दिल्ली के निवेशक ने लगाए गंभीर आरोप
प्रोजेक्ट 'मंदाकिनी' को गैर कानूनी बताया (लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
यदि आप भगवान कृष्ण की क्रीड़ास्थली वृंदावन में 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के मल्टी स्टोरी आलीशान रिहायशी प्रोजेक्ट 'मंदाकिनी' के निवासी बनने का सपना पाले हुए हैं तो थोड़ा ठहर जाइए।
अगर आपने इस प्रोजेक्ट में पैसा लगा रखा है तो संभल जाइए क्योंकि 'मंदाकिनी' आपको बहाकर भी ले जा सकती है और डुबो भी सकती है।
इस आशय की चेतावनी 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के ही एक निवेशक द्वारा दी जा रही है।
जैन रियल्टर्स प्रा. लि. के निदेशक अजय कुमार जैन पुत्र श्री सुरेश चन्द्र जैन ने इस मामले में बाकायदा कोर्ट के आदेश से दि. 25 जुलाई 2013 को 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के मालिकानों श्याम सुन्दर बंसल पुत्र श्री गोपाल दास बंसल निवासी-मकान नंबर 2255, भक्तिधाम भरतपुर गेट मथुरा, गौरव अग्रवाल पुत्र श्री माधव प्रसाद अग्रवाल निवासी मकान नंबर 1684 गली ख्याला, मण्डी रामदास मथुरा, नरेन्द्र किशन गर्ग पुत्र श्रीराम गर्ग निवासी मकान नंबर जी 6 किशना अपार्टमेंट, मसानी तिराहा, मथुरा तथा कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि. कोषदा हाउस तिलक द्वार, मथुरा (उ॰प्र॰) के खिलाफ थाना कोतवाली वृंदावन में एफआईआर दर्ज कराई है।
मुकद्दमा अपराध संख्या 503/13 पर धारा 380, 384, 387, 392, 406, 409, 417, 420, 423, 424, 427, 448, 451, 452, 456, 467, 506, 120 B आईपीसी के तहत दर्ज इस मामले में दिल्ली निवासी अजय जैन ने जो आरोप कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि. के मालिकानों एवं कंपनी पर लगाए हैं उनके अनुसार उक्त लोग जनवरी 2011 में चार-पांच अन्य लोगों के साथ उनसे मिलने पहुंचे।
तहरीर के मुताबिक इन लोगों ने अजय जैन से कहा कि वह कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि. के वृंदावन स्थित प्रोजेक्ट 'मंदाकिनी' में निवेश करें क्योंकि उन्हें पैसे की आवश्यकता है।
इन्होंने भरोसा दिलाया कि कोषदा मंदाकिनी के टॉवर बी में 120 भवनों व उसके ऊपर छत पर एक हेलीपैड बनाने हेतु मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण व सम्बन्धित सरकारी विभागों से सभी प्रकार की कानूनी अनुमति प्राप्त कर ली गई है। उन्होंने आगे विश्वास दिलाया कि वे उस अनुमति व सेंक्शन प्लान को प्रार्थी की कम्पनी को दिखायेंगे और उपलब्ध करायेंगे।
उनके इस आश्वासन पर प्रार्थी अपनी कम्पनी का कोषदा के साथ अनुबन्ध करने पर राजी हो गया।
अनुबंध के उपरांत अजय जैन की कंपनी जैन रियल्टर्स प्रा. लि. ने मार्च 2011 में 4026 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के प्लॉट की रजिस्ट्री पूरा भुगतान करके करा ली।
रजिस्ट्री के बाद 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के ही भरोसे पर अजय जैन ने निर्माण कार्य भी कोषदा को ही सौंप दिया।
अजय जैन के अनुसार विवाद तब खड़ा हुआ जब शक होने पर हमने कोषदा के मालिकानों से प्रोजेक्ट निर्माण के लिए आवश्यक सभी सरकारी अनुमतियों के कागजात मांगने शुरू किए।
कागजात उपलब्ध न कराये जाने पर अजय जैन ने मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण से संपर्क साधा तो पता लगा कि प्रोजेक्ट मंदाकिनी के जिस टावर बी में 120 भवनों के निर्माण की अनुमति बताकर मोटी रकम उनसे ऐंठी गई थी, उसके लिए मात्र 42 भवनों की अनुमति प्राधिकरण ने दे रखी है।
इसी प्रकार प्रोजेक्ट की छत पर हैलीपैड बनाने की अनुमति भी नहीं मिली है और इसे लेकर किया जा रहा प्रचार कतई झूठा है।
अजय जैन का कहना है कि कोषदा के मालिकानों द्वारा किए जा रहे झूठे प्रचार का एकमात्र मकसद लोगों से निवेश कराना तथा बुकिंग की आड़ में पैसा इकठ्ठा करना है।
अजय जैन का कहना है कि इन सबके अलावा भी तमाम अनियमितताएं बरते जाने की जानकारी मिलने पर उन्होंने कोषदा के मालिकानों से काम बंद करने तथा नियम सम्मत कार्य कराये जाने की बात कही तो वह उत्तेजित हो गए और जान से मारने की धमकी देने लगे।
अजय जैन का कहना है इन लोगों ने उनके साइट कार्यालय को नष्ट करके उसके अन्दर रखे सामान को गैर कानूनी ढंग से अपने कब्जे में ले रखा है।
उन्होंने कोषदा के उक्त प्रोजेक्ट में बुकिंग कराने वालों से भी अनुरोध किया है कि वह अपने स्तर से सच्चाई का पता कर लें ताकि उनकी मेहनत की कमाई कोषदा के मालिकान न हड़प जाएं और उनका मंदाकिनी में रहने का सपना, सपना बनकर ही न रह जाए।
उन्होंने 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के दूसरे निवेशकों को भी आगाह किया है कि वह प्रोजेक्ट की असलियत जानकर ही आगे और निवेश करें अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि पैसा तो डूबेगा ही, साथ में कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी काटने पड़ेंगे।
इस संबंध में लीजेण्ड न्यूज़ ने जब कोषदा के मालिकानों में से एक गौरव अग्रवाल से उनका पक्ष रखने की बात कही तो उन्होंने कहा कि वह थोड़ी देर में कागजात उपलब्ध करा देंगे लेकिन उसके बाद उनका कोई जवाब नहीं आया।
प्रोजेक्ट 'मंदाकिनी' को गैर कानूनी बताया (लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
यदि आप भगवान कृष्ण की क्रीड़ास्थली वृंदावन में 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के मल्टी स्टोरी आलीशान रिहायशी प्रोजेक्ट 'मंदाकिनी' के निवासी बनने का सपना पाले हुए हैं तो थोड़ा ठहर जाइए।
अगर आपने इस प्रोजेक्ट में पैसा लगा रखा है तो संभल जाइए क्योंकि 'मंदाकिनी' आपको बहाकर भी ले जा सकती है और डुबो भी सकती है।
इस आशय की चेतावनी 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के ही एक निवेशक द्वारा दी जा रही है।
जैन रियल्टर्स प्रा. लि. के निदेशक अजय कुमार जैन पुत्र श्री सुरेश चन्द्र जैन ने इस मामले में बाकायदा कोर्ट के आदेश से दि. 25 जुलाई 2013 को 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के मालिकानों श्याम सुन्दर बंसल पुत्र श्री गोपाल दास बंसल निवासी-मकान नंबर 2255, भक्तिधाम भरतपुर गेट मथुरा, गौरव अग्रवाल पुत्र श्री माधव प्रसाद अग्रवाल निवासी मकान नंबर 1684 गली ख्याला, मण्डी रामदास मथुरा, नरेन्द्र किशन गर्ग पुत्र श्रीराम गर्ग निवासी मकान नंबर जी 6 किशना अपार्टमेंट, मसानी तिराहा, मथुरा तथा कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि. कोषदा हाउस तिलक द्वार, मथुरा (उ॰प्र॰) के खिलाफ थाना कोतवाली वृंदावन में एफआईआर दर्ज कराई है।
मुकद्दमा अपराध संख्या 503/13 पर धारा 380, 384, 387, 392, 406, 409, 417, 420, 423, 424, 427, 448, 451, 452, 456, 467, 506, 120 B आईपीसी के तहत दर्ज इस मामले में दिल्ली निवासी अजय जैन ने जो आरोप कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि. के मालिकानों एवं कंपनी पर लगाए हैं उनके अनुसार उक्त लोग जनवरी 2011 में चार-पांच अन्य लोगों के साथ उनसे मिलने पहुंचे।
तहरीर के मुताबिक इन लोगों ने अजय जैन से कहा कि वह कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि. के वृंदावन स्थित प्रोजेक्ट 'मंदाकिनी' में निवेश करें क्योंकि उन्हें पैसे की आवश्यकता है।
इन्होंने भरोसा दिलाया कि कोषदा मंदाकिनी के टॉवर बी में 120 भवनों व उसके ऊपर छत पर एक हेलीपैड बनाने हेतु मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण व सम्बन्धित सरकारी विभागों से सभी प्रकार की कानूनी अनुमति प्राप्त कर ली गई है। उन्होंने आगे विश्वास दिलाया कि वे उस अनुमति व सेंक्शन प्लान को प्रार्थी की कम्पनी को दिखायेंगे और उपलब्ध करायेंगे।
उनके इस आश्वासन पर प्रार्थी अपनी कम्पनी का कोषदा के साथ अनुबन्ध करने पर राजी हो गया।
अनुबंध के उपरांत अजय जैन की कंपनी जैन रियल्टर्स प्रा. लि. ने मार्च 2011 में 4026 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के प्लॉट की रजिस्ट्री पूरा भुगतान करके करा ली।
रजिस्ट्री के बाद 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के ही भरोसे पर अजय जैन ने निर्माण कार्य भी कोषदा को ही सौंप दिया।
अजय जैन के अनुसार विवाद तब खड़ा हुआ जब शक होने पर हमने कोषदा के मालिकानों से प्रोजेक्ट निर्माण के लिए आवश्यक सभी सरकारी अनुमतियों के कागजात मांगने शुरू किए।
कागजात उपलब्ध न कराये जाने पर अजय जैन ने मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण से संपर्क साधा तो पता लगा कि प्रोजेक्ट मंदाकिनी के जिस टावर बी में 120 भवनों के निर्माण की अनुमति बताकर मोटी रकम उनसे ऐंठी गई थी, उसके लिए मात्र 42 भवनों की अनुमति प्राधिकरण ने दे रखी है।
इसी प्रकार प्रोजेक्ट की छत पर हैलीपैड बनाने की अनुमति भी नहीं मिली है और इसे लेकर किया जा रहा प्रचार कतई झूठा है।
अजय जैन का कहना है कि कोषदा के मालिकानों द्वारा किए जा रहे झूठे प्रचार का एकमात्र मकसद लोगों से निवेश कराना तथा बुकिंग की आड़ में पैसा इकठ्ठा करना है।
अजय जैन का कहना है कि इन सबके अलावा भी तमाम अनियमितताएं बरते जाने की जानकारी मिलने पर उन्होंने कोषदा के मालिकानों से काम बंद करने तथा नियम सम्मत कार्य कराये जाने की बात कही तो वह उत्तेजित हो गए और जान से मारने की धमकी देने लगे।
अजय जैन का कहना है इन लोगों ने उनके साइट कार्यालय को नष्ट करके उसके अन्दर रखे सामान को गैर कानूनी ढंग से अपने कब्जे में ले रखा है।
उन्होंने कोषदा के उक्त प्रोजेक्ट में बुकिंग कराने वालों से भी अनुरोध किया है कि वह अपने स्तर से सच्चाई का पता कर लें ताकि उनकी मेहनत की कमाई कोषदा के मालिकान न हड़प जाएं और उनका मंदाकिनी में रहने का सपना, सपना बनकर ही न रह जाए।
उन्होंने 'कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.' के दूसरे निवेशकों को भी आगाह किया है कि वह प्रोजेक्ट की असलियत जानकर ही आगे और निवेश करें अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि पैसा तो डूबेगा ही, साथ में कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी काटने पड़ेंगे।
इस संबंध में लीजेण्ड न्यूज़ ने जब कोषदा के मालिकानों में से एक गौरव अग्रवाल से उनका पक्ष रखने की बात कही तो उन्होंने कहा कि वह थोड़ी देर में कागजात उपलब्ध करा देंगे लेकिन उसके बाद उनका कोई जवाब नहीं आया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया बताते चलें कि ये पोस्ट कैसी लगी ?