गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

हीरा (धोखा) है सदा के लिए

दूध, दही, घी और मावा (खोआ) ही नहीं, आभूषणों में जड़ा हीरा भी है सिंथेटिक
कहावत के तौर पर बताते हैं कि इस देश में कभी दूध-दही की नदियां बहती थीं। आशय यह है कि यहां दूध दही प्रचुर मात्रा में था। अब इसे ज्‍यामितीय विधि से बढ़ती जनसंख्‍या का दबाव कहें या गाय-भैंस जैसे दुधारू पशुओं की दिन-प्रतिदिन घटती तादाद कि दूध-दही ही नहीं, उससे बनने वाले सभी सामान का अभाव है लिहाजा सिंथेटिक यानि मिलावटी अथवा नकली उत्‍पाद की भरमार है। दूध में मिलावट का आलम तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट तक को इसमें दखल देकर कहना पड़ा कि मिलावटी दूध की बिक्री हर हाल में रोकी जाए। इस सब के बावजूद आज भी बाजार में सिंथेटिक दूध, दही, घी, मावा (खोआ) तथा पनीर सहित दूध से बनने वाले अनेक उत्‍पाद सिंथेटिक बिक रहे हैं जबकि वो बहुत सी जानलेवा बीमारियों के कारक हैं।
खैर…यह तो बात हो गई दूध व दूसरे दुग्‍ध उत्‍पादों की, लेकिन हम आज आपको बता रहे हैं एक ऐसे बेशकीमती पदार्थ की जिसके आकर्षण से शायद ही कभी कोई अछूता रह पाया हो। जिस किसी के पास थोड़ी सी संपन्‍नता आई, वह सबसे पहले उसे पाने की चाहत रखता है। फिर वह चाहे कोई स्‍त्री हो या पुरुष।
जी हां! हम बात कर रहे हैं हीरे की। हीरा और उससे जड़े आभूषणों की। उस हीरे की जिसके लिए विज्ञापन में कहा जाता है- ”हीरा है सदा के लिए”।
अब हम आपको हीरे से जुड़ी वह सच्‍चाई बताने जा रहे हैं जिसे आप न तो जानते हैं और न जान सकते हैं। कर सकते हैं तो केवल इतना कि हीरे के आकर्षण को छोड़कर ठगाई से बच सकते हैं।
आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि दूध और दूध से बने उत्‍पादों तथा तमाम खाद्य सामग्रियों की तरह वह हीरा भी आपको सिंथेटिक ही बेचा जा रहा है जिसे असली बताकर प्रति रत्‍ती के हिसाब से आपकी जेब तराशी जाती है। कहते हैं कि असली हीरे की धार बहुत तेज होती है, किंतु सर्राफा व्‍यवसाई नकली हीरे से आपकी बेहिसाब जेब काट रहे हैं और आपको इसका अहसास तक नहीं होता। आप हीरे के आकर्षण में बंधे मोटी रकम देकर घर चले आते हैं यह सोचकर कि ”हीरा है सदा के लिए”।
लीजेण्‍ड न्‍यूज़ ने जब हीरा जड़ित आभूषणों की सच्‍चाई जाननी चाही तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। और यह खुलासा किसी अन्‍य ने नहीं, खुद डायमंड ट्रेड से जुड़े एक दिग्गज कारोबारी ने किया।
उसने बताया कि लगभग हर शहर में मौजूद नामचीन यानि ब्रांडेड जूलर्स से लेकर हर तरह के आभूषण बेचने वालों तक में से किसी को कभी आपने यह कहते नहीं सुना होगा कि वह सिंथेटिक डायमंड से जुड़े आभूषण बेचता है। आपने कभी सिंथेटिक डायमंड की बिक्री के लिए कोई विज्ञापन भी नहीं देखा होगा जबकि डायमंड से जुड़े जितने भी आभूषण बाजार में बिकते हैं, उनमें सिंथेटिक डायमंड ही इस्‍तेमाल हो रहा है लेकिन कीमत असल डायमंड की वसूली जाती है। उन्‍होंने बताया कि इसीलिए आज आभूषणों की बिक्री के लिए भी जूलर्स द्वारा नित नई स्‍कीम लांच की जाती हैं। कोई उसमें छूट देने की बात करता है तो कोई मेकिंग चार्ज न लेने की। बहुत से लोग ऐसी स्‍कीम के तहत महंगी-महंगी गाड़ियां ईनाम में देने का प्रलोभन दे रहे हैं। हालांकि असली डायमंड कारोबारी अपने स्‍तर से इसका विरोध कर रहे हैं क्‍योंकि इससे न सिर्फ डायमंड व्‍यवसाय का नाम बदनाम हो रहा है, बल्‍कि उनका धंधा भी प्रभावित होता है।
मात्र 15 दिन पहले ही कॉमर्स मिनिस्ट्री ने सिंथेटिक डायमंड के इस अवैध कारोबार के बारे में आगाह किया है। उसने मुंबई की एक ट्रेड एसोसिएशन से पूछा भी है कि असली और सिंथेटिक डायमंड के बीच फर्क की क्‍या पहचान है क्‍योंकि आज सिंथेटिक  डायमंड पूरे देश में बेचा जा रहा है।
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने सिंथेटिक डायमंड के बारे में दूसरे देशों से इंपोर्ट के तौर-तरीकों की भी जानकारी मांगी है।
बताया जाता है कि सिंथेटिक डायमंड असल डायमंड की तुलना में आधी कीमत के होते हैं। सिंथेटिक डायमंड्स विदेश में लैब के अंदर बनाए जाते हैं। वहां से ये सूरत तथा मुंबई के ट्रेडर्स के पास पहुंचते हैं और फिर देशभर में।
विदेश से सिंथेटिक डायमंड आसानी के साथ आ पाने की वजह यह है कि भारत में सिंथेटिक डायमंड के लिए अलग से कोई कोड नहीं है जबकि हर कमोडिटी का एक नंबर वाला कोड होता है। यह कोड उस वक्त कस्टम डिपार्टमेंट को बताना पड़ता है जब कोई सामान विदेश से देश के अंदर लाना होता है। इसे हार्मनाइज्ड कमोडिटी डिस्क्रिप्शन ऐंड कोडिंग सिस्टम या एचएस कोड कहते हैं।
यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि चीन में नेचुरल और सिंथेटिक डायमंड के लिए अलग-अलग कोड हैं और इसलिए भारत के असली डायमंड कारोबारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि हमारे यहां भी ऐसा ही सिस्‍टम लागू किया जाए। साथ ही सिंथेटिक डायमंड ड्यूटी फ्री न रहे।
भारत में जो सिंथेटिक डायमंड आता है, उसे 7104 कैटेगरी में डाला जाता है। यह अलग-अलग तरह के सिन्थेटिक स्टोन की कैटेगरी है। इसके लिए अलग कोड न होने के कारण सरकार या ट्रेड एसोसिएशन के लिए यह बताना मुश्किल है कि देश में कितना सिंथेटिक डायमंड आ रहा है।
गौरतलब है कि भारत के अंदर करीब 74 प्रतिशत सिंथेटिक डायमंड सूरत में आता है और यहां से देश का करीब 94 प्रतिशत डायमंड एक्सपोर्ट किया जाता है।
डायमंड कारोबारियों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि सिंथेटिक डायमंड को नेचुरल डायमंड में आसानी से मिलाया जा सकता है। पॉलिश होने के बाद दोनों में फर्क का पता नहीं चलता। किसी जूलरी में लगने के बाद डायमंड की जांच भी नहीं हो सकती।’
यही कारण है कि नामचीन से नामचीन सर्राफा व्‍यवसाई असली हीरे के नाम से बड़े पैमाने पर सिंथेटिक हीरे वाली जूलरी को खपा कर लोगों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी कर रहे हैं।
चूंकि भारत के लोग अपनी कोई भी जूलरी बहुत ही विषम परिस्‍थितियों के चलते बेचना मंजूर करते हैं इसलिए वह असली कीमत देकर नकली यानि सिंथेटिक हीरे को गले लगाये रहते हैं।
ऐसे में जरूरत है तो इस बात की कि धोखाधड़ी के इस अवैध कारोबार पर लगाम लगाई जाए क्‍योंकि इससे एक ओर जहां बेईमान सर्राफा व्‍यवसाई हीरे के आकर्षण का लाभ उठाकर करोड़ों नहीं, अरबों रुपए का चूना लगा रहे हैं वहीं दूसरी ओर बेखौफ होकर ग्राहकों के भरोसे का खून किया जा रहा है।
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी
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