गुरुवार, 21 मई 2015

फार्मेसी कॉउंसिल से अप्रूवल के बिना ही करा दी बी फार्मा, अब भटक रहे हैं छात्र

लखनऊ। शिक्षा माफिया के सामने प्रदेश का तंत्र किस कदर असहाय और बौना साबित हो रहा है इसका ज्‍वलंत उदाहरण हैं वो कॉलेज जिन्‍होंने फार्मेसी कॉउंसिल ऑफ इंडिया से अप्रूवल लिए बिना ही हजारों छात्रों को बी. फार्मा करा दी।
अब ये छात्र अपना रजिस्‍ट्रेशन कराने के लिए भटक रहे हैं किंतु उत्‍तर प्रदेश फॉर्मेसी काउंसिल उनका रजिस्‍ट्रेशन करने को तैयार नहीं है। फार्मेसी काउंसिल ने उनकी वैधता पर प्रश्‍न चिन्‍ह लगा दिया है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों से बी. फार्मा कर चुके ऐसे हजारों छात्र अब भटकने को मजबूर हैं।
कहा जा रहा है कि इन छात्रों ने जिन कॉलेज में दाखिला लिया था, उन्हें फार्मेसी कॉउंसिल ऑफ इंडिया से अप्रूवल ही नहीं है।
आरोप है कि कॉलेजों ने यूपीटीयू के तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से पहले बिना अप्रूवल दाखिले लिए और बाद में छात्रों को दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट कर दिया गया। पूरे मामले की जानकारी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया को भेज दी गई है।
लखनऊ स्थित चरक इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी ने वर्ष 2009 में बी फॉर्मा कोर्स में दाखिले लिए थे। कॉलेज ने एआईसीटीई से कोर्स की मान्यता लेकर यूपीटीयू से सबद्धता हासिल कर ली। इसके मुताबिक दाखिले भी कर लिए, लेकिन कोर्स को फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से अप्रवूल नहीं मिला। इसके बावजूद कोर्स शुरू हुआ और यूपीटीयू के तत्कालीन अधिकारियों ने परीक्षा भी करा दी।
इसके बाद छात्रों को यूपीटीयू की संस्तुति पर दूसरे मान्यता प्राप्त कॉलेज से संबद्ध करा दिया गया। छात्रों ने दूसरे से लेकर चौथे साल तक की पढ़ाई दूसरे कॉलेजों में की। कोर्स पूरा होने के बाद ये छात्र सुनहरे भविष्य का सपना देख रहे थे जबकि यूपी फार्मेसी काउंसिल ने पहले वर्ष के दाखिले ही अवैध करार देते हुए पंजीकरण से इंकार कर दिया।
उलझन में छात्र
प्रदेश की राजधानी स्थित चरक इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी समेत प्रदेश के कई ऐसे कॉलेजों के छात्र अब परेशान हैं। आरोप है कि यूपीटीयू अधिकारियों की मिलीभगत के चलते उनका करियर चौपट होने के कगार पर है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के दर्जनों कॉलेज इस घपले में शामिल हैं और वो अब तक हजारों छात्रों को बी. फार्मा का कोर्स करा चुके हैं लेकिन उनका पंजीकरण नहीं किया जा सकता।
उप्र फार्मेसी काउंसिल के पास लगातार ऐसे छात्र पहुंच रहे हैं। इन मामलों की रिपोर्ट फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के पास भेज दी गई है। वहीं, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट मिलने के बाद यूपीटीयू या संबंधित कॉलेज के प्रतिनिधियों को पेश होने को कहा था, बावजूद इसके न तो यूपीटीयू से कोई गया और न ही कॉलेजों ने कोई दिलचस्पी दिखायी। ऐसे में खुद को ठगा महसूस कर रहे छात्र अब कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष
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