शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

उपमन्‍यु केस: पुलिस को कराने पड़े 164 के बयान

मथुरा। 
ऐसा लगता है कि एमबीए की छात्रा का यौन शोषण करने के आरोपी पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु के तथाकथित शुभचिंतक या तो बेहद मूर्ख हैं या फिर इतने अधिक चालाक कि वह उसके शुभचिंतक बनकर ही उसे पूरी तरह बर्बाद कर देना चाहते हैं ताकि फिर वह कभी पनप ही न सके।
उपमन्‍यु के इन शुभचिंतकों ने पहले तो जैसे ही यह भनक लगी कि पीड़ित लड़की पुलिस में जाने की तैयारी कर रही है, उसके परिजनों पर पेशबंदी में एफआईआर दर्ज कराने की सलाह दे डाली। फिर यह एफआईआर उपमन्‍यु के अपने ही चेलों से करवा दी ताकि जवाबदेही भी उसी की रहे।
हद तो तब हो गई जब उन्‍हीं शुभचिंतकों ने यह प्रचार भी कर दिया कि एफआईआर उपमन्‍यु को बचाने के लिए कराई गई है और इसीलिए एफआईआर के लिए दी गई तहरीर में उपमन्‍यु के खिलाफ साजिश रचे जाने का जिक्र भी कर दिया।
इन्‍हीं शुभचिंतकों ने एक अखबार की खबर में उपमन्‍यु के खिलाफ लिखे गये मुकद्दमे को क्रॉस केस घोषित करके रही-सही कसर पूरी कर दी ताकि वह आगे भी किसी से यह तक कह न सके कि पीड़िता के परिजनों पर मुकद्दमा कायम कराने में उसका कोई हाथ नहीं था।
अब खबर आई है कि उपमन्‍यु के पक्ष में उनके शुभचिंतकों ने करीब 3 सैकड़ा शपथपत्र इस आशय के एसएसपी को दिलवाये हैं कि उसे फंसाया गया है और वह तो बहुत इन्‍नोसेंट व्‍यक्‍ति है। इन शपथ पत्रों में एक शपथ पत्र पीड़िता के परिवार से ताल्‍लुक रखने वाली उस महिला का भी है जो पहले वीडियो कैमरे के सामने उपमन्‍यु पर बेहद घृणित आरोप लगा चुकी है। अब उसके शपथ पत्र की कितनी अहमियत होगी, इसका अंदाज उपमन्‍यु के शुभचिंतकों को छोड़कर कोई भी व्‍यक्‍ति लगा सकता है।
शपथपत्र दिलवाने वाले अक्‍ल के इन दुश्‍मनों ने इतना भी नहीं सोचा कि इस तरह तो वह लड़की व उसके परिजनों द्वारा कही जा रही उन बातों को तस्‍दीक ही कर रहे हैं कि कमलकांत उपमन्‍यु बेहद पॉवरफुल व्‍यक्‍ति है और वह कुछ भी करवा सकता है।
घोर आश्‍चर्य की बात है कि उपमन्‍यु के इन शुभचिंतकों में वकील भी हैं और पत्रकार भी, उद्योगपति भी हैं और टेक्‍नीकल एजुकेशन हब के मालिकान भी। वह खुद भी अपने आप को पत्रकार के साथ-साथ वकील लिखने लगा है।
घोर बुद्धिमानों की फौज और उसके मुखिया कमलकांत उपमन्‍यु ने 300 शपथपत्र एसएसपी को दिलवाने से पहले यह तो विचार किया होता कि इसी तरह यदि कोई दुराचार के आरोप से बच सकता तो तथाकथित संत आसाराम बापू भी आज जेल की सलाखों के पीछे नहीं होता।
आसाराम बापू तो अपने पक्ष में तीन लाख शपथपत्र दिलवा सकता था और जरूरत पड़ती तो यह संख्‍या 30 लाख भी हो सकती थी।
अक्‍ल के दुश्‍मन इन शुभचिंतकों को क्‍या यह नहीं मालूम कि इस तरह के चरित्र प्रमाण पत्रों को कोर्ट भी कोई मान्‍यता नहीं देतीं और इनका यही मैसेज जाता है कि आरोपी वाकई बहुत ताकतवर तथा धूर्त है।
एक ऐसे ही दूसरे तथाकथित संत रामपाल को अपनी निजी फौज और अनुयायी खड़े करके कानून से बड़ा साबित करना कितना मंहगा साबित हुआ, क्‍या यह भी उपमन्‍यु के शुभचिंतक भूल गये।
उपमन्‍यु की आस्‍तीन के सांपों को क्‍या वाकई यह नहीं मालूम कि उनका हर ऐसा कदम उपमन्‍यु के लिए नई मुसीबत बन रहा है क्‍योंकि इससे पीड़िता के आरोपों की पुष्‍टि होती जा रही है।
जहां तक सवाल एसएसपी मंजिल सैनी का अब तक उपमन्‍यु के पक्ष में खड़ी दिखाई देने का है तो वह भी उपमन्‍यु तथा स्‍वयं उनके अपने लिए परेशानी का सबब साबित होगा क्‍योंकि कोर्ट में केस जाने के बाद बहुत से प्रश्‍नों का जवाब उन्‍हें भी देना पड़ सकता है।
बताया जाता है कि बलात्‍कार जैसे गंभीर मामले में एसएसपी की उपमन्‍यु के प्रति अतिरिक्‍त सहानुभूति का इल्‍म शासन को भी हो चुका है और इसीलिए वह आज कोर्ट में 164 के तहत पीड़िता के बयान दर्ज कराने पर बाध्‍य हुई हैं अन्‍यथा कल तक तो वह दो-तीन दिन बाद बयान कराने की जिद पर अड़ी हुई थीं।
शासन के सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार कल जैसे ही खबरों तथा अन्‍य माध्‍यमों से सेक्रेट्री होम तथा डीजीपी को सारे घटनाक्रम का पता लगा वैसे ही उन्‍होंने जवाब तलब कर जल्‍द से जल्‍द बयान कराने और उसके बाद गिरफ्तारी सुनिश्‍चित करने को कहा जिससे पीड़िता या उसके परिवार पर दबाव बनाने का रास्‍ता बंद हो।
उल्‍लेखनीय है कि कल जब पीड़िता 161 के तहत अपने बयान दर्ज कराने एसएसपी ऑफिस पहुंची थी तो उसने एसएसपी से अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी, हालांकि एसएसपी ने उसके बाद भी उसे मात्र एक महिला सिपाही के साथ मेडीकल कराने जिला अस्‍पताल भेज दिया और कोर्ट में भी उसकी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया।
बहरहाल, अब देखना यह है कि 161 के बयान, मेडीकल तथा अब 164 के बयान भी पूरे हो जाने के बाद एसएसपी मंजिल सैनी का अगला कदम क्‍या होता है... और क्‍या वह अब भी यही कहती रहेंगी कि जांच पूरी होने दीजिए, अगर उपमन्‍यु के खिलाफ लगाये गये आरोपों की पुष्‍टि होती है तो कार्यवाही जरूर होगी।
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष

मंत्री बनते ही 500 गुना बढ़ गई इनकी दौलत!

लखनऊ। 
मंत्री बनने के बाद गायत्री प्रसाद प्रजापति अरबपति हो गए। उनकी संपत्ति 500 गुना से ज्यादा हो गई है। लोकायुक्त के पास की गई एक शिकायत में कहा गया है कि भूतत्व और खनिकर्म मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने जब विधानसभा चुनाव में नामांकन किया था तब उनकी संपत्ति 1.81 करोड़ रुपये थी। लोकायुक्त ने भी इसकी पुष्टि शुक्रवार को कर दी।
मंत्री बनने के बाद उन्होंने 942.57 करोड़ रुपये की संपत्ति खड़ी कर ली है। साक्ष्य के रूप में अमेठी, लखनऊ सदर और मोहनलालगंज में प्रजापति द्वारा अपने, अपने परिवारीजनों, रिश्तेदारों और करीबियों के नाम से जमीन की रजिस्ट्री के दस्तावेज लगाए गए हैं। लोक आयुक्त कार्यालय ने शिकायत दाखिल किए जाने की पुष्टि की है।
शिकायत प्रतापगढ़ के ओम शंकर द्विवेदी ने की है। शिकायत के साथ हाईकोर्ट के वकील अजय प्रताप सिंह राठौर ने अपना वकालतनामा लगाया है। उन्होंने 1725 पन्ने साक्ष्य के रूप में पेश किए हैं। शिकायतकर्ता के वकील का दावा है कि अभी तो केवल अमेठी, लखनऊ सदर व मोहनलालगंज में ही खरीदी गई जमीनों की रजिस्ट्री शिकायत के साथ संलग्न की गई है। जैसे-जैसे अन्य संपत्तियों का पता चलेगा, लोक आयुक्त को जानकारी दी जाएगी।
इस मामले को लेकर गायत्री प्रसाद प्रजापति ने अपनी सफाई पेश की है। प्रजापति का कहना है कि ये उनके राजनैतिक विरोधियों की साजिश है। लोग दूसरों की संपत्ति को भी मेरी बताकर आरोप लगा रहे हैं। अगर ये आरोप सही साबित हुए तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा।
शिकायतकर्ता का कहना है कि प्रजापति खुद तो एपीएल कार्डधारक हैं ही, जिनके नाम उन्होंने जमीनें खरीदी हैं, उनमें से भी कई एपीएल कार्डधारक हैं जिनकी सालाना आय 24 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ऐसे में सवाल यह है कि इनके पास जमीनें खरीदने का पैसा कहां से आया?
लोक आयुक्त न्यायामूर्ति एन.के. मेहरोत्रा ने बताया कि भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की शिकायत मिली है। दस्तावेज काफी हैं, अभी इसे देखा नहीं है। शिकायत का परीक्षण करने के बाद ही इस बारे में कु छ कहा जा सकता है।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...