शनिवार, 13 नवंबर 2021

चुनाव से पहले चुभता सवाल: क्या “राम नगरी” और “कृष्‍ण नगरी” में भेदभाव बरत रही है योगी सरकार?


 











भगवान विष्‍णु के आठवें पूर्ण अवतार महाभारत नायक योगीराज श्रीकृष्‍ण की पावन जन्‍मस्‍थली मथुरा को लेकर गरुण पुराण में कहा गया है- “अयोध्‍या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्‍जैन), पुरी, द्वारावती चैव सप्‍तैता मोक्षदायिका”।

गर्ग संहिता में कहा गया है कि पुरियों की रानी कृष्णापुरी ‘मथुरा’ बृजेश्वरी है, तीर्थेश्वरी है, यज्ञ तपोनिधियों की ईश्वरी है, यह मोक्ष प्रदायिनी धर्मपुरी मथुरा नमस्कार योग्य है।
पद्म पुराण के अनुसार- काश्यात्यो यद्यपि सन्ति पुर्यस्तासां हु मध्ये मथुरैव धन्या। तां पुरी प्राप्त मथुरांमदीयां सुर दुर्लभाम्।।
ऋग्वेद की एक ऋचा में ब्रज के बाबत इन्द्र कहते हैं “अहो मधुपुरी धन्या, वैकुण्ठाच्च गरीयसी। बिना कृष्ण प्रसादेन, क्षणमेकं न तिष्ठति।।’”
अर्थात् मधुपुरी (मथुरा) धन्य और वैकुण्ठ से भी श्रेष्ठ है, वैकुण्ठ में तो मनुष्य अपने पुरुषार्थ से पहुंच सकता है पर यहां श्रीकृष्ण की आज्ञा के बिना कोई एक क्षण भी ठहर नहीं सकता।’
सोलह कला अवतार भगवान श्रीकृष्‍ण की जिस जन्‍मभूमि मथुरा की महिमा और महत्ता से हमारे तमाम धर्मग्रन्‍थ भरे पड़े हैं, उस पवित्र ब्रज भूमि के वासी आज यह प्रश्‍न पूछने को क्यों मजबूर हैं कि क्या योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ”राम नगरी” और कृष्‍ण नगरी” में भेदभाव बरत रही है?
दरअसल, योगी सरकार ने पिछले दिनों कृष्‍ण की इस नगरी के कुल 72 वार्डों में से मात्र 22 वार्डों को तीर्थस्‍थल घोषित किया है जबकि मथुरा का तो कण-कण आज भी श्रीकृष्‍ण की उपस्‍थिति का अहसास कराता है।
ब्रज रज की महिमा का उल्‍लेख करते हुए लिखा गया है कि “मुक्‍ति कहे गोपाल से, मेरी मुक्‍ति बताय, ब्रज रज उड़ मस्‍तक लगे तो मुक्‍ति मुक्‍त है जाय”।
यानी बारबार जन्‍म और मरण के बंधन को तोड़ने वाली ‘मुक्‍ति’ को भी ब्रज की रज ही मुक्‍ति प्रदान कर सकती है।
सौभाग्‍य से उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री एक योगी हैं और वो गोरखनाथ पीठ के महंत भी हैं लिहाजा धर्म के बारे में उनके ज्ञान पर उंगली नहीं उठाई जा सकती, किंतु ऐसा लगता है कि मथुरा को लेकर राजनैतिक कारणों से उन्‍हें भ्रमित किया जा रहा है।
योगी जी को यह समझना होगा कि ब्रज ‘चौरासी कोस’ में फैला है और इस संपूर्ण चौरासी कोस की यात्रा का केन्‍द्रबिंदु ‘मथुरा’ है, जहां से ‘अंतग्रही’ करके ब्रजयात्रा का शुभारंभ किया जाता है। प्रतिवर्ष इसके लिए लाखों लोग देशभर से आते हैं।
भौगोलिक दृष्‍टि से बेशक आज इस यात्रा के बहुत से पड़ाव पड़ोसी राज्‍य राजस्‍थान की सीमा में आते हैं किंतु जो हिस्‍से यूपी की सीमा में हैं, वो निर्विवाद हैं इसलिए उन्‍हें टुकड़ों में बांटकर तीर्थस्‍थल घोषित करना समझ से परे है।
हालांकि योगी आदित्‍यनाथ की सरकार से पहले भी राजनीतिक जगत में मथुरा उपेक्षित ही थी लेकिन पहले केंद्र में मोदी सरकार और फिर राज्‍य में योगी सरकार बन जाने के बाद ब्रजवासियों को उम्‍मीद थी कि अब शायद कृष्‍ण नगरी का विकास उसकी प्रतिष्‍ठा व गरिमा के अनुरूप होगा, परन्‍तु ऐसा होते दिखाई नहीं दे रहा।
बाहरी कलाकारों पर लाखों रुपया खर्च करके कभी ‘होली उत्‍सव’ तो कभी ‘ब्रज रज उत्‍सव’ मना लेने से मथुरा का विकास नहीं हो सकता। मथुरा का संपूर्ण विकास तभी संभव है जब किसी सरकार के मन में राजनीति से परे इसके विकास की ईमानदार इच्‍छा हो और वो इसके लिए वो ऐसे लोगों को जोड़े जो ब्रजभूमि की समस्‍याओं से भलीभांति परिचित हों तथा निस्‍वार्थ भाव रखते हुए सरकार का मार्गदर्शन कर सकें अन्‍यथा ”तमाशे” चाहे जितने ही क्‍यों न कर लिए जाएं, मूर्धन्‍यों का मखौल इसी प्रकार उड़ता रहेगा।
2014 के लोकसभा चुनावों से पहले मथुरा में अपनी चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेन्‍द्र मोदी ने साबरमती की भांति यमुना को प्रदूषण मुक्‍त कराने वादा किया था किंतु 7 साल बाद भी कृष्‍ण की पटरानी कहलाने वाली कालिंदी (यमुना) प्रदूषण से मुक्‍ति का इंतजार कर रही है। वो भी तब जबकि यमुनोत्री के उद्गम स्‍थल के बाद मथुरा ही यमुना का एकमात्र प्रसिद्ध तीर्थस्‍थल है।
यहां विश्राम घाट पर यम और यमुना (भाई-बहिन) के मंदिर हैं और ऐसी मान्‍यता है कि यमद्वितिया (भैया दौज) के दिन यदि भाई-बहिन हाथ पकड़कर यमुना स्‍नान करते हैं तो उन्‍हें यम के फांस से मुक्‍ति मिलती है। इसीलिए इस पर्व पर यहां देशभर से लाखों श्रद्धालु स्‍नान करने आते हैं।
मथुरा जनपद के कोसी क्षेत्र अंतर्गत कोकिलावन में शनिदेव का कृष्‍णकालीन मंदिर है और यहां भी प्रति शनिवार और मंगलवार दूर-दूर से यात्रा करके बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। कृष्‍ण की आल्‍हादिनी शक्‍ति राधा ने भी इसी मथुरा के रावल में जन्‍म लिया था। बरसाना भी राधा (लाड़िली जू) का भव्‍य मंदिर है जहां प्रतिवर्ष राधाअष्‍टमी घूमधाम से मनाई जाती है।
ये तो उदाहरण मात्र हैं अन्‍यथा मथुरा का चप्‍पा-चप्‍पा तीर्थस्‍थल है, फिर उसे हिस्‍सों में बांटकर तीर्थस्‍थल घोषित करने की कोशिश सिवाय राजनीतिक प्रपंच के और कुछ नहीं हो सकता।
कहने के लिए बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी यहां से लगातार दूसरी बार लोकसभा पहुंची हैं और स्‍थानीय विधायक श्रीकांत शर्मा तथा लक्ष्‍मीनारायण चौधरी योगी सरकार में कबीना मंत्री हैं।
मथुरा के मेयर का पद भी भाजपा के पास है और जिले की पंचायत पर भी भाजपा का कब्‍जा है, बावजूद इसके यमुना में प्रदूषण कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है।
यमुना को प्रदूषण मुक्‍त और मथुरा का उसकी गरिमा के अनुरूप विकास कराने के केंद्र तथा राज्‍य सरकार के दावे उतने ही खोखले साबित हो रहे हैं, जितने कि पूर्ववर्ती सरकारों में साबित हुए थे।
आश्‍चर्य इस बात पर है कि यमुना को प्रदूषण मुक्‍त किए जाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले राज्‍य हरियाणा में भी भाजपा की सरकार है लेकिन पता नहीं क्‍यों यमुना की दयनीय दशा में कोई सुधार न हुआ है और न होता दिखाई दे रहा है।
एकबार फिर उत्तर प्रदेश में चुनाव होने जा रहे हैं और योगी सरकार धर्म की ध्‍वजा के बूते दोबारा सत्ता पर काबिज होने का सपना संजोए बैठी है। श्रीराम भी भगवान विष्‍णु के अवतार थे और श्रीकृष्‍ण भी… फिर दोनों की जन्‍मस्‍थलियों में इतना भेदभाव क्‍यों, यह पूछने का अधिकार तो कृष्‍ण जन्मभूमि के वासियों का बनता ही है।
चूंकि चुनाव लगभग सिर पर आ चुके हैं और आचार संहिता लागू होने में थोड़ा ही समय बचा है तो यह प्रश्‍न और भी प्रासांगिक हो जाता है। बस जरूरत है तो इस बात की कि राजनीति से अधिक धर्म को समझने वाले योगी आदित्‍यनाथ ब्रजवासियों की भावना को भी समझें और समय रहते उसके अनुरूप निर्णय लें तो बेहतर होगा। उनके लिए भी और उनकी पार्टी के लिए भी, अन्यथा चुनाव हर पांच साल बाद होने ही हैं।
बेशक तीर्थस्‍थल के रूप में संपूर्ण मथुरा किसी नई पहचान की मोहताज नहीं है और टुकड़ों में बांटकर की जा रही घोषणाओं से उसकी महत्‍ता कम नहीं होगी परंतु इतना जरूर होगा कि राजनीति व नेकनीयती का फर्क सामने आ जाएगा।
हो सकता है कि यह फर्क इस बार नहीं तो अगली बार अपना असर दिखाए, क्‍योंकि बात निकली है तो दूर तक जाएगी ही।
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी 

312.50 करोड़ के फ्रॉड केस में “नयति” की चेयरपर्सन नीरा राडिया से EOW ने की 4 घंटे तक पूछताछ


 312.50 करोड़ रुपए के कर्ज का गबन करने के मामले में दिल्‍ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गत 27 अक्‍टूबर को नयति हेल्थकेयर की चेयरपर्सन और प्रमोटर नीरा राडिया से करीब 4 घंटे कड़ी पूछताछ की है।

दरअसल, नयति हेल्थकेयर के दो निदेशकों यतीश वहाल और सतीश कुमार नरुला को गत दिनों इस मामले में एक अन्‍य व्‍यक्‍ति राहुल सिंह के साथ गिरफ्तार किए जाने के बाद पुलिस ने राडिया को जांच में शामिल होने के लिए तलब किया था।
पिछले साल 4 नवंबर को पुलिस ने आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. राजीव कुमार शर्मा की शिकायत पर नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, नीरा राडिया, उनकी बहन करुणा मेनन, सतीश नरुला और यतीश वहल पर धोखाधड़ी, अमानत में खयानत, खातों में हेराफेरी, फ्रॉड, धन के गबन समेत अन्य आरोपों के तहत एक FIR दर्ज की थी।
हालांकि नयति हेल्थकेयर के एक प्रवक्ता ने राडिया के खिलाफ आरोपों से इंकार करते हुए दावा किया था कि प्राथमिकी “निराधार” है और कंपनी बोर्ड हेराफेरी के आरोपों की जांच कर रहा है।
FIR के अनुसार आरोपियों ने दो अस्पतालों गुड़गांव में नयति मेडिसिटी और दिल्ली में विमहंस के लिए कर्ज लिया था, जहां डॉ. शर्मा “प्रमुख पदों” पर थे। शर्मा ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से इन दो परियोजनाओं का धोखाधड़ी पूर्वक एक बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया, जिसे बाद में नयति हेल्थकेयर एनसीआर नाम दिया गया।
शर्मा ने आरोप लगाया कि आरोपी ने अस्पताल को विकसित करने के लिए 312.50 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और फिर निजी इस्तेमाल के लिए कर्ज का पैसा ट्रांसफर करने को ‘फर्जी खाते’ बनाए।
EOW के अतिरिक्त पुलिस कमिश्‍नर आर के सिंह के अनुसार “यस बैंक से 312.50 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त करने के बाद अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन के नाम से 208 करोड़ रुपये एक बैंक खाते में स्थानांतरित किए गए। जांच करने पर पता चला कि यह खाता अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन के प्रमोटर राहुल सिंह यादव ने खोला था। खातों को वहाल और नरुला द्वारा अधिकृत किया गया था।”
पुलिस के अनुसार नीरा राडिया से उसने लगभग 50 प्रश्न पूछे। राडिया ने सभी सवालों के जवाब दिए लेकिन 312.50 करोड़ रुपये के कर्ज पर संतोषजनक जवाब नहीं दिया। पुलिस ने बताया कि आने वाले दिनों में नीरा राडिया को फिर तलब किया जाएगा।
गौरतलब है कि मथुरा में नीरा राडिया ने दिल्‍ली-आगरा राष्‍ट्रीय राजमार्ग नंबर- 2 पर नयति मल्टी सुपर स्पेशलिटी के नाम से एक हॉस्पिटल खोला था, जो पिछले करीब ढाई महीने से बंद पड़ा है। नीरा राडिया के इस हॉस्पिटल में प्रसिद्ध चार्टर्ड एकाउंटेंट दीनानाथ चतुर्वेदी के पुत्र राजेश चतुर्वेदी का नाम भी बतौर प्रमोटर्स शामिल है। हॉस्पिटल बंद होने के बाद से नयति के कर्मचारी अपने वेतन तक को तरस गए हैं जबकि हॉस्पिटल के प्रबंधतंत्र का कहना है कि मेंटिनेंस के चलते हॉस्पिटल को कुछ समय के लिए बंद किया गया है।
बहरहाल, ”2G स्‍पैक्‍ट्रम” घोटाला हो या “पनामा लीक्‍स” और पेंडोरा लीक मामला, नीरा राडिया का नाम हर एक से जुड़ा है जिससे इतना तो साफ होता है कि नयति के मालिकों में शुमार इस महिला की न तो नीयत ठीक है और न नेकी से इसका दूर-दूर तक कोई संबंध है।
यही कारण है कि आने वाला समय नीरा राडिया के लिए और मुश्‍किल भरा हो सकता है, साथ ही नीरा राडिया के नयति की नीयति भी यही समय तय करने वाला है।
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी

मिशन यूपी: एक-तिहाई मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है BJP


 यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर BJP की ठोस रणनीति तैयार करने के लिए अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद एक्टिव होने जा रहे हैं। वह 29 अक्टूबर को लखनऊ पहुंचेंगे और मिशन यूपी को अंजाम देने के लिए पार्टी के दिग्गजों सहित संगठन के दूसरे नेताओं से भी मीटिंग करेंगे। अमित शाह के इस दौरे से यूपी बीजेपी में खलबली मच गई है। दरअसल, इस खलबली की बड़ी वजह यह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने एक-तिहाई मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है। बताया जाता है कि इस बारे में पार्टी ने अपना मन पूरी तरह बना लिया है।

किन नेताओं पर गिरेगी गाज?
जाहिर है कि ऐसे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि टिकट गंवाने वालों की लिस्ट में कौन-कौन से नेता का नाम हो सकता है। इन नेताओं की तादाद 100 तक जा सकती है। वैसे बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इनमें प्रमुख रूप से वो बीजेपी विधायक शामिल हैं जो 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दूसरे दलों से बीजेपी में आए थे, लेकिन फिर आलाकमान की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। इनमें कुछ ऐसा पार्टी नेता भी शामिल हो सकते हैं जिनका कामकाज संतोषजनक नहीं रहा और वे सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
​इस फैसले से बीजेपी को कितना नुकसान?
वैसे बीजेपी के अंदर इसकी चर्चा भी हो रही है कि कहीं इतनी तादाद में विधायकों के टिकट काटने से चुनाव में पार्टी को नुकसान ना हो। इसका उल्टा असर भी हो सकता है। हालांकि जो लोग मोदी-शाह की चुनावी शैली को जानते हैं, उनका कहना है कि ऐसे खतरे लेने से दोनों दिग्गज बिल्कुल नहीं हिचकते हैं।
​बीजेपी की कुछ ऐसी रणनीति
2017 के चुनाव में बीजेपी की झोली में 312 सीटें आई थीं और 39.67 फीसदी वोट मिले थे। एक बार फिर से बीजेपी उससे बढ़कर जबर्दस्त प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने 1.5 करोड़ नए मेंबर्स जोड़ने का लक्ष्य रखा है। अभी बीजेपी के पास 2.3 करोड़ मेंबर्स हैं और इसकी संख्या बढ़ाने पर पार्टी का पूरा फोकस है।
संभावित नुकसान के लिए यह प्लान
2014 लोकसभा चुनाव में शाह को खुद पीएम मोदी ने ‘मैन ऑफ द सीरीज’ घोषित किया था और शाह ने इसे साबित भी किया था। सवर्ण और गैर यादव-ओबीसी वोटों को एकजुट कर बीजेपी ने करिश्माई प्रदर्शन किया था और यूपी में बीजेपी को नई जिंदगी मिली थी। एक बार फिर से शाह कुछ ऐसी ही रणनीति बनाने में जुटे हैं। बीजेपी मेंबर्स की संख्या बढ़ाना बीजेपी की प्रमुख रणनीतियों में एक है।
​इन नेताओं का टिकट क्यों काट रही बीजेपी?
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सीनियर नेता मौजूदा विधायकों के कामकाज का भी आंकलन कर रहे हैं। इसमें विधानसभा क्षेत्र में विधायक की छवि, कामकाज और आम लोगों की राय भी ली जा रही है। इसी आधार पर इन नेताओं के टिकट बरकरार या काटने पर फैसले लिए जाएंगे। यूपी बीजेपी का कहना है कि अभी जो इसको लेकर भी अड़चन या संशय है, शाह के आने से वह दूर हो जाएगी।
-Legend News

राडिया की नीयत में खोट का ही नतीजा है ‘नयति’ का इस “नियति” को प्राप्‍त होना, 5 वर्ष पहले जता दी थी आशंका

 


28 फरवरी 2016 को देश के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा के हाथों जब “2G स्‍पैक्‍ट्रम” घोटाला फेम और “पनामा लीक्‍स” चर्चित महिला लाइजनर “नीरा राडिया” ने योगीराज भगवान श्रीकृष्‍ण की नगरी में ‘नयति’ के नाम से सुपर स्पेशलिटी हॉस्‍पिटल का उद्घाटन कराया था तो ऐसा लगा जैसे ईश्‍वर ने ब्रजवासियों की बात सुन ली क्‍योंकि मथुरा जनपद तब स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के मामले में काफी पिछड़ा हुआ था।

लेकिन कॉरपोरेट लॉबिस्‍ट नीरा राडिया द्वारा समाजसेवा की आड़ लेकर कृष्‍ण नगरी में खोला गया ‘नयति’ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बहुत जल्‍द नित-नए विवादों का केंद्र बन गया लिहाजा Legend News ने 23 जून 2016 को “नीरा राडिया के नयति की नीयत में ही खोट लगता है” शीर्षक से एक खबर प्रकाशित की।
इस खबर से बौखलाकर ‘नयति’ की ओर से उसकी लॉ फर्म ARCINDO Law Advotactes & Solicitors द्वारा लीगल नोटिस भी भेजा गया किंतु Legend News की और से जब इस लॉ फर्म को तथ्‍यों सहित जवाब दिया गया और किसी भी सूरत में कोई खंडन न छापने तथा केस लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार रहने को कहा गया तो ‘नयति’ के प्रबंधतंत्र को सांप सूंघ गया।


आखिर ‘नयति’ ने भविष्‍य में शिकायतें ठीक करने का आश्‍वासन देकर जैसे-तैसे अपनी साख बचाने में ही भलाई समझी।
बहरहाल, 5 साल पहले अपनी खबर के माध्‍यम से “लीजेण्‍ड न्‍यूज़” द्वारा लिखी गईं वो लाइनें अब सच साबित होती दिखाई दे रही हैं जिनमें आशंका जताई गई थी कि यही हाल रहा तो ‘नयति’ बहुत जल्‍द बंद हो जाएगा क्‍योंकि नयति के मालिकानों का मथुरा जैसे विश्‍व प्रसिद्ध धार्मिक स्‍थान पर अत्‍याधुनिक सुविधाओं से युक्‍त हॉस्‍पिटल खोलने का मकसद चाहे जो भी हो, कम से कम जनसेवा तो नहीं लगता।
23 जून 2016 को लिखी गई इस पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्‍लिक करके पढ़ सकते हैं-
https://bhrashtindia.blogspot.com/2016/06/blog-post_23.html
अब नई खबर यह है कि “नयति हॉस्‍पिटल” में फिलहाल ताला डाल दिया गया है क्‍योंकि उस पर एक ओर जहां बिजली विभाग का 01 करोड़ 33 लाख रुपयों का भारी-भरकम बिल बकाया है वहीं दूसरी ओर स्‍टाफ को भी कई माह से वेतन नहीं दिया गया है। हालांकि हॉस्‍पिटल में ताला लगने का कारण ‘नियति’ का प्रबंधतंत्र कुछ और बता रहा है। उसका कहना है कि हॉस्‍पिटल में मरम्‍मत आदि का काम कराए जाने की वजह से उसे 3 महीने के लिए बंद किया गया है किंतु इस कथन में सच्‍चाई कम प्रतीत होती है क्‍योंकि नयति द्वारा बताए गए 3 माह के समय में से पूरे दो माह का समय बीत चुका है और हॉस्‍पिटल में ऐसी कोई गतिविधि नजर नहीं आ रही जिससे उसके दोबारा खुलने की संभावना महसूस होती हो।
जो भी हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि ‘नियति’ आज जिस दशा को प्राप्‍त है उसके पीछे तमाम लोगों की बद्दुआओं के साथ-साथ मालिकानों की ‘बदनीयती’ एक बड़ा कारण है अन्‍यथा ऐसा न होता कि अनेक शिकायतों के बावजूद ‘नयति’ के प्रबंधतंत्र पर किसी पीड़ित के आंसुओं का कोई प्रभाव न पड़ता और वो वर्षों तक मनमानी करते हुए हॉस्‍पिटल को सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने का जरिया बनाए रखते।
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी 

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