शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

ध्‍वस्‍त होंगे अशोका हाइट्स के 90 फ्लैट्स !

-शिवपाल यादव ने कहा, सिंचाई विभाग की जमीन कब्‍जाने वाले भूमाफिया बख्‍शे नहीं जायेंगे
-ग्राम समाज की जमीन को लेकर भी हुई उच्‍च अधिकारियों से शिकायत
-13 करोड़ 68 लाख के भुगतान की वसूली के लिए एक ठेकेदार ने ली न्‍यायालय की शरण

डेवलपमेंट अथॉर्टी से अप्रूवल की आड़ लेकर भूमाफिया किस तरह कृष्‍ण की नगरी मथुरा में रेत के अवैध महल खड़े करते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण है J S R ग्रुप का प्रोजेक्‍ट अशोका हाइट्स।
अशोका हाइट्स इस बात का भी उदाहरण है कि सरकारी मशीनरी अपने-अपने हिस्‍से का सुविधा शुल्‍क लेकर किस तरह एक अवैध प्रोजेक्‍ट का पहले तो आंखें बंद करके विस्‍तार होते चुपचाप देखती रहती है और जब जांच के घेरे कसते हैं तो सारा ठीकरा उन लोगों के सिर फोड़ने का पूरा प्रयास करती है जो भ्रष्‍ट अफसरों की शै पर ही अपने प्रोजेक्‍ट की नाजायज रूप से न केवल लंबाई-चौड़ाई बढ़ाते जाते हैं बल्‍कि उन जरूरी सुविधाओं को भी ताक पर रख देते हैं जो किसी भी बहुमंजिला इमारत के निर्माण में अत्‍यंत आवश्‍यक होती हैं।
चूंकि सरकारी मशीनरी का आसानी से कुछ नहीं बिगड़ता और ना ही प्रोजेक्‍ट खड़ा करने वाली निजी कंपनी घाटे में रहती है इसलिए जानते-समझते हुए नियम-कानून ताक पर रख दिये जाते हैं।
भूमाफिया, बिल्‍डर और सरकारी मशीनरी के इस गठजोड़ में अगर मारा जाता है तो बेचारा वह आम आदमी जिसके जीवन का बहुत बड़ा सपना होता है एक अदद अपना आशियाना। फिर चाहे उसके लिए उसे ताजिंदगी कर्ज का बोझ ही अपने सिर पर क्‍यों न लादना पड़ता हो।
ग्राम गनेशरा से नेशनल हाईवे-2 की ओर आने वाले नाले के मुंहाने पर बनाई जा रही अशोका हाइट्स के बारे में ''लीजेण्‍ड न्‍यूज़'' को मिली जानकारियां यह साबित करती हैं कि भ्रष्‍टाचार के बल पर  क्‍या-कुछ नहीं किया जा सकता।
इन जानकारियों के मुताबिक अशोका हाइट्स के पिछले हिस्‍से में बनाये जा रहे करीब 90 फ्लैट्स पूरी तरह अवैध हैं और इनके निर्माण में एक ओर जहां सिंचाई विभाग की जमीन का दुरुपयोग किया गया है वहीं दूसरी ओर ग्राम समाज की जमीन भी घेरी गई है।
गत दिनों इस मामले की भनक सपा के कद्दावर नेता और प्रदेश के लोकनिर्माण एवं सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव को लगी तो उन्‍होंने बाकायदा कहा कि सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्‍जा करने वाले भूमाफियाओं को बख्‍शा नहीं जायेगा।
रिश्‍वत लेकर सरकारी जमीन पर कब्‍जा कराने वाले 14 अधिकारियों को निलम्‍बित किया जा चुका है।
उन्‍होंने सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्‍जा किये बैठे भूमाफियाओं को चेतावनी दी है कि वह खुद ही जमीन छोड़ दें अन्‍यथा कड़ी कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
शिवपाल यादव ने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों की इस मामले में भूमाफियाओं के साथ सांठ-गांठ उजागर होगी, उन्‍हें किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जायेगा।
इस मामले में जब ''लीजेण्‍ड न्‍यूज़'' ने अशोका हाइट्स बनाने वाले ग्रुप J S R हाउसिंग एण्‍ड डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड से सफाई मांगी तो ग्रुप के एक हिस्‍सेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मेरे द्वारा सहमति न दिये जाने के बावजूद ग्रुप में शामिल कुछ दूसरे लोगों ने अवैध निर्माण करा दिया। इन लोगों का कहना था कि एकबार आमलोगों से पैसा हाथ में आ जाने दो, फिर उसी पैसे के बल पर अधिकारियों से सब-कुछ कराया जा सकता है।
इस हिस्‍सेदार का यह भी कहना था कि भारी अनियमितताओं के चलते जिस प्रकार एक हिस्‍सेदार पूर्व में अलग हो चुके हैं, उसी तरह मैं भी जल्‍दी ही अलग हो जाऊंगा क्‍योंकि बाकी हिस्‍सेदार अपनी जिद पर अड़े हैं।
यही नहीं, अशोका हाइट्स के निर्माण में मनमर्जी चलाये जाने के कारण एक ठेकेदार ने वहां काम करने से साफ इंकार कर दिया जबकि उक्‍त ठेकेदार की बड़ी रकम अभी ग्रुप पर बकाया है।
इस ठेकेदार को ग्रुप में शामिल लोगों ने उसके उपकरण भी साइट से नहीं ले जाने दिये और दबंगई से काम करने को मजबूर किया।
ठेकेदार द्वारा किसी भी तरह काम करने को सहमत न होने पर उसका बकाया पैसा देने से साफ इंकार कर दिया लिहाजा उसे न्‍यायालय की शरण लेनी पड़ी।
अब उस ठेकेदार ने अपने 13 करोड़ 68 लाख रुपयों की वसूली के लिए ग्रुप में शामिल विजय गोयल, कन्‍हैया लाल खत्री, संजय देसवानी, नवीन कुमार व नरेश बंसल सहित 6 लोगों को पार्टी बनाते हुए न्‍यायालय का रास्‍ता अख्‍तियार किया है।
इसके अलावा कोर्ट के माध्‍यम से ही थाना हाईवे में एक मुकद्दमा भी पंजीकृत कराया है।
आश्‍चर्य की बात यह है कि बेहिसाब अनियमितताएं बरतते हुए बनाई जा रही अशोका हाइट्स के फ्लैट्स पर बैंकें आंख बंद करके फाइनेंस कर रही हैं क्‍योंकि सम्‍बन्‍धित बैंक अधिकारियों को सुविधा शुल्‍क देकर गुमराह किया जा रहा है।
अशोका हाइट्स के मकानों को फाइनेंस करने वाली बैंकों से ''लीजेण्‍ड न्‍यूज़'' ने बात की तो वह कुछ बताने की स्‍थिति में नहीं थीं। अलबत्‍ता उन्‍होंने यह जरूर कहा कि आगे फाइनेंस करने से पहले पूरी पड़ताल की जायेगी, केवल बिल्‍डर द्वारा उपलब्‍ध कराये गये पेपर्स पर भरोसा नहीं किया जायेगा।
अशोका हाइट्स में ग्राम समाज की जमीन के दुरुपयोग की भी शिकायत उच्‍च अधिकारियों तक पहुंच चुकी है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि '' J S R हाउसिंग एण्‍ड डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड'' की ये हाइट उनके साथ-साथ बेचारे ऐसे लोगों को भी भारी पड़ सकती है जो ग्रुप द्वारा दिखाये गये सपने को साकार होते देखने की उम्‍मीद पाले हुए हैं।
सबसे बड़ी मुश्‍किल उन लोगों के सामने खड़ी होगी जिनकी बुकिंग पीछे की ओर बनाये जा रहे उन 90 फ्लैट्स में है जिनका निर्माण नियम-कानून को ताक पर रखकर किया गया है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो जांच उपरांत ये सभी 90 फ्लैट्स ध्‍वस्‍त किये जा सकते हैं।
अशोका हाइट्स के निर्माण में मिल रहे सभी अधिकारियों के संरक्षण का अंदाज इस बात से भी लगाया जा सकता है कि फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) की बात तो दूर उसके अंदर इतनी भी जगह नहीं छोड़ी गई कि किसी हादसे की स्‍थिति में फायर ब्रिगेड की एक भी गाड़ी का मूवमेंट हो सके।
रहा सवाल भूकंपरोधी तकनीक के इस्‍तेमाल और दूसरी उन सुविधाओं का जिनका प्रचार करके लोगों को आकर्षित किया जाता है तो उनका भी खुलासा जांच के दौरान तब हो जायेगा जब पता लगेगा कि सीमेंट तक ''मेजर प्‍लांट'' की जगह ''मिनी प्‍लांट'' का इस्‍तेमाल किया गया है जिससे केवल रेत के महल ही खड़े किये जा सकते हैं और जिनकी हाइट यहां बसने वालों के लिए मौत की हाइट से कम साबित नहीं होगी।

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