सोमवार, 26 मई 2014

बड़ा खुलासा: माफिया डॉन "दाऊद" से मिली दीपिका

नई दिल्‍ली। 
बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने गुप्त रूप से माफिया सरगना और 1993 के सीरियल बम धमाकों के आरोपी दाऊद इब्राहिम से मुलाकात की थी। दीपिका ने दाऊद से हॉलीवुड मूवी में पैसा लगाने के लिए कहा था। फिल्म में दीपिका हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज के अपोजिट भूमिका निभाएंगी। बांग्लादेश के साप्ताहिक समाचार पत्र "वीकली ब्लिट्स डॉट नेट" ने यह खबर दी है। समाचार पत्र के मुताबिक दाऊद का दोस्त अजीज मोहम्मद भाई भी उस बैठक में मौजूद था।
दीपिका प्रस्तावित फिल्म के निर्देशक के साथ दुबई में मिलने के लिए सहमत हो गई थी। फिल्म की कहानी भारतीय मूल की अमरीकी लड़की की है,जो सीआईए की एजेंट के रूप में एक खतरनाक मिशन पर जाती है। फिल्म की शूटिंग भारत,लेबनान और अमरीका में होगी। फिल्म में दीपिका एक जिहादी ग्रुप में शामिल हो जाती है और वह संगठन के टॉप नेता की हत्या कर देती है।
सूत्रों के मुताबिक दाऊद इब्राहिम फिल्म में पैसा लगाने से हिचक रहा था लेकिन अजीज भाई ने उसे मना लिया। इसके बाद दाऊद इब्राहिम ने हॉलीवुड में दीपिका पादुकोण के लिए दरवाजे खोल दिए। वीकली ब्लिट्ज ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि प्रस्तावित मूवी के निर्देशक को फिल्म के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। निर्देशक को उम्मीद है कि दुनिया भर के दर्शक दीपिका और टॉम क्रूज के बीच की कैमेस्ट्रिी को स्वीकार कर लेंगे। फिल्म हिंदी और अंग्रेजी भाषा में रिलीज होगी।
-एजेंसी

रविवार, 25 मई 2014

भ्रष्टाचार के आरोप में UPTU के रजिस्ट्रार से सभी काम छीने

लखनऊ। 
उत्तरप्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) के रजिस्ट्रार यूएस तोमर को पद से हटा कर उनसे सभी कामकाज छीन लिए गए हैं. उन्हें 44 इंजीनियरिंग कॉलेजों की संबद्धता से जुड़े केस में पहली नजर में दोषी पाया गया है. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी द्वारा की जा रही जांच प्रभावित न हो, इसलिए यह कदम उठाया गया है. कुलपति डॉ. आरके खांडल ने जांच पूरी होने तक तोमर को सभी कार्यों से अलग करने के आदेश जारी कर दिए हैं. फिलहाल, उन्हें यूपीटीयू की आर्किटेक्चर फैकल्टी से संबद्ध किया गया है. वे प्रतिदिन यहीं पर अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे और बिना निर्देश मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे. उन पर सत्र 2014-15 में संबद्धता के लिए फर्जी वेबसाइट बनाकर कॉलेजों से ऑनलाइन आवेदन लेने और बैंक में अपने स्तर पर ही खाता खोलने का आरोप लगाया गया है.
गौरतलब है कि यूपीटीयू ही ऐसी यूनिवर्सिटी है, जहां यूएस तोमर रजिस्ट्रार पद पर लंबे समय से काम कर रहे हैं. यह पहला मौका है जब किसी कुलपति ने उनके खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई की है. यूपीटीयू के कुलपति डॉ. आरके खांडल का कहना है कि तोमर अगर पद पर बने रहे तो जांच प्रभावित हो सकती है. ऐसे में उन्हें कार्यों से मुक्‍त रखने का फैसला किया गया है.
बीते शैक्षिक सत्र 2013-14 में 44 इंजीनियरिंग कॉलेजों को संबद्धता देने के मामले में उन पर 'बड़ा खेल' करने का आरोप लगाया गया है. इसके कारण करीब 4500 स्टूडेंट्स का भविष्य फंसा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार संबद्धता की जो प्रक्रिया 15 मई तक पूरी होनी थी उसे नियम विरुद्ध निर्धारित तारीख के बाद करने की कोशिश की गई. कुलपति ने इस मामले को तब पकड़ा जब संबद्धता कमेटी के सामने रिपोर्ट रखी गई थी. इस प्रकरण में यूपीटीयू प्रशासन की खासी किरकिरी हुई है.
इसके अलावा उन पर 2014-15 में संबद्धता के लिए फर्जी वेबसाइट बनाकर आवेदन लेने और कुलपति से निर्देश लिए बिना ही बैंक में खाता खोलने का भी आरोप है. मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया था. शनिवार को रजिस्ट्रार यूएस तोमर से जांच पूरी होने तक कार्य से अलग रहने के आदेश जारी कर दिए गए.
विवि प्रशासन का कहना है कि इससे पहले संबद्धता मामले की जांच के लिए सतर्कता आयोग के पूर्व अध्यक्ष एसएन झा और अरुणाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. जीएन पांडेय की दो सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी. इस कमेटी ने 21 जनवरी 2014 को अपनी जो रिपोर्ट दी है उसमें साफ लिखा है कि रजिस्ट्रार यूएस तोमर ने जांच में कोई सहयोग नहीं किया और साक्ष्य भी उपलब्ध नहीं करवाए. अब जो तीन सदस्यीय कमेटी तो बन गई है उसमें जांच प्रभावित न हो इसीलिए उन्हें पद से हटाया गया है.
-एजेंसी

बुधवार, 21 मई 2014

टी-20 विश्व कप में ACSU अफसरों पर बड़ा खुलासा

नई दिल्ली। 
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उसकी भ्रष्टाचार रोधी और सुरक्षा इकाई (एसीएसयू) के एक शीर्ष अधिकारी के बांग्लादेश में इस साल विश्व टी20 प्रतियोगिता के दौरान भारतीय सट्टेबाज के साथ कथित संपर्क का खुलासा हुआ है.
ढाका के टेलीविजन चैनल ‘बांग्ला ट्रिब्यून’ ने आडियो टेप जारी किया है जिसमें भारत से आईसीसी के एसीएसयू अधिकारी और कथित सट्टेबाज के बीच इस साल बांग्लादेश में विश्व ट्वेंटी20 के दौरान कथित बातचीत का जिक्र है.
चैनल ने दावा किया कि इस सट्टेबाज को ढाका पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन बाद में आईसीसी एसीएसयू अधिकारी के आग्रह पर उसे रिहा कर दिया गया जिसने अधिकारियों से कहा कि वह उसका मुखबिर है.
चैनल ने कहा, ‘‘आडियो रिकार्ड के आधार पर अप्रैल में सट्टेबाज को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उसने क्रिकेट मैच फिक्सिंग पर अहम सूचना मुहैया कराई.’’ एसीएसयू अधिकारी ने इस कथित बातचीत पर प्रतिक्रिया देने से इंकार करते हुए कहा कि ऐसे मुद्दे पर प्रतिक्रिया देना आईसीसी का काम है. इस मामले में आईसीसी ने अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है.
इस बातचीत में एसीएसयू अधिकारी सट्टेबाज को सतर्क रहने और तुरंत बांग्लादेश छोड़ने के लिए कह रहा है क्योंकि उसकी उपस्थिति का पता चल चुका है.
अधिकारी साथ ही सट्टेबाज को कह रहा है कि उसकी मौजूगदगी ने सारा मामला बिगाड़ दिया है और उसका बचाव करना मुश्किल होगा.
-एजेंसी

सारे नियम ताक पर रख कर सचिन को दिया भारत रत्‍न

नई दिल्ली। 
देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल एक आरटीआई से मांगी गई जानकारी के दौरान यह खुलासा हुआ है कि देश के हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की फाइल सरकारी मंत्रालयों में कई महीनों तक घूमती रही। ठीक उसी वक्त पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की भारत रत्न से जुड़ी फाइल की एंट्री हुई और उन्हें भारत रत्न का सम्मान दिए जाने पर केंद्र सरकार ने अंतिम मुहर लगा दी।
आरटीआई से यह खुलासा हुआ है कि सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने के लिए सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। ध्यानचंद को भारत रत्न दिए जाने से जुड़ी फाइल सरकारी मंत्रालयों में चार महीनों तक घूमती रही। इसी बीच सचिन तेंदुलकर के फाइल की एंट्री हुई और वह देश के सबसे बड़े सम्मान यानी भारत रत्न लेने के मामले में बाजी मार गए क्योंकि इसके लिए सभी नियमों को दरकिनाकर कर दिया गया था। गौरतलब है कि 2014 में चार फरवरी को राज्य सभा सांसद सचिन तेंदुलकर को भारत के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान 'भारत रत्‍न' से नवाजा गया था। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सचिन तेंदुलकर को यह सम्मान प्रदान किया था।
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर भारत सरकार ने 2013 में ध्यान चंद को भारत रत्न देने की पूरी तैयारी कर ली थी तो फिर उसे अचानक क्यूं बदल दिया गया? खेल मंत्रालय ने ध्यान चंद को भारत रत्न देने की सिफारिश की थी लेकिन खेल मंत्रालय को भारत सरकार ने यह नहीं बताया कि उसकी सिफारिश को क्यों नामंजूर किया गया। यह भी बड़ा सवाल है कि कैसे जानबूझकर ध्यान चंद के उस फाइल की अनदेखी होती रही जो देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से जुड़ी फाइल थी।
सचिन ने पिछले साल नवंबर 2013 में मुबंई में वेस्‍टइंडीज के खिलाफ अपना अंतिम 200वां टेस्‍ट खेलकर संन्‍यास ले लिया था। सचिन क्रिकेट की दुनिया में रिकॉर्डों के बादशाह कहे जाते हैं। सचिन ने अपने करियर में कुल 200 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने टेस्ट मैचों में 53.78 की औसत से कुल 15921 रन बनाए हैं। टेस्ट क्रिकेट में उनका उच्चतम स्कोर 248 रन है, जो उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ ढाका में बनाए थे। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 51 शतक और 68 अर्धशतक जमाए हैं। इसी तरह वनडे क्रिकेट में उन्होंने कुल 463 मैच खेले हैं। वनडे की 452 पारियों में उन्होंने 44.83 की औसत से 18426 रन बनाए हैं। इसमें 49 शतक और 96 अर्धशतक शामिल हैं।
दूसरी तरफ हॉकी के जादूगर कहे जानेवाले ध्यान चंद ने भारत के लिए तीन ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीते थे- 1928 (ऐम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजिलिस), और 1936 (बर्लिन)। हॉकी के इस महान खिलाड़ी ने सन 1979 में दुनिया को अलविदा कह दिया था। ध्यान चंद ने आजादी के पहले वाले भारत में इस खेल के प्रति भारतीयों में एक जुनून पैदा कर दिया था।
-एजेंसी

शनिवार, 3 मई 2014

फर्जी शंकराचार्य हैं मोदी के विरोधी अधोक्षानंद


कांग्रेस ने अपने राजनीतिक फायदे-नुकसान के लिए एक नया शंकराचार्य ही पैदा कर दिया है। दअरसल, जिस अधोक्षानंद देवतीर्थ को पुरी पीठ का शंकराचार्य कहकर कांग्रेस भाजपा पर हमला कर रही है, उनका उस पीठ से कोई लेना देना नहीं है। इसके साथ ही वह इस पीठ के शंकराचार्य भी नहीं हैं। यहां पर शंकराचार्य के तौर पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती हैं और उन्होंने अभी तक अपना कोई उत्तराधिकारी भी घोषित नहीं किया है।
दरअसल, यह बहस तब शुरू हुई है जब अधोक्षानंद देवतीर्थ के नाम से एक ऐसा बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि वह पुरी पीठ के शंकराचार्य हैं और बनारस में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रचार करेंगे।
जब हमने इस पूरे मामले की छानबीन की तो मामला कुछ और ही निकल कर सामने आया।
जिस अधोक्षानंद देवतीर्थ को पुरी शंकराचार्य के नाम से कांग्रेस प्रचारित कर रही है, उसका पीठ से कोई लेना-देना ही नहीं है। खुद शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बयान जारी करके कहा है कि उन्होंने या पीठ ने किसी भी प्रत्याशी के समर्थन या विरोध में कोई बयान जारी नहीं किया है।
बात यहीं खत्म हो जाती तो भी बेहतर होता, जब पीठ से संपर्क किया गया तो पीठ की बेवसाइट और शंकराचार्य के दफ्तर के आधिकारिक नंबरों पर पूरी तरह से इस बात की पुष्टि की गई कि शंकराचार्य के तौर पर फिलहाल स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ही विराजमान हैं।
इतना ही नहीं, कार्यालय ने किसी अधोक्षानंद देवतीर्थ के पीठ से जुड़े होने के सवाल पर भी साफ कहा कि इस तरह का कोई शख्स इस पीठ से कोई रिश्ता नहीं रखता है और न ही इस पीठ के अंदर इस नाम का कोई शख्स है।
गौरतलब है कि कांग्रेस, उक्‍त देवतीर्थ को आगे कर भाजपा पर हमला बोल रही है। कांग्रेस अपने विज्ञापन में देवतीर्थ को पुरी पीठ का शंकराचार्य बता रही है। इससे आगे बढ़कर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह खुद उस विज्ञापन को अपने टि्वटर और फेसबुक अकाउंट पर जारी कर भाजपा पर हमला बोल रहे हैं। अब सवाल खुद कांग्रेस के पाले में आ खड़ा हो गया है कि यह कौन सी राजनीति है, जिसके लिए इतनी ओछी हरकत की जा रही है।
-एजेंसी

गुरुवार, 1 मई 2014

13 कं. पर किसी का रिटर्न तक दाखिल नहीं कर रहे वाड्रा

नई दिल्‍ली। 
विवादित जमीन सौदों के लेकर प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पहले से ही घिरे हुए हैं। अब पता चला है कि मार्च 2011 से उन्होंने अपनी 13 कंपनियों का सालाना रिटर्न्स भी कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय में दाखिल नहीं किए हैं जबकि ऐसा करना अनिवार्य हैं। संभावना जताई जा रही है कि रॉबर्ट वाड्रा जानकारी ने देकर अपनी कंपनियों के कुछ और डील्स के बारे में जानकारी मीडिया से छिपाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि 2011 में ही वाड्रा के बिजनेस मॉडल और जमीन सौदों को लेकर पहली बार सवाल उठे थे। उस साल डीएलएफ से लोन लेकर हरियाणा में वाड्रा के जमीन खरीदने और राजस्थान में हजारों एकड़ जमीन हासिल करने को लेकर विवाद हुआ था। हालांकि, इन दोनों सौदों का जिक्र उन्होंने मार्च 2011 तक मंत्रालय को भेजे अपने फाइनैंशल स्टेटमेंट्स में किया है। इसके बाद उन्होंने एक बार भी मंत्रालय को ब्योरा नहीं भेजा है।
अंग्रेजी अखबार डीएनए ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उसने कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय में मौजूद 13 कंपनियों के दस्तावेजों की जांच की है और पाया कि उन्होंने पिछले दो सालों से सात कंपनियों के फाइनैंशल स्टेटमेंट्स नहीं जमा किए हैं। बाकी छह कंपनियां वाड्रा ने जुलाई से अगस्त 2012 के दौरान ही बनाईं लेकिन इनकी डील्स की जानकारियां भी मंत्रालय को नहीं दी गईं। सूत्रों का कहना है कि सभी छह कंपनियां ग्रामीण इलाकों में जमीन खरीदने के लिए बनाई गई थीं।
खास बात यह है कि पिछले दिनों अपने पति का मजबूती से बचाव कर चुकीं प्रियंका गांधी ने भी एक कंपनी को शुरू करने में उनको सहयोग दिया था। नवंबर 2007 में बनी ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड में प्रियंका डायरेक्टर बनीं लेकिन 8 महीने में ही उन्होंने यह पद छोड़ा दिया। बाद में रॉबर्ट वाड्रा की मां मॉरीन वाड्रा डायरेक्टर बनाई गई थीं। ब्लू ब्रीज रिटर्न्स दाखिल कर रही है।
कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय के नियमों के मुताबिक, वाड्रा लगातार दो साल से डिफॉल्ट कर रहे हैं और अगर वह तीसरे साल भी रिटर्न्स दाखिल नहीं करते हैं, तो मंत्रालय उन सभी कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है जिसमें वह डायरेक्टर हैं। कंपनियों पर न्यूनतम 50 हजार रुपये या फाइनैंशल स्टेटमेंट दाखिल किए जाने तक प्रतिदिन 5 हजार रुपये की दर से जुर्माना लगाया जा सकता है। मंत्रालय के सूत्र ने बताया कि न्यूनतम जुर्माना तब लगाया जाता है जब कंपनी के पास रिटर्न न दाखिल करने की तर्कसंगत वजह हो।
मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी का कहना है, 'शायद मीडिया में कंपनियों के बिजनेस मॉडल और लैंड डील्स के बारे में और जानकारी आने से बचने के लिए वाड्रा ने फाइनैंशल स्टेटमेंट्स दाखिल करना बंद कर दिया है। उन्हें लगा होगा कि वह भारी जुर्माना देना अफोर्ड कर सकते हैं, लेकिन अपने बिजनेस प्लान्स की जानकारी लीक नहीं होने देना चाहते।'
-एजेंसी
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