सोमवार, 28 सितंबर 2015

खतरनाक संकेत है खाकी के खौफ का खत्‍म होते जाना

खाकी के खौफ का खत्‍म होते जाना उत्‍तर प्रदेश के लिए एक खतरनाक संकेत है। हालांकि प्रदेश की सत्‍ता पर काबिज समाजवादी पार्टी ऐसा नहीं मानती। मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की मानें तो प्रदेश की कानून-व्‍यवस्‍था जहां दूसरे प्रदेशों से बेहतर है, वहीं पुलिस भी विपरीत परिस्‍थितियों के बावजूद अच्‍छा काम कर रही है।
मुख्‍यमंत्री और समाजवादी पार्टी क्‍या कहती है, इस पर फिलहाल गौर न करके वास्‍तविकता पर ध्‍यान दिया जाए तो पुलिस की प्रदेश में कहीं न कहीं आए दिन होने वाली मजामत यह साबित करने के लिए काफी है कि खाकी का अब न तो इकबाल बुलंद रहा और न उसका बदमाशों के मन में खौफ बाकी है।
अब सवाल यह पैदा होता है कि ऐसी परिस्‍थितियां पैदा कैसे हुईं कि जिस खाकी के खौफ से कभी बड़े-बड़े कुख्‍यात बदमाशों की जान सूख जाती थी, उसी खाकी पर अब खास ही नहीं आम आदमी भी हमलावर हो जाता है।
नि: संदेह ऐसी परिस्‍थितियां पैदा न तो एकसाथ पैदा हुईं हैं और न किसी एक कारण से बनी हैं। इन परिस्‍थितियों के पैदा होने में जितना हाथ राजनेताओं का है, उतना ही पुलिस की उस कार्यप्रणाली का भी है जो अत्‍याचार की श्रेणी में आती है।
पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कोर्ट से मिले आदेश-निर्देश धूल फांक रहे हैं क्‍योंकि यदि उन आदेश-निर्देशों पर अमल हो जाता है तो पुलिस फिर राजनेताओं के हाथ की कठपुतली नहीं रह जायेगी।
राजनीति और राजनेताओं से संरक्षण प्राप्‍त पुलिस कभी आमजन के लिए निष्‍पक्ष नहीं हो सकती और राजनेता यही चाहते भी हैं।
पुलिस के अचार-व्‍यवहार संबंधी तमाम खामियों को छोड़कर यदि जिक्र किया जाए सिर्फ उसके राजनीतिक दुरुपयोग का तो स्‍थिति इतनी अधिक भयावह है कि ऐसा लगता है जैसे ऊपर से नीचे तक पुलिस का राजनीतिकरण हो चुका है।
बात चाहे पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों के ट्रांसफर-पोस्‍टिंग की हो अथवा उनके द्वारा की जाने वाली तफ्तीशों की, हर एक पर राजनीति हावी है। जोनल, रीजनल ही नहीं जिले तक में पुलिस अधिकारियों की पोस्‍टिंग राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से की जाती है। थाने और चौकियां भी राजनीतिक दखलंदाजी के शिकार हैं और उन पर जाति विशेष का वर्चस्‍व कायम है।
प्रदेश में शायद ही कोई थाना-चौकी ऐसा बचा हो जिसमें प्रभारी से लेकर दीवान, मोहर्रिर व बीट के सिपाही तक जातिगत आधार पर बंटे हुए न हों।
ये लोग बदमाशों को भी उसी चश्‍मे से देखते हैं कि कौन सा बदमाश किस जाति से ताल्‍लुक रखता है अथवा उसे किस राजनीतिक दल का संरक्षण प्राप्‍त है। बदमाशों के खिलाफ कार्यवाही से पहले इन बातों पर गौर किया जाता है।
जाहिर है कि इन हालातों के चलते कई-कई खेमों में बंटा हुआ फोर्स जब कहीं किसी की गिरफ्तारी या दबिश के लिए प्रोग्राम बनाता है तो एकओर जहां उसकी सूचना पहले से लीक हो जाती है वहीं दूसरी ओर वांछित और अपराधी तत्‍वों को पुलिस पर हमलावर होने के लिए भी प्रोत्‍साहित किया जाता है।
बेशक इससे किन्‍हीं खास पुलिसजनों का अपने प्रतिद्वंदी पुलिसकर्मी से बदला लेने का मकसद पूरा हो जाता हो किंतु वैमनस्‍यता काफी बढ़ जाती है।
पुलिसजन बहुत अच्‍छी तरह जानते हैं पुलिस पार्टी पर हमलावर होने तथा उसकी मजामत करने का दुस्‍साहस बड़े से बड़ा बदमाश तब तक नहीं करता जब तक कि उसे पुलिस के अंदर से ही प्रोत्‍साहन न मिले किंतु ठोस सबूतों के अभाव में गद्दारों का कुछ नहीं बिगड़ता।
अधिकारी भी जांच के नाम पर लीपापोती करके मामले को रफा-दफा करने में विश्‍वास ज्‍यादा रखते हैं, ठोस कार्यवाही में कम लिहाजा कुछ दिनों बाद मामला ठंडा पड़ जाता है।
अगर ठंडा नहीं पड़ता तो कुछ दिनों बाद पुलिस मजामत की कोई दूसरी नई घटना हो जाती है और फिर ध्‍यान उस पर केंद्रित हो जाता है।
मथुरा जिले की ही बात करें तो पुलिस मजामत की तमाम घटनाएं आज तक पहेली बनी हुई हैं और उनका अनावरण नहीं हो पाया है जबकि कुछ घटनाओं में तो पुलिसजन जान से हाथ धो बैठे हैं जबकि कुछ में अंग-भंग हुए हैं।
यहां गौरतलब यह भी है कि भले ही समाजवादी पार्टी के शासनकाल में ऐसी घटनाएं कुछ बढ़ जाती हों या जाति विशेष का वर्चस्‍व कायम रहता हो किंतु इससे पूरी तरह निजात किसी पार्टी के शासन में नहीं मिलती।
हर सत्‍ता में कुछ खास तत्‍वों का बोलबाला रहता है और वो अनुशासन को ताक पर रखकर पूरी मनमानी करने से बाज नहीं आते।
जाहिर है कि इन हालातों में खाकी का खौफ रहेगा भी कैसे। जब मेंड़ ही खेत को खाने पर आमादा हो, तो उसे भगवान भी नहीं बचा सकते।
कुछ ऐसे ही स्‍थितियों के चलते आज खाकी अपनी जान बचाकर काम करने को मजबूर है और बदमाश बेखौफ होकर खाकी को अपना निशाना बनाते हैं।
खाकी की ट्रांसफर-पोस्‍टिंग से लेकर उसके अंदर तक समा चुके जातिगत राजनीति के कीटाणुओं का यदि समय रहते सफाया नहीं किया गया तो तय मानिए कि खाकी कहीं की नहीं रहेगी तथा उसकी मजामत होने का सिलसिला न केवल इसी प्रकार जारी रहेगा बल्‍कि साल-दर-साल बढ़ता जायेगा।
- सुरेंद्र चतुर्वेदी

रविवार, 20 सितंबर 2015

यूपी: रिश्वतखोरी का सुनियोजित तंत्र चला रहा था यादव सिंह

लखनऊ। नोएडा का निलंबित मुख्य अभियंता यादव सिंह कथित तौर पर रिश्वतखोरी का पूरा सुनियोजित तंत्र चला रहा था, जिसमें प्राधिकरण में कई अधिकारियों तक घूस की तय राशि पहुंचती थी।
सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग और सीबीआई समेत अनेक एजेंसियों की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि सिर्फ सिंह तक ही रिश्वत नहीं पहुंचती थी बल्कि विभाग के अन्य अधिकारियों को बड़े व्यवस्थित तरीके से पैसा पहुंचता था, जिसका विस्तृत रिकॉर्ड रखा जाता था।
जांच में शामिल सूत्रों को एक डायरी मिली है जिससे पता चलता है कि ठेकेदारों से कथित तौर पर कुल ठेके की कीमत का करीब पांच से 10 प्रतिशत लिया जाता था, जिसे सिंह के अधीन काम करने वाले अधिकारियों में बांटा जाता था। सबसे निचले स्तर के अधिकारी को 0.05 से 0.10 प्रतिशत यानी 100 रुपये में पांच से 10 पैसे तक मिलते थे। कुल रिश्वत 50 लाख रुपये या इससे अधिक होती थी।
जांचकर्ताओं के अनुसार, कथित तौर पर अलग-अलग वरिष्ठता के आठ स्तर पर अधिकारियों को रिश्वत दी जाती थी, जिनमें सिंह सबसे ऊपर थे। एजेंसी एक फोन से हुए संदेशों और कॉल के आदान-प्रदान का भी अध्ययन कर रही है, जिसे सिंह का ही बताया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई दो कंपनियों- मैक्कॉन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और मीनू क्रियेशन्स के स्वामित्व का ब्यौरा भी देख रही है जो कथित तौर पर सिंह के रिश्तेदारों और साथियों से जुड़ी हैं। कोलकाता की अनेक कंपनियां और रीयल एस्टेट डवलपर भी जांच के घेरे में हैं।
सीबीआई के सूत्रों के अनुसार, उन्हें आयकर विभाग से दस्तावेज मिले हैं और दोनों विभाग इस मुद्दे पर समन्वय के साथ काम कर रहे हैं।
सीबीआई यादव सिंह, उनकी पत्नी कुसुमलता, बेटे सनी यादव और बेटी गरिमा भूषण से पूछताछ कर रही है। इन सभी के नाम सिंह के खिलाफ एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकियों में संदिग्ध के तौर पर दर्ज हैं।

शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

बड़ा खुलासा: यादव सिंह की कंपनी का शेयर होल्‍डर है मुलायम का सांसद भतीजा

लखनऊ। नोएडा अथॉरिटी के चीफ रहे अरबपति इंजीनियर यादव सिंह की कंपनी का शेयर होल्‍डर है मुलायम सिंह का सांसद भतीजा अक्षय यादव। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की फैमिली के इस बिजनेस कनेक्शन का खुलासा आज ही हुआ है।
जानकारी के मुताबिक मुलायम के भाई और सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव, अरबपति इंजीनियर यादव सिंह की कंपनी के शेयर होल्डर हैं। अक्षय के अलावा उनकी पत्नी रिचा यादव के शेयर भी इस कंपनी में हैं। सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक मुलायम के भतीजे और फिरोजाबाद के मौजूदा सांसद अक्षय यादव ने यादव सिंह की फर्म से प्रॉफिट गेन किया है। अक्षय यादव को शेयर बेचने के बाद कंपनी की ओर से ये दिखाया गया कि इसने 16 लाख 45 हजार शेयरों को 990 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से बेचा है।
यादव सिंह के असिस्टेंट के जरिए हुई थी डील
अक्षय यादव ने यादव सिंह के असिस्टेंट राजेश मनोचा के जरिए कंपनी के साथ डील की थी। इसके तहत मई 2014 में दिल्ली की कंपनी एनएम बिल्डवेल के 9 हजार 995 शेयर खरीदे थे। अक्षय यादव की पत्नी रिचा यादव के पास भी इस कंपनी के शेयर हैं। अक्षय यादव ने जिस कंपनी के शेयर खरीदे थे, उसकी जमीन की कीमत 1.58 करोड़ रुपए थी जबकि कंपनी बिल्डिंग की कीमत 1.57 करोड़ रुपए बताई गई है। वहीं, जब डील के समय कंपनी ने अक्षय यादव को एक शेयर की कीमत 10 रुपए दिखाई, जिससे मुलायम के भतीजे अक्षय ने महज एक लाख रुपए में कंपनी के 10 हजार शेयर खरीद लिए।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट खंगाल चुका है कंपनी के डिटेल
फाइनेंस मिनिस्ट्री के सोर्स बताते हैं कि यादव सिंह की इस एनएम बिल्डवेल कंपनी के खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और ईडी आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच कर चुका है। यह भी बताया जा रहा है कि जब पिछले साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यादव सिंह के नोएडा स्थित घर पर रेड डाली थी, तब उनकी लक्जरी कार से जो 10 करोड़ रुपए मिले थे, वो रुपए यादव सिंह के असिस्टेंट राजेश मनोचा के ही थे। राजेश मनोचा इंफ्रा लिमिटेड कंपनी का भी डायरेक्टर रह चुका है। यादव सिंह के केस में सीबीआई इस कंपनी पर भी नजर रखे हुए है।
क्या कहती है सपा?
इस मामले में अक्षय यादव के चाचा और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि “यादव सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश हो चुका है और यूपी सरकार भी अपनी तरफ से जांच करा रही है इसलिए इस पर कोई कमेंट करना ठीक नहीं होगा।”
क्या कहती है बीजेपी?
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा, “यह तो साफ जाहिर था कि सपा नेताओं के शह की वजह से यादव सिंह का भ्रष्टाचार फलफूल रहा था। इसी कारण यादव सिंह के भ्रष्टाचार की जांच से यूपी सरकार कतरा रही थी। उनके मुताबिक, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी कई सपा नेताओं के नाम सामने आयेंगे।”
जिसके हाथ सीबीआई, उसके हाथ सपाई
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत ने इस मामले पर केंद्र की एनडीए सरकार और प्रदेश की सपा सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा,“जिसके हाथ सीबीआई, उसके हाथ सपाई।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कैसे शासन-प्रशासन का गलत फायदा उठाती है, ये इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यादव सिंह के जरिए हुए इस भ्रष्टाचार में गलत तरीके से खरीदी गई सभी संपत्तियां सरकार को जब्त करनी चाहिए और इस मामले की व्यापक जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछली बसपा सरकार भी इसी तरह के भ्रष्टाचार की वजह से अपने अंजाम तक पहुंची थी, ये सरकार भी उसी नक़्शे-कदम पर चलती नजर आ रही है।
नोएडा अथॉरिटी के अरबपति चीफ इंजीनियर यादव सिंह मामले की जांच सीबीआई कर रही है। हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसएन शुक्ला इस बारे में आदेश दे चुके हैं। इस मामले में सीबीआई जांच को लेकर आईजी अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने पीआईएल दायर की थी। नूतन ठाकुर ने बताया था कि यादव सिंह मामले की जांच एसआईटी, ईडी और इनकम टैक्स कर रही थी, जो अपने अपने क्षेत्र की स्पेशलिस्ट है और ऐसे में यादव सिंह पर सिर्फ जुर्माना लगा कर छोड़ दिया जाता। यादव सिंह के साम्राज्य का पता सिर्फ सीबीआई ही लगा सकती है। यही वजह रही कि मैंने सीबीआई जांच की मांग की, जिसे हाई कोर्ट ने मान लिया।
सरकार ने सीबीआई जांच का किया विरोध
राज्य सरकार ने यादव सिंह की सीबीआई जांच का विरोध किया था। सरकार कह रही थी कि इस मामले में ज्युडिशियल कमेटी जांच कर रही है, उसकी रिपोर्ट आने तक इंतजार कर लिया जाए। हाई कोर्ट ने कहा ज्युडिशियल कमेटी की अपनी सीमाएं हैं। यही वजह है कि कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया।

मथुरा-वृंदावन में भी ब्‍याज पर लगा है आसाराम का करोड़ों रुपया

-रियल एस्‍टेट तथा सर्राफा कारोबार से जुड़े लोगों के पास है यह रुपया
-देशभर में 500 कारोबारियों को बांट रखा है आसाराम ने अपना पैसा
-सिर्फ ब्‍याज से है आसाराम की 300 करोड़ रुपए सालाना की आमदनी
Crores rupees of Asaram Bapu on interest in Mathura-Vrindavan नाबालिग से बलात्‍कार के आरोपी आसाराम बापू ने अपनी अकूत संपत्‍ति का एक हिस्‍सा देश के जिन शहरों में ब्‍याज पर उठा रखा है, उनमें मथुरा-वृंदावन भी शामिल हैं।
आसाराम बापू ने अन्‍य शहरों की तरह मथुरा-वृंदावन में भी अपना पैसा रियल एस्‍टेट तथा सर्राफा कारोबार से जुड़े लोगों को मोटी ब्‍याज पर दिया हुआ है।
यूं तो आसाराम ने अपने पैसे को ब्‍याज पर उठाने की जिम्‍मेदारी इंदौर (मध्‍य प्रदेश) निवासी चाय और रियल एस्टेट कारोबारी मोहन लुधियानी को सौंप रखी है जो आसाराम ट्रस्ट का भी पूरा कामकाज संभालता है किंतु मथुरा-वृंदावन में ब्‍याज पर दिए गए पैसों का जिम्‍मा कुछ स्‍थानीय लोगों ने भी ले रखा है। ये लोग आसाराम के तथाकथित भक्‍त बताए जाते हैं।
देशभर के करीब 500 बड़े कारोबारियों में से मथुरा-वृंदावन के कारोबारियों को भी आसाराम बापू द्वारा ब्‍याज पर करोड़ों रुपए दिए जाने का खुलासा मध्य प्रदेश के इंदौर में 16 जगहों पर चल रही इनकम टैक्‍स की जांच से हुआ है।
छापे से पता लगा है कि आसाराम ने अपनी करीब 10 हजार करोड़ रुपए की कुल संपत्‍ति में से करीब 1677 हजार करोड़ रुपए देशभर के कारोबारियों को ब्‍याज पर बांट रखे हैं जिनसे उसे लगभग 300 करोड़ रुपए की सालाना आमदनी होती है। हालांकि समाचार लिखे जाने तक छापामार कार्यवाही जारी थी लिहाजा कार्यवाही पूरी होने के बाद रकम का यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।
गौरतलब है कि दो साल पहले आसाराम की गिरफ्तारी के समय आसाराम के आश्रम से पुलिस को 42 बोरे दस्तावेज मिले थे। इन दस्‍तावेजों में किस-किस को कितना रुपया चलाने के लिए दिया है, इसका जिक्र था। इसके साथ ही पूरे देश में फैली प्रॉपर्टी की जानकारी भी दस्‍तावेजों में थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब इनकी जांच कर रहा है।
इंदौर में केशव नाचानी के यहां आयकर छापे से भी काफी दस्तावेज मिले थे। इनमें ब्लैक मनी के सबूत थे। इसी आधार पर सूरत की टीम ने दिल्ली इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ मिलकर छापे की प्लानिंग बनाई।
इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट की टीम फिलहाल इंदौर में गुडरिक चाय कंपनी के मालिक लुधियानी और लुधियानी से जुड़े बिल्डर अनिल अग्रवाल, शशि भूषण खंडेलवाल, विजय अग्रवाल, तेजिंदर सिंह घुम्मन, निर्मल अग्रवाल, विष्णु गोविंद राम शर्मा, केशव नाचानी के यहां छापामार कार्यवाही कर रही है। इसके साथ ही घनश्यामदास एंड कंपनी, श्रुति स्नेक्स प्रालि, ओएसिस डेवलपर्स, श्रीराम बिल्डर्स, अपोलो रियल एस्टेट प्रालि, कोन्कोर्ड टी पैकिंग प्रालि, डिजिना रियल एस्टेट डेवलपर्स और जीएसएमटी रियल एस्टेट डेवलपर्स की भी जांच हो रही है। भोपाल में रविंद्र सिंह भाटेजा पर भी कार्यवाही जारी है। इंदौर-भोपाल के साथ ही इनकम टैक्स विभाग सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, कोलकाता, जयपुर और दिल्ली में भी कार्यवाही कर रहा है।
इनकम टैक्‍स विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन बड़े शहरों के बाद मथुरा-वृंदावन जैसे धार्मिक स्‍थानों पर छापामार कार्यवाही की जायेगी और पता लगाया जायेगा कि आसाराम बापू का कितना रुपया यहां लगा है और किन-किन कारोबारियों पर है।
यह भी पता लगा है कि मथुरा-वृंदावन की तरह ही आसाराम बापू ने उत्‍तराखंड के कई धार्मिक शहरों में कारोबारियों को मोटा पैसा ब्‍याज पर दे रखा है।
उल्‍लेखनीय है कि राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली तथा एनसीआर से सटे होने और देश के प्रमुख धार्मिक स्‍थलों में शुमार होने की वजह से मथुरा-वृंदावन के रियल एस्‍टेट कारोबार में पिछले कुछ वर्षों के अंदर काफी उछाल आया है।
मथुरा-वृंदावन को प्रॉपर्टी में निवेश के लिहाज से भी काफी बेहतर माना जाता है और इसीलिए यहां रियल एस्‍टेट के नामचीन नाम अपने प्रोजेक्‍ट खड़े कर चुके हैं।
सैंकड़ों एकड़ में फैली इनकी कॉलोनियां और उनके अंदर दी जा रही सुविधाएं इस बात का सबूत हैं कि उनके निर्माण में तो मोटी लागत आती ही है, साथ ही खरीदार भी सामान्‍य व्‍यक्‍ति नहीं हो सकता।
यही नहीं, रियल एस्‍टेट के अरबों रुपए के इस कारोबार को स्‍थापित करने के लिए रियल एस्‍टेट कंपनियों को हर समय पैसों की जरूरत बनी रहती है और उन्‍हें यह पैसा आसाराम बापू जैसे धर्म के तथाकथित व्‍यापारियों से ही आसानी के साथ हासिल हो सकता है।
इन कारोबारियों को ब्‍याज पर पैसा देने वाला आसाराम बापू अकेला धार्मिक व्‍यापारी नहीं है। मथुरा-वृंदावन में अरबों रुपए लगाकर मठ, मंदिर व आश्रम बनाने वाले दूसरे सुनामधन्‍य तथाकथित साधु-संतों ने भी अपना तमाम रुपया रियल एस्‍टेट में लगा रखा है।
अब देखना यह है कि आसाराम के यहां इनकम टैक्‍स विभाग की छापामारी से खुली इस पोल का दायरा मथुरा-वृंदावन में कहां-कहां तक फैलता है और कौन-कौन उसके निशाने पर आता है।
सूत्रों की मानें तो इस छापामारी के बाद मथुरा-वृंदावन के कई सफेदपोश कारोबारियों के चेहरे बेनकाब होंगे क्‍योंकि आसाराम का अधिकांश पैसा काले धन की श्रेणी में आता है।
ऐसे में इन सफेदपोश कारोबारियों को आसाराम का पैसा ब्‍याज पर लेने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी

आसाराम अब भी हर साल 300 करोड़ रुपए सिर्फ ब्‍याज से कमा रहा है


Asaramइंदौर। आसाराम भले ही जोधपुर जेल में बंद है लेकिन अब भी हर साल वह 300 करोड़ रुपए सिर्फ ब्‍याज से कमा रहा है। उसने करोड़ों रुपए बाजार में ब्‍याज पर बांट रखे हैं। इनकम टैक्स के छापे में यह बात सामने आई है। मध्य प्रदेश के इंदौर में 16 जगहों पर चल रही जांच में पता चला कि आसाराम के रुपए लोन के रूप में रियल एस्टेट और सर्राफा बाजार से लेकर कई धंधों में लगे हैं। इससे आसाराम को हर साल करीब 300 करोड़ रुपए का ब्याज मिल रहा है।
एक अनुमान के मुताबिक आसाराम की प्रॉपर्टी 10 हजार करोड़ रुपए की है। उसने देशभर के 500 बड़े कारोबारियों को 1677 करोड़ रुपए लोन पर दे रखे हैं। आसाराम नाबालिग से रेप का आरोपी है।
इनकम टैक्स के छापे से खुला राज
इंदौर में डाले गए छापे में मोहन लुधियानी और बाकी कारोबारियों से मिले दस्तावेजों से आसाराम द्वारा दिए गए लोन के सबूत मिले हैं। इनकम टैक्स की पूछताछ में कई लोगों ने कबूल कर लिया है कि वे ब्याज पर पैसा चला रहे हैं। चाय और रियल एस्टेट कारोबारी मोहन लुधियानी आसाराम ट्रस्ट का पूरा कामकाज संभालता है। वह गुरुकुल स्कूल में भी डायरेक्टर है।
सूत्रों के मुताबिक इसके यहां भी लोन के रूप में करोड़ों रुपए देने के सबूत मिले हैं। जांच में श्रीराम बिल्डर के यहां जमीन में दो करोड़ रुपए से ज्यादा गड़े मिले। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की यह जांच फिलहाल जारी है।
42 बोरों में मिले दस्तावेजों ने खोली पोल
दो साल पहले आसाराम की गिरफ्तारी के समय आश्रम से पुलिस को 42 बोरे दस्तावेज मिले थे। इसमें किस-किस को कितना रुपया चलाने के लिए दिया है, इसका जिक्र था। इसके साथ ही पूरे देश में फैली प्रॉपर्टी की जानकारी थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा इनकी जांच की जा रही थी। इसी तरह कुछ साल पहले इंदौर के केशव नाचानी के यहां आयकर छापे में काफी दस्तावेज मिले थे। इसमें इस ब्लैक मनी के सबूत थे। इसी आधार पर सूरत की टीम ने दिल्ली इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ मिलकर छापे की प्लानिंग बनाई।
कई शहरों में जारी है कार्यवाही
इंदौर में गुडरिक चाय कंपनी के मालिक लुधियानी और लुधियानी से जुड़े बिल्डर अनिल अग्रवाल, शशि भूषण खंडेलवाल, विजय अग्रवाल, तेजिंदर सिंह घुम्मन, निर्मल अग्रवाल, विष्णु गोविंद राम शर्मा, केशव नाचानी के यहां कार्यवाही आज भी जारी है। इसके साथ ही घनश्यामदास एंड कंपनी, श्रुति स्नेक्स प्रालि, ओएसिस डेवलपर्स, श्रीराम बिल्डर्स, अपोलो रियल एस्टेट प्रालि, कोन्कोर्ड टी पैकिंग प्रालि, डिजिना रियल एस्टेट डेवलपर्स और जीएसएमटी रियल एस्टेट डेवलपर्स की भी जांच हो रही है। भोपाल में रविंद्र सिंह भाटेजा पर भी कार्यवाही जारी है। इंदौर-भोपाल के साथ ही इनकम टैक्स सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, कोलकाता, जयपुर और दिल्ली में भी कार्यवाही कर रहा है।
कौन है आसाराम?
आसाराम का जन्म 17 अप्रैल 1941 को बिरानी नाम के गांव में हुआ था। ये गांव अब पाकिस्तान में आता है। बंटवारे के बाद आसाराम भी अपने परिवार के साथ भारत आ गया। इसके बाद वो शहर-दर-शहर घूमता रहा लेकिन पिता की मौत के बाद वो चाय बेचने का काम करने लगा। इस दौरान आसाराम ने पढ़ाई भी छोड़ दी। महज 15 साल की उम्र में वो घर से भाग कर एक आश्रम में चला गया था। किसी तरह उसके घर वाले उसे वापस घर लाए और शादी करा दी।
आसाराम की शादी लक्ष्मी देवी के साथ हुई है। इनके दो बच्चे नारायण और भारती हुए। नारायण पिता की तरह ही संत बन गया और भारती भी साध्वी का जीवन जीने लगी। नारायण साईं की शादी जानकी के साथ हुई लेकिन वह सास लक्ष्मी के साथ अहमदाबाद के महिला आश्रम में रहकर उनकी देखभाल करती रही। शादी के पंडाल में आसाराम की घोषणा के बाद ही नारायण पांच साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करने चला गया। इस बीच जानकी ने नारायण पर लड़कियों के साथ घूमने के आरोप भी लगाए। एमए कर चुकी आसाराम की बेटी की शादी हेमंत नाम के लड़के के साथ हुई लेकिन कुछ समय बाद इनका तलाक हो गया।
कई नामी वकील लड़ रहे हैं आसाराम का केस
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, राम जेठमलानी, सलमान खुर्शीद और केटीएस तुलसी सहित देश के कई जाने-माने वकील आसाराम की पैरवी कर चुके हैं।
दो साल से जेल में बंद है आसाराम
जेल में बंद हुए आसाराम बापू को दो साल हो गए हैं। आसाराम ने इस दौरान कई बार जमानत की अर्जी लगाई लेकिन वो खारिज हो गई।
हाल ही में जेल से जमानत पर छूट कर आए एक नेता ने बताया कि आसाराम को उसके पास की ही बैरक में रखा गया था। इस नेता के अनुसार रेप जैसे संगीन मामलों में कैसे सलाखों से बाहर आया जा सकता है, इसकी चर्चा भी जेल में बंद कैदियों के साथ आसाराम करता रहता है। उसके कपड़े बाहर से धुलकर आते हैं। उसे अपनी बैरक के बाहर टहलने की आज़ादी है लेकिन हिंसक प्रवृत्ति के कैदियों की बैरक के पास नहीं जाने दिया जाता। उसकी बैरक के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, इसी कारण उसे सोने के लिए पलंग नहीं दिया जाता है लेकिन अच्छा मोटा और आरामदायक गद्दा जरूर दे रखा है।

आत्‍मप्रशंसा से अभिभूत समाजवादी सरकार

इधर उत्‍तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए अब दो साल से भी कम समय बचा है और उधर अखिलेश यादव के नेतृत्‍व वाली समाजवादी कुनबे की सरकार अपनी आत्‍मप्रशंसा से अभिभूत है। वो उस कहावत को सिद्ध कर रही है कि दीपक जब बुझने को होता है तब ज्‍यादा रोशनी देता है।
अखिलेश यादव पर भरोसा करके जनता ने समाजवादी पार्टी को स्‍पष्‍ट बहुमत इस उम्‍मीद में दिया था कि एक ऊर्जावान युवा नेता संभवत: सूबे की सूरत बदल देगा और उत्‍तर प्रदेश की गिनती देश के उत्‍तम प्रदेशों में होने लगेगी किंतु अखिलेश यादव ने साबित कर दिया कि न तो हर चमकने वाली चीज सोना होती है तथा ना ही हर युवा ऊर्जावान हो सकता है।
आज उत्‍तर प्रदेश के हालात बद से बदतर हो चुके हैं। बात चाहे कानून-व्‍यवस्‍था की हो या फिर बिजली-पानी व सड़क आदि की। भ्रष्‍टाचार की हो अथवा औद्योगिक विकास की, रोजी-रोजगार की हो या व्‍यापार की, हर मायने में सरकार पूरी तरह फेल है और समाजवादी कुनबे को चुहलबाजी सूझ रही है।
सार्वजनिक मंचों से कभी समाजवादी कुनबे के भीष्‍मपितामह मुलायम सिंह यादव कहते हैं कि अखिलेश ब्‍यूराक्रेसी को हेंडिल करना नहीं जानते तो कभी कहते हैं कि उन्‍हें 100 में से 100 नंबर दिये जा सकते हैं।
एक पल कहते हैं कि यदि आज चुनाव हो जाएं तो हम फिर सत्‍ता में नहीं आ सकते तो दूसरे पल अपने मंत्रियों और पदाधिकारियों की फौज से पूछते हैं कि जितवा तो दोगे ना।
मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के चचा शिवपाल यादव अधिकारियों को लेकर उन पर सार्वजनिक मंच से कटाक्ष करते हैं तो वहीं मुख्‍यमंत्री उन्‍हें जवाब देते हैं कि अब मुझे अधिकारियों को चलाना आ गया है।
तू मेरी पीठ खुजा, मैं तेरी खुजा देता हूं कि तर्ज पर पूरा समाजवादी कुनबा कभी आत्‍मप्रशंसा में मुग्‍ध हो जाता है तो कभी 2017 को याद करके अपने अंदर बैठे भय को दूर करने की कोशिश करता प्रतीत होता है।
पूरा प्रदेश बिजली की भारी किल्‍लत और कानून-व्‍यवस्‍था की बदहाली से त्रस्‍त है लेकिन समाजवादी कुनबा ”जो दिन कटें आनंद में जीवन कौ फल सोई…को चरितार्थ कर रहा है। जिनकी जुबान तक साफ नहीं है, वह नदियां साफ करने की बात कर रहे हैं। मुलायम से लेकर अखिलेश तक के बयानों को टीवी चैनल वाले अब लिखकर देने लगे हैं क्‍योंकि वह क्‍या बोल गए…इसका सिर्फ अंदाज ही लगाया जा सकता है। सुन पाना संभव नहीं है।
अखिलेश सरकार बिना कुछ सोचे-समझे भ्रष्‍टाचार का पर्याय बन चुके यादव सिंह की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रही है और सरकारी नौकरियों में यादवों की भर्ती करके सरकार का स्‍थाई रूप से यादवीकरण करने में लगी है।
कभी-कभी ऐसा लगता है कि समाजवादी कुनबे का बुझता हुआ दीपक इस प्रयास में है कि यादव सिंह जैसों को बचाकर तथा यादवों की अधिक से अधिक भर्ती करके कानून के शिकंजे से बच पाने का बेशक असफल ही सही किंतु आखिरी प्रयास कर लिया जाए। यूं भी कहते हैं पहलवानों का बुढ़ापा बड़ा कष्‍टप्रद होता है। मुलायम सिंह ने बड़ी अखाड़ेबाजी की है और अब भी अखाड़ा खोदने से बाज नहीं आ रहे। कहीं ऐसा न हो कि उनकी यही अखाड़ेबाजी उनके साथ-साथ पूरे कुनबे को ले डूबे।
नि:संदेह यादव सिंह की तूती माया सरकार में भी बोलती रही और जैसे-जैसे यादव सिंह पर सीबीआई का शिकंजा कसेगा, वैसे-वैसे मायावती की मायावी दुनिया का सच भी सामने आयेगा लेकिन समाजवादी कुनबे के भी बच पाने की उम्‍मीद कम ही है।
यादव सिंह की सही तरीके से जांच हो जाती है तो तय मानिए कि धुर-विरोधी माया-मुलायम एक ही जगह दिखाई देंगे। वो जगह कौन सी हो सकती है, इसका अंदाज लगाना कोई बहुत मुश्‍किल काम नहीं है।
फिलहाल सूबे की सत्‍ता पर काबिज समाजवादी कुनबा अपनी शान में कसीदे पढ़ता रहे या चुहलबाजी में मशगूल रहे परंतु इतना तय है कि जनता सब देख भी रही है और सुन भी रही है।
उसे पैर पटकते-पटकते जैसे तीन साल से ऊपर का समय बीत गया वैसे ही बाकी करीब दो साल भी काट लेगी लेकिन 2017 के चुनाव निश्‍चित ही अपना अंदाज कुछ अलग ही बयां करेंगे क्‍योंकि अति हर चीज की बुरी होती है। नशा चाहे सत्‍ता का हो या बोतल का, उतना ही करना चाहिए जितना खुद को झिल जाए और जिससे कोई दूसरा प्रभावित न हो। जब नशा सिर चढ़कर बोलने लगता है और दूसरों को प्रभावित करता है तो नागरिक ऐसा अभिनंदन करते हैं कि उसकी गूंज कई दशकों तक सुनाई देती है। कई बार तो उसकी गूंज में कई-कई पीढ़ियों दबकर रह जाती है।
-लीजेंड न्‍यूज़
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