एक भक्त ने लगाये अप्राकृतिक यौनाचार के गंभीर आरोप तो दूसरा कर रहा है प्रबंधतंत्र के खिलाफ आमरण अनशन
(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
विश्व में 300 से अधिक भव्य व समृद्ध मंदिरों, गुरुकुल, कृषि क्षेत्र व विशेष योजनाओं को संचालित करने वाली संस्था इस्कॉन के अंदर आज जो कुछ हो रहा है, वह करोड़ों की संख्या में फैले स्वामी प्रभुपाद के अनुयायियों के लिए तो कष्टप्रद है ही, उन लोगों के लिए भी तकलीफदेह है जो भक्तिभाव के कारण स्वामी प्रभुपाद व इस्कॉन में आस्था रखते हैं।
गौड़ीय वैष्णव धर्म का दुनियाभर में प्रसार करने के उद्देश्य से इण्टरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी इस्कॉन (ISKCON) की नींव रखने वाले कोलकाता निवासी स्वामी प्रभुपाद ने स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि कभी उनके अनुयायी व्यवस्थापक ही इस्कॉन को न सिर्फ पापाचार का केन्द्र बल्कि यौनाचार का भी अड्डा बना देंगे।
इस्कॉन (ISKCON) की प्रतिष्ठा और उसके स्वरूप की आड़ में प्रबंधतंत्र द्वारा कैसे-कैसे कुकृत्य किये जा रहे हैं इसकी बानगी है इन दिनों वृंदावन इस्कॉन के बाहर चल रहे अनशन और 07 मई 2012 को नई दिल्ली की अमर कॉलोनी थाने में दर्ज अप्राकृतिक यौनाचार की रिपोर्ट।
पिछले करीब 6 वर्षों से अमर कॉलोनी स्थित इस्कॉन मंदिर के ब्रह्मचारी आश्रम में रहकर महाराज गोपालकृष्ण गोस्वामी की सेवा करने वाले अच्युत दास उर्फ अजीत कुमार द्वारा आईपीसी की धारा 377 तथा 511 के तहत दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक 15 फरवरी 2012 की रात करीब 11 बजे महाराज गोपालकृष्ण व उनके सेवक दयानिधि महाराज ने अच्युत दास के साथ आश्रम में ही तब अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की कोशिश की, जब वह सो रहा था।
अच्युत दास के अनुसार उसके द्वारा शोर मचा देने के कारण गोपालकृष्ण व दयानिधि ने क्षमा मांगते हुए माफ कर देने का अनुरोध किया और भरोसा दिलाया कि फिर कभी ऐसा अपराध नहीं करेंगे।
अच्युत दास का कहना है कि उसके द्वारा माफ कर देने के बाद 08 अप्रैल 2012 की रात एक बजे दयानिधि महाराज ने उसके साथ एक साउण्ड प्रूफ कमरे में दुराचार किया और कहा कि गोपालकृष्ण महाराज के रहते उसका कुछ नहीं बिगड़ सकता।
अच्युत दास ने सुबह मौका मिलने पर अपने साथ किये गये कुकृत्य की शिकायत इस्कॉन यूथ फॉर्म के डायरेक्टर सुंदर गोपाल दास तथा मैनेजर हृदय दास से की लेकिन उन्होंने कोई संज्ञान नहीं लिया।
गोपालकृष्ण महाराज को भी पूरी घटना से अवगत कराया गया पर वह चुप्पी साधे रहे।
इसके बाद अच्युत दास ने पूरी घटना की लिखित जानकारी संस्था की गवर्निंग बॉडी को दी जिसमें 20 लोगों की टीम है।
गवर्निंग बॉडी द्वारा अच्युत दास की कोई मदद तो नहीं की गई अलबत्ता बॉडी के एक सदस्य मोहन रूपा दास ने अच्युत दास को फोन करके धमकी देते हुए कहा कि तुम जैसे बहुत लोग आये और चले गये, तुमने गोपाल महाराज की शिकायत करके बहुत बड़ी भूल की है जिसका खामियाजा तुम्हें भुगतना होगा।
अच्युत दास द्वारा दी गई इस आशय की तहरीर पर अमर कॉलोनी थाना पुलिस ने गोपालकृष्ण महाराज, दयानिधि महाराज, मोहन रूपा दास तथा हृदय दास के खिलाफ अपराध पंजीकृत कर लिया जिसकी विवेचना एस आई के. पी. शाह द्वारा की जा रही है।
पीड़ित अच्युत दास द्वारा इसके बाद 14 मई 2012 को दिल्ली के पुलिस आयुक्त को एक प्रार्थना पत्र के जरिये अवगत कराया गया कि जांच अधिकारी के. पी. शाह तथा सिपाही सुशील कुमार उसे 06 मई 2012 के दिन गोवर्घन (मथुरा) से यह कहकर दिल्ली ले गये कि मेडीकल करवाना है। दिल्ली ले जाकर बताया कि देर हो जाने के कारण मेडीकल कल होगा।
अच्युत दास ने पुलिस आयुक्त को लिखा है कि पूरी रात वह अमर कॉलोनी थाने पर रहा जहां सुबह करीब 09 बजे ब्रजेन्द्र नंदन, अद्वैतकृष्ण तथा आदियोगी आये और बात करने की कहकर थाने से बाहर निकाल लिया। वहां पहले से खड़ी गाड़ी में धक्का देकर बैठा दिया और मंदिर लेकर आ गये।
मंदिर में गोपालकृष्ण महाराज ने मुझसे कहा कि सारा मामला वापस ले लो तो मैं तुम्हें 50 लाख रुपये दे दूंगा।
मेरे द्वारा रुपया लेने पर सहमत न होने के बाद राघव पण्डित दास तथा अद्वैतकृष्ण ने जान से मारने की धमकी दी।
अच्युत दास ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त को लिखा है कि इन लोगों का पूरा गिरोह है जिसमें भीमा दास व दयाराम दास भी शामिल हैं। इनका कहना है कि दिल्ली पुलिस और बड़े-बड़े नेता हमारे साथ हैं, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
अच्युत दास का कहना है कि उसी दिन थाना पुलिस मंदिर आई और ब्रजेन्द्र नंदन व अद्वैतकृष्ण सहित मुझे भी अपने साथ ले गई। अगले दिन उन्हें छोड़ दिया।
सूचना पाकर पहुंचे मेरे वकील भी मुझे अपने साथ वृंदावन ले आये जहां मैं उनके पास रह रहा हूं।
अच्युत दास का कहना है कि गोपालकृष्ण व उनका गिरोह वृंदावन में भी उसका पीछा कर रहा है और कभी भी उसकी जान ले सकता है।
दूसरी ओर इस्कॉन के ही एक अन्य भक्त नवनीत दास 24 नवंबर से इस्कॉन मंदिर वृंदावन के सामने अनशन पर बैठे हैं। नवनीत दास ने मथुरा के जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में लिखा है कि मंदिर के प्रबंधतंत्र को पिछले कुछ समय से असामाजिक तत्वों ने कब्जा रखा है और यह लोग हर तरह के अनैतिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
मंदिर में दुराचार करके उसकी पवित्रता को नष्ट किया जा रहा है और दान के पैसों का दुरुपयोग लोगों का मुंह बंद करने में किया जा रहा है।
नवनीत दास ने डीएम मथुरा को लिखा है कि जब उसने प्रबंधतंत्र के कारनामों पर उंगली उठाई तो उसके साथ मारपीट करके बाहर निकाल दिया गया और जान से मारने की धमकी दी।
नवनीत दास ने डीएम को अवगत कराया है कि उसकी शिकायत पर संज्ञान लिये बिना वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे, चाहे उनकी जान चली जाए।
नवनीत दास की मानें तो इस्कॉन का यह हाल उसके प्रबंधतंत्र ने केवल दिल्ली या वृंदावन में नहीं कर रखा अपितु विदेशों में भी कर रखा है।
इस्कॉन के गुरुकुलों में अध्ययनरत छात्रों के साथ पहले तो जबरन अप्राकृतिक यौन सम्बन्ध स्थापित करना और फिर उनका मुंह बंद कराने के लिए मंदिर में आने वाले दान के पैसों का इस्तेमाल करना आम बात है।
अप्राकृतिक यौनाचार के शिकार गुरुकुल न्यूयॉर्क के कुछ छात्रों को वहां की अदालत द्वारा मुआवजा देने का आदेश भी पूर्व में दिया जा चुका है जिसकी भरपायी दान के पैसों से मासिक किश्त के रूप में की जा रही है।
नवनीत दास के अनुसार दिल्ली और वृंदावन के अतिरिक्त मुम्बई व कोलकाता के इस्कॉन मंदिरों से भी ऐसी शिकायतें आती रही हैं लेकिन प्रबंधतंत्र अपने प्रभाव व पैसों के बल पर सबको दबाने में सफल रहा है।
अच्युत दास व नवनीत दास के आरोपों में कितना दम है, यह भले ही फिलहाल साबित न हो पाये पर इसमें कोई दो राय नहीं कि स्वामी प्रभुपाद के इस्कॉन में सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा।
स्वामी प्रभुपाद ने जिस उद्देश्य से इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था की बुनियाद रखी और कृष्ण भक्ति का सारे विश्व में प्रसार किया, वह आज कहीं खो गई है।
इस्कॉन का प्रबंधतंत्र खुद कितने आपराधिक कृत्यों में लिप्त है, यह जांच का विषय हो सकता है लेकिन उसकी एक लंबे समय से मनमानी चर्चा का विषय जरूर रही है।
नवनीत दास का आमरण अनशन और अच्युत दास द्वारा कराई गई एफआईआर बेशक इसके ताजा उदाहरण हैं।
(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
विश्व में 300 से अधिक भव्य व समृद्ध मंदिरों, गुरुकुल, कृषि क्षेत्र व विशेष योजनाओं को संचालित करने वाली संस्था इस्कॉन के अंदर आज जो कुछ हो रहा है, वह करोड़ों की संख्या में फैले स्वामी प्रभुपाद के अनुयायियों के लिए तो कष्टप्रद है ही, उन लोगों के लिए भी तकलीफदेह है जो भक्तिभाव के कारण स्वामी प्रभुपाद व इस्कॉन में आस्था रखते हैं।
गौड़ीय वैष्णव धर्म का दुनियाभर में प्रसार करने के उद्देश्य से इण्टरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी इस्कॉन (ISKCON) की नींव रखने वाले कोलकाता निवासी स्वामी प्रभुपाद ने स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि कभी उनके अनुयायी व्यवस्थापक ही इस्कॉन को न सिर्फ पापाचार का केन्द्र बल्कि यौनाचार का भी अड्डा बना देंगे।
इस्कॉन (ISKCON) की प्रतिष्ठा और उसके स्वरूप की आड़ में प्रबंधतंत्र द्वारा कैसे-कैसे कुकृत्य किये जा रहे हैं इसकी बानगी है इन दिनों वृंदावन इस्कॉन के बाहर चल रहे अनशन और 07 मई 2012 को नई दिल्ली की अमर कॉलोनी थाने में दर्ज अप्राकृतिक यौनाचार की रिपोर्ट।
पिछले करीब 6 वर्षों से अमर कॉलोनी स्थित इस्कॉन मंदिर के ब्रह्मचारी आश्रम में रहकर महाराज गोपालकृष्ण गोस्वामी की सेवा करने वाले अच्युत दास उर्फ अजीत कुमार द्वारा आईपीसी की धारा 377 तथा 511 के तहत दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक 15 फरवरी 2012 की रात करीब 11 बजे महाराज गोपालकृष्ण व उनके सेवक दयानिधि महाराज ने अच्युत दास के साथ आश्रम में ही तब अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की कोशिश की, जब वह सो रहा था।
अच्युत दास के अनुसार उसके द्वारा शोर मचा देने के कारण गोपालकृष्ण व दयानिधि ने क्षमा मांगते हुए माफ कर देने का अनुरोध किया और भरोसा दिलाया कि फिर कभी ऐसा अपराध नहीं करेंगे।
अच्युत दास का कहना है कि उसके द्वारा माफ कर देने के बाद 08 अप्रैल 2012 की रात एक बजे दयानिधि महाराज ने उसके साथ एक साउण्ड प्रूफ कमरे में दुराचार किया और कहा कि गोपालकृष्ण महाराज के रहते उसका कुछ नहीं बिगड़ सकता।
अच्युत दास ने सुबह मौका मिलने पर अपने साथ किये गये कुकृत्य की शिकायत इस्कॉन यूथ फॉर्म के डायरेक्टर सुंदर गोपाल दास तथा मैनेजर हृदय दास से की लेकिन उन्होंने कोई संज्ञान नहीं लिया।
गोपालकृष्ण महाराज को भी पूरी घटना से अवगत कराया गया पर वह चुप्पी साधे रहे।
इसके बाद अच्युत दास ने पूरी घटना की लिखित जानकारी संस्था की गवर्निंग बॉडी को दी जिसमें 20 लोगों की टीम है।
गवर्निंग बॉडी द्वारा अच्युत दास की कोई मदद तो नहीं की गई अलबत्ता बॉडी के एक सदस्य मोहन रूपा दास ने अच्युत दास को फोन करके धमकी देते हुए कहा कि तुम जैसे बहुत लोग आये और चले गये, तुमने गोपाल महाराज की शिकायत करके बहुत बड़ी भूल की है जिसका खामियाजा तुम्हें भुगतना होगा।
अच्युत दास द्वारा दी गई इस आशय की तहरीर पर अमर कॉलोनी थाना पुलिस ने गोपालकृष्ण महाराज, दयानिधि महाराज, मोहन रूपा दास तथा हृदय दास के खिलाफ अपराध पंजीकृत कर लिया जिसकी विवेचना एस आई के. पी. शाह द्वारा की जा रही है।
पीड़ित अच्युत दास द्वारा इसके बाद 14 मई 2012 को दिल्ली के पुलिस आयुक्त को एक प्रार्थना पत्र के जरिये अवगत कराया गया कि जांच अधिकारी के. पी. शाह तथा सिपाही सुशील कुमार उसे 06 मई 2012 के दिन गोवर्घन (मथुरा) से यह कहकर दिल्ली ले गये कि मेडीकल करवाना है। दिल्ली ले जाकर बताया कि देर हो जाने के कारण मेडीकल कल होगा।
अच्युत दास ने पुलिस आयुक्त को लिखा है कि पूरी रात वह अमर कॉलोनी थाने पर रहा जहां सुबह करीब 09 बजे ब्रजेन्द्र नंदन, अद्वैतकृष्ण तथा आदियोगी आये और बात करने की कहकर थाने से बाहर निकाल लिया। वहां पहले से खड़ी गाड़ी में धक्का देकर बैठा दिया और मंदिर लेकर आ गये।
मंदिर में गोपालकृष्ण महाराज ने मुझसे कहा कि सारा मामला वापस ले लो तो मैं तुम्हें 50 लाख रुपये दे दूंगा।
मेरे द्वारा रुपया लेने पर सहमत न होने के बाद राघव पण्डित दास तथा अद्वैतकृष्ण ने जान से मारने की धमकी दी।
अच्युत दास ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त को लिखा है कि इन लोगों का पूरा गिरोह है जिसमें भीमा दास व दयाराम दास भी शामिल हैं। इनका कहना है कि दिल्ली पुलिस और बड़े-बड़े नेता हमारे साथ हैं, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
अच्युत दास का कहना है कि उसी दिन थाना पुलिस मंदिर आई और ब्रजेन्द्र नंदन व अद्वैतकृष्ण सहित मुझे भी अपने साथ ले गई। अगले दिन उन्हें छोड़ दिया।
सूचना पाकर पहुंचे मेरे वकील भी मुझे अपने साथ वृंदावन ले आये जहां मैं उनके पास रह रहा हूं।
अच्युत दास का कहना है कि गोपालकृष्ण व उनका गिरोह वृंदावन में भी उसका पीछा कर रहा है और कभी भी उसकी जान ले सकता है।
दूसरी ओर इस्कॉन के ही एक अन्य भक्त नवनीत दास 24 नवंबर से इस्कॉन मंदिर वृंदावन के सामने अनशन पर बैठे हैं। नवनीत दास ने मथुरा के जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में लिखा है कि मंदिर के प्रबंधतंत्र को पिछले कुछ समय से असामाजिक तत्वों ने कब्जा रखा है और यह लोग हर तरह के अनैतिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
मंदिर में दुराचार करके उसकी पवित्रता को नष्ट किया जा रहा है और दान के पैसों का दुरुपयोग लोगों का मुंह बंद करने में किया जा रहा है।
नवनीत दास ने डीएम मथुरा को लिखा है कि जब उसने प्रबंधतंत्र के कारनामों पर उंगली उठाई तो उसके साथ मारपीट करके बाहर निकाल दिया गया और जान से मारने की धमकी दी।
नवनीत दास ने डीएम को अवगत कराया है कि उसकी शिकायत पर संज्ञान लिये बिना वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे, चाहे उनकी जान चली जाए।
नवनीत दास की मानें तो इस्कॉन का यह हाल उसके प्रबंधतंत्र ने केवल दिल्ली या वृंदावन में नहीं कर रखा अपितु विदेशों में भी कर रखा है।
इस्कॉन के गुरुकुलों में अध्ययनरत छात्रों के साथ पहले तो जबरन अप्राकृतिक यौन सम्बन्ध स्थापित करना और फिर उनका मुंह बंद कराने के लिए मंदिर में आने वाले दान के पैसों का इस्तेमाल करना आम बात है।
अप्राकृतिक यौनाचार के शिकार गुरुकुल न्यूयॉर्क के कुछ छात्रों को वहां की अदालत द्वारा मुआवजा देने का आदेश भी पूर्व में दिया जा चुका है जिसकी भरपायी दान के पैसों से मासिक किश्त के रूप में की जा रही है।
नवनीत दास के अनुसार दिल्ली और वृंदावन के अतिरिक्त मुम्बई व कोलकाता के इस्कॉन मंदिरों से भी ऐसी शिकायतें आती रही हैं लेकिन प्रबंधतंत्र अपने प्रभाव व पैसों के बल पर सबको दबाने में सफल रहा है।
अच्युत दास व नवनीत दास के आरोपों में कितना दम है, यह भले ही फिलहाल साबित न हो पाये पर इसमें कोई दो राय नहीं कि स्वामी प्रभुपाद के इस्कॉन में सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा।
स्वामी प्रभुपाद ने जिस उद्देश्य से इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था की बुनियाद रखी और कृष्ण भक्ति का सारे विश्व में प्रसार किया, वह आज कहीं खो गई है।
इस्कॉन का प्रबंधतंत्र खुद कितने आपराधिक कृत्यों में लिप्त है, यह जांच का विषय हो सकता है लेकिन उसकी एक लंबे समय से मनमानी चर्चा का विषय जरूर रही है।
नवनीत दास का आमरण अनशन और अच्युत दास द्वारा कराई गई एफआईआर बेशक इसके ताजा उदाहरण हैं।
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