(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष) राजनीति का अपराधीकरण तो एक लंबे समय से चर्चा में है और उसे लेकर न्यायपालिका भी चिंतित है पर राजनीति का एक अन्य नापाक गठजोड़ न चर्चा में है, न उसके लिए कोई चिंतित है जबकि वह देश व समाज की बर्बादी का बड़ा कारण बना हुआ है। जी हां! यह गठजोड़ है तथाकथित धर्मगुरुओं एवं राजनीति का। इस नापाक गठजोड़ की गहराई का अंदाज यदि लगाना हो तो भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और उसके आस-पास आकर देखिये। वृंदावन, महावन, कोकिलावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव, बरसाना, बल्देव आदि अनेक स्थानों पर चारों ओर राजनीति और धर्म के नापाक गठजोड़ से उपजा धंधा फलता-फूलता नजर आयेगा। कहते हैं कि किसी भी पापकर्म के लिए धर्म और धार्मिक स्थानों से बड़ी कोई आड़ नहीं होती। तथाकथित धर्मगुरू इस आड़ का आधार होते हैं। फिर मथुरा तो विश्व पटल पर अपनी विशिष्ट धार्मिक छवि के कारण ही पहचाना जाता है और उसकी इस छवि के अनुरूप यहां नामचीन धर्मगुरुओं, संत-महंतों, भागवताचार्यों एवं मठाधीशों की लंबी फेहरिस्त है। धर्म की आड़ में कई दशकों से जड़ जमाये बैठे ये धंधेबाज कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं और इनके द्वारा अर्जित अकूत संपत्ति बड़े विवादों का कारण बनी हुई है लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा क्योंकि इस संपत्ति में राजनेताओं की साइलेंट हिस्सेदारी है। बात शुरू करते हैं