मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

दबाया गया राजीव गांधी की हत्या का सबूत

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से जुड़े अहम सबूत को दबा दिया गया था। यह दावा किया है मामले की जांच से जुड़े अधिकारी के रागोथामन ने। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि उस समय के आईबी चीफ एमके नारायणन ने राजीव गांधी की हत्या से जुड़े वीडियो को दबाए रखा। इस वीडियो में मानव बम धुन को दिखाया गया है,जो श्रीपेरम्बदुर में राजीव गांधी के पहुंचने से पहले मौजूद थी।
उन्होंने बताया कि वीडियो के गायब होने के मामले की प्राथमिक जांच हो चुकी है। विशेष जांच टीम के प्रमुख डीआर कार्तिकेयन ने पश्चिम बंगाल के मौजूदा गर्वनर नारायणन को छोड़ दिया। हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "राजीव गांधी की हत्या की साजिश-सीबीआई की फाइलों के हवाले" में दावा किया गया है कि राजीव गांधी की हत्या के बाद आईबी के वीडियोग्राफर को जो टेप मिला था उसे एसआईटी के साथ कभी शेयर नहीं किया गया। गौरतलब है कि 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।

सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

मनमोहन सरकार में ईमानदार को सजा, चापलूसों को ईनाम

क्या केंद्रीय कैबिनेट में जयपाल रेड्डी का ट्रांसफर सजा के तौर पर हुआ है? उन्हें पेट्रोलियम से साइंस और टेक्नॉलजी मंत्री बनाया गया है। क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रेड्डी रिलायंस समेत कई पेट्रोलियम कंपनियों पर काफी सख्त थे? जयपाल रेड्डी सोमवार सुबह अपने मंत्रालय का चार्ज नए मंत्री वीरप्पा मोइली को देने नहीं पहुंचे। बताया जाता है कि वह अपने तबादले से सख्त नाराज हैं।
रविवार को कैबिनेट में हुए जंबो फेरबदल के बाद राजनीतिक गलियारों में रेड्डी के ट्रांसफर को लेकर ऐसे ही सवाल गुपचुप उठ रहे हैं। इन सवालों को अरविंद केजरीवाल की इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने जबान भी दे दी है। आईएसी के योगेंद्र यादव ने कहा कि जयपाल रेड्डी को रिलायंस पर सख्त होने की सजा दी गई है। रेड्डी के करीबी भी इसे डिमोशन के तौर पर देख रहे हैं।

शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

ध्‍वस्‍त होंगे अशोका हाइट्स के 90 फ्लैट्स !

-शिवपाल यादव ने कहा, सिंचाई विभाग की जमीन कब्‍जाने वाले भूमाफिया बख्‍शे नहीं जायेंगे
-ग्राम समाज की जमीन को लेकर भी हुई उच्‍च अधिकारियों से शिकायत
-13 करोड़ 68 लाख के भुगतान की वसूली के लिए एक ठेकेदार ने ली न्‍यायालय की शरण

डेवलपमेंट अथॉर्टी से अप्रूवल की आड़ लेकर भूमाफिया किस तरह कृष्‍ण की नगरी मथुरा में रेत के अवैध महल खड़े करते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण है J S R ग्रुप का प्रोजेक्‍ट अशोका हाइट्स।
अशोका हाइट्स इस बात का भी उदाहरण है कि सरकारी मशीनरी अपने-अपने हिस्‍से का सुविधा शुल्‍क लेकर किस तरह एक अवैध प्रोजेक्‍ट का पहले तो आंखें बंद करके विस्‍तार होते चुपचाप देखती रहती है और जब जांच के घेरे कसते हैं तो सारा ठीकरा उन लोगों के सिर फोड़ने का पूरा प्रयास करती है जो भ्रष्‍ट अफसरों की शै पर ही अपने प्रोजेक्‍ट की नाजायज रूप से न केवल लंबाई-चौड़ाई बढ़ाते जाते हैं बल्‍कि उन जरूरी सुविधाओं को भी ताक पर रख देते हैं जो किसी भी बहुमंजिला इमारत के निर्माण में अत्‍यंत आवश्‍यक होती हैं।

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

1 अरब फूंक देश की ही चीन से जासूसी कराई जनरलों ने

रक्षा मंत्रालय के एक इंटरनल ऑडिट में खुलासा किया गया है कि आर्मी चीफ विक्रम सिंह, वी. के. सिंह और कुछ टॉप जनरलों ने स्पेशल फाइनैंशल पावर्स के तहत 2 सालों में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की ऐसी आपातकालीन खरीद की जिसमें चीन ने अपने जासूसी उपकरण फिट कर रखे थे। चीन समेत कई देशों की खुफिया एजेंसियां जासूसी के लिए ऐसे हथकंडे अपनाती हैं।
ऑडिट में यह पता चला है कि इन विदेशी उपकरणों को खरीदने के लिए गाइडलाइंस का भी उल्लंघन किया गया। जिस उपकरण को आर्मी के एक भाग ने रिजेक्ट कर दिया, उसी को दूसरे ने खरीद लिया। यह बात भी गौर करने लायक है कि भारतीय उपकरणों से महंगे होने के बावजूद विदेशी उपकरण खरीदे गए।
ऑडिटर्स ने पाया कि विदेशी उपकरण सीधे कंपनी से खरीदने की बजाय भारतीय एजेंट से खरीदे गए जबकि कंपनी के लोग भारत में मौजूद थे। कुछ मामलों में बिचौलियों का भी इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईस्टर्न कमांड ने विदेशी कंपनी की हाई रिज़ॉल्यूशन वाली दूरबीन महंगे दामों पर भारतीय एजेंट से खरीदीं, जबकि दूरबीन बनाने वाली कंपनी उसे कम दामों पर दे रही थी।

वाड्रा,गडकरी,वीरभद्र... अभी और न जाने कितने हैं इस हमाम में

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रेजिडेंट नितिन गडकरी अकेले नहीं हैं जिन्होंने अपने ड्राइवर मनोहर पनसे को रहस्यमय तरीके से अपनी 11 फर्मों का डायरेक्टर बनाया। यह लिस्ट काफी लंबी है। ऐसे कई नेता हैं जिनके चपरासी, क्लर्क और ड्राइवर रहस्यमय तरीके से रातोंरात लखपति बन गए, या फिर मालिक ने उन्हें अपनी कंपनियों में बड़े पदों पर बैठा दिया। इसके पीछे आखिर खेल क्या है, आप दिमाग पर थोड़ा जोर डालेंगे तो समझ जाएंगे।
'बेनामी लेनदेन का है पूरा खेल'
इन मामलों पर नजर रखने वाले अधिकारियों की मानें तो ऐसे कई नेता हैं जिन्होंने बेनामी लेनदेन को छिपाने के लिए अपनी कई फर्मों के डायरेक्टर अपने ड्राइवरों और चपरासियों का बनाया हुआ है। एक सीनियर ब्यूरोक्रेट कहते हैं, 'इन फर्मों में असल में लेनदेन होता है, लेकिन हर किसी को पता होता है कि करने वाला ऐसा कर ही नहीं सकता। उन्हें बस इस्तेमाल किया जा रहा होता है।'

रविवार, 21 अक्तूबर 2012

सावधान ! अशोका सिटी व अशोका हाइट्स में मकान तो नहीं ले रहे?

मथुरा। वेलकम टू द वर्ल्‍ड ऑफ न्‍यू लाइफस्‍टाइल एट 'अशोका सिटी'। फर्स्‍ट लर्निंग प्‍लेटटफॉर्म फॉर योर किड्स इन योर होम, सो गिव हिम ए ड्रीम होम।
ये विज्ञापन है ''J S R हाउसिंग एण्‍ड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड'' का। यह ग्रुप शहर के पॉश इलाके डेम्‍पियर नगर में ''अशोका टावर'' के नाम से अपना एक प्रोजेक्‍ट लगभग पूरा कर चुका है जबकि इसके दो हाउसिंग प्रोजेक्‍ट फ्लोर पर हैं। इनमें से एक का नाम ''अशोका सिटी'' है और दूसरे का नाम है ''अशोका हाइट्स''। अशोका सिटी नेशनल हाइवे नम्‍बर दो पर गोवर्धन चौराहे के अति निकट होटल अभिनंदन से लगभग सटा हुआ प्रोजेक्‍ट है और अशोका हाइट्स भी नेशनल हाईवे पर ही स्‍पोर्ट्स स्‍टेडियम की ओर जाने वाले गनेशरा रोड के नाले पर खड़ा किया जा रहा है। अशोका हाइट्स का काफी काम पूरा भी हो चुका है।
त्‍यौहारी सीजन है, नवरात्रियां चल रही हैं। फिर इसी महीने ईद है और उसके बाद अगले महीने धनतेरस व दीपावली। जाहिर है कि इस अवसर का लाभ सभी उठाना चाहते हैं। एक ओर हर तरह का व्‍यापारी वर्ग है तो दूसरी ओर ग्राहक। मौका कोई नहीं चूकना चाहता।
व्‍यापारी इस दौरान अधिक से अधिक बिक्री करना चाहते हैं और ग्राहक चाहता है कि उसे जितना ज्‍यादा हो सके छूट का लाभ मिल जाए।
इस मामले में सर्वाधिक आकर्षक छूट या तो रीयल एस्‍टेट के कारोबारी देते हैं या फिर ऑटो मोबाइल के क्‍योंकि एक अदद अपना आशियाना तथा एक अदद चारपहिया हर आदमी का सपना जो होता है। इन्‍हीं सपने का सौदा करने को बहुत से लोग अपने-अपने तरीके से जाल बिछाते हैं। विज्ञापन का जाल इसमें बड़ी भूमिका अदा करता है।  

इस तथाकथित संत की हिमाकत तो देखो..

धर्म गुरु आसाराम बापू ने जस्टिस त्रिवेदी कमीशन के आगे पेशी से बचने के लिए इस बार सारी मर्यादाएं तोड़ दी हैं। दो बच्चों की संदिग्ध मौत की जांच कर रहे कमीशन को लिखी अर्जी में आसाराम बापू ने कहा है कि अगर उनका बयान इतना ही जरूरी है तो जांच कमीशन को उनके आश्रम में ही शिफ्ट कर दें या फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनका बयान दर्ज किया जाए। आसाराम की इस अर्जी पर पीड़ित पक्ष ने कड़ा विरोध जताया है। इस अर्जी पर 23 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
लगातार विवादों में रहने वाले धर्म गुरु आसाराम बापू जस्टिस त्रिवेदी कमीशन के आगे पेश होने को तैयार नहीं है। त्रिवेदी कमीशन चार साल पहले आसाराम बापू के आश्रम में पढ़ने वाले दो बच्चों की संदिग्ध मौत की जांच कर रहा है। लेकिन इस मामले में कई बार समन जारी होने के आसाराम बापू आज तक अपना बयान देने से बच रहे हैं।

सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

प्रकाशानंद को लेकर झूठ बोल रहे हैं कृपालु महाराज

कृपालु महाराज के ठीक पीछे खड़े हैं प्रकाशानंद 

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
यौन उत्‍पीड़न के 20 मामलों में अमेरिका की एक अदालत से सजायाफ्ता स्‍वामी प्रकाशानंद सरस्‍वती के फरार हो जाने की खबर 'लीजेण्‍ड न्‍यूज़' को छोड़कर अधिकांश हिंदी अखबारों ने भले ही प्रकाशित न की हो लेकिन देश के अंग्रेजी अखबारों टाइम्‍स ऑफ इण्‍डिया व इंडियन एक्‍सप्रेस आदि ने इसे प्रमुखता से छापा था। 'लीजेण्‍ड न्‍यूज़' ने अपनी खबर में प्रकाशानंद को तथाकथित जगद्गुरू कृपालु महाराज का शिष्‍य बताया था।
इसके बाद वृंदावन स्‍थित कृपालु आश्रम के प्रवक्‍ता की ओर से कहा गया कि प्रकाशानंद से कृपालु महाराज का अब कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है। आश्रम की इस सफाई को आगरा से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक ने छापा भी कि अमेरिका प्रकरण संज्ञान में आते ही कृपालु महाराज ने प्रकाशानंद से सम्‍बन्‍ध विच्‍छेद कर लिये थे। वर्तमान में वह कहां हैं और किस स्‍थिति में हैं, यह जानकारी न तो जगद्गुरू को है और न ही उनके आश्रम को।
'लीजेण्‍ड न्‍यूज़' ने इसके बाद एक खबर और छापी जिसका शीर्षक था- 'कहीं मार तो नहीं डाला प्रकाशानंद'' ।
इस खबर के बाद दिल्‍ली में कृपालु महाराज के न्‍यास ने एक बयान जारी करके कहा है कि कृपालु महाराज शिष्य बनाने की परम्परा के सख्त खिलाफ हैं. महाराज जी ने कभी शिष्य नहीं बनाए और उन्होंने कभी किसी को गुरुमंत्र नहीं दिए.
बयान में कहा गया है, यह गौर करने लायक है कि प्रकाशानंद सरस्वती जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मानंद सरस्वती (एक संन्यासी) के शिष्य हैं. जगद्गुरु कृपालु जी महाराज गृहस्थ हैं और वैष्णव हैं.
यह बयान कृपालु महाराज के न्यास ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर की प्रतिक्रिया स्वरूप जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका में एक मामले में वांछित स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती जगद्गुरु कृपालु जी महाराज से जुड़े हुए हैं.
न्यास के अनुसार, देश-विदेश में अनेक लोग अपने गुरू के कार्यो और ईश्वर के प्रति उनके अगाध समर्पण से प्रभावित होकर उनका शिष्य होने का दावा करते हैं. बयान में कहा गया है, ऐसी परिस्थितियों में गलत धारणाएं पैदा करना और यह कहकर लोगों को भ्रम में डालना कि कोई वांछित अपराधी उनका शिष्य है या उनके अधीन किसी न्यास की गतिविधियों से जुड़ा है, निश्चितरूप से निंदनीय है.
उल्‍लेखनीय है कि स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती को अमेरिका में टेक्सास की अदालत ने मार्च 2011 में बच्चों के साथ अश्लील हरकतों के 20 मामलों में सजा सुनाई थी.
अदालत ने करीब 80 वर्षीय प्रकाशानंद सरस्वती को उनकी गैरमौजूदगी में प्रत्येक आरोप के लिए 14 साल कैद की सजा सुनाई थी. उन्हें 12 लाख डॉलर के मुचलके पर जमानत दी गई लेकिन वह भाग खड़े हुए। अदालत ने उनकी जमानत राशि जब्‍त कर ली । अमेरिकी मार्शल्स को अब उनकी तलाश है. अमेरिकी मार्शल्‍स को संदेह है कि प्रकाशानंद अपने अनुयायियों की मदद से भारत भाग आया है।
जो भी हो लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर पहले तो कृपालु महाराज के प्रवक्‍ता ने यह क्‍यों कहा कि अमेरिका प्रकरण संज्ञान में आते ही कृपालु महाराज ने प्रकाशानंद से सम्‍बन्‍ध विच्‍छेद कर लिये थे। वर्तमान में वह कहां हैं और किस स्‍थिति में हैं, यह जानकारी न तो जगद्गुरू को है और न ही उनके आश्रम को। फिर अब कृपालु न्‍यास को यह क्‍यों कहना पड़ा कि न्यास ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित उस खबर की प्रतिक्रिया स्वरूप यह बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका से एक मामले में वांछित स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती, जगद्गुरु कृपालु जी महाराज से जुड़े हुए हैं.
अब हम आपके सामने एक-दो नहीं, पूरे दस ऐसे फोटो रख रहे हैं जिनसे न सिर्फ कृपालु से प्रकाशानंद के जुड़े होने बल्‍कि अत्‍यंत निकटता एवं प्रकाशानंद की कृपालु के लिए महत्‍ता का भी साफ पता लगता है। इससे यह भी स्‍पष्‍ट होता है कि कृपालु के प्रवक्‍ता तथा उसके न्‍यास द्वारा प्रकाशानंद से अपने सम्‍बन्‍धों को झुठलाये जाने का दावा कितना झूठा है और उसके पीछे कोई साजिश छिपी है।
निश्‍चित ही उनके इस झूठ ने कई और सवाल खड़े कर दिये हैं और यह सवाल कृपालु महाराज को संदेह के घेरे में लेते हैं।
कृपालु आश्रम के वृंदावन प्रवक्‍ता की आगरा से प्रकाशित अखबार में छपी यह सफाई कि वर्तमान में प्रकाशानंद कहां हैं और किस स्‍थिति में हैं, यह जानकारी न तो जगद्गुरू को है और न ही उनके आश्रम को। और कल न्‍यास की ओर जारी किया गया इस आशय का बयान कि देश-विदेश में अनेक लोग अपने ''गुरू'' के कार्यो और ईश्वर के प्रति उनके अगाध समर्पण से प्रभावित होकर उनका शिष्य होने का दावा करते हैं. बयान में कहा गया है, ऐसी परिस्थितियों में गलत धारणाएं पैदा करना और यह कहकर लोगों को भ्रम में डालना कि कोई वांछित अपराधी उनका शिष्य है या उनके अधीन किसी न्यास की गतिविधियों से जुड़ा है, निश्चितरूप से निंदनीय है.
कृपालु न्‍यास की ओर से प्रस्‍तुत इस सफाई में भी गौर करने लायक हैं वह शब्‍द जिन्‍हें ऊपर अंडरलाइन किया गया है। यहां न्‍यास ने खुद गुरू शब्‍द का प्रयोग किया है जो सिद्ध करता है कि कृपालु महाराज अपने अनुयायियों को शिष्‍य ही मानते हैं।
स्‍पष्‍ट है कि प्रकाशानंद के संदर्भ में कृपालु के प्रवक्‍ता और न्‍यास के बयान ही भ्रामक हैं और सिर्फ उस संभावित पूछताछ से बचने की कोशिश में दिये गये हैं, जिसकी आशंका 'लीजेण्‍ड न्‍यूज़'' ने व्‍यक्‍त की है कि कहीं प्रकाशानंद को मार तो नहीं दिया गया।
प्रकाशानंद से कृपालु महाराज की अंतरंगता और उनके महत्‍व को दर्शाते शेष 9 फोटो नीचे देखें-
प्रकाशानंद को गले लगाते कृपालु

कृपालु के ठीक पीछे कुर्सी पर बैठे प्रकाशानंद

कृपालु के साथ बराबर में खड़े प्रकाशानंद

कृपालु के पीछे पीले वस्‍त्रों में चलते प्रकाशानंद

कृपालु के सामने कुर्सी पर बैठे प्रकाशानंद

कृपालु के ठीक पीछे सफेद बालों में प्रकाशानंद हैं

कृपालु के ठीक सामने कुर्सी पर बैठे हैं प्रकाशानंद

कृपालु के सामने बाईं ओर कुर्सी पर बैठे प्रकाशानंद

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

न घर न कार,ऐसे हैं CM माणिक सरकार

अगरतला। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार शायद देश के पहले ऎसे सीएम हैं जिनके पास न तो खुद का घर है और न ही कार। उनका एसबीआई में खाता है जिसमें 17 सितंबर तक सिर्फ 6 हजार 500 रूपए जमा थे। सरकार को जो सैलरी मिलती है वह भी पार्टी (सीपीआईएम)को दान कर देते हैं। इसके बदले उन्हें हर महीने भत्ते के रूप में पांच हजार रूपए मिलते हैं।

जन सत्याग्रहियों और सरकार के बीच हुआ समझौता

आगरा में जल, जंगल और जमीन को लेकर सरकार और सत्याग्रहियों के बीच समझौता हो गया है। केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने आगरा जाकर सत्याग्रहियों के साथ समझौता किया।
जिन बातों पर समझौता हुआ है उसमें खास है
- 4-6 महीने के भीतर राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनेगी।
- कृषि भूमि और आवास भूमि पर अधिकार के लिए कानून बनाया जाएगा।
- जितने भी ज़मीन से जुड़े मुकदमे होते हैं उनके जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनेगी।

..तो वाड्रा मामले पर इसलिए चुप हैं मोदी जी

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार गांधी परिवार पर हमला बोल रहे हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद पर लगे आरोपों पर वे चुप हैं। ऎसे में सवाल उठता है कि आखिर मोदी चुप क्यों हैं। एक समाचार पत्र के मुताबिक मोदी की इस चुप्पी की वजह है उनकी सरकार की ओर से डीएलएफ को सस्ती दर पर दी गई जमीन। समाचार पत्र के मुताबिक 2007 में गुजरात सरकार ने डीएलएफ को गांधीनगर में सस्ती रेट पर एक लाख स्कवेयर मीटर लैण्ड दी थी।
गुजरात कांग्रेस के सभी सांसदों और विधायकों ने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को जून 2011 में एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें कहा गया था कि बिना नीलामी के डीएलएफ को जमीन दे दी गई।

विकलांगों का भी पैसा डकार गए कानून मंत्री

फर्रुखाबाद से सांसद एवं देश के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद पर जालसाजी का बड़ा आरोप लगा है। आज तक न्यूज़ चैनल के स्टिंग आपरेशन के मुताबिक, कानून मंत्री के ट्रस्ट डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट को साल 2010 और 2011 में 1.39 करोड़ रुपए का सरकारी अनुदान मिला, जिसे फर्जी हस्ताक्षर और मुहर के सहारे हड़प लिया गया है। केंद्र सरकार से मिला यह अनुदान विकलांगों को ट्राई साइकिल, बैसाखी और सुनने की मशीन मुहैया कराने के लिए था।
इस मसले पर कानून मंत्री सहित कांग्रेस का कोई पदाधिकारी सामने नहीं आ रहा है। हालांकि कानून मंत्री ने चिट्ठी लिखकर सफाई दी है।

रविवार, 7 अक्तूबर 2012

फट चुका है लोकतंत्र का ढोल

प्रसिद्ध शायर बालस्‍वरूप राही का एक शेर कुछ यूं है-
आबरू क्‍यों किसी की लुट जाए ।
 देश है ये, कोई हरम तो नहीं ।।

लेकिन जब देश की ही आबरू दांव पर लगी हो तो क्‍या कहेंगे, क्‍या करेंगे?
क्‍या तमाशबीन बने रहेंगे सदा की तरह, या भांड़ों की उस जमात का हिस्‍सा बन जायेंगे जो अपने बुद्धि व विवेक को कभी किसी राजनीतिक दल के लिए गिरवीं रख देती है और कभी उसके सुप्रीमो की चापलूसी को ही सब-कुछ समझती है।
इस माह अगस्‍त में देश को स्‍वतंत्र हुए पूरे 65 साल हो गये। इन पैंसठ सालों में आम आदमी को न तो सम्‍मानपूर्वक जीने का हक मिला और न जरूरतें पूरी करने लायक रोजी-रोजगार। कानून की किताबें लगता है जैसे सामर्थ्‍यवानों की हिफाजत के लिए लिखी गई हैं और संविधान में दर्ज आम आदमी के अधिकार की बातें किस्‍से-कहानियां बन चुकी हैं।

हम हो रहे कंगाल लेकिन विधायक मालामाल

आम आदमी बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। हर महीने मिलने वाले वेतन से परिवार का खर्चा चलाना आम आदमी के लिए मुश्किल हो रहा है लेकिन उसी आम आदमी की ओर से चुने जाने वाले जन प्रतिनिधि दिन-ब-दिन माला माला होते जा रहे हैं। दस राज्यों के 1 हजार 75 विधायकों की इनकम के आंकलन के मुताबिक एक विधायक के घर की इनकम आम आदमी के पांच सदस्यों के परिवार की इनकम से कहीं ज्यादा है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के मुताबिक आम आदमी और विधायक की इनकम में सबसे ज्यादा अंतर उत्तर प्रदेश में है। विधायक और उसके परिवार की सालाना औसत इनकम 14.6 लाख है। सामान्य परिवार की औसत आय से यह 10 गुना ज्यादा है। सामान्य व्यक्ति की सालाना औसत आय 1.3 लाख है। यूपी के अलावा पंजाब,असम और तमिलनाडु में भी विधायकों और आम आदमी की इनकम में जबरदस्त फर्क देखा गया है।

गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

कहीं मार तो नहीं दिया प्रकाशानंद ?

यौन उत्‍पीड़न के 20 मामलों में टेक्सास की हेज काउन्टी ज्यूरी से 18 महीने पहले 14 वर्ष की सजा प्राप्‍त होने के बाद फरार हुए तथाकथित धार्मिक गुरू प्रकाशानंद सरस्‍वती के बारे में अमेरिका के संघीय अधिकारी इस आशय का अनुमान लगा रहे हैं कि वह अपने धार्मिक अनुयायियों की मदद से भारत भाग आया है। उनका यह अनुमान काफी हद तक ठीक भी है लेकिन 'लीजेण्‍ड न्‍यूज़' ने जब इस बावत और पड़ताल की तो चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं।
कभी स्‍वामी प्रकाशानंद सरस्‍वती के नजदीक रहे सूत्रों पर भरोसा करें तो यह भी संभव है कि उसकी हत्‍या कर दी गई हो।
इन सूत्रों के मुताबिक जब मार्च 2011 के दौरान टेक्सास में प्रकाशानंद पर एक के बाद एक यौन उत्‍पीड़न के 20 आरोप लगाये गये तो उनसे जुड़ी वृंदावन व मथुरा की धार्मिक संस्‍थाओं के संचालक काफी परेशान हो गये थे। इन लोगों ने तभी से प्रकाशानंद को लेकर षड्यंत्र बना लिया था और उसके अनुसार योजना पर अमल करते रहे।
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