शनिवार, 18 अप्रैल 2015

50 वर्ष की लाइफ वाला ओवरब्रिज 50 दिनों से पहले ही हुआ ध्‍वस्‍त

-लोकार्पण से पहले ही सड़क का एक हिस्‍सा टूटकर गिरा
-पूरे ओवरब्रिज पर जगह-जगह पड़ी दरारें
-विद्युत कार्य की आड़ में आवागमन बंद करके सेतुनिगम करा रहा है मरम्‍मत कार्य
-निगम का कोई अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं
-एकसाथ सैंकड़ों जिंदगियां कभी भी पड़ सकती हैं खतरे में
50-year life overbridge is dismantled in only 50 daysसैंकड़ों जिंदगियां गंवाने के बाद कृष्‍ण की नगरी में उसकी पावन जन्‍मस्‍थली के निकट रेलवे क्रॉसिंग पर जब ओवरब्रिज बनने का रास्‍ता साफ हुआ तो उम्‍मीद की जा रही थी कि अब न केवल लोगों की जान का जोखिम खत्‍म हो जायेगा बल्‍कि आवागमन भी सुगम होगा।
लेकिन अब जबकि गोविंद नगर स्‍थित रेलवे क्रॉसिंग पर यह ओवरब्रिज बनकर तैयार हो चुका है तो पता लग रहा है कि इसके कारण तो खतरा और बढ़ गया है तथा सैंकड़ों जिंदगियां कभी भी एकसाथ खत्‍म हो सकती हैं।
उत्‍तर प्रदेश राज्‍य सेतु निगम द्वारा बनाया गया उक्‍त ओवरब्रिज आवागमन के लिए विधिवत खोले जाने से पूर्व ही ध्‍वस्‍त होने लगा है और उसमें जगह-जगह पड़ चुकी दरारें यह बता रही हैं कि यह किसी भी दिन बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
50-year life overbridge is dismantled in only 50 days
ओवरब्रिज के ऊपर काली पॉलीथिन डालकर मरम्‍मत कार्य करते सेतु निगम कर्मचारी
गौरतलब है कि देश के सर्वाधिक व्‍यस्‍त और सबसे अधिक तीव्र गति वाले रेल मार्ग पर बने गोविंद नगर ओवरब्रिज का लोकार्पण पिछले महीने प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव को करना था। अखिलेश यादव मथुरा आये भी किंतु वह दूसरे कार्यक्रमों में व्‍यस्‍तता के चलते इस ओवरब्रिज का लोकार्पण नहीं कर सके लिहाजा इसे अनौपचारिक तौर पर आवागमन के लिए खोल दिया गया।
चूंकि यह ओवरब्रिज नेशनल हाईवे नंबर- 2 को कृष्‍ण की पावन जन्‍मस्‍थली से जोड़ता है और कृष्‍ण जन्‍मस्‍थली के दर्शनार्थ प्रतिदिन हजारों की संख्‍या में देशी-विदेशी लोग यात्री बसों से अथवा निजी वाहनों से आते हैं अत: इस ओवरब्रिज के खुलते ही इस पर वाहनों का आवागमन शुरू हो गया।
इस पर बेफिक्र होकर दौड़ रहे वाहन चालकों को इस बात का इल्‍म तक नहीं हुआ कि भ्रष्‍टाचार के गारे से बने करीब 50 वर्ष की लाइफ वाले इस ओवरब्रिज ने तो 50 दिन में ही सेतु निगम की असलियत बता कर रख दी।
ओवरब्रिज की सड़क का एक हिस्‍सा जहां टूटकर गिर गया वहीं कई स्‍थानों पर दरारें आ गईं। ऐसे में सेतु निगम के स्‍थानीय प्रोजेक्‍ट मैनेजर तथा अभियंताओं के माथे पर बल पड़ना स्‍वाभाविक था।
करोड़ों की लागत से बने करीब 900 मीटर लंबे इस ओवरब्रिज की खामियां तथा अपना भ्रष्‍टाचार छिपाने के लिए सेतु निगम के स्‍थानीय अधिकारियों ने आनन-फानन में ओवरब्रिज पर ”सावधान! विद्युत कार्य प्रगति पर है” का ”स्‍टॉपर” लगाकर आवागमन बंद कर दिया और जहां से ओवरब्रिज की सड़क ध्‍वस्‍त हुई थी उसकी मरम्‍मत का कार्य शुरू कर दिया।
बड़ी चालाकी के साथ टूटी हुई सड़क के ऊपर काले रंग की मोटी पॉलीथिन बिछा दी गई और उसके ऊपर बिजली के तारों के बंडल रख दिये गये ताकि किसी को शक न हो। पॉलीथिन के निकट कुछ इस अंदाज में त्रिपाल की तरह कपड़ा डालकर काम किया जाने लगा जैसे धूप से बचाव किया जा रहा हो।
दरअसल इस सब की आड़ में ओवरब्रिज के नीचे की ओर काफी बड़े हिस्‍से पर लोहे की शटरिंग लगाकर और उसे नटबोल्‍ट आदि से कसकर दुरुस्‍त करने का प्रयास किया जा रहा था।
50-year life overbridge is dismantled in only 50 days
ओवरब्रिज की सड़क पर नीचे की ओर लगाई गई शटरिंग जिसे क्‍लेंप (लाल घेरे में) से कसकर टिकाया हुआ है।
”लीजेण्‍ड न्‍यूज़” को जब सेतु निगम के इस कारनामे की जानकारी हुई तो सबसे पहले मौके पर जाकर अधिकारियों द्वारा की जा रही लीपापोती के फोटोग्राफ्स लिये और फिर पूरे मामले की जानकारी करने का प्रयास किया।
ओवरब्रिज पर मरम्‍मत कार्य करा रहे सेतु निगम के कर्मचारी द्वारा सूचित किये जाने पर कोई वीरेन्‍द्र नामक अभियंता और उनके साथ आये किन्‍हीं सिंह साहब और शर्मा जी ने अधिकृत रूप से अपना वक्‍तव्‍य देने में तो खुद को असमर्थ बताया लेकिन इतना कहा कि बेमौसम हुई बारिश के कारण ओवरब्रिज क्षतिग्रस्‍त हुआ है। हम उसे ठीक करने में लगे हैं। जल्‍द ही ठीक हो जायेगा।
यह पूछे जाने पर कि 50 वर्ष की मियाद वाला ओवरब्रिज 50 दिन से पहले ही कैसे क्षतिग्रस्‍त हो सकता है जबकि उसके निर्माण में बारिश आदि के होने का ध्‍यान तो रखा गया होगा, वह कोई उत्‍तर नहीं दे सके।
उनके द्वारा यह जरूर बताया गया कि कोई आरके सिंह इस ओवरब्रिज के प्रोजेक्‍ट मैनेजर हैं जो आगरा बैठते हैं और यहां आते-जाते रहते हैं। प्रोजेक्‍ट मैनेजर आरके सिंह का न तो उन्‍होंने कोई कॉन्‍टेक्‍ट नंबर बता कर दिया और ना बात कराना जरूरी समझा। हां, इस आशय का अनुरोध अवश्‍य करते रहे कि ज्‍यादा बड़ा मामला नहीं है, आप इसे इतनी गंभीरता से न लें।
विधिवत लोकार्पण होने से पहले ही तथा एक माह के अंदर हुए ओवरब्रिज के इस हाल की पुनरावृत्‍ति आगे नहीं होगी, इस बात की क्‍या गारंटी है और यह किसी बड़े हादसे का कारण नहीं बनेगा, इसकी जिम्‍मेदारी कौन लेगा, इन शंकाओं के बारे में सेतु निगम के इन अधिकारी व कर्मचारियों के पास कहने को कुछ नहीं था।
यहां यह जान लेना और जरूरी है कि सेतु निगम की यही टीम मथुरा में यमुना नदी पर बने पुराने पुल की मियाद खत्‍म हो जाने के कारण अब नये पुल का निर्माण कर रही है। यह पुल गोविंद नगर रेलवे क्रॉसिंग पर बने पुल से काफी लंबा बनना है और उससे कई गुना अधिक लागत में बनना है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव संभवत: सही कहते हैं कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का ध्‍यान सिर्फ कमीशनखोरी पर है इसलिए न तो जनभावना के अनुरूप काम हो पा रहे हैं और न उत्‍तर प्रदेश सरकार की छवि सुधर पा रही है।
आश्‍चर्य की बात यह है कि सेतु निगम ने यह कारनामा तब कर दिखाया जब खुद मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव मथुरा जैसी विश्‍व प्रसिद्ध धार्मिक जगह के विकास कार्यों में स्‍वयं रुचि ले रहे हैं और चाहते हैं कि 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान यहां कम से कम उनकी पार्टी का खाता तो खुल जाए।
एक अन्‍य आश्‍चर्य की बात यह है कि माननीय मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा और सपा मुखिया मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव ही सेतु निगम के चेयरमैन हैं और वो भी अक्‍सर मथुरा आते रहते हैं। किंतु लाखों लोगों की आंखों में धूल झोंककर भ्रष्‍टाचार करने में माहिर सेतु निगम के अधिकारियों को उनकी आंखों में धूल झोंकते परेशानी क्‍यों होने लगी।
50 वर्ष की लाइफ वाले ओवरब्रिज का 50 दिनों से पहले ही क्षतिग्रस्‍त हो जाने पर अन्‍य तकनीकी जानकारों का कहना है कि इसका एकमात्र कारण मानक के अनुरूप निर्माण सामग्री का इस्‍तेमाल न किया जाना और उसके अनुपात में भारी हेरफेर किया जाना ही होता है। दूसरे किसी कारण से कोई ओवरब्रिज इतने कम समय में क्षतिग्रस्‍त हो ही नहीं सकता।
अब सवाल यह पैदा होता है कि 50 साल की लाइफ वाला जो ओवरब्रिज लोकार्पण से पहले ही एक महीने के अंदर क्षतिग्रस्‍त हो गया, उसे कितने समय तक और कैसे उपयोगी बनाये रखा जा सकता है?
सवाल यह भी है कि जिस तरह लीपापोती करके और सरकार से लेकर आमजन तक की आंखों में धूल झोंककर इसे उपयोगी बनाने का प्रयास किया जा रहा है, क्‍या उस तरह यह किसी भी दिन एकसाथ सैंकड़ों लोगों की जिंदगी के लिए खतरे का कारण नहीं बन जायेगा?
सवाल बहुत हैं किंतु जवाब देने वाला कोई नहीं। सेतु निगम के अधिकारी व कर्मचारी तो अपना मुंह सिलकर बैठे हुए हैं।
अब देखना सिर्फ यह है कि सीमेंट, बजरी, लोहे और कंक्रीट के साथ भारी भ्रष्‍टाचार के गारे से गोविंदनगर रेलवे क्रॉसिंग पर बना यह ओवरब्रिज मरम्‍मत के सहारे कितने दिन चलता है और कितने बड़े हादसे का कारण बन पाता है।
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष
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