लखनऊ।
उत्तरप्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) के रजिस्ट्रार यूएस तोमर को पद से हटा कर उनसे सभी कामकाज छीन लिए गए हैं. उन्हें 44 इंजीनियरिंग कॉलेजों की संबद्धता से जुड़े केस में पहली नजर में दोषी पाया गया है. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी द्वारा की जा रही जांच प्रभावित न हो, इसलिए यह कदम उठाया गया है. कुलपति डॉ. आरके खांडल ने जांच पूरी होने तक तोमर को सभी कार्यों से अलग करने के आदेश जारी कर दिए हैं. फिलहाल, उन्हें यूपीटीयू की आर्किटेक्चर फैकल्टी से संबद्ध किया गया है. वे प्रतिदिन यहीं पर अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे और बिना निर्देश मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे. उन पर सत्र 2014-15 में संबद्धता के लिए फर्जी वेबसाइट बनाकर कॉलेजों से ऑनलाइन आवेदन लेने और बैंक में अपने स्तर पर ही खाता खोलने का आरोप लगाया गया है.
गौरतलब है कि यूपीटीयू ही ऐसी यूनिवर्सिटी है, जहां यूएस तोमर रजिस्ट्रार पद पर लंबे समय से काम कर रहे हैं. यह पहला मौका है जब किसी कुलपति ने उनके खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई की है. यूपीटीयू के कुलपति डॉ. आरके खांडल का कहना है कि तोमर अगर पद पर बने रहे तो जांच प्रभावित हो सकती है. ऐसे में उन्हें कार्यों से मुक्त रखने का फैसला किया गया है.
बीते शैक्षिक सत्र 2013-14 में 44 इंजीनियरिंग कॉलेजों को संबद्धता देने के मामले में उन पर 'बड़ा खेल' करने का आरोप लगाया गया है. इसके कारण करीब 4500 स्टूडेंट्स का भविष्य फंसा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार संबद्धता की जो प्रक्रिया 15 मई तक पूरी होनी थी उसे नियम विरुद्ध निर्धारित तारीख के बाद करने की कोशिश की गई. कुलपति ने इस मामले को तब पकड़ा जब संबद्धता कमेटी के सामने रिपोर्ट रखी गई थी. इस प्रकरण में यूपीटीयू प्रशासन की खासी किरकिरी हुई है.
इसके अलावा उन पर 2014-15 में संबद्धता के लिए फर्जी वेबसाइट बनाकर आवेदन लेने और कुलपति से निर्देश लिए बिना ही बैंक में खाता खोलने का भी आरोप है. मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया था. शनिवार को रजिस्ट्रार यूएस तोमर से जांच पूरी होने तक कार्य से अलग रहने के आदेश जारी कर दिए गए.
विवि प्रशासन का कहना है कि इससे पहले संबद्धता मामले की जांच के लिए सतर्कता आयोग के पूर्व अध्यक्ष एसएन झा और अरुणाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. जीएन पांडेय की दो सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी. इस कमेटी ने 21 जनवरी 2014 को अपनी जो रिपोर्ट दी है उसमें साफ लिखा है कि रजिस्ट्रार यूएस तोमर ने जांच में कोई सहयोग नहीं किया और साक्ष्य भी उपलब्ध नहीं करवाए. अब जो तीन सदस्यीय कमेटी तो बन गई है उसमें जांच प्रभावित न हो इसीलिए उन्हें पद से हटाया गया है.
-एजेंसी
उत्तरप्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) के रजिस्ट्रार यूएस तोमर को पद से हटा कर उनसे सभी कामकाज छीन लिए गए हैं. उन्हें 44 इंजीनियरिंग कॉलेजों की संबद्धता से जुड़े केस में पहली नजर में दोषी पाया गया है. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी द्वारा की जा रही जांच प्रभावित न हो, इसलिए यह कदम उठाया गया है. कुलपति डॉ. आरके खांडल ने जांच पूरी होने तक तोमर को सभी कार्यों से अलग करने के आदेश जारी कर दिए हैं. फिलहाल, उन्हें यूपीटीयू की आर्किटेक्चर फैकल्टी से संबद्ध किया गया है. वे प्रतिदिन यहीं पर अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे और बिना निर्देश मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे. उन पर सत्र 2014-15 में संबद्धता के लिए फर्जी वेबसाइट बनाकर कॉलेजों से ऑनलाइन आवेदन लेने और बैंक में अपने स्तर पर ही खाता खोलने का आरोप लगाया गया है.
गौरतलब है कि यूपीटीयू ही ऐसी यूनिवर्सिटी है, जहां यूएस तोमर रजिस्ट्रार पद पर लंबे समय से काम कर रहे हैं. यह पहला मौका है जब किसी कुलपति ने उनके खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई की है. यूपीटीयू के कुलपति डॉ. आरके खांडल का कहना है कि तोमर अगर पद पर बने रहे तो जांच प्रभावित हो सकती है. ऐसे में उन्हें कार्यों से मुक्त रखने का फैसला किया गया है.
बीते शैक्षिक सत्र 2013-14 में 44 इंजीनियरिंग कॉलेजों को संबद्धता देने के मामले में उन पर 'बड़ा खेल' करने का आरोप लगाया गया है. इसके कारण करीब 4500 स्टूडेंट्स का भविष्य फंसा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार संबद्धता की जो प्रक्रिया 15 मई तक पूरी होनी थी उसे नियम विरुद्ध निर्धारित तारीख के बाद करने की कोशिश की गई. कुलपति ने इस मामले को तब पकड़ा जब संबद्धता कमेटी के सामने रिपोर्ट रखी गई थी. इस प्रकरण में यूपीटीयू प्रशासन की खासी किरकिरी हुई है.
इसके अलावा उन पर 2014-15 में संबद्धता के लिए फर्जी वेबसाइट बनाकर आवेदन लेने और कुलपति से निर्देश लिए बिना ही बैंक में खाता खोलने का भी आरोप है. मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया था. शनिवार को रजिस्ट्रार यूएस तोमर से जांच पूरी होने तक कार्य से अलग रहने के आदेश जारी कर दिए गए.
विवि प्रशासन का कहना है कि इससे पहले संबद्धता मामले की जांच के लिए सतर्कता आयोग के पूर्व अध्यक्ष एसएन झा और अरुणाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. जीएन पांडेय की दो सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी. इस कमेटी ने 21 जनवरी 2014 को अपनी जो रिपोर्ट दी है उसमें साफ लिखा है कि रजिस्ट्रार यूएस तोमर ने जांच में कोई सहयोग नहीं किया और साक्ष्य भी उपलब्ध नहीं करवाए. अब जो तीन सदस्यीय कमेटी तो बन गई है उसमें जांच प्रभावित न हो इसीलिए उन्हें पद से हटाया गया है.
-एजेंसी
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