पूर्व केंद्रीय मंत्री हो, या कलाकार, पत्रकार या पूर्व अधिकारी या फिर मौजूदा अधिकारी, पात्रता खत्म हो जाने के बावजूद सरकारी बंगले या मकान का मोह नहीं छोड़ पा रहे. सूचना के अधिकार के तहत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 36 ऐसे पूर्व मंत्रियों की सूची जारी की है, जो मंत्री के तौर पर आवंटित बंगले में ही डटे हुए हैं. इस सूची में किसी एक पार्टी के नेता का नहीं, बल्कि कई पार्टियों के नेता शामिल हैं.
मंत्रालय की ओर से जारी सूची में लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, अंबिका सोनी, अजय माकन, सी.पी. जोशी, शरद यादव, रविशंकर प्रसाद, यशवंत सिन्हा, पवन कुमार बंसल, सुबोध कांत सहाय, दयानिधि मारन, ए. राजा, मुरली मनोहर जोशी, मुकुल वासनिक, रघुवंश प्रसाद सिंह, एस.एम. कृष्णा, एम.एस. गिल, दिनेश त्रिवेदी, डा. कर्ण सिंह, सैफुद्दीन सोज सरीखे नेताओं के नाम शामिल हैं.
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...