मथुरा। Club Culture की आड़ लेकर कृष्ण की नगरी में शारीरिक हवस पूरी करने
का खेल, आज से नहीं करीब एक दशक से खेला जा रहा है और इस खेल में कई
जिंदगियां भी जा चुकी हैं।
इस बात पर मोहर क्लब संस्कृति से जुड़े उन लोगों ने लगाई है जिन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्लबों को ज्वाइन तो यह समझ कर किया था कि उनके बैनर तले होने वाली सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों का वह भी हिस्सा बन सकेंगे किंतु कुछ समय के अंदर ही असलियत उनके सामने आने लगी लिहाजा उन्होंने किनारा कर लेने में ही अपनी भलाई समझी।
इन लोगों का तो यहां तक कहना है कि मथुरा में जितने भी राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय क्लबों की शाखाएं हैं, उन सभी पर एक ”कॉकस” का कब्जा है और यही कॉकस क्लब संस्कृति को अवैध संबंधों का अड्डा बनाने के लिए जिम्मेदार है। इस कॉकस में एक विधायक का नाम भी सामने आ रहा है।
सूत्रों की मानें तो यह विधायक ही इस कॉकस का सरगना है और कॉकस की हर गतिविधि में परोक्ष अथवा अपरोक्ष तौर पर संलिप्त रहता है।
इस विधायक की पराई औरतों में दिलचस्पी का आलम यह है कि विधायक की अपनी पत्नी तक का उसके ऊपर से पूरी तरह भरोसा उठ चुका है और वह यथासंभव अपने विधायक पति पर नजर रखने की कोशिश करती है।
यह कॉकस इतना प्रभावशाली है कि क्लब के सभ्य व शालीन सदस्य प्रथम तो उनके सामने बोलने तक की हिम्मत नहीं कर पाते, और दूसरे यदि कोई सदस्य ऐसी हिमाकत कर भी दे तो उसे सार्वजनिक रूप से बेइज्जत कर दिया जाता है ताकि फिर कभी वह उनके सामने बोलने की हिम्मत न कर सके।
सूत्रों के मुताबिक ये लोग अपनी-अपनी कारों की चाभियां बदलकर ”वाइफ स्वैपिंग” का खेल खेलने से लेकर ”म्यूचुअल अंडरस्टेंडिंग” से परस्पर पत्नियों को बदलने का खेल भी बड़ी बेशर्मायी के साथ खेलते हैं।
विभिन्न क्लबों में इन लोगों की बदनामी और इनके कारनामों को लेकर व्याप्त घृणा का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि 19 अप्रैल को लीजेंड न्यूज़ द्वारा ”MATHURA में क्लब संस्कृति के ”पोप” का पत्नी के सामने हुआ जूते-चप्पलों से अभिनंदन” शीर्षक से लिखी गई खबर के अंदर किसी शख्स का नाम सार्वजनिक न किए जाने के बावजूद शहर के लोगों की जुबान पर पूरी तरह वही नाम थे जिनका उस संपूर्ण घटनाक्रम से ताल्लुक था और जो इस सबका हिस्सा थे।
किन्हीं चंद लोगों के बारे में इतना सटीक आंकलन तभी संभव है जब उन लोगों ने मान-मर्यादा की सारी हदें पार कर दी हों।
लीजेंड न्यूज़ शीघ्र ही इस खास मामले से जुड़े लोगों के चेहरे भी बेनकाब करेगा क्योंकि समाज के लिए कोढ़ साबित हो रहे ऐसे तत्वों का बेनकाब होना सभ्रांत लोगों के लिए तथा क्लब संस्कृति के लिए भी जरूरी है जिससे समूची क्लब संस्कृति बदनाम होने से बची रहे।
क्लबों से जुड़े सूत्रों ने इस संबंध में जो और जानकारियां दी हैं वो वाकई दिल दहला देने वाली और भयावह हैं।
सूत्रों के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व दो सभ्रांत महिलाओं द्वारा आत्महत्या किए जाने के पीछे भी यही कारण थे जिनमें से एक महिला ने होटल के कमरे में जान दी थी।
एक ट्रांसपोर्टर के पुत्र की जान भी ऐसे ही मामले में गई और एक नेता की पत्नी ने भी इन्हीं सब कारणों से आत्महत्या की। एक रियल एस्टेट कारोबारी के पुत्र की संदिग्ध मौत का कारण भी क्लब संस्कृति की आड़ में खेले जा रहे हवस के खेल को बताया जा रहा है जबकि हाल ही में हुई एक सर्राफा व्यवसाई की मौत के पीछे भी कुछ ऐसे ही कारण थे।
कुछ समय पूर्व एक प्रतिष्ठित सर्राफा व्यवसाई को ऐसे ही खेल में महिला को बहुत मोटी रकम देकर अपना पीछा छुड़ाना पड़ा।
ऐसा नहीं है कि क्लब संस्कृति की आड़ में खेले जाने वाले इस खेल के अंदर सब-कुछ दोनों पक्षों की सहमति से ही होता हो। कुछ लोग तो अपनी हवस पूरी करने के लिए इतना नीचे गिर जाते हैं कि अपनी पत्नियों को दूसरों का साथ देने के लिए मजबूर करते हैं। हां, कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो स्वेच्छा से और ”फन” के लिए जरा सा इशारा पाते ही स्वत: तैयार हो जाती हैं।
हाल ही में ”लीजेंड न्यूज़” द्वारा जिन दो पक्षों का जिक्र अपने समाचार में किया गया था, उसमें पहले तो काफी समय तक मूक सहमति से ही खेल चलता रहा किंतु जब एक पक्ष का नाम ज्यादा खुलकर सामने आने लगा तब अपनी कथित प्रतिष्ठा बचाने के लिए दूसरे पक्ष को पूरी प्लानिंग के तहत घर बुलाकर बेइज्जत किया।
ऐसा नहीं है कि धर्म की इस नगरी में अधर्म का यह खेल केवल विभिन्न क्लबों के माध्यम से ही खेला जा रहा हो। सच तो यह है कि कुछ तथाकथित सफेदपोश नवधनाढ्य भी अपनी निजी तथा व्यावसायिक स्वार्थपूर्ति के लिए इस खेल को वर्षों से खेल रहे हैं।
इन सफेदपोशों में एक ओर जहां रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े लोग हैं तो कुछ ऐसे व्यवसाई जिनकी पहचान जुडीशियरी में खासा दखल रखने वालों के रूप में हो चुकी है। कुछ ऐसे सफेदपोश भी हैं जिन्होंने कुछ खास मीडिया पर्सन्स को अपना लाइजनर बना रखा है जिससे सांप मर जाए और लाठी भी न टूटे।
इन सफेदपोशों के बारे में ऐसे प्रश्न करने वालों की भी कमी नहीं कि यदि यह पाकसाफ हैं तो दिन-रात क्यों पुलिस, प्रशासनिक व न्यायिक अधिकारियों की हर डिमांड पूरी करने में लगे रहते हैं ?
अनेक व्यापारों में सफलता अर्जित कर लेने तथा औकात से अधिक ईश्वर का दिया होने के बावजूद आखिर यह किस मकसद से अपने काम-धंधे छोड़कर अधिकारियों की चापलूसी करते हैं और उनके एक इशारे पर उन्हें सब-कुछ मुहैया कराते हैं। जिसमें गाड़ी-घोड़े से लेकर रहने, खाने-पीने तक और सुरा व सुंदरियों से लेकर रुपए-पैसों तक का बंदोबस्त करना शामिल है।
जाहिर है कि ऐसा करने के पीछे उनके प्रत्यक्ष व्यवसायों से इतर कुछ अन्य अप्रत्यक्ष यानि ”हिडन” व्यवसाय भी होंगे। वो हिडन व्यवसाय जिन्हें सफलतापूर्वक संचालित करने की पहली शर्त हर क्षेत्र के अधिकारियों की कृपा प्राप्त होना जरूरी हो जाता है।
जाहिर है अधिकारियों की संपूर्ण कृपा प्राप्त करने के लिए एक इशारे पर उनकी हर डिमांड पूरी करना जरूरी हो जाता है।
शहर के एक नामचीन होटल में कुछ समय पहले एक न्यायिक अधिकारी रंगरेलियां मनाते पकड़े भी गए थे किंतु उन्हें होटल मालिक ने ही अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बचा लिया क्योंकि ऐसा न करने पर होटल तथा होटल मालिक दोनों की असलियत सामने आ जाती।
कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि बड़े से बड़े पाप कर्मों को छुपाने में धर्म की आड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, तो कुछ गलत नहीं होगा।
चूंकि मथुरा नगरी को श्रीकृष्ण की पावन जन्मस्थली का गौरव प्राप्त है और विश्व के पटल पर इसकी अपनी बहुत बड़ी एक धार्मिक छवि है लिहाजा इसका लाभ वो सभी बहुरुपिये उठाते हैं जो अपने चेहरों पर मौके व वक्त की नजाकत के अनुरूप नकाब लगा लेने में माहिर हैं। कहीं वह व्यापारी तथा उद्योगपति के रूप में पहचाने जाते हैं तो कहीं समाज सेवा और कला एवं संस्कृति की सेवा के लिए।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
इस बात पर मोहर क्लब संस्कृति से जुड़े उन लोगों ने लगाई है जिन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्लबों को ज्वाइन तो यह समझ कर किया था कि उनके बैनर तले होने वाली सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों का वह भी हिस्सा बन सकेंगे किंतु कुछ समय के अंदर ही असलियत उनके सामने आने लगी लिहाजा उन्होंने किनारा कर लेने में ही अपनी भलाई समझी।
इन लोगों का तो यहां तक कहना है कि मथुरा में जितने भी राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय क्लबों की शाखाएं हैं, उन सभी पर एक ”कॉकस” का कब्जा है और यही कॉकस क्लब संस्कृति को अवैध संबंधों का अड्डा बनाने के लिए जिम्मेदार है। इस कॉकस में एक विधायक का नाम भी सामने आ रहा है।
सूत्रों की मानें तो यह विधायक ही इस कॉकस का सरगना है और कॉकस की हर गतिविधि में परोक्ष अथवा अपरोक्ष तौर पर संलिप्त रहता है।
इस विधायक की पराई औरतों में दिलचस्पी का आलम यह है कि विधायक की अपनी पत्नी तक का उसके ऊपर से पूरी तरह भरोसा उठ चुका है और वह यथासंभव अपने विधायक पति पर नजर रखने की कोशिश करती है।
यह कॉकस इतना प्रभावशाली है कि क्लब के सभ्य व शालीन सदस्य प्रथम तो उनके सामने बोलने तक की हिम्मत नहीं कर पाते, और दूसरे यदि कोई सदस्य ऐसी हिमाकत कर भी दे तो उसे सार्वजनिक रूप से बेइज्जत कर दिया जाता है ताकि फिर कभी वह उनके सामने बोलने की हिम्मत न कर सके।
सूत्रों के मुताबिक ये लोग अपनी-अपनी कारों की चाभियां बदलकर ”वाइफ स्वैपिंग” का खेल खेलने से लेकर ”म्यूचुअल अंडरस्टेंडिंग” से परस्पर पत्नियों को बदलने का खेल भी बड़ी बेशर्मायी के साथ खेलते हैं।
विभिन्न क्लबों में इन लोगों की बदनामी और इनके कारनामों को लेकर व्याप्त घृणा का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि 19 अप्रैल को लीजेंड न्यूज़ द्वारा ”MATHURA में क्लब संस्कृति के ”पोप” का पत्नी के सामने हुआ जूते-चप्पलों से अभिनंदन” शीर्षक से लिखी गई खबर के अंदर किसी शख्स का नाम सार्वजनिक न किए जाने के बावजूद शहर के लोगों की जुबान पर पूरी तरह वही नाम थे जिनका उस संपूर्ण घटनाक्रम से ताल्लुक था और जो इस सबका हिस्सा थे।
किन्हीं चंद लोगों के बारे में इतना सटीक आंकलन तभी संभव है जब उन लोगों ने मान-मर्यादा की सारी हदें पार कर दी हों।
लीजेंड न्यूज़ शीघ्र ही इस खास मामले से जुड़े लोगों के चेहरे भी बेनकाब करेगा क्योंकि समाज के लिए कोढ़ साबित हो रहे ऐसे तत्वों का बेनकाब होना सभ्रांत लोगों के लिए तथा क्लब संस्कृति के लिए भी जरूरी है जिससे समूची क्लब संस्कृति बदनाम होने से बची रहे।
क्लबों से जुड़े सूत्रों ने इस संबंध में जो और जानकारियां दी हैं वो वाकई दिल दहला देने वाली और भयावह हैं।
सूत्रों के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व दो सभ्रांत महिलाओं द्वारा आत्महत्या किए जाने के पीछे भी यही कारण थे जिनमें से एक महिला ने होटल के कमरे में जान दी थी।
एक ट्रांसपोर्टर के पुत्र की जान भी ऐसे ही मामले में गई और एक नेता की पत्नी ने भी इन्हीं सब कारणों से आत्महत्या की। एक रियल एस्टेट कारोबारी के पुत्र की संदिग्ध मौत का कारण भी क्लब संस्कृति की आड़ में खेले जा रहे हवस के खेल को बताया जा रहा है जबकि हाल ही में हुई एक सर्राफा व्यवसाई की मौत के पीछे भी कुछ ऐसे ही कारण थे।
कुछ समय पूर्व एक प्रतिष्ठित सर्राफा व्यवसाई को ऐसे ही खेल में महिला को बहुत मोटी रकम देकर अपना पीछा छुड़ाना पड़ा।
ऐसा नहीं है कि क्लब संस्कृति की आड़ में खेले जाने वाले इस खेल के अंदर सब-कुछ दोनों पक्षों की सहमति से ही होता हो। कुछ लोग तो अपनी हवस पूरी करने के लिए इतना नीचे गिर जाते हैं कि अपनी पत्नियों को दूसरों का साथ देने के लिए मजबूर करते हैं। हां, कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो स्वेच्छा से और ”फन” के लिए जरा सा इशारा पाते ही स्वत: तैयार हो जाती हैं।
हाल ही में ”लीजेंड न्यूज़” द्वारा जिन दो पक्षों का जिक्र अपने समाचार में किया गया था, उसमें पहले तो काफी समय तक मूक सहमति से ही खेल चलता रहा किंतु जब एक पक्ष का नाम ज्यादा खुलकर सामने आने लगा तब अपनी कथित प्रतिष्ठा बचाने के लिए दूसरे पक्ष को पूरी प्लानिंग के तहत घर बुलाकर बेइज्जत किया।
ऐसा नहीं है कि धर्म की इस नगरी में अधर्म का यह खेल केवल विभिन्न क्लबों के माध्यम से ही खेला जा रहा हो। सच तो यह है कि कुछ तथाकथित सफेदपोश नवधनाढ्य भी अपनी निजी तथा व्यावसायिक स्वार्थपूर्ति के लिए इस खेल को वर्षों से खेल रहे हैं।
इन सफेदपोशों में एक ओर जहां रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े लोग हैं तो कुछ ऐसे व्यवसाई जिनकी पहचान जुडीशियरी में खासा दखल रखने वालों के रूप में हो चुकी है। कुछ ऐसे सफेदपोश भी हैं जिन्होंने कुछ खास मीडिया पर्सन्स को अपना लाइजनर बना रखा है जिससे सांप मर जाए और लाठी भी न टूटे।
इन सफेदपोशों के बारे में ऐसे प्रश्न करने वालों की भी कमी नहीं कि यदि यह पाकसाफ हैं तो दिन-रात क्यों पुलिस, प्रशासनिक व न्यायिक अधिकारियों की हर डिमांड पूरी करने में लगे रहते हैं ?
अनेक व्यापारों में सफलता अर्जित कर लेने तथा औकात से अधिक ईश्वर का दिया होने के बावजूद आखिर यह किस मकसद से अपने काम-धंधे छोड़कर अधिकारियों की चापलूसी करते हैं और उनके एक इशारे पर उन्हें सब-कुछ मुहैया कराते हैं। जिसमें गाड़ी-घोड़े से लेकर रहने, खाने-पीने तक और सुरा व सुंदरियों से लेकर रुपए-पैसों तक का बंदोबस्त करना शामिल है।
जाहिर है कि ऐसा करने के पीछे उनके प्रत्यक्ष व्यवसायों से इतर कुछ अन्य अप्रत्यक्ष यानि ”हिडन” व्यवसाय भी होंगे। वो हिडन व्यवसाय जिन्हें सफलतापूर्वक संचालित करने की पहली शर्त हर क्षेत्र के अधिकारियों की कृपा प्राप्त होना जरूरी हो जाता है।
जाहिर है अधिकारियों की संपूर्ण कृपा प्राप्त करने के लिए एक इशारे पर उनकी हर डिमांड पूरी करना जरूरी हो जाता है।
शहर के एक नामचीन होटल में कुछ समय पहले एक न्यायिक अधिकारी रंगरेलियां मनाते पकड़े भी गए थे किंतु उन्हें होटल मालिक ने ही अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बचा लिया क्योंकि ऐसा न करने पर होटल तथा होटल मालिक दोनों की असलियत सामने आ जाती।
कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि बड़े से बड़े पाप कर्मों को छुपाने में धर्म की आड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, तो कुछ गलत नहीं होगा।
चूंकि मथुरा नगरी को श्रीकृष्ण की पावन जन्मस्थली का गौरव प्राप्त है और विश्व के पटल पर इसकी अपनी बहुत बड़ी एक धार्मिक छवि है लिहाजा इसका लाभ वो सभी बहुरुपिये उठाते हैं जो अपने चेहरों पर मौके व वक्त की नजाकत के अनुरूप नकाब लगा लेने में माहिर हैं। कहीं वह व्यापारी तथा उद्योगपति के रूप में पहचाने जाते हैं तो कहीं समाज सेवा और कला एवं संस्कृति की सेवा के लिए।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी