शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

एक सरकारी पाती, जिसने राजनीति में 'फैलिन' ला दिया

लखनऊ 
उत्तर प्रदेश सरकार के एक पत्र से बवाल खड़ा हो गया है। यह कोई मामूली चिट्ठी नहीं है। इसके जरिए सोमनाथ मंदिर की तरह अयोध्या में राममंदिर के पुनर्निमाण पर चर्चा के लिए फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई है। इस चिट्ठी से राजनीतिक हलकों में भूचाल आ गया है।
राज्य सरकार के सचिव सतीश चंद्र द्वारा जारी इस पत्र में डीजीपी व अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से सोमवार शाम को उपस्थित होने के लिए कहा गया है। प्रिंसिपल सेक्रेट्री (गृह) के कार्यालय में बुलाई गई इस बैठक में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर अयोध्या में राम मंदिर के पुनर्निमाण के लिए संसद में कानून बनाने पर चर्चा करने की बात कही गई है।
प्रिंसिपल सेक्रेट्री (गृह) आर. एम. श्रीवास्तव को छोड़कर जिन अधिकारियों को बैठक में बुलाया गया है उनका सीधा संबंध जिले की कानून-व्यवस्था से है लेकिन बैठक के विषय ने सबके कान खड़े कर दिए हैं। श्री रामजन्मभूमि का उल्लेख विवादित स्थल के तौर पर संघ परिवार ही करता है। साथ ही सोमनाथ का उल्लेख भी संशय पैदा करता है क्योंकि भाजपा और संघ परिवार अपने अभियान का बचाव यह कहते हुए करते रहे हैं कि आजादी के बाद सोमनाथ में शिव मंदिर के पुनर्निमाण के लिए सरकार का समर्थन रहा। साथ ही वीएचपी लंबे समय से अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए जाने की मांग करती रही है।
एक अखबार के अनुसार जब इस बैठक की अध्यक्षता करने वाले प्रिंसिपल सेक्रेट्री (गृह) श्रीवास्तव से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मामले को दबाते हुए कहा कि बैठक वीएचपी के ताजा मंदिर अभियान पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। श्रीवास्तव ने कहा कि वीएचपी ने संकल्प दिवस मनाने की योजना बनाई है जिसमें उसके कार्यकर्ता राम मंदिर निर्माण की शपथ लेंगे। जहां तक सोमनाथ के उल्लेख की बात है तो इस पर श्रीवास्तव ने कहा कि वीएचपी इससे पहले सोमनाथ में संकल्प दिवस मना चुकी है और इसीलिए लगता है कि सोमनाथ का जिक्र किया गया है।

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