(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
संत जयकृष्ण दास के नेतृत्व में यमुना को मुक्त कराने निकले पदयात्रियों की जीत हुई या फिर उन्हें केन्द्र सरकार झुनझुना थमाने में सफल रही?
फिलहाल इस सवाल का जवाब देना तो जल्दबाजी होगी लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा इस यात्रा को लेकर शुरू से अब तक जो रवैया अपनाया गया, उससे उसकी नेक नीयत पर सवाल उठना लाजिमी है।
पहले यह जान लें कि केन्द्र सरकार ने यमुना रक्षक दल की मांगों को किस रूप में और कितना स्वीकार किया है।
सरकार ने हथिनी कुंड से आगे यमुना का पानी छोड़े जाने पर आंशिक सहमति दी है। आंशिक इसलिए कि यमुना रक्षक दल द्वारा 50 प्रतिशत से अधिक पानी छोड़े जाने की शर्त को सरकार ने नहीं माना, अलबत्ता इतना जरूर कहा है कि अब वहां पूरा पानी नहीं रोका जायेगा।
कहने का आशय यह है कि हथिनी कुंड से अब यमुना जल का रिसाव जारी रहेगा जो आंदोलन शुरू होते ही होने लगा था।
संत जयकृष्ण दास के नेतृत्व में यमुना को मुक्त कराने निकले पदयात्रियों की जीत हुई या फिर उन्हें केन्द्र सरकार झुनझुना थमाने में सफल रही?
फिलहाल इस सवाल का जवाब देना तो जल्दबाजी होगी लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा इस यात्रा को लेकर शुरू से अब तक जो रवैया अपनाया गया, उससे उसकी नेक नीयत पर सवाल उठना लाजिमी है।
पहले यह जान लें कि केन्द्र सरकार ने यमुना रक्षक दल की मांगों को किस रूप में और कितना स्वीकार किया है।
सरकार ने हथिनी कुंड से आगे यमुना का पानी छोड़े जाने पर आंशिक सहमति दी है। आंशिक इसलिए कि यमुना रक्षक दल द्वारा 50 प्रतिशत से अधिक पानी छोड़े जाने की शर्त को सरकार ने नहीं माना, अलबत्ता इतना जरूर कहा है कि अब वहां पूरा पानी नहीं रोका जायेगा।
कहने का आशय यह है कि हथिनी कुंड से अब यमुना जल का रिसाव जारी रहेगा जो आंदोलन शुरू होते ही होने लगा था।