बुधवार, 10 दिसंबर 2014

अपने ही बिछाये जाल में फंस गये उपमन्‍यु !

मथुरा। 
लगता है कि पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु अपने ही बिछाये हुए जाल में फंस गये हैं। उपजा के प्रद्रेश उपाध्‍यक्ष, ब्रज प्रेस क्‍लब के अध्‍यक्ष तथा मथुरा की छावनी परिषद् के पूर्व अध्‍यक्ष कमलकांत उपमन्‍यु ने पेशबंदी के लिए जिन लोगों का इस्‍तेमाल कर यौन उत्‍पीड़न पीड़िता के परिजनों पर दो मुकद्दमे कायम कराये हैं, उन दोनों के वादी उनके अपने ही चेले हैं और इसीलिए उन्‍होंने अपनी तहरीर में उपमन्‍यु के ऊपर बलात्‍कार का मुकद्दमा दर्ज कराने की साजिश का ज़िक्र किया।
उपमन्‍यु के बिछाये हुए जाल का खुलासा किसी और ने नहीं, फोटो खिंचाने के उनके उस जुनून ने ही कर दिया जिसके चलते वह हर दिन प्रमुख अखबारों की सुर्खियों का हिस्‍सा बनते रहे।
अब ज़रा इस खबर के साथ लगे फोटो पर गौर कीजिए। फोटो में चश्‍मा लगाये कमलकांत उपमन्‍यु के दाईं ओर (नीले घेरे में) खड़े व्‍यक्‍ति का नाम शिव कुमार शर्मा है और उसके बगल में लाल घेरे के अंदर खड़े व्‍यक्‍ति का नाम मुकेश शर्मा है। नटवर नगर निवासी ये दोनों वही लोग हैं जिन्‍होंने बलात्‍कार पीड़िता के परिजनों पर मुकद्दमे दर्ज कराये हैं।
ये फोटो तब का है जब कमलकांत के साथ ये दोनों लोग कहीं बाहर घूमने गये थे।
जाहिर है कि कमलकांत उपमन्‍यु का न केवल इनसे पुराना याराना है बल्‍कि इतने घनिष्‍ठ संबंध हैं कि साथ आना-जाना भी लगा रहता है। इस बात की पुष्‍टि इनके वो दूसरे फोटो भी करते हैं जिसमें शिव कुमार शर्मा की पुत्री व अन्‍य परिजन कमलकांत के साथ उत्‍तरांचल के एक धार्मिक स्‍थल की यात्रा करने गये थे और वहां धार्मिक क्रिया-कलापों एवं दान-पुण्‍य में सहभागिता करते दिखायी दे रहे हैं।
ऐसे में शिव कुमार शर्मा तथा मुकेश शर्मा द्वारा यौन उत्‍पीड़न की शिकार युवती के परिजनों पर अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराने तथा उनमें कमलकांत उपमन्‍यु को किसी साजिश में फंसाने की आशंका ज़ाहिर करने का मकसद कोई भी समझ सकता है।
ये बात अलग है कि जो बात कोई सामान्‍य से सामान्‍य बुद्धि वाला व्‍यक्‍ति भी समझ सकता है, उसे न तो जिले की पुलिस कप्‍तान मंजिल सैनी ने समझा और न उनकी उस पुलिस ने जिसे जांच कर कार्यवाही करने का आदेश दिया गया था। स्‍पष्‍ट है कि कोई जांच की ही नहीं गई और बिना जांच किये ही पीड़िता के परिजनों पर दोनों मुकद्दमे दर्ज कर लिये गये।
उल्‍लेखनीय है कि इनमें से पहला मुकद्दमा भैंस बांधने को लेकर मारपीट करने का है तो दूसरा मुकद्दमा एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ करने तथा शिकायत करने पर तेजाब फेंककर जला देने की धमकी देने का है।
इन मुकद्दमों का सच और उसके पीछे छिपा मकसद सामने आने के बाद अब पीड़िता की तहरीर पर एसएसपी मंजिल सैनी की कथित जांच का सच भी सामने आ गया है और उस उद्देश्‍य का भी खुलासा हो गया है जिसके लिए वह यौन उत्‍पीड़न की शिकार युवती को न्‍याय दिलाने में अब तक हील-हुज्‍जत कर रही हैं।
पुलिस कप्‍तान साहिबा क्‍या अब भी यह कहेंगी कि कमलकांत उपमन्‍यु के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में उन्‍होंने अनावश्‍यक देरी नहीं की और पीड़िता के परिजनों पर दो-दो मुकद्दमे दर्ज कराने के पीछे एकमात्र मकसद उन्‍हें भयभीत करना तथा कमलकांत उपमन्‍यु को उन पर दबाव बनाने के लिए मौका देना ही था।
आश्‍चर्य होता है इस बात पर कि एक युवा महिला पुलिस अधिकारी किसी दूसरी युवती के साथ हुए अत्‍याचार को लेकर इतनी संवेदनाहीन हो जाए और आरोपी को बचाने के लिए उसका पूरा-पूरा साथ दे।
यही नहीं, एफआईआर दर्ज हो जाने के बावजूद अब तक न तो पीड़िता के बयान दर्ज़ कराये गये और न मेडीकल कराना जरूरी समझा।
पीड़िता के अधिवक्‍ता प्रदीप राजपूत का कहना है कि इस नये खुलासे के बाद भी पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु की गिरफ्तारी न होना साफ करता है कि जांच अधिकारी व इलाका पुलिस एसएसपी के दबाव में है और इस कारण उसे पीड़ित पक्ष पर दबाब बनाने का पूरा अवसर मिल रहा है।
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष
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