Blog serves news about Corruption in India,Dirty politics,corruption free India,corruption in politics,real estate,Dharm and Society
शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010
एक नदी की मौत!
मथुरा। (लीजेण्ड न्यूज़), क्या यमुना मर रही है? क्या यमुना मर चुकी है? कौन हैं यमुना की मौत या उसे मौत के मुहाने तक ले जाने के जिम्मेदार? क्या एक नदी की बेरहम हत्या करने वालों को कहीं से कोई सजा मिलेगी या देश की अदालतें, सरकार तथा जनमानस सब तमाशबीन बने रहेंगे और यमुना मात्र एक अतीत, इतिहास अथवा किंवदंती बनकर रह जायेगी?
ये कुछ प्रश्न हैं जो यमुना की वतर्मान दुर्दशा के कारण उठ रहे हैं लेकिन अफसोस कि इनमें से किसी प्रश्न का उत्तर देने वाला आज कोई नहीं।
यूं तो अपने उदगम स्थल से लेकर मथुरा तक यमुना तमाम कारणों से दम तोड़ रही है परन्तु दिल्ली तथा उसके आगे तक यमुना का अस्ितत्व उस दिन खतरे में पड़ चुका था जिस दिन पहले दिल्ली में ओखला बांध की नींव पड़ी और फिर मथुरा में गोकुल बैराज की आधारशिला रखी गई। रही-सही कसर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा बनाई गई 5 सदस्यीय मॉनीटरिंग कमेटी के अध्यक्ष ए. डी. गिरी की करीब पांच साल पूर्व हुई मृत्यु ने पूरी कर दी। गिरी की मृत्यु के बाद तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी यमुना की सुधि लेना लगभग बंद कर दिया। उच्च न्यायालय की इस मामले में उदासीनता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि ए. डी. गिरी की मृत्यु से रिक्त हुए मॉनीटरिंग कमेटी के अध्यक्ष का पद अब तक नहीं भरा गया जबकि इस बावत प्रार्थना पत्र वर्ष 2007 से न्यायालय में लंबित है।
गिरी के पद पर पुनर्नियुक्ित के लिए न्यायालय में 25 जनवरी 2007 को प्रार्थना पत्र देने वाले और यमुना को प्रदूषण से मुक्ित दिलाने हेतु याचिका दायर करने वाले गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी का कहना है कि दिल्ली में ओखला पर बांध बनाकर यमुना की सांसें थामने का जो कार्य सरकार ने शुरू किया था उसे मथुरा में एक अरब रूपये की लागत से गोकुल बैराज बनाकर पूरा कर दिया। गोकुल बैराज बन जाने के बाद से यमुना शनै:-शनै: एक गंदे नाले में तब्दील होती जा रही है। यमुना एक्शन प्लान के पहले चरण में करोडों रूपया खर्च हो जाने के बावजूद यमुना का प्रदूषण घटने की बजाय बढ़ रहा है। आज इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर यमुना में ओखला से 100 क्यूसिक तथा हरनौल एस्केप से 150 क्यूसिक छोड़े जा रहे पानी की बात न करें तो दिल्ली से आगे यमुना केवल गंदा नाला अथवा सीवर टैंक बनकर रह गई है।
घोर दु:ख की बात यह है कि अब भी यमुना को बचाने की कोशिश करने के बजाय इससे जुड़े नेता व अधिकारी यमुना एक्शन प्लान के दूसरे चरण को इसलिए चौपट करने का षड्यंत्र रच चुके हैं ताकि अपनी जेबें भरी जा सकें।
पैसे के भूखे इन अफसरों तथा नेताओं ने यमुना एक्शन प्लान के दूसरे चरण को दरकिनार कर यमुना को प्रदूषण मुक्त करने का कार्य मथुरा-वृंदावन में प्रदेश की मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजक्ट का हिस्सा बना दिया है।
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर यमुना एक्शन प्लान के तहत मथुरा-वृंदावन में यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 450 करोड़ रूपये की धनराशि देना तय हुआ। इसमें से 104 करोड़ की धनराशि वृंदावन के लिए तथा शेष मथुरा के लिए थी।
इस धनराशि के उपयोग हेतु कुछ ऐसा खाका तैयार किया गया था जिस पर चलकर 25 से 40 वर्षों तक मथुरा-वृंदावन में यमुना के अंदर कहीं से भी एक बूंद गंदा पानी न जा सके लेकिन निजी स्वार्थ में लिप्त सरकारी मशीनरी व नेताओं ने अपना अलग खाका तैयार करा लिया। इस नये खाके में वृंदावन नगर पालिका का केवल वर्तमान एरिया और मथुरा में बंगाली घाट व उसके सामने यमुना पार का थोड़ा सा हिस्सा ही लिया गया है जबकि समूचे मथुरा-वृंदावन को शामिल किये बगैर यहां यमुना सफाई का कार्य हो ही नहीं सकता।
जब तक मथुरा के 19 नाले तथा वृंदावन के सभी 18 नालों का गंदा पानी और मथुरा में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध कट्टीघर का खून यमुना में गिरना बंद नहीं हो जाता तब तक यमुना के प्रदूषण मुक्त होने की बात सोचना सिवाय धोखे के कुछ नहीं।
ऐसा नहीं है कि इस स्िथति से इलाहाबाद उच्च न्यायालय अनभिज्ञ हो लेकिन वह पता नहीं क्यों उदासीन रवैया अपनाये हुए है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्िटस गिरधर मालवीय व दूसरे न्यायाधीश के. डी. शाही की दो सदस्यीय पीठ ने यमुना एक्शन प्लान की मॉनिटरिंग के लिए रिटायर्ड सॉलीसीटर जनरल ए. डी. गिरी की अध्यक्ष्ाता वाली पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया।
इस कमेटी का सचिव इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ही सीनियर एडवोकेट दिलीप गुप्ता को बनाया गया। कमेटी के पदेन सदस्यों में यमुना एक्शन प्लान के प्रोजेक्ट मैनेजर और मथुरा के डीएम व एसएसपी को रखा गया। यह कमेटी हर महीने याचिकाकर्ता गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी व नोडल अधिकारी एडीएम प्रशासन मथुरा को साथ लेकर यहां विजिट करके अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपती थी लेकिन वर्ष 2005 में कमेटी के अध्यक्ष ए. डी. गिरी की मृत्यु हो गई और तब से यमुना एक्शन प्लान लावारिस हो गया। आश्चर्यजनक रूप से उच्च न्यायालय ने ए. डी. गिरी के पद पर अब तक किसी की नियुक्ित नहीं की जिस कारण पूरी कमेटी निष्िक्रय पड़ी है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता द्वारा इस बावत वर्ष 2007 में दिये गये प्रार्थना पत्र पर भी संज्ञान नहीं लिया है।
जे नर्म के नाम से मशहूर जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूअल मिशन के तहत इस मद में मथुरा के लिए केवल 80 करोड़ रूपये स्वीकृत हुए हैं और वृंदावन इसमें शामिल है नहीं जबकि यमुना एक्शन प्लान में यह हिस्सा मथुरा-वृंदावन के लिए 450 करोड़ का था। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि जिस कार्य के लिए यमुना एक्शन प्लान के दूसरे चरण में 450 करोड़ रूपये की भारी-भरकम धनराशि मुकर्रर की गई थी वह मथुरा में जे नर्म के 80 करोड़ तथा वृंदावन में मुख्यमंत्री ड्रीम प्रोजेक्ट के 34 करोड़ रूपयों में कैसे पूरा हो जायेगा। इस कार्य के लिए जरूरी बाकी 336 करोड़ रूपये कहां से आयेंगे।
यदि यमुना की प्रदूषण मुक्ित को लेकर यही रवैया रहा और शासन व प्रशासन के मौहरे शह तथा मात का खेल इसी प्रकार खेलते रहे तो यमुना केवल और केवल सीवर का टैंक बनकर रह जायेगी।
यदि यमुना की मौत होती है तो गंगा को भी बचा पाना संभव नहीं होगा। प्रसिध्द पर्यावरणविद् और गंगा तथा यमुना प्रदूषण के मुद्दे को कोर्ट तक ले जाने वाले एम. सी. मेहता ने कहा है कि जब तब गंगा की 14 सहायक नदियां शुध्द नहीं होतीं तब तक गंगा को शुध्द नहीं किया जा सकता।
एम. सी. मेहता की चेतावनी पर समय रहते गौर नहीं किया गया और यमुना जैसी जीवन दायिनी नदी की पल-पल हो रही मौत पर सब नहीं चेते तो इसके गंभीर परिणाम समूचे देश को भुगतने होंगे।
यमुना की कल-कल में समाई उसकी धड़कन को लौटाने का जिम्मा केन्द्र के साथ-साथ प्रदेश की सरकारों, न्यायपालिका, धर्माचार्यों, मीडियाकर्मियों का तो है ही, व्यापारी, उद्योगपति एवं जनसामान्य का भी है क्योंकि यमुना को मौत के मुहाने तक ले जाने में कहीं न कहीं हम सब की हिस्सेदारी रही है। हम मानें या ना मानें पर कड़वा सच यही है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
nadi ki maut par ab rone se kya laabh?
जवाब देंहटाएंThanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!
जवाब देंहटाएंGiaonhan247 chuyên dịch vụ mua đồng hồ amazon trên web pandora úc hay trên web ebay việt nam cũng như hướng dẫn cách mua hàng trên amazon ship về việt nam uy tín và các thủ tục gửi hàng đi mỹ giá rẻ uy tín nhất.