सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

मनमोहन सरकार में ईमानदार को सजा, चापलूसों को ईनाम

क्या केंद्रीय कैबिनेट में जयपाल रेड्डी का ट्रांसफर सजा के तौर पर हुआ है? उन्हें पेट्रोलियम से साइंस और टेक्नॉलजी मंत्री बनाया गया है। क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रेड्डी रिलायंस समेत कई पेट्रोलियम कंपनियों पर काफी सख्त थे? जयपाल रेड्डी सोमवार सुबह अपने मंत्रालय का चार्ज नए मंत्री वीरप्पा मोइली को देने नहीं पहुंचे। बताया जाता है कि वह अपने तबादले से सख्त नाराज हैं।
रविवार को कैबिनेट में हुए जंबो फेरबदल के बाद राजनीतिक गलियारों में रेड्डी के ट्रांसफर को लेकर ऐसे ही सवाल गुपचुप उठ रहे हैं। इन सवालों को अरविंद केजरीवाल की इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने जबान भी दे दी है। आईएसी के योगेंद्र यादव ने कहा कि जयपाल रेड्डी को रिलायंस पर सख्त होने की सजा दी गई है। रेड्डी के करीबी भी इसे डिमोशन के तौर पर देख रहे हैं।
जनवरी 2011 में पेट्रोलियम मंत्रालय संभालने वाले रेड्डी काफी सख्त मंत्री रहे। उनके आलोचक उन्हें प्राइवेट कंपनियों को परेशान करने वाला बताते रहे। मसलन उन्होंने रिलायंस और ब्रिटिश पेट्रोलियम की 7.2 अरब डॉलर की डील को मंजूरी नहीं दी और उसे कैबिनेट में भेज दिया जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। रेड्डी ने रिलायंस पर केजी-डी6 में लक्ष्य से कम उत्पादन करने के लिए 7000 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। रेड्डी ने ऐसे कई कड़े कदम उठाए जो रिलायंस के खिलाफ गए।
अब जयपाल रेड्डी की जगह वीरप्पा मोइली को पेट्रोलियम मंत्रालय दिया गया है। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि रेड्डी को ईमानदारी की सजा दी गई है। उन्होंने कहा, 'इस देश में किसे कौन सा मंत्रालय मिलेगा, यह जिम्मा तो प्रधानमंत्री का है लेकिन कर रही हैं बड़ी बड़ी कंपनियां। रेड्डी का मंत्रालय रिलायंस के प्रेशर में बदला गया है।'

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