नई दिल्ली। उत्तराखण्ड में हुई तबाही का जिम्मेदार
खुद इंसान है। विकास के लिए हमने प्रकृति को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसका
नतीजा सामने है। उत्तराखण्ड में बिजली के लिए बड़े बड़े पावर प्रोजेक्ट बन
रहे हैं।
इन पावर प्रोजेक्ट के लिए नदियों पर बड़े बड़े बांध बनाए जा रहे हैं, पहाड़ों को खोदकर सुरंगें बनाई जा रही है। वनों को काटा जा रहा है, जिससे पहाड़ियां पूरी तरह नंगी हो चुकी हैं। वनों की कटाई के कारण मृदा का क्षरण हो रहा है जिससे भूस्खलन हो रहा है। इस कारण नदियां और पहाड़ अपना बदला ले रहे हैं। प्रकृति ने पहले ही विनाश के संकेत दे दिए थे।
अगस्त 2012 में उत्तरकाशी में आई बाढ़ में सैंकड़ों मकान तबाह हो गए थे। रुद्रप्रयाग में बादल फटने से 69 लोगों की मौत हो गई थी।
इन पावर प्रोजेक्ट के लिए नदियों पर बड़े बड़े बांध बनाए जा रहे हैं, पहाड़ों को खोदकर सुरंगें बनाई जा रही है। वनों को काटा जा रहा है, जिससे पहाड़ियां पूरी तरह नंगी हो चुकी हैं। वनों की कटाई के कारण मृदा का क्षरण हो रहा है जिससे भूस्खलन हो रहा है। इस कारण नदियां और पहाड़ अपना बदला ले रहे हैं। प्रकृति ने पहले ही विनाश के संकेत दे दिए थे।
अगस्त 2012 में उत्तरकाशी में आई बाढ़ में सैंकड़ों मकान तबाह हो गए थे। रुद्रप्रयाग में बादल फटने से 69 लोगों की मौत हो गई थी।