शनिवार, 22 मार्च 2014

सेक्‍स के बाजार में कभी मंदी नहीं आती

मुंबई। 
जब भी बॉलीवुड में सेक्स और कामुकता की बात आती है तो अभिनेत्री सनी लियोन का नाम सबसे पहले जुबान पर आता है। सनी को भी अपने बोल्डनेस से कोई परहेज नहीं है। वे अपने सेक्सी अवतार से खुश हैं और कहती हैं कि सेक्स 'मंदी' से प्रभावित नहीं होता है। अपनी फिल्म 'रागिनी एमएमएस 2' के प्रमोशन के दौरान सनी ने संवाददाताओं से कहा कि 'मुझे इस बात में कोई बुराई नहीं लगती है कि फिल्मों में सेक्स अपील ज्यादा होने लगी है। सनी कहती हैं कि जिस चीज की मार्केटिंग से फिल्म को फायदा पहुंचता है उसके इस्तेमाल में नुकसान नहीं है।' उन्होंने साफ कहा कि हर क्षेत्र में मंदी का दौर चल रहा है, लेकिन सेक्स में कभी मंदी नहीं आती, ये हमेशा चलने वाला बाजार है। सनी ने कहा कि, 'मेरी फिल्मों में बोल्डनेस ज्यादा होती है और लोगों को वो पसंद भी आती है। दर्शक यही देखना चाहते हैं इसलिए हम उन्हें यही दिखाते हैं।'
गौरतलब है कि कल सनी की फिल्म रागिनी एमएमएस 2 रिलीज हो गई है।

करोड़पति जनसेवकों के पास कहां से आया इतना पैसा?


1.  मीनाक्षी लेखी भी हैं 34 करोड़ की मालकिन

नई दिल्ली लोकसभा सभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी एवं पार्टी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को नामांकन के दौरान दायर हलफनामे में अपनी कुल चल-अचल संपत्ति 34 करोड़ रुपए बतायी है. यह लेखी, उनके पति और दोनों बच्चों की संयुक्त संपत्ति है. लेखी के पास 1,170 ग्राम सोने के गहने हैं जिनकी कीमत 32 लाख रुपये है जबकि 390 ग्राम पोल्की है जिनका मूल्य 13 लाख रुपए है.
लेखी और उनके पति सात करोड़ रुपये की चल संपत्ति के जबकि 27.9 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति के मालिक हैं. लेखी के पति पर 32 लाख रुपए की देनदारी भी है.

2.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र व महरौली से विधायक प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने बताया है कि उनके पास कुल 10.72 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति है. उनके पास 75 लाख रुपये कीमत की कृषि भूमि है जबकि उनकी पत्नी 3.50 करोड़ रुपये कीमत की कृषि भूमि की मालिक हैं. इसके अलावा दोनों पति पत्नी के नाम कुछ और भी अचल संपत्ति है.

3. 'आप' की शाजिया भी हैं खास: करोड़पति तो हैं हीं, 3 मुकद्दमे भी हैं

गाजियाबाद से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार शाजिया इल्मी मलिक ने शुक्रवार को नामांकन के दौरान निर्वाचन अधिकारी को जानकारी दी कि वह ग्रेटर कैलाश की रहने वाली है। वर्ष 2012-13 में उनकी आय 2 लाख 82 हजार 750 रुपए की है जबकि उनके पति साजिद मलिक की आय 2012-13 में 88 लाख 13 हजार 20 रुपए की है।
साथ ही उन्होंने निर्वाचन अधिकारी को बताया कि वह दो करोड़ 67 लाख 24702 की मालिकन हैं जबकि उनके पति 13 करोड़ 32 लाख 68 हजार 830 रुपए की संपत्ति है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1995 में जर्नालिस्ट कोर्स तथा मास्टर इन मास कम्युनिकेशन दिल्ली से की है। शाजिया इल्मी मलिक पर भी तीन मुकदमें दर्ज है।
भाजपा उम्मीदवार जनरल वीके सिंह की 2012-13 में 54 लाख रुपए की आय है। उनकी अचल चल सम्पत्ति की कीमत 1 करोड़ 84 लाख 6 हजार 53 रुपए है जबकि उनकी पत्नी की सम्पत्ति 29 लाख 50 हजार 51 रुपए है। वीके सिंह पर तीन मुकदमें चल रहे हैं।
सिंह ने कहा कि फौजी किसी धर्म व जाति का नहीं होता वह गाजियाबाद की जनता की सेवा करने के लिए व समस्याओं को दूर करने के लिए गाजियाबाद आए हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो पार्टी 40 दिन में ही सरकार छोड़ भाग जाए वह क्या विकास कर सकेगी।
शाजिया इन दिनों प्रचार में लगी हैं और अपने नए अवतार के साथ वो घर-घर जाकर मिल रही हैं। शाजिया शुक्रवार को चुन्नी ओड़कर गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ महादेव मंदिर में मत्था टेकने पहुंची। उन्होंने यहां शिवलिंग पर दूध चढ़ाया और पूजा अर्चना कर संकल्प भी लिया। जिसके बाद आप समर्थकों के साथ उन्होंने मंदिर में दर्शन किए। मंदिर के महंत ने पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करने पर शाजिया को जीत का आशीर्वाद भी दिया।
हालांकि इस दौरान उनके मंदिर में पूजा अर्चना करने को लेकर कुछ लोगों ने विरोध भी जताया, लेकिन मंदिर के महंत नारायण गिरी ने लोगों को यह कहकर शांत कराया कि मंदिर में सबको आने की छूट है।
शाजिया की कांग्रेस के राज बब्बर, आप की शाजिया और भाजपा वीके सिंह के बीच की जंग काफी रोचक होगी। क्योंकि, तीनों ही तीन अलग-अलग क्षेत्रों के हैं।
 
4. 
आप के प्रत्‍याशी और पूर्व पत्रकार आशुतोष ने घोषित की 8 करोड़ की संपत्‍ति



700 करोड़ के हवाला कारोबार का खुलासा

सूरत। 
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 700 करोड़ रुपये के लेने-देन वाले हवाला रैकेट का पर्दाफाश करने का दावा किया है. सूरत के एक हीरा व्यापारी के ऑफिसों की जांच के दौरान ईडी के अधिकारियों को इसके बारे में पता चला. उन्होंने अफरोज फाटा और मदनलाल जैन को हिरासत में लिया है.
निदेशालय के अधिकारी ने बताया, 'इन दोनों व्यापारियों ने कंपनी रजिस्ट्रार के पास दो या तीन हीरा व्यापार कंपनियां पंजीकृत करायी हुई हैं. उसके बाद उन्होंने दिसंबर 2013 में सूरत में तीन बैंक खाते खोले. अधिकारी ने बताया कि हीरा आयात किए बगैर वह फर्जी आयात बिल बनाते थे और उनका इस्तेमाल कर विदेशों में धन भेजते थे.
इस तरह से हीरे के आयात के बगैर धन भारत से बाहर जा रहा था. उन्होंने बताया कि उन्होंने तीन महीने के भीतर 700 करोड़ रुपये बाहर भेजे हैं. इनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है.
-एजेंसी

प्‍लास्‍टिक का शहीद सम्‍मान पदक और दंतेवाड़ा

बिंजाम। 
बिंजाम गाँव में उदासी छाई हुई है. यहाँ एक बार फिर मातम का माहौल है. किसी ने यहाँ के रहने वालों के ज़ख़्मों को फिर से हरा कर दिया है. इससे पहले वर्ष 2011 की नौ जून को यहाँ मातम तब पसरा था जब इसी गाँव के तीन नौजवान दंतेवाड़ा के कटेकल्याण के इलाक़े में हुए एक बारूदी सुरंग विस्फोट में मारे गए थे.
घटना में कुल दस जवान मारे गए थे जिनमें से तीन विशेष पुलिस अधिकारी- योगेश मडियामी, बख्शु ओयामी और चमनलाल बिंजाम के ही थे जबकि बाक़ी के छत्तीसगढ़ के दूसरे इलाक़ों से थे.
अगले साल, यानि 2006 में 26 जनवरी के दिन दंतेवाड़ा के कारली स्थित पुलिस लाइन में एक समारोह आयोजित कर मारे गए विशेष पुलिस अधिकारियों को सम्मान दिया गया. बस्तर की तत्कालीन प्रभारी मंत्री ने मारे गए जवानों के परिजनों को मैडल भी दिए.
मगर जवानों के परिवारों को झटका तब लगा जब सम्मान में दिए गए मैडलों का रंग उतरने लगा. पता चला कि यह सभी मैडल प्लास्टिक के हैं.
योगेश मडियामी के पिता रूपाराम मडियामी के लिए सम्मान का पदक दरअसल अब अपमान का पदक बन गया है. गाँव में बनी उनकी झोपड़ी की दीवार से टंगे-टंगे जैसे अब यह पदक उन्हें चिढ़ा रहा है.
दंतेवाड़ा से 12 किलोमीटर दूर अपने गाँव में जब बीबीसी से उनकी मुलाक़ात हुई तो वो काफ़ी आहत नज़र आए.
कहने लगे, "मंत्री लता उसेंडी ने पदक देते वक़्त हमसे कहा था कि यह सोने का है और इसे संभाल कर रखना. सोना क्या रहेगा, यह तो लोहे का भी नहीं है. अब पता चल रहा है कि यह तो प्लास्टिक का है. यह हमारे परिवार का सम्मान नहीं, बल्कि अपमान है."
नक्सल विरोधी अभियान के दौरान मारे जाने वाले सुरक्षा बल के जवानों को सरकार की तरफ़ से मुआवज़ा दिया जाता है. मगर योगेश और उनके साथ मारे गए जवान छत्तीसगढ़ पुलिस बल के सदस्य नहीं थे बल्कि वह विशेष पुलिस अधिकारी थे. इसलिए उन्हें मुआवज़े की रक़म भी कम मिली.
जिस तरह से मुआवज़े की रक़म दी गई वह भी कम अपमानजनक नहीं था. रूपाराम बताते हैं कि सबसे पहले उन्हें बेटे के दाह-संस्कार के लिए एक लाख रुपये दिए गए थे. फिर तीन महीने बाद उन्हें पांच लाख रुपये और मिले. कुछ ही दिनों बाद उनसे एक लाख रुपये वापस लौटाने को कहा गया.
सरकार की नीति के अनुसार, नक्सल विरोधी अभियान में मारे गए सुरक्षा बल के जवानों के परिजनों को अनुकम्पा के आधार पर स्थायी सरकारी नौकरी और मकान भी दिया जाता है.
बिंजाम के मारे गए विशेष पुलिस अधिकारियों के आश्रितों को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी तो दी गई, मगर दैनिक वेतन भोगी की.
योगेश की बहन प्रभा को दंतेवाड़ा के कन्या छात्रावास में दैनिक वेतन भोगी चपरासी की नौकरी मिली. बख्शु ओयामी के भाई पन्द्रू ओयामी के भाई को बालक छात्रावास में रसोइये की नौकरी मिली जो अस्थाई है. इसी तरह चमनलाल की पत्नी को भी चपरासी की अस्थाई नौकरी दी गई.
मैडलों पर से रंग उतरता देख, मारे गए विशेष पुलिस अधिकारियों के परिवारों के चेहरे एक बार फिर बोझिल होने लगे हैं.
योगेश की माँ आमवारी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे. वह अब बात करने की स्थिति में नहीं हैं. दो साल पहले के उनके ज़ख़्म एक बार फिर हरे हो गए हैं.
बस्तर के प्रभारी छत्तीसगढ़ के मंत्री केदार कश्यप ने बीबीसी से बात करते हुए घटना पर आश्चर्य ज़ाहिर किया और कहा कि वह पूरे मामले की जांच करवाएंगे.
वह कहते हैं, "ये एक गंभीर मामला है. हम सुनिश्चित करेंगे कि जिन पुलिस के जवानों ने अपनी जान देकर इलाक़े में शांति स्थापित करने के लिए क़ुर्बानी दी है, उन्हें पूरा सम्मान मिले."
एक मंत्री के दिए ज़ख्मों और दूसरे मंत्री के मरहम के बीच अब छत्तीसगढ़ में इस बात पर बहस छिड़ गई है कि नक्सल विरोधी अभियान में इतनी राशि के आवंटन के बावजूद मारे गए जवानों के परिजनों को रुसवाई क्यों उठानी पड़ रही है.
-सलमान रावी
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