(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
कोई माने या ना माने लेकिन पूरी तरह सच है यह बात कि आज के इंसान से भगवान भी खौफ खाने लगा है।
भक्तों से भगवान के भयभीत होने का नजारा अगर देखना हो तो आज यानि 18 जुलाई से अगले चार-पांच दिनों तक किसी भी दिन मथुरा आकर देखा जा सकता है।
मथुरा से 21 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखला के गिरि गोवर्धन की सप्तकोसीय परिक्रमा यूं तो वर्षभर जारी रहती है लेकिन गुरू पूर्णिमा के अवसर पर यहां आने वालों की तादाद लाखों में हो जाती है। शायद इसीलिए स्थानीय लोग इसे लक्खी मेला भी कहते हैं।
इस मेले के शांतिपूर्ण संपन्न हो जाने की प्रार्थना हर कोई करता है क्योंकि भीड़ का दबाव अप्रत्याशित घटना-दुर्घटनाओं को पल-पल आमंत्रित करता रहता है।
भक्तों की यही भीड़ भगवान को भी भयभीत किये रहती है।
कोई माने या ना माने लेकिन पूरी तरह सच है यह बात कि आज के इंसान से भगवान भी खौफ खाने लगा है।
भक्तों से भगवान के भयभीत होने का नजारा अगर देखना हो तो आज यानि 18 जुलाई से अगले चार-पांच दिनों तक किसी भी दिन मथुरा आकर देखा जा सकता है।
मथुरा से 21 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखला के गिरि गोवर्धन की सप्तकोसीय परिक्रमा यूं तो वर्षभर जारी रहती है लेकिन गुरू पूर्णिमा के अवसर पर यहां आने वालों की तादाद लाखों में हो जाती है। शायद इसीलिए स्थानीय लोग इसे लक्खी मेला भी कहते हैं।
इस मेले के शांतिपूर्ण संपन्न हो जाने की प्रार्थना हर कोई करता है क्योंकि भीड़ का दबाव अप्रत्याशित घटना-दुर्घटनाओं को पल-पल आमंत्रित करता रहता है।
भक्तों की यही भीड़ भगवान को भी भयभीत किये रहती है।