रविवार, 16 फ़रवरी 2020

डॉ. निर्विकल्‍प अपहरण कांड: खेल खतम… पैसा हजम… जनता बजाए ताली

मथुरा। मशहूर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. निर्विकल्‍प अग्रवाल के अपहरण कांड में आखिर पुलिस ने वही किया, जिसका अंदेशा था।
मथुरा और आगरा से लखनऊ तक इस अपहरण कांड को लेकर हो रही पुलिस की फजीहत के बीच हाईवे थाना पुलिस ने गत 11 फरवरी 2020 की रात 10 बजकर 53 मिनट पर आईपीसी की धारा 364 A के तहत एक एफआईआर दर्ज कर उच्‍च अधिकारियों को यह संदेश दिया है कि ”तुम्‍हारी भी जै-जै हमारी भी जै-जै, न तुम जीते न हम हारे”





पुलिस द्वारा दर्ज की गई इस एफआईआर के मुताबिक हाईवे थाना क्षेत्र की गेटबंद पॉश कालॉनी राधापुरम एस्‍टेट निवासी डॉ. निर्विकल्‍प का अपहरण 10 दिसंबर 2019 को रात करीब 8 बजे थाना क्षेत्र के ही गोवर्धन फ्लाईओवर से तब कर लिया गया था जब वो महोली रोड अपने क्‍लीनिक से घर लौट रहे थे।
थाना प्रभारी इंस्‍पेक्‍टर जगदंबा सिंह की ओर से दर्ज कराई गई इस एफआईआर में सनी मलिक पुत्र देवेन्‍द्र मलिक निवासी न्‍यू सैनिक विहार कॉलानी थाना कंकरखेड़ा मेरठ, महेश पुत्र रघुनाथ निवासी ग्राम कौलाहार थाना नौहझील मथुरा, अनूप पुत्र जगदीश निवासी ग्राम कौलाहार थाना नौहझील मथुरा तथा नीतेश उर्फ रीगल पुत्र नामालूम निवासी भोपाल मध्‍यप्रदेश (हाल निवासी दिल्‍ली एनसीआर) को नामजद किया है।
पुलिस द्वारा एफआईआर में दर्ज घटनाक्रम पर भरोसा करें तो 10 दिसंबर 2019 की रात करीब 8 बजे हुई इस वारदात का पता बीट सूचना के जरिए हाईवे थाना प्रभारी को 11 फरवरी 2020 को दोपहर के वक्‍त लगा।
डॉ. निर्विकल्‍प का अपहरण कर उनसे 52 लाख रुपए की फिरौती वसूलने का मामला बीट के माध्‍यम से संज्ञान में आते ही ”उच्‍च अधिकारियों को अवगत कराकर” प्रभारी इंस्‍पेक्‍टर जगदंबा सिंह अपने साथ सर्विलांस सेल प्रभारी निरीक्षक जसबीर सिंह, एसओजी प्रभारी सुल्‍तान सिंह आदि के साथ डॉ. निर्विकल्‍प के राधापुरम एस्‍टेट स्‍थित निवास पर पहुंचे।
पुलिस का दावा है कि डॉ. निर्विकल्‍प ने पुलिस को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराते हुए जानकारी दी कि बदमाशों ने उनके ही मोबाइल फोन से उनकी पत्‍नी भावना को फोन करके 52 लाख रुपए की फिरौती लेकर घटना स्‍थल से बमुश्‍किल 100 मीटर दूर स्‍थित सिटी हॉस्‍पीटल के पास मुक्‍त कर दिया।
पुलिस की एफआईआर बताती है कि अब भी ”उक्‍त अज्ञात बदमाश” डॉ. निर्विकल्‍प को फोन करके 50 लाख रुपए और मांग रहे हैं। हालांकि नामजद एफआईआर के ब्‍यौरे में ”उक्‍त अज्ञात बदमाश” लिखा जाना भी समझ से परे है।
एफआईआर का ब्‍यौरा कहता है कि डॉ. निर्विकल्‍प के माता-पिता की काफी समय पहले आगरा में हत्‍या कर दी गई थी, जिस कारण डॉ. दंपत्ति बहुत डरे रहते हैं और इसलिए उन्‍होंने अपने साथ हुई वारदात का पुलिस से जिक्र नहीं किया।
हाईवे थाना प्रभारी जगदंबा सिंह की ओर से लिखाई गई एफआईआर के अनुसार नामजद चारों बदमाशों की जानकारी भी उन्‍हें डॉ. से न मिलकर सर्विलांस प्रभारी तथा एसओजी प्रभारी से मिली। इन दोनों अधिकारियों को बदमाशों के बावत सूचना उनके मुखबिर तथा गोपनीय सूत्रों ने दी।
पुलिस की एफआईआर पर भरोसा करें तो डॉ. द्वारा कोई सहयोग न किए जाने के बावजूद सर्विलांस प्रभारी तथा एसओजी प्रभारी को चंद घंटों के अंदर डॉ. से 52 लाख रुपए फिरौती वसूलने वाले चारों बदमाशों की पूरी कुंडली हाथ लग गई, लेकिन यह पता नहीं लगा कि अब जो बदमाश डॉ. से फोन पर फिर 50 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं, वह ज्ञात हैं अथवा अज्ञात।
डॉ. निर्विकल्‍प के अपहरण और उन्‍हें 52 लाख रुपए फिरौती लेकर मुक्‍त करने की घटना पर हाईवे थाना प्रभारी की ओर से एफआईआर दर्ज कराने की जानकारी आज लोगों को उस समय हुई, जब उन्‍होंने सुबह के अखबार पढ़े।
आगरा से प्रकाशित सभी प्रमुख अखबारों के समाचारों से लोगों को यह भी ज्ञात हुआ कि इस प्रकरण में एफआईआर लिखाने वाले प्रभारी निरीक्षक जगदंबा सिंह को ही अब निलंबित कर दिया गया है जबकि सीओ रिफाइरी को हटाकर उनके स्‍थान पर सीओ गोवर्धन को रिफाइनरी सर्किल का अतिरिक्‍त प्रभार सौंपा गया है। अब पता लगा है कि आई जी ने चारों नामजद आरोपियों पर 50-50 हजार रुपए के ईनाम की भी घोषणा कर दी है।
आईजी ए सतीश गणेश कर रहे हैं विभागीय जांच
गौरतलब है कि इस मामले की जांच करीब एक सप्‍ताह पूर्व से आईजी ए सतीश गणेश कर रहे हैं। आईजी ने इसमें मथुरा पुलिस के आधा दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों को तलब कर उनके बयान भी दर्ज कराए थे, साथ ही इसे लेकर आगरा जोन के एडीजी अजय आनंद समय-समय पर आगरा के मीडिया को अपना वर्जन देते रहे।
बताया जाता है कि मथुरा के पुलिस अधिकारियों ने अपने बयानों में बदमाशों द्वारा डॉक्‍टर का अपहरण कर फिरौती वसूले जाने की जानकारी आईजी को दी थी।
मथुरा पुलिस पर आरोप
11 फरवरी 2020 को हाईवे थाना पुलिस द्वारा लिखाई गई एफआईआर से पहले मथुरा पुलिस पर जो आरोप लग रहे थे उनके अनुसार घटना के तत्‍काल बाद पुलिस को डॉ. के अपहरण और फिरौती का पता ही नहीं लग चुका था, बल्‍कि बदमाश भी उसकी गिरफ्त में आ चुके थे।
इलाका पुलिस ने बदमाशों से फिरौती के पूरे 52 लाख रुपए बरामद कर उसका बंदरबांट कर लिया क्‍योंकि डॉ. दंपत्ति एफआईआर कराने को तैयार नहीं थे।
डॉ. दंपत्ति को संतुष्‍ट करने के लिए पुलिस ने उन्‍हें फिरौती की उतनी रकम लौटा दी जितनी उन्‍होंने इनकम टैक्‍स के झमेले में न पड़ने के कारण बताई।
पहले छपी खबरों में बताया गया कि पुलिस इस तरह फिरौती की रकम में से लगभग 40 लाख रुपए तथा बदमाशों को छोड़ने के एवज में मिले कई लाख रुपयों को भी हजम कर गई।
कुल मिलाकर देखा जाए तो सारा खेल इन्‍हीं लाखों रुपयों को लेकर शुरू हुआ था और अब भी उन्‍हीं पर टिका है।
खेल खतम… पैसा हजम
दरअसल, पैसा तो जहां ठिकाने लगना था वो लग गया, अब लकीर पीटी जा रही है क्‍योंकि डॉक्‍टर अब भी सामने आने को तैयार नहीं है। न वो फिरौती की रकम के लिए कोई क्‍लेम कर रहा है।
पुलिस को डॉक्‍टर ने अब तक जो भी बयान दिए हैं, उनसे मुकर जाना लाजिमी है क्‍योंकि वह किसी पचड़े में पड़ना ही नहीं चाहता।
इन हालातों में पुलिस एफआई दर्ज करके सिर्फ और सिर्फ खानापूरी ही कर रही है क्‍योंकि बदमाशों को गिरफ्त में लेने का उसके पास कोई आधार नहीं है।
अब एफआईआर क्‍यों
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल सिर्फ एक यह रह जाता है कि पुलिस को इस खानापूरी की जरूरत क्‍यों पड़ी।
इसके बारे में विभागीय सूत्र बताते हैं कि आईजी ए सतीश गणेश ने अपनी जांच पूरी करके रिपोर्ट लखनऊ भेज दी थी लिहाजा कुछ न कुछ तो करना था।
एक पक्ष यह भी
इस पूरे घटनाक्रम का एक पक्ष यह भी सामने आ रहा है कि उच्‍च पुलिस अधिकारियों के बीच सामंजस्‍य का अभाव तथा ईगो प्रॉब्‍लम देखते हुए लखनऊ से सारा मामला रफा-दफा करने के मौखिक आदेश दिए गए जिससे खाकी को बदनामी से बचाया जा सके।
लखनऊ में बैठे आला अधिकारी भी यह जानते और समझते हैं कि डकारे गए लाखों रुपए अब पुलिस से निकलवा पाना संभव नहीं है इसलिए किसी तरह इतना किया जाए कि शर्मिंदगी न झेलनी पड़े।
पुलिस के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि लखनऊ से मिले मौखिक आदेश-निर्देशों के अनुपालन में आगरा और मथुरा पुलिस ने यह कदम उठाया है। ये बात अलग है कि इसके दूरगामी परिणाम न पुलिस के हित में होंगे और न डॉक्‍टर के हित में। इससे सिर्फ हित पूरा होगा तो बदमाशों का ही होगा। आज डॉ. निर्विकल्‍प को निशाने पर लिया है तो कल किसी और को लिया जाएगा।
रही बात आम जनता की तो उसका क्‍या, वह हमेशा विजेता के पक्ष में ताली बजाने को खड़ी हो जाती है।
अंत में हैदर अली आतिश का ये शेर, और बात खत्‍म-
बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का
जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी
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