रविवार, 11 अगस्त 2013

कंडम बुलेटप्रूफ जैकेट्स के कारण मारे गए भारतीय जवान

नई दिल्‍ली। जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर की सरला पोस्ट पर पाकिस्तान के हमले को लेकर चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हमला भारतीय सेना के यूनिट और ब्रिगेड लेवल पर कमांड और कंट्रोल के फेल होने के कारण हुआ था। सैनिकों ने जो बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखे थे, वे काम नहीं कर रहे थे।
तीन जवानों को काफी नजदीक से छाती में गोलियां मारी गई थीं। सूत्रों के मुताबिक या तो जवानों ने स्टैण्डर्ड बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं पहन रखे थे या जैकेट काम नहीं कर रहे थे। चौथे जवान को आंखों के बीच गोलियां मारी गईं थीं। पांचवें जवान को हाथ और पैरों में गोलियां मारी गईं थीं। बहुत ज्यादा गोलियां लगने के कारण उसकी मौत हुई।

विकास नहीं, विनाश करा रहा है MVDA

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
क्‍या वाकई विकास प्राधिकरण की इस विश्‍व प्रसिद्ध धार्मिक जनपद के विकास में कोई भूमिका है या ये अथॉरिटी विकास की आड़ में विनाश का ऐसा खेल रच रही है जो सरकार से ज्‍यादा अधिकारियों के लिए मुफीद साबित हो रहा है ?
मथुरा-वृंदावन में तिराहों-चौराहों सहित सभी प्रमुख सड़कों के दोनों ओर निगाहें डालने से तो किसी को भी यह मुगालता हो सकता है कि कृष्‍णकालीन यह जिला तरक्‍की के नित नए आयाम स्‍थापित कर रहा होगा लेकिन हकीकत यह है कि शहर के विकास से कई गुना अधिक विकास मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण में तैनात अधिकारियों का हो रहा है और शहरी विकास के नाम पर विनाश की ऐसी इबारत लिखी जा रही है जिसके दुष्‍परिणाम भविष्‍य में अत्‍यंत भयानक साबित होंगे।

PMO ने सेना के हाथ बांध रखे हैं

नई दिल्‍ली। एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने सेना के हाथ बांध रखे हैं। सीनियर कमांडरों के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से लागू किए गए नियमों के कारण ही पाकिस्तान की फौज के हाथों हमारे सैनिक मारे गए हैं। कमांडरों का कहना है कि मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह प्रैक्टिकली पीएमओ के निर्देशों का पालन करते हैं जबकि सार्वजनिक रूप से वे टफ स्टैण्ड लेते हुए दिखाई देते हैं।
सूत्रों के मुताबिक इन दिनों रक्षा मंत्रालय के बाबू टेक्‍टीकल डिसीजन ले रहे हैं जबकि फैसले फील्ड कमांडरों पर छोड़ देने चाहिए। ऑपरेशन मामलों में रक्षा मंत्रालय का हस्तक्षेप खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। कमांडरों के मुताबिक पाकिस्तान के सैनिक हमेशा हम पर ताना कसते हैं कि यह दिल्ली का हुकूम है। इस कारण हमारे सैनिक पाकिस्तान की उकसावे की कार्यवाही का कोई जवाब नहीं देते।
जून 2012 के बाद नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा पार की घटनाओं में बढ़ोत्‍तरी हुई है। जून 2012 में ही जनरल बिक्रम सिंह ने जनरल वीके सिंह से सेना की कमान अपने हाथ में ली थी। हालांकि एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पिछले एक साल में जवाबी कार्यवाही में जो डाइल्यूशन हुआ है उसमें जनरल बिक्रम सिंह की कोई गलती नहीं है। एक अनुशासित सिपाही होने के नाते जनरल सिंह के पास राजनीतिक और नौकरशाही नेतृत्व की ओर सी दी गई नीति का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जिन कमांडरों ने प्रो एक्टिव स्टैंस लिया उनको करियर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है जबकि पाकिस्तान के मामले में ठीक इसका उल्टा है।
-एजेंसी
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...