नीरा राडिया के ”नयति” की ”नीयत” में ही खोट लगता है। अत्याधुनिक
सुख-सुविधाओं से लैस ”नयति” उस हॉस्पील का नाम है जिसे ”2G स्पैक्ट्रम”
घोटाला फेम और ”पनामा लीक्स” चर्चित महिला लाइजनर ”नीरा राडिया” ने मथुरा
में राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर- 2 के किनारे बनाया है।
बताया जाता है कि इस हॉस्पीटल के प्रमोटर्स में रिलायंस ग्रुप ऑफ कंपनीज के फायनेंशियल एडवाइजर दीनानाथ चतुर्वेदी के पुत्र राजेश चतुर्वेदी का नाम भी शामिल है। चार्टर्ड एकाउंटेंट दीनानाथ चतुर्वेदी मूल रूप से मथुरा के ही निवासी हैं और नीरा राडिया को हॉस्पीटल के लिए सारे संसाधन जुटाकर देने में दीनानाथ चतुर्वेदी अथवा उनके पुत्र राजेश की बड़ी भूमिका रही है।
चाहे बात रालोद नेता कुवंर नरेन्द्र सिंह से हॉस्पीटल के लिए जमीन किराए पर दिलाने की हो, या फिर स्थानीय बैंकों से हॉस्पीटल के लिए कर्ज मुहैया कराने की। दरअसल, कुंवर नरेन्द्र सिंह का निवास अवागढ़ हाउस तथा दीनानाथ चतुर्वेदी का आवास ”तुलसी विला” डैंपियर नगर में लगभग बराबर-बराबर हैं यानि दीनानाथ चतुर्वेदी मथुरा में कुंवर नरेन्द्र सिंह के पड़ोसी हैं इसलिए दीनानाथ चतुर्वेदी के लिए कुंवर नरेन्द्र सिंह से ”नयति” की खातिर संपर्क साधना बहुत आसान था।
यूं दीनानाथ चतुर्वेदी की छवि मथुरा में एक सुहृदय व्यक्ति की रही है इसलिए आम लोगों के बीच यह उत्सुकता भी है कि आखिर दीनानाथ चतुर्वेदी ने नयति हॉस्पीटल के लिए नीरा राडिया जैसी 2G तथा पनामा लीक्स फेम महिला का साथ क्यों दिया।
बताया जाता है कि लोगों की इस उत्सुकता का पता तब आसानी के साथ लग सकता है जब कोई दीनानाथ चतुर्वेदी की तरक्की के पीछे की उन कहानियों को सुन ले जो मुंबई जाकर बस गए दूसरे चतुर्वेदी परिवारों की जुबान पर हैं।
बताया जाता है कि मथुरा में भले ही दीनानाथ चतुर्वेदी एक ऐसे सुहृदय व्यक्ति की छवि रखते हों जिसने मुंबई जाकर अप्रत्याशित तरक्की हासिल की तथा मथुरा के तमाम लोगों के लिए रोजगार मुहैया कराया किंतु मुंबई में इन्हें लेकर चर्चित कहानियां कुछ और ही कहती हैं।
जिन्होंने इन कहानियों को बनते देखा है, उनकी मानें तो पता लगता है कि नीरा राडिया जैसी महिला के साथ दीनानाथ चतुर्वेदी का साथ आना, कोई चौंकाने वाली बात नहीं है।
बहरहाल, भारी-भरकम किराए की जमीन पर खड़ा किया गया यह होटलनुमा हॉस्पीटल पहले दिन से ही इसलिए चर्चित हो गया कि इसका उद्घाटन देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के कर कमलों से हुआ। नीरा राडिया की पहचान रतन टाटा की कंपनियों के लिए ही लाइजनिंग करने वाली हाईप्रोफाइल महिला के रूप में रही है।
इसके बाद नीरा राडिया के इस हॉस्पीटल की चर्चा तब शुरू हुई जब वहां मथुरा-आगरा के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स को तोड़कर लाया गया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन डॉक्टर्स को उनके तत्कालीन वेतन से कई गुना अधिक वेतन पर नयति में नियुक्त किया गया जिससे मथुरा-आगरा के चिकित्सा जगत में एक प्रकार की भगदड़ का माहौल पैदा हुआ।
फिर नयति द्वारा विधिवत् काम शुरू कर देने के बाद पता लगा कि मथुरा के लोगों की सेवा करने तथा उन्हें अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने के प्रचार सहित खोले गए इस हॉस्पीटल में चिकित्सा काफी महंगी है और जनसामान्य के लिए तो वहां उपचार कराना संभव ही नहीं है।
देखते-देखते नयति से ऐसी खबरें भी बाहर आने लगीं कि वहां भी लोगों से पैसे वसूलने के लिए वो सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, जिनके लिए दूसरे मशहूर अस्पताल पहले से बदनाम हैं। मसलन मरीज की नाजुक स्थिति का हवाला देकर मोटी रकम जमा करा लेना, विशेषज्ञ चिकित्सकों की आड़ में मनमानी फीस वसूलना, पैसा जमा करने में जरा सी भी देरी हो जाने पर मरीज व उसके परिजनों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करना तथा कैजुअलिटी हो जाने पर पूरा बिल वसूल किए बिना लाश न देना आदि।
हाल ही में एक ऐसे ही मामले को लेकर हॉस्पीटल में काफी हंगामा हुआ और बमुश्किल पुलिस के हस्तक्षेप से विवाद का पटाक्षेप हो पाया।
बताया जाता है कि मथुरा-भरतपुर रोड पर गत रविवार की रात अज्ञात वाहन की टक्कर से बाइक सवार तेजवीर सिंह गंभीर घायल हो गया। तेजवीर को जिला अस्पताल से रैफर करने पर नयति हॉस्पीटल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान सोमवार को उसकी मौत हो गई।
तेजवीर के परिजन हॉस्पीटल के कर्मचारियों द्वारा अभद्र व्यवहार करने तथा उपचार के बिल का पूरा पैसा वसूल कर ही शव देने की जिद पर अड़े होने जैसी शिकायत कर रहे थे। हॉस्पीटल में हंगामे की सूचना पाकर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने जैसे-तैसे मृतक के परिजनों को शांत कराया, और शव उनके सुपुर्द किया अन्यथा बड़ी घटना होने का अंदेशा पैदा हो चुका था।
इससे पहले भी एक बच्चे के पेट में कील घुस जाने पर जब उसके परिजन नयति में उपचार कराने पहुंचे तो पहले उन्हें भयभीत करके 60 हजार रुपए जमा करा लिए और फिर इकठ्ठे आठ लाख रुपए का बिल थमा दिया। बच्चे के परिजनों द्वारा हिसाब मांगे जाने पर उनके साथ हॉस्पीटल के कर्मचारी अभद्र व्यवहार करने लगे।
इस मामले हॉस्पीटल की पदाधिकारी शिवानी शर्मा ने मीडिया को बताया कि बच्चे के परिजनों से अभद्र व्यवहार करने वाले कर्मचारी राजीव शर्मा को हटा दिया गया है और जांच बैठा दी गई है। राजीव शर्मा को भले ही हटा दिया गया हो लेकिन शिवानी शर्मा के कथन से इस बात की तो पुष्टि होती ही है कि बच्चे के परिजनों से हॉस्पीटल में अभद्र व्यवहार किया गया।
इन सब बातों के अलावा यह भी पता लगा है कि नयति हॉस्पीटल में कार्यरत कर्मचारियों तथा वहां ठेके आदि पर काम करने व कराने वाले दूसरे लोगों को पैसा देने में बहुत परेशान किया जा रहा है।
ऐसे ही एक इमरान नामक युवक ने बताया कि उसे नयति हॉस्पीटल में काम करने के नाम पर ले जाया गया और तीन महीने काम कराने के बाद अचानक घर जाने को कह दिया गया। वेतन का पैसा मांगने पर पता लगा कि इमरान व उसके जैसे दूसरे अन्य युवकों को नयति के नाम पर ठेकेदार के अंडर में रखा गया था लिहाजा वेतन का भुगतान भी ठेकेदार से लेने की बात कह दी गई।
अब इमरान व उसके जैसे अनेक युवक अपना तीन महीने का वेतन पाने के लिए कभी ठेकेदार बताए गए व्यक्ति के तो कभी नयति हॉस्पीटल के चक्कर लगाने पर मजबूर हैं किंतु उन्हें अब तक एक भी पैसा नहीं मिला।
दूसरी ओर जब इस संबंध में नयति के लिए ठेके पर काम करने वाले लोगों से बात की तो उनका कहना था कि हमें खुद हॉस्पीटल प्रशासन ने महीनों से पेमेंट नहीं किया है। किसी का 15 लाख रुपया बकाया है तो किसी का 20 लाख। अधिकांश लोग पेमेंट के लिए हॉस्पीटल के चक्कर लगाते देखे जा सकते हैं लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं है।
इन हालातों को देखकर तो यही लगता है कि नयति के मालिकानों की नीयत ठीक नहीं है और उनका मथुरा जैसे विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थान पर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त हॉस्पीटल खोलने का मकसद चाहे जो भी हो, कम से कम जनसेवा तो नहीं था।
मथुरा की जनता अब नयति की नीयत को देखकर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है और उसे समझ में आने लगा है कि नीरा राडिया व दीनानाथ चतुर्वेदी के इस हॉस्पीटल का असली मकसद कुछ और ही है। जनता को दुख है तो इस बात का कि जिसे वह पीड़ित मानवता के सेवा के लिए मथुरा में एक वरदान समझ रहे थे, वह बहुत कम समय में अभिशाप साबित होने लगा है।
अब लोगों को ”नयति” की ”नियति” का भी आभास होने लगा है और वो कहने लगे हैं कि इस तरह तो नयति के संचालक बहुत दिनों तक जनता को मूर्ख नहीं बना पायेंगे।
बेहतर होगा कि वो समय रहते अपना छद्म मकसद त्यागकर हॉस्पीटल की मान्यताओं को पूरा करने लगें अन्यथा किसी दिन नयति न केवल मथुरा में किसी बड़े उपद्रव का कारण बनेगा बल्कि जितने शोर-शराबे के साथ शुरू हुआ था, उससे अधिक शोर-शराबे के साथ बंद भी हो जायेगा।
-लीजेंड न्यूज़
बताया जाता है कि इस हॉस्पीटल के प्रमोटर्स में रिलायंस ग्रुप ऑफ कंपनीज के फायनेंशियल एडवाइजर दीनानाथ चतुर्वेदी के पुत्र राजेश चतुर्वेदी का नाम भी शामिल है। चार्टर्ड एकाउंटेंट दीनानाथ चतुर्वेदी मूल रूप से मथुरा के ही निवासी हैं और नीरा राडिया को हॉस्पीटल के लिए सारे संसाधन जुटाकर देने में दीनानाथ चतुर्वेदी अथवा उनके पुत्र राजेश की बड़ी भूमिका रही है।
चाहे बात रालोद नेता कुवंर नरेन्द्र सिंह से हॉस्पीटल के लिए जमीन किराए पर दिलाने की हो, या फिर स्थानीय बैंकों से हॉस्पीटल के लिए कर्ज मुहैया कराने की। दरअसल, कुंवर नरेन्द्र सिंह का निवास अवागढ़ हाउस तथा दीनानाथ चतुर्वेदी का आवास ”तुलसी विला” डैंपियर नगर में लगभग बराबर-बराबर हैं यानि दीनानाथ चतुर्वेदी मथुरा में कुंवर नरेन्द्र सिंह के पड़ोसी हैं इसलिए दीनानाथ चतुर्वेदी के लिए कुंवर नरेन्द्र सिंह से ”नयति” की खातिर संपर्क साधना बहुत आसान था।
यूं दीनानाथ चतुर्वेदी की छवि मथुरा में एक सुहृदय व्यक्ति की रही है इसलिए आम लोगों के बीच यह उत्सुकता भी है कि आखिर दीनानाथ चतुर्वेदी ने नयति हॉस्पीटल के लिए नीरा राडिया जैसी 2G तथा पनामा लीक्स फेम महिला का साथ क्यों दिया।
बताया जाता है कि लोगों की इस उत्सुकता का पता तब आसानी के साथ लग सकता है जब कोई दीनानाथ चतुर्वेदी की तरक्की के पीछे की उन कहानियों को सुन ले जो मुंबई जाकर बस गए दूसरे चतुर्वेदी परिवारों की जुबान पर हैं।
बताया जाता है कि मथुरा में भले ही दीनानाथ चतुर्वेदी एक ऐसे सुहृदय व्यक्ति की छवि रखते हों जिसने मुंबई जाकर अप्रत्याशित तरक्की हासिल की तथा मथुरा के तमाम लोगों के लिए रोजगार मुहैया कराया किंतु मुंबई में इन्हें लेकर चर्चित कहानियां कुछ और ही कहती हैं।
जिन्होंने इन कहानियों को बनते देखा है, उनकी मानें तो पता लगता है कि नीरा राडिया जैसी महिला के साथ दीनानाथ चतुर्वेदी का साथ आना, कोई चौंकाने वाली बात नहीं है।
बहरहाल, भारी-भरकम किराए की जमीन पर खड़ा किया गया यह होटलनुमा हॉस्पीटल पहले दिन से ही इसलिए चर्चित हो गया कि इसका उद्घाटन देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के कर कमलों से हुआ। नीरा राडिया की पहचान रतन टाटा की कंपनियों के लिए ही लाइजनिंग करने वाली हाईप्रोफाइल महिला के रूप में रही है।
इसके बाद नीरा राडिया के इस हॉस्पीटल की चर्चा तब शुरू हुई जब वहां मथुरा-आगरा के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स को तोड़कर लाया गया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन डॉक्टर्स को उनके तत्कालीन वेतन से कई गुना अधिक वेतन पर नयति में नियुक्त किया गया जिससे मथुरा-आगरा के चिकित्सा जगत में एक प्रकार की भगदड़ का माहौल पैदा हुआ।
फिर नयति द्वारा विधिवत् काम शुरू कर देने के बाद पता लगा कि मथुरा के लोगों की सेवा करने तथा उन्हें अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने के प्रचार सहित खोले गए इस हॉस्पीटल में चिकित्सा काफी महंगी है और जनसामान्य के लिए तो वहां उपचार कराना संभव ही नहीं है।
देखते-देखते नयति से ऐसी खबरें भी बाहर आने लगीं कि वहां भी लोगों से पैसे वसूलने के लिए वो सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, जिनके लिए दूसरे मशहूर अस्पताल पहले से बदनाम हैं। मसलन मरीज की नाजुक स्थिति का हवाला देकर मोटी रकम जमा करा लेना, विशेषज्ञ चिकित्सकों की आड़ में मनमानी फीस वसूलना, पैसा जमा करने में जरा सी भी देरी हो जाने पर मरीज व उसके परिजनों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करना तथा कैजुअलिटी हो जाने पर पूरा बिल वसूल किए बिना लाश न देना आदि।
हाल ही में एक ऐसे ही मामले को लेकर हॉस्पीटल में काफी हंगामा हुआ और बमुश्किल पुलिस के हस्तक्षेप से विवाद का पटाक्षेप हो पाया।
बताया जाता है कि मथुरा-भरतपुर रोड पर गत रविवार की रात अज्ञात वाहन की टक्कर से बाइक सवार तेजवीर सिंह गंभीर घायल हो गया। तेजवीर को जिला अस्पताल से रैफर करने पर नयति हॉस्पीटल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान सोमवार को उसकी मौत हो गई।
तेजवीर के परिजन हॉस्पीटल के कर्मचारियों द्वारा अभद्र व्यवहार करने तथा उपचार के बिल का पूरा पैसा वसूल कर ही शव देने की जिद पर अड़े होने जैसी शिकायत कर रहे थे। हॉस्पीटल में हंगामे की सूचना पाकर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने जैसे-तैसे मृतक के परिजनों को शांत कराया, और शव उनके सुपुर्द किया अन्यथा बड़ी घटना होने का अंदेशा पैदा हो चुका था।
इससे पहले भी एक बच्चे के पेट में कील घुस जाने पर जब उसके परिजन नयति में उपचार कराने पहुंचे तो पहले उन्हें भयभीत करके 60 हजार रुपए जमा करा लिए और फिर इकठ्ठे आठ लाख रुपए का बिल थमा दिया। बच्चे के परिजनों द्वारा हिसाब मांगे जाने पर उनके साथ हॉस्पीटल के कर्मचारी अभद्र व्यवहार करने लगे।
इस मामले हॉस्पीटल की पदाधिकारी शिवानी शर्मा ने मीडिया को बताया कि बच्चे के परिजनों से अभद्र व्यवहार करने वाले कर्मचारी राजीव शर्मा को हटा दिया गया है और जांच बैठा दी गई है। राजीव शर्मा को भले ही हटा दिया गया हो लेकिन शिवानी शर्मा के कथन से इस बात की तो पुष्टि होती ही है कि बच्चे के परिजनों से हॉस्पीटल में अभद्र व्यवहार किया गया।
इन सब बातों के अलावा यह भी पता लगा है कि नयति हॉस्पीटल में कार्यरत कर्मचारियों तथा वहां ठेके आदि पर काम करने व कराने वाले दूसरे लोगों को पैसा देने में बहुत परेशान किया जा रहा है।
ऐसे ही एक इमरान नामक युवक ने बताया कि उसे नयति हॉस्पीटल में काम करने के नाम पर ले जाया गया और तीन महीने काम कराने के बाद अचानक घर जाने को कह दिया गया। वेतन का पैसा मांगने पर पता लगा कि इमरान व उसके जैसे दूसरे अन्य युवकों को नयति के नाम पर ठेकेदार के अंडर में रखा गया था लिहाजा वेतन का भुगतान भी ठेकेदार से लेने की बात कह दी गई।
अब इमरान व उसके जैसे अनेक युवक अपना तीन महीने का वेतन पाने के लिए कभी ठेकेदार बताए गए व्यक्ति के तो कभी नयति हॉस्पीटल के चक्कर लगाने पर मजबूर हैं किंतु उन्हें अब तक एक भी पैसा नहीं मिला।
दूसरी ओर जब इस संबंध में नयति के लिए ठेके पर काम करने वाले लोगों से बात की तो उनका कहना था कि हमें खुद हॉस्पीटल प्रशासन ने महीनों से पेमेंट नहीं किया है। किसी का 15 लाख रुपया बकाया है तो किसी का 20 लाख। अधिकांश लोग पेमेंट के लिए हॉस्पीटल के चक्कर लगाते देखे जा सकते हैं लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं है।
इन हालातों को देखकर तो यही लगता है कि नयति के मालिकानों की नीयत ठीक नहीं है और उनका मथुरा जैसे विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थान पर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त हॉस्पीटल खोलने का मकसद चाहे जो भी हो, कम से कम जनसेवा तो नहीं था।
मथुरा की जनता अब नयति की नीयत को देखकर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है और उसे समझ में आने लगा है कि नीरा राडिया व दीनानाथ चतुर्वेदी के इस हॉस्पीटल का असली मकसद कुछ और ही है। जनता को दुख है तो इस बात का कि जिसे वह पीड़ित मानवता के सेवा के लिए मथुरा में एक वरदान समझ रहे थे, वह बहुत कम समय में अभिशाप साबित होने लगा है।
अब लोगों को ”नयति” की ”नियति” का भी आभास होने लगा है और वो कहने लगे हैं कि इस तरह तो नयति के संचालक बहुत दिनों तक जनता को मूर्ख नहीं बना पायेंगे।
बेहतर होगा कि वो समय रहते अपना छद्म मकसद त्यागकर हॉस्पीटल की मान्यताओं को पूरा करने लगें अन्यथा किसी दिन नयति न केवल मथुरा में किसी बड़े उपद्रव का कारण बनेगा बल्कि जितने शोर-शराबे के साथ शुरू हुआ था, उससे अधिक शोर-शराबे के साथ बंद भी हो जायेगा।
-लीजेंड न्यूज़
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