(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
बुद्धिजीवी होने का भ्रम पाल लेने वाले पत्रकारों की जमात इस बार अन्ना और उनकी टीम के आंदोलन पर लगातार सवालिया निशान लगा रही है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े लोग विशेष रूप से सवालों की बौछार कर रहे हैं ।
इनके सवाल अपने-अपने चैनलों पर तो तथाकथित शालीनता के दायरे में होते हैं पर फेसबुक व टि्वटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स और वेब पोर्टल्स पर वह शालीनता लगभग गायब मिलती है । वहां यह तबका भी वही आचरण करता है जो जनसामान्य कहने वाला वर्ग कर रहा है ।
बुद्धिजीवी होने का भ्रम पाल लेने वाले पत्रकारों की जमात इस बार अन्ना और उनकी टीम के आंदोलन पर लगातार सवालिया निशान लगा रही है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े लोग विशेष रूप से सवालों की बौछार कर रहे हैं ।
इनके सवाल अपने-अपने चैनलों पर तो तथाकथित शालीनता के दायरे में होते हैं पर फेसबुक व टि्वटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स और वेब पोर्टल्स पर वह शालीनता लगभग गायब मिलती है । वहां यह तबका भी वही आचरण करता है जो जनसामान्य कहने वाला वर्ग कर रहा है ।