-रियल एस्टेट तथा सर्राफा कारोबार से जुड़े लोगों के पास है यह रुपया
-देशभर में 500 कारोबारियों को बांट रखा है आसाराम ने अपना पैसा
-सिर्फ ब्याज से है आसाराम की 300 करोड़ रुपए सालाना की आमदनी
नाबालिग से बलात्कार के आरोपी आसाराम बापू ने अपनी अकूत संपत्ति का एक हिस्सा देश के जिन शहरों में ब्याज पर उठा रखा है, उनमें मथुरा-वृंदावन भी शामिल हैं।
आसाराम बापू ने अन्य शहरों की तरह मथुरा-वृंदावन में भी अपना पैसा रियल एस्टेट तथा सर्राफा कारोबार से जुड़े लोगों को मोटी ब्याज पर दिया हुआ है।
यूं तो आसाराम ने अपने पैसे को ब्याज पर उठाने की जिम्मेदारी इंदौर (मध्य प्रदेश) निवासी चाय और रियल एस्टेट कारोबारी मोहन लुधियानी को सौंप रखी है जो आसाराम ट्रस्ट का भी पूरा कामकाज संभालता है किंतु मथुरा-वृंदावन में ब्याज पर दिए गए पैसों का जिम्मा कुछ स्थानीय लोगों ने भी ले रखा है। ये लोग आसाराम के तथाकथित भक्त बताए जाते हैं।
देशभर के करीब 500 बड़े कारोबारियों में से मथुरा-वृंदावन के कारोबारियों को भी आसाराम बापू द्वारा ब्याज पर करोड़ों रुपए दिए जाने का खुलासा मध्य प्रदेश के इंदौर में 16 जगहों पर चल रही इनकम टैक्स की जांच से हुआ है।
छापे से पता लगा है कि आसाराम ने अपनी करीब 10 हजार करोड़ रुपए की कुल संपत्ति में से करीब 1677 हजार करोड़ रुपए देशभर के कारोबारियों को ब्याज पर बांट रखे हैं जिनसे उसे लगभग 300 करोड़ रुपए की सालाना आमदनी होती है। हालांकि समाचार लिखे जाने तक छापामार कार्यवाही जारी थी लिहाजा कार्यवाही पूरी होने के बाद रकम का यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।
गौरतलब है कि दो साल पहले आसाराम की गिरफ्तारी के समय आसाराम के आश्रम से पुलिस को 42 बोरे दस्तावेज मिले थे। इन दस्तावेजों में किस-किस को कितना रुपया चलाने के लिए दिया है, इसका जिक्र था। इसके साथ ही पूरे देश में फैली प्रॉपर्टी की जानकारी भी दस्तावेजों में थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब इनकी जांच कर रहा है।
इंदौर में केशव नाचानी के यहां आयकर छापे से भी काफी दस्तावेज मिले थे। इनमें ब्लैक मनी के सबूत थे। इसी आधार पर सूरत की टीम ने दिल्ली इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ मिलकर छापे की प्लानिंग बनाई।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम फिलहाल इंदौर में गुडरिक चाय कंपनी के मालिक लुधियानी और लुधियानी से जुड़े बिल्डर अनिल अग्रवाल, शशि भूषण खंडेलवाल, विजय अग्रवाल, तेजिंदर सिंह घुम्मन, निर्मल अग्रवाल, विष्णु गोविंद राम शर्मा, केशव नाचानी के यहां छापामार कार्यवाही कर रही है। इसके साथ ही घनश्यामदास एंड कंपनी, श्रुति स्नेक्स प्रालि, ओएसिस डेवलपर्स, श्रीराम बिल्डर्स, अपोलो रियल एस्टेट प्रालि, कोन्कोर्ड टी पैकिंग प्रालि, डिजिना रियल एस्टेट डेवलपर्स और जीएसएमटी रियल एस्टेट डेवलपर्स की भी जांच हो रही है। भोपाल में रविंद्र सिंह भाटेजा पर भी कार्यवाही जारी है। इंदौर-भोपाल के साथ ही इनकम टैक्स विभाग सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, कोलकाता, जयपुर और दिल्ली में भी कार्यवाही कर रहा है।
इनकम टैक्स विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन बड़े शहरों के बाद मथुरा-वृंदावन जैसे धार्मिक स्थानों पर छापामार कार्यवाही की जायेगी और पता लगाया जायेगा कि आसाराम बापू का कितना रुपया यहां लगा है और किन-किन कारोबारियों पर है।
यह भी पता लगा है कि मथुरा-वृंदावन की तरह ही आसाराम बापू ने उत्तराखंड के कई धार्मिक शहरों में कारोबारियों को मोटा पैसा ब्याज पर दे रखा है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तथा एनसीआर से सटे होने और देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार होने की वजह से मथुरा-वृंदावन के रियल एस्टेट कारोबार में पिछले कुछ वर्षों के अंदर काफी उछाल आया है।
मथुरा-वृंदावन को प्रॉपर्टी में निवेश के लिहाज से भी काफी बेहतर माना जाता है और इसीलिए यहां रियल एस्टेट के नामचीन नाम अपने प्रोजेक्ट खड़े कर चुके हैं।
सैंकड़ों एकड़ में फैली इनकी कॉलोनियां और उनके अंदर दी जा रही सुविधाएं इस बात का सबूत हैं कि उनके निर्माण में तो मोटी लागत आती ही है, साथ ही खरीदार भी सामान्य व्यक्ति नहीं हो सकता।
यही नहीं, रियल एस्टेट के अरबों रुपए के इस कारोबार को स्थापित करने के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को हर समय पैसों की जरूरत बनी रहती है और उन्हें यह पैसा आसाराम बापू जैसे धर्म के तथाकथित व्यापारियों से ही आसानी के साथ हासिल हो सकता है।
इन कारोबारियों को ब्याज पर पैसा देने वाला आसाराम बापू अकेला धार्मिक व्यापारी नहीं है। मथुरा-वृंदावन में अरबों रुपए लगाकर मठ, मंदिर व आश्रम बनाने वाले दूसरे सुनामधन्य तथाकथित साधु-संतों ने भी अपना तमाम रुपया रियल एस्टेट में लगा रखा है।
अब देखना यह है कि आसाराम के यहां इनकम टैक्स विभाग की छापामारी से खुली इस पोल का दायरा मथुरा-वृंदावन में कहां-कहां तक फैलता है और कौन-कौन उसके निशाने पर आता है।
सूत्रों की मानें तो इस छापामारी के बाद मथुरा-वृंदावन के कई सफेदपोश कारोबारियों के चेहरे बेनकाब होंगे क्योंकि आसाराम का अधिकांश पैसा काले धन की श्रेणी में आता है।
ऐसे में इन सफेदपोश कारोबारियों को आसाराम का पैसा ब्याज पर लेने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
-देशभर में 500 कारोबारियों को बांट रखा है आसाराम ने अपना पैसा
-सिर्फ ब्याज से है आसाराम की 300 करोड़ रुपए सालाना की आमदनी
नाबालिग से बलात्कार के आरोपी आसाराम बापू ने अपनी अकूत संपत्ति का एक हिस्सा देश के जिन शहरों में ब्याज पर उठा रखा है, उनमें मथुरा-वृंदावन भी शामिल हैं।
आसाराम बापू ने अन्य शहरों की तरह मथुरा-वृंदावन में भी अपना पैसा रियल एस्टेट तथा सर्राफा कारोबार से जुड़े लोगों को मोटी ब्याज पर दिया हुआ है।
यूं तो आसाराम ने अपने पैसे को ब्याज पर उठाने की जिम्मेदारी इंदौर (मध्य प्रदेश) निवासी चाय और रियल एस्टेट कारोबारी मोहन लुधियानी को सौंप रखी है जो आसाराम ट्रस्ट का भी पूरा कामकाज संभालता है किंतु मथुरा-वृंदावन में ब्याज पर दिए गए पैसों का जिम्मा कुछ स्थानीय लोगों ने भी ले रखा है। ये लोग आसाराम के तथाकथित भक्त बताए जाते हैं।
देशभर के करीब 500 बड़े कारोबारियों में से मथुरा-वृंदावन के कारोबारियों को भी आसाराम बापू द्वारा ब्याज पर करोड़ों रुपए दिए जाने का खुलासा मध्य प्रदेश के इंदौर में 16 जगहों पर चल रही इनकम टैक्स की जांच से हुआ है।
छापे से पता लगा है कि आसाराम ने अपनी करीब 10 हजार करोड़ रुपए की कुल संपत्ति में से करीब 1677 हजार करोड़ रुपए देशभर के कारोबारियों को ब्याज पर बांट रखे हैं जिनसे उसे लगभग 300 करोड़ रुपए की सालाना आमदनी होती है। हालांकि समाचार लिखे जाने तक छापामार कार्यवाही जारी थी लिहाजा कार्यवाही पूरी होने के बाद रकम का यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।
गौरतलब है कि दो साल पहले आसाराम की गिरफ्तारी के समय आसाराम के आश्रम से पुलिस को 42 बोरे दस्तावेज मिले थे। इन दस्तावेजों में किस-किस को कितना रुपया चलाने के लिए दिया है, इसका जिक्र था। इसके साथ ही पूरे देश में फैली प्रॉपर्टी की जानकारी भी दस्तावेजों में थी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब इनकी जांच कर रहा है।
इंदौर में केशव नाचानी के यहां आयकर छापे से भी काफी दस्तावेज मिले थे। इनमें ब्लैक मनी के सबूत थे। इसी आधार पर सूरत की टीम ने दिल्ली इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ मिलकर छापे की प्लानिंग बनाई।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम फिलहाल इंदौर में गुडरिक चाय कंपनी के मालिक लुधियानी और लुधियानी से जुड़े बिल्डर अनिल अग्रवाल, शशि भूषण खंडेलवाल, विजय अग्रवाल, तेजिंदर सिंह घुम्मन, निर्मल अग्रवाल, विष्णु गोविंद राम शर्मा, केशव नाचानी के यहां छापामार कार्यवाही कर रही है। इसके साथ ही घनश्यामदास एंड कंपनी, श्रुति स्नेक्स प्रालि, ओएसिस डेवलपर्स, श्रीराम बिल्डर्स, अपोलो रियल एस्टेट प्रालि, कोन्कोर्ड टी पैकिंग प्रालि, डिजिना रियल एस्टेट डेवलपर्स और जीएसएमटी रियल एस्टेट डेवलपर्स की भी जांच हो रही है। भोपाल में रविंद्र सिंह भाटेजा पर भी कार्यवाही जारी है। इंदौर-भोपाल के साथ ही इनकम टैक्स विभाग सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, कोलकाता, जयपुर और दिल्ली में भी कार्यवाही कर रहा है।
इनकम टैक्स विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन बड़े शहरों के बाद मथुरा-वृंदावन जैसे धार्मिक स्थानों पर छापामार कार्यवाही की जायेगी और पता लगाया जायेगा कि आसाराम बापू का कितना रुपया यहां लगा है और किन-किन कारोबारियों पर है।
यह भी पता लगा है कि मथुरा-वृंदावन की तरह ही आसाराम बापू ने उत्तराखंड के कई धार्मिक शहरों में कारोबारियों को मोटा पैसा ब्याज पर दे रखा है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तथा एनसीआर से सटे होने और देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार होने की वजह से मथुरा-वृंदावन के रियल एस्टेट कारोबार में पिछले कुछ वर्षों के अंदर काफी उछाल आया है।
मथुरा-वृंदावन को प्रॉपर्टी में निवेश के लिहाज से भी काफी बेहतर माना जाता है और इसीलिए यहां रियल एस्टेट के नामचीन नाम अपने प्रोजेक्ट खड़े कर चुके हैं।
सैंकड़ों एकड़ में फैली इनकी कॉलोनियां और उनके अंदर दी जा रही सुविधाएं इस बात का सबूत हैं कि उनके निर्माण में तो मोटी लागत आती ही है, साथ ही खरीदार भी सामान्य व्यक्ति नहीं हो सकता।
यही नहीं, रियल एस्टेट के अरबों रुपए के इस कारोबार को स्थापित करने के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को हर समय पैसों की जरूरत बनी रहती है और उन्हें यह पैसा आसाराम बापू जैसे धर्म के तथाकथित व्यापारियों से ही आसानी के साथ हासिल हो सकता है।
इन कारोबारियों को ब्याज पर पैसा देने वाला आसाराम बापू अकेला धार्मिक व्यापारी नहीं है। मथुरा-वृंदावन में अरबों रुपए लगाकर मठ, मंदिर व आश्रम बनाने वाले दूसरे सुनामधन्य तथाकथित साधु-संतों ने भी अपना तमाम रुपया रियल एस्टेट में लगा रखा है।
अब देखना यह है कि आसाराम के यहां इनकम टैक्स विभाग की छापामारी से खुली इस पोल का दायरा मथुरा-वृंदावन में कहां-कहां तक फैलता है और कौन-कौन उसके निशाने पर आता है।
सूत्रों की मानें तो इस छापामारी के बाद मथुरा-वृंदावन के कई सफेदपोश कारोबारियों के चेहरे बेनकाब होंगे क्योंकि आसाराम का अधिकांश पैसा काले धन की श्रेणी में आता है।
ऐसे में इन सफेदपोश कारोबारियों को आसाराम का पैसा ब्याज पर लेने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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