नई दिल्ली। SC (सुप्रीम कोर्ट) ने सरकारी बंगलों पर कब्जा जमाए बैठे
मायावती सहित 6 पूर्व-मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले खाली करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश से इन मुख्यमंत्रियों को तगड़ा झटका दिया है।
केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज पूर्व-मुख्यमंत्रियों को दो महीने के भीतर सरकारी बंगले खाली करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब से पूर्व-मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले न दिए जाएं।
गौरतलब है कि पूर्व-मुख्यमंत्रियों द्वारा सरकारी बंगले खाली न करना लंबे समय से विवाद का विषय रहा है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश में एक सरकारी आदेश जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले दिए जायेंगे। इस फैसले के खिलाफ 2004 में लोक प्रहरी नाम के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि यह आदेश रद्द किये जाएं और अगर इसे जारी रखा गया तो देश के बाकी राज्यों पर भी इसका असर पड़ेगा। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।
उत्तर प्रदेश के छह पूर्व-मुख्यमंत्री ऐसे हैं जो अब भी उत्तर प्रदेश स्थित सरकारी बंगलों में रह रहे हैं। इनमें एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, बीजेपी नेता कल्याण सिंह, पूर्व कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और रामनरेश यादव शामिल हैं। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने जीवन भर बंगला देने की नीति को गलत करार दिया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को मंत्रियों को दिए जाने वाले सरकारी बंगले पर कब्जा करने के मामले में कड़ी फटकार लगाई थी।
सरकारी बंगले के विवाद में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी फंस चुके हैं। उमर अब्दुल्ला की पूर्व पत्नी पायल ने दिल्ली के अकबर रोड़ पर स्थित बंगले को खाली करने से मना कर दिया था जो बंगला उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री बनने के दौरान दिया गया था।
केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज पूर्व-मुख्यमंत्रियों को दो महीने के भीतर सरकारी बंगले खाली करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब से पूर्व-मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले न दिए जाएं।
गौरतलब है कि पूर्व-मुख्यमंत्रियों द्वारा सरकारी बंगले खाली न करना लंबे समय से विवाद का विषय रहा है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश में एक सरकारी आदेश जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले दिए जायेंगे। इस फैसले के खिलाफ 2004 में लोक प्रहरी नाम के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि यह आदेश रद्द किये जाएं और अगर इसे जारी रखा गया तो देश के बाकी राज्यों पर भी इसका असर पड़ेगा। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।
उत्तर प्रदेश के छह पूर्व-मुख्यमंत्री ऐसे हैं जो अब भी उत्तर प्रदेश स्थित सरकारी बंगलों में रह रहे हैं। इनमें एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, बीजेपी नेता कल्याण सिंह, पूर्व कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और रामनरेश यादव शामिल हैं। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने जीवन भर बंगला देने की नीति को गलत करार दिया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को मंत्रियों को दिए जाने वाले सरकारी बंगले पर कब्जा करने के मामले में कड़ी फटकार लगाई थी।
सरकारी बंगले के विवाद में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी फंस चुके हैं। उमर अब्दुल्ला की पूर्व पत्नी पायल ने दिल्ली के अकबर रोड़ पर स्थित बंगले को खाली करने से मना कर दिया था जो बंगला उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री बनने के दौरान दिया गया था।