रक्षा मंत्रालय के एक इंटरनल ऑडिट में खुलासा किया गया है कि आर्मी चीफ
विक्रम सिंह, वी. के. सिंह और कुछ टॉप जनरलों ने स्पेशल फाइनैंशल पावर्स के
तहत 2 सालों में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की ऐसी आपातकालीन खरीद की
जिसमें चीन ने अपने जासूसी उपकरण फिट कर रखे थे। चीन समेत कई देशों की
खुफिया एजेंसियां जासूसी के लिए ऐसे हथकंडे अपनाती हैं।
ऑडिट में यह पता चला है कि इन विदेशी उपकरणों को खरीदने के लिए गाइडलाइंस का भी उल्लंघन किया गया। जिस उपकरण को आर्मी के एक भाग ने रिजेक्ट कर दिया, उसी को दूसरे ने खरीद लिया। यह बात भी गौर करने लायक है कि भारतीय उपकरणों से महंगे होने के बावजूद विदेशी उपकरण खरीदे गए।
ऑडिटर्स ने पाया कि विदेशी उपकरण सीधे कंपनी से खरीदने की बजाय भारतीय एजेंट से खरीदे गए जबकि कंपनी के लोग भारत में मौजूद थे। कुछ मामलों में बिचौलियों का भी इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईस्टर्न कमांड ने विदेशी कंपनी की हाई रिज़ॉल्यूशन वाली दूरबीन महंगे दामों पर भारतीय एजेंट से खरीदीं, जबकि दूरबीन बनाने वाली कंपनी उसे कम दामों पर दे रही थी।
ऑडिट में यह पता चला है कि इन विदेशी उपकरणों को खरीदने के लिए गाइडलाइंस का भी उल्लंघन किया गया। जिस उपकरण को आर्मी के एक भाग ने रिजेक्ट कर दिया, उसी को दूसरे ने खरीद लिया। यह बात भी गौर करने लायक है कि भारतीय उपकरणों से महंगे होने के बावजूद विदेशी उपकरण खरीदे गए।
ऑडिटर्स ने पाया कि विदेशी उपकरण सीधे कंपनी से खरीदने की बजाय भारतीय एजेंट से खरीदे गए जबकि कंपनी के लोग भारत में मौजूद थे। कुछ मामलों में बिचौलियों का भी इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईस्टर्न कमांड ने विदेशी कंपनी की हाई रिज़ॉल्यूशन वाली दूरबीन महंगे दामों पर भारतीय एजेंट से खरीदीं, जबकि दूरबीन बनाने वाली कंपनी उसे कम दामों पर दे रही थी।