बुधवार, 25 सितंबर 2013

RSS प्रमुख भागवत को फंसाने के षड्यंत्र का खुलासा

सन् 2007 में हुए अजमेर बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपियों में से एक भावेश पटेल ने केंद्रीय मंत्रियों, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। भावेश ने सीबीआई कोर्ट को चिट्ठी लिखकर बताया है कि गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, गृह राज्यमंत्री आर. पी. एन. सिंह और दिग्विजय सिंह ने उस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत और आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार को अजमेर ब्लास्ट में फंसाने के लिए दबाव डाला था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस साल मार्च में गिरफ्तार किए गए पटेल ने कोर्ट को दिए आवेदन में आरोप लगाया है,

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

जम्‍मू-कश्‍मीर के कुछ मंत्रियों को सेना देती है पैसा

जम्मू-कश्मीर में तख्तापलट की साजिश के आरोपों का सामना कर रहे पूर्व आर्मी प्रमुख जनरल वी. के. सिंह द्वारा दिए गए एक बयान पर फिर हंगामा खड़ा हो गया है। जनरल सिंह ने दावा किया है कि जम्मू-कश्मीर में हालात 'स्टेबल' बनाए रखने के लिए के लिए सेना वहां के कुछ मंत्रियों को निश्चित रकम देती है और यह आजादी के समय से ही चला आ रहा है।
जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने वीके सिंह के बयान को खारिज कर दिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय प्रधान देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि देश और खासकर सेना के लिए यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्व सेना प्रमुख इस तरह के आधारहीन बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनरल वीके सिंह शुरू से ही उमर सरकार विरोधी थे। उन्होंने कश्मीर में एक राजनीतिक पार्टी से गठजोड़ कर राज्य सरकार के खिलाफ लगातार कार्य किया। राणा ने सच सामने लाने के लिए न्यायिक या सीबीआई जांच करवाने की मांग की।

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

खेल संघों की गुलामी कर रहे हैं खिलाड़ी

ओलंपिक पदक जीतने वाले देश के पहले निशानेबाज राज्यवर्द्धन राठौड़ ने खेल महासंघों पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि खिलाड़ी इन महासंघों की गुलामी कर रहे हैं। राठौड ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खेल प्रकोष्ठ द्वारा पार्टी मुख्यालय पर आयोजित सम्मान समारोह में खेल महासंघों की कड़ी आलोचना की।
इस समारोह में खेल प्रकोष्ठ ने दिग्गज खिलाडियों और कोचों को सम्मानित किया गया। हाल ही भाजपा में शामिल हुए एथेंस ओलंपिक के रजत विजेता राठौड़ ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और खेल प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक अशोक अग्रवाल की मौजूदगी में कहा, "खिलाडियों का हाल तो खिलाड़ी ही जानते हैं। देश को आजाद हुए कई दशक बीत गए हैं लेकिन खिलाडियों का हाल आज भी गुलामों जैसा है। खिलाड़ी खेल संघों के गुलाम हैं।"

मंगलवार, 17 सितंबर 2013

30 दिन में बदलवाएं यह विज्ञापन

नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि वह एक कंपनी के कंडोम कवर पर महिला के कथित अश्लील चित्रण की शिकायत की जांच करे और 30 दिन में उसे बदलवा दें। इंदर सेन दुआ ने हेल्थ केयर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी के मालिक के खिलाफ शिकायत की थी।
इस कंपनी की नोएडा और मथुरा में फैक्ट्रियां हैं। शिकायत में दुआ ने आरोप लगाया था कि कंपनी कंडोम के रैपर्स पर महिला के अश्लील और पोर्नोग्राफिक चित्रों का प्रयोग कर रही है। कंपनी इन्हें दिल्ली सहित देश भर में बेच रही है। शिकायत मिलने पर महिला आयोग ने कंपनी के मालिक को तलब किया।
कंपनी मालिक के वकील ने आयोग को बताया कि प्रोडक्ट की पैकिंग में इस्तेमाल किए गए चित्रों को बदल दिया गया है। इस पर महिला आयोग की एक सदस्य ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को मामले की जांच करने को कहा। पुलिस कमिश्नर से कहा गया है कि अगर संज्ञेय अपराध है तो कंपनी के मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
महिला आयोग ने पुलिस से 30 दिन में कंडोम के रैपर्स को बदलवाने के लिए कहा गया। महिला के अश्लील चित्रण(प्रतिबंधित)एक्ट 1986 में प्रकाशन, प्रदर्शनी, पुस्तक, पैम्पलेट, फिल्म फोटोग्राफ में महिला का किसी भी रूप में अश्लील चित्रण प्रतिबंधित है।

मंत्रीजी बोले, भंवरी जैसा हाल कर देंगे

राजस्थान के एक और मंत्री पर दुष्कर्म करने का आरोप लगा है। आरोप लगाने वाली महिला जयपुर की रहने वाली है। जयपुर की एक अदालत ने उसकी ओर से दायर परिवाद पर पुलिस को सोढ़ाला थाने में मंत्री के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा है। पीड़िता ने 13 सितंबर को कोर्ट में परिवाद दायर किया था।
पीड़िता ने बताया कि राजस्थान के सरकार के इस मंत्री ने 11 सितम्बर को उसे दोपहर ढाई बजे फोन कर अपने घर बुलाया। उसी दिन शाम करीब पांच बजे वहां पहुंची तो मंत्री ने उसे अच्छी नौकरी लगवाने का लालच दिया। साथ ही उसके रिश्तेदार को भी अच्छी नौकरी दिलाने का वादा किया।
कुछ देर बाद मंत्री कमरे में चला गया और पीड़िता को कमरे में बुलाया। मंत्री ने पीड़िता के जबरन कपड़े उतारे और दुष्कर्म का प्रयास किया। पीड़िता के विरोध करने पर मंत्री ने धमकी दी कि तुम्हारा हाल भी भंवरी देवी जैसा कर दिया जाएगा। मंत्री ने पीड़िता के बेटे की हत्या करने की भी धमकी दी।
इस पर पीड़िता कोर्ट पहुंची और मंत्री के खिलाफ केस दर्ज करवाने का आदेश देने की गुहार लगाई। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम संख्या 9 की अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156/3 के तहत मुकद्दमा दर्ज करने के लिए मामला सोढ़ाला थाने भिजवाया है।
इधर, मामले पर बाबूलाल नागर की खुली प्रतिक्रया अब तक नहीं आई लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। यह मंत्री पहले भी काफी विवादों में घिरे रहे हैं। जिसके चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इनका विभाग बदल दिया था।

CAG ने BSP को किया बेपर्दा: सैकड़ों करोड़ के घोटाले खोले

लखनऊ। मुजफ्फरनगर दंगों पर चारों तरफ‌ से ‌घिरी अखिलेश सरकार को आज एक बड़ी राहत भरी खबर मिली है। आज भले ही विधानसभा स्‍थगित कर दी गई हो, लेकिन सदन में एकसाथ पेश हुईं कई रिपोर्ट्स ने मायावती के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। खबर है कि बसपा सरकार में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान सिर्फ बिजली खरीद और वितरण में ही सामने आ रहा है।
कैग रिपोर्ट के ‌मुताबिक, बसपा राज में घपलों के कारण चर्चित रहने वाली यूपी राज्य औद्योगिक वि‌कास निगम लिमिटेड का 175 करोड़ का एक और घोटाला सामने आया है।
विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट से खुलासा हुआ है ‌कि निगम ने 8 ग्रुप हाउसिंग प्लॉट और 34 कॉम‌र्शियल प्लाट को अपने द्वारा तय सिस्टम के खिलाफ जाकर ही बांट दिया।
कैग की रिपोर्ट कहती है कि अफसरों कि इस उदारता से यूपीएसआईडीसी को बाजार मूल्य पर 152 करोड़ और सर्किल रेट पर 24.‍5 करोड़ रुपये का अलग से नुकसान हुआ। यह प्लॉट नोएडा में बांटे गए।

शनिवार, 14 सितंबर 2013

कौन होगा मथुरा का 'मोदी' ?

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष) तमाम जद्दोजहद के बाद भारतीय जनता पार्टी ने नरेन्‍द्र मोदी के सिर प्रधानमंत्री पद की उम्‍मीदवारी का सेहरा अंतत: बांध दिया। एक बड़ा चैप्‍टर क्‍लोज हो गया लेकिन लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इससे कई नए चैप्‍टर खुल गए।
देश-दुनिया और पक्ष-विपक्ष की बात किनारे करके अगर बात करें सिर्फ कृष्‍ण नगरी की, तो मोदी के गुजरात का यहां से गहरा नाता जो है। कुछ वैसा ही जैसा कृष्‍ण का द्वारिका से और द्वारिकाधीश का मथुरा से। जाहिर है कि इस रिश्‍ते का प्रभाव मथुरा की राजनीति को भी अवश्‍य प्रभावित करेगा।
राजनीति के सिरमौर श्रीकृष्‍ण की इस जन्‍मभूमि का उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में वही स्‍थान है जो देश की राजनीति में उत्‍तर प्रदेश का।
किसी भी चुनाव में यहां होने वाली हार-जीत का असर समूचे राजनीतिक परिदृश्‍य पर साफ दिखाई देता है।
ऐसे में महत्‍वपूर्ण हो जाता है यह प्रश्‍न कि मथुरा में लोकसभा की उम्‍मीदवारी का सेहरा किसके सिर बंधेगा....... यानि कौन होगा मथुरा का मोदी?

शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

हमारे पास रुपये हैं, हम जितना चाहें खर्च करें किसी को क्‍या

आगरा। समाजवादी पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक गुरुवार को समाप्‍त हो गई। होटल मुगल में हुई यह बैठक जहां आजम खान की गैरमौजूदगी के चलते ज्‍यादा चर्चा में रही, वहीं समाजवादी सिद्धांतों के रहनुमा होने का दावा करने वाले सपाइयों की शाहखर्ची भी चर्चा में रही।
सपा कार्यकारिणी के सदस्‍य तमाम सुख-सुविधाओं से लैस कमरों में ठहरे। सवाल उठने पर अबू आजमी ने तपाक से जवाब दिया कि हमारे पास रुपए हैं, हम चाहे जितना खर्च करें। किसी को इससे क्‍या फर्क पड़ता है। सांसद नरेश अग्रवाल ने तो सवालों का मजाक उड़ाते हुए यहां तक कह दिया कि आप कहें तो राजस्‍थान के वीरान रेत पर बैठक कर लेंगे। वहां पानी भी नहीं मिलेगा।
समाजवादी पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कितना खर्च हुआ, इसका जवाब तो कोई नहीं दे रहा। लेकिन जानकार सूत्र इस पर कम से कम एक करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगा रहे हैं। बैठक के लिए

बुधवार, 11 सितंबर 2013

ढिठाई के साथ नियमों का उल्‍लंघन करते हैं जनप्रतिनिधि

तिरुवनंतपुरम। विधानसभाओं और संसद में जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि सदन में शिष्टाचार के नियमों एवं मानकों को कठोर बनाया जाने और उन्हें कड़ाई से लागू किए जाने की जरुरत है.
अंसारी ने यहां केरल विधानसभा की विशेष बैठक में अपने संबोधन में कहा कि विचारविमर्श के निकायों के तौर पर विधायिकाओं की आदर्श छवि इन दिनों जनप्रतिनिधियों के असंसदीय आचरण के चलते बिल्कुल विरोधाभासी सी हो गई है.

सोमवार, 9 सितंबर 2013

दंगे तो होंगे ही.. कोई रोक भी नहीं सकता

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
केंद्र सरकार की ताजा रिपोर्ट के अनुसार अखिलेश राज में अब तक सांप्रदायिक दंगों की 104 घटनाएं हो चुकी हैं। मुज़फ्फरनगर के दंगे में आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 26 लोग मारे जा चुके हैं जबकि प्रत्‍यक्षदर्शी बताते हैं कि यह संख्‍या सैकड़ों में है।
राज्‍यपाल बी. एल. जोशी ने मुज़फ्फरनगर के दंगों को लेकर केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है, वह कहती है कि इन दंगों के लिए पूरी तरह राज्‍य सरकार जिम्‍मेदार है।
जो भी हो, लेकिन यहां विचारणीय प्रश्‍न यह है कि एक ऐसे दौर में जब आम आदमी के लिए अपनी जरूरतें पूरी करना भी कठिन होता जा रहा है, तब लोग एक-दूसरे का खून बहाने पर इतनी जल्‍दी आमादा क्‍यों रहे हैं ?
यहां यह बताने की कोई जरूरत नहीं रह जाती कि हर दंगे का शिकार आम आदमी ही होता है, खास लोग कभी किसी दंगे की चपेट में नहीं आते और देश के वर्तमान लोकतंत्र की परिभाषा भी शायद यही है।

शनिवार, 7 सितंबर 2013

84 Year old Young man

कई राज्‍यों में विधानसभा चुनाव और उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए वोटों के सौदागर चाहे जो कहें लेकिन सच्‍चाई यही है कि तथाकथित धर्मगुरू आसाराम बापू पर लगे यौन शोषण के गंभीर आरोपों ने आम आदमी के मन में ऐसे धर्मगुरुओं को लेकर गहरा प्रश्‍नचिन्‍ह अंकित कर दिया है।
इस वीडियो में जिस शख्‍स को आप हाथी जैसी चाल चलते देख रहे हैं, वह स्‍वयंभू पांचवें जगद्गुरू कृपालु महाराज हैं और खुद इनके भक्‍तों की मानें तो इनकी उम्र फिलहाल 84 साल है।
गौरतलब है कि 60-62 साल की उम्र में जब सामान्‍यत: लोग रिटायर्ड हो जाते हैं और धर्म के अनुसार भी इस समय वानप्रस्‍थ आश्रम ग्रहण कर लिया जाता है, तब इस देश के नेता और ऐसे तथाकथित धार्मिक गुरू पहले से कहीं अधिक सक्रिय दिखाई देते हैं।
अपने दोनों ओर हाथ बांधे कतारबद्ध खड़े स्‍त्री-पुरुषों के बीच चल रहे कृपालु महाराज के धार्मिक धंधे का टर्नओवर करोड़ों नहीं, अरबों का है और इस धंधे के उत्‍तराधिकारी उनकी अपनी संतानें हैं।
द इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ डिवाइन लव तथा द यूनिवर्सल सोसायटी ऑफ स्‍प्रेचुअल लव नामक संस्‍थाओं के माध्‍यम से अपने धार्मिक कारोबार को संचालित करने वाले कृपालु महाराज भी यौन शोषण के आरोपों में कई बार देश-विदेश की जेलों के मेहमान रहे हैं।
बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि कृपालु महाराज को सर्वप्रथम यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार कराने का श्रेय उन्‍हीं डॉ. नरेन्‍द्र दाभोलकर को जाता है जिनकी पिछले दिनों हत्‍या कर दी गई। दाभोलकर द्वारा स्‍थापित संस्‍था 'अंध श्रृद्धा निर्मूलन समिति' ने ही नागपुर की दो लड़कियों के साथ कृपालु द्वारा दुष्‍कृत्‍य किये जाने का मामला उठाया था।
वीडियो में कृपालु महाराज का गुणगान करने वाली आवाज़ से लेकर उनके सामने जमीन पर बैठकर कृपा प्राप्‍त करने वाला व्‍यक्‍ति कोई और नहीं, इनके पेशेवर तौर-तरीकों का माध्‍यम है ताकि तमाम दूसरे लोगों को प्रभावित व आकर्षित किया जा सके।
सुंदर महिलाओं के जिस समूह को आप इस वीडियो में कृपालु महाराज की आरती उतारते देख रहे हैं, यह दरअसल इनकी वो एग्‍जीक्‍यूटिव्‍स हैं जो इनके लिए धनी-मानी मुर्गे फंसाती हैं और उसके एवज में पहले से तय अपना हैंडसम कमीशन तथा सुख-सुविधाएं हासिल करती हैं। यही महिलाएं महाराज जी की दैहिक एवं भौतिक तापों का निवारण उनकी इच्‍छानुसार करने का इंतजाम भी करती हैं।
चूंकि कृपालु महाराज की कृपापात्र बनने के लिए उनकी अपनी कुछ शर्तें है, और यह उन शर्तों को पूरा करने के बाद ही इस मुकाम तक पहुंचती हैं लिहाजा महाराजजी की जरूरतों को यह उनके एक इशारे से समझ जाती हैं।
बच्‍चों को लेकर वात्‍सल्‍य का भाव प्रदर्शित करने वाले कृपालु की वास्‍तविक सोच का अंदाज आप इस वीडियो के उस हिस्‍से से लगा सकते हैं, जहां कृपालु महाराज खुद तो कीमती स्‍पोर्ट शू में चल रहे हैं और उनके कृपापात्र बच्‍चे नंगे पैर हैं।
बीमारों की सेवा-सुश्रूषा का नाटक करते दिखाई देने वाले कृपालु महाराज ने मनगढ़ स्‍थित अपने आश्रम का भारी-भरकम गेट गिर जाने के कारण हुई दर्जनों मौतों पर बमुश्‍किल इतना भर कहा था कि ये तो ईश्‍वर की मर्जी थी। इसमें मैं क्‍या कर सकता हूं।
कड़वा सच तो यह है कि कदम-कदम पर धर्म का सौदा करने वाले कृपालु महाराज और इनके जैसे तमाम तथाकथित धर्मगुरू न केवल देश के आर्थिक अपराधी हैं बल्‍कि सामाजिक अपराधी भी हैं।
देश भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है और देशवासी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही महंगाई से त्रस्‍त हैं लेकिन एक ओर धर्म के सौदागर ऐसे तथाकथित धर्मगुरू तथा दूसरी ओर इनके संरक्षणदाता वोटों के सौदागरों पर किसी प्रकार का कोई दुष्‍प्रभाव नहीं पड़ रहा क्‍योंकि इनकी आमदनी निष्‍प्रभावी है।
ऐसे में क्‍या यह सवाल पैदा नहीं होता कि आखिर इनकी आमदनी के वो कौन से स्‍त्रोत हैं, जो कभी नहीं सूखते। जिन पर कभी मंदी की मार नहीं पड़ती और जिनके खजाने का कभी कोई आंकलन नहीं कराया जाता जबकि इनकी शारीरिक, मानसिक तथा तथाकथित बौद्धिक ऊर्जा का राज यही अकूत संपदा है।

शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

क्‍या कुछ बदल पाई LoC के कांटों की बाड़?

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
अभी-अभी एक रिपोर्ट पढ़ी। इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की वित्तीय राजधानी कराची में आपराधिक समूह रोजाना 83 करोड़ रुपये का काला कारोबार करते हैं। रिपोर्ट कहती है कि अवैध वसूली, लूट, अपहरण, सड़कों पर होने वाले अपराध और अवैध पार्किंग तथा अवैध बिजली कनेक्शन देने जैसे कई काम हैं जो इस शहर की अवैध अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान कर रहे हैं।

शहर के विभिन्न हिस्सों में हर रोज करीब एक करोड़ रुपये की वसूली होती है जबकि पांच करोड़ रुपये का अपहरण उद्योग है। शहर में अवैध पार्किंग के जरिये 24 लाख रुपये की उगाही होती है। इसके अलावा रेहड़ी, पटरी और फेरी वाले रोजाना 82 लाख रुपये पुलिस, अपराधियों और ठेकेदारों को देते हैं।
शहर में विभिन्न स्थानों पर 55,000 से अधिक फेरीवाले, खोमचे, स्टॉल आदि लगते हैं। पानी माफिया भी यहां सक्रिय है। यह यहां प्रतिदिन 27 करोड़ 20 लाख गैलन पानी अवैध तरीके से बेचते हैं। इससे 10 करोड़ रुपये की कमाई होती है।
शहर में 15,000 नशीले पदार्थ बेचने वाले और जुआघर हैं, इनमें 15 करोड़ रुपये प्रतिदिन का कारोबार होता है। कराची में भूमाफिया ने 30 हजार एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है जिससे हर साल सरकार को 7 अरब रुपये का नुकसान हो रहा है।
शहर में वाहनों की चोरी शीर्ष पर है। मोबाइल फोन, नकदी, आभूषण और दूसरे कीमती सामान की रोजाना 52 लाख रुपये की लूट की जाती है। पुलिस को यहां रोजाना 21 करोड़ रुपये की रिश्वत मिलती है।
अब ज़रा गौर फरमाइए आज मथुरा के अखबारों की उन खबरों पर जो व्‍यापारी नेता मुरारी अग्रवाल के हवाले से छापी गई हैं।
युवा व्‍यापारी नेता मुरारी अग्रवाल ने सवाल उठाया है कि पुलिस के एक सिपाही से लेकर तमाम बड़े पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी आखिर मथुरा में ही तैनाती क्‍यों चाहते हैं।
व्‍यापारी नेता के अनुसार इसकी बड़ी वजह स्‍थानीय नेताओं की निष्‍क्रियता के चलते सही कार्यों के लिए भी अधिकारी एवं कर्मचारियों को आसान रिश्‍वत मिल जाना और गलत कार्यों के लिए भारी रिश्‍वत मिलने से उपजी छवि है।
हो सकता है कि किसी स्‍तर पर मुरारी अग्रवाल का यह प्रश्‍न राजनीतिक हो, लेकिन  इसकी सच्‍चाई में कोई शक नहीं है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्‍तान की वित्‍तीय राजधानी कराची से मथुरा की तुलना नहीं की जा सकती। कराची की तुलना भारत की वित्‍तीय राजधानी मुंबई से करना ज्‍यादा मुनासिब होगा परंतु यहां हम हांडी के पूरे चावल न देखकर एक दाने से आंकलन का सर्वमान्‍य तरीका आजमा रहे हैं।
अब सवाल यह पैदा होता है कि क्‍या भारत की वर्तमान स्‍थितियों और पाकिस्‍तान के हालातों में कोई अंतर है?
जो पढ़ा और सुना गया, उसके अनुसार तो कोई फर्क नहीं है।
भारत में भी आम आदमी उतना ही परेशान है जितना संभवत: पाकिस्‍तान में। भारत के नेताओं की मानसिकता और पाकिस्‍तानी नेताओं की मानसिकता अपनी जनता के बावत कोई बहुत अलग नजर नहीं आती। रिश्‍वत और अधिकारों के दुरुपयोग को लेकर दोनों देशों के सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी भी एक जैसी सोच रखते दिखाई देते हैं।
अवैध वसूली, लूट, अपहरण, सड़कों पर होने वाले अपराध और अवैध पार्किंग तथा अवैध बिजली कनेक्शन, रेहड़ी, पटरी और फेरी वालों से उगाही, पानी माफिया, ड्रग्‍स माफिया, भूमाफिया का बोलबाला, वाहन चोरी आदि इनमें से कौन सा अपराध है जो भारत के कोने-कोने में नहीं होता।
पता नहीं कि पाकिस्‍तान में शिक्षा माफिया, तेल माफिया और मीडिया माफिया कितने सक्रिय हैं, अलबत्‍ता भारत में इनकी भी कोई कमी नहीं।
धर्म माफिया निश्‍चित तौर पर पाकिस्‍तान में गहरी जड़ें जमाये हुए हैं लेकिन भारत में भी इनकी जड़ें कम गहरी नहीं।
क्षेत्रफल के हिसाब से भारत व पाकिस्‍तान में एक बड़ा अंतर अवश्‍य है परंतु इस अंतर से किसी मुल्‍क के राजनेताओं और अधिकारी एवं कर्मचारियों की सोच में कोई परिवर्तन आता हो, ऐसा कहीं नहीं है।
फिर भारत और पाकिस्‍तान तो सन् 47 से पहले एक ही मुल्‍क हुआ करते थे लिहाजा दोनों मुल्‍कों का डीएनए किसी न किसी स्‍तर पर जाकर जरूर मिलता होगा।
कौन नहीं जानता कि पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति का जन्‍म भारत के आगरा में हुआ था और तानाशाह परवेज मुशर्रफ दिल्‍ली की नाहरवाली हवेली में पैदा हुए थे।
इसी प्रकार भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाकिस्‍तान के पंजाब प्रांत की पैदाइश हैं और विपक्षी पार्टी भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्‍ण आडवाणी उसी कराची के सिंध प्रांत में जन्‍मे हैं, जिसके काले कारोबार का जिक्र हमने ऊपर किया है।
ये तो चंद उदाहरण भर हैं, अन्‍यथा एक अन्‍य तानाशाह जनरल जिया उल हक से लेकर पाकिस्‍तान की सत्‍ता में रहे तमाम नेताओं ने भारत की जमीं पर अपनी आंखें खोलीं और अनेक भारतीय राजनेताओं का जन्‍म पाकिस्‍तान में हुआ।
ऐसे में देश बंटने और स्‍वतंत्रता मिलने के बाद पैदा हुई भारत की पीढ़ी का नजरिया कहीं न कहीं अलग तो होना ही था।
यही नजरिया आज सीमा के उस पार लोगों को परेशान किये हुए है और इसी के कारण सीमा के इस ओर लोग बेचैन हैं।
चूंकि दोनों ओर की गवर्नेंस का भी ताल्‍लुक फिरंगियों से विरासत में मिले तौर-तरीकों से है और आज तक वह उन्‍हीं तरीकों को अपनाये हुए हैं लिहाजा मौलिक सोच में कोई फर्क नहीं आ पाया।
यही वजह है कि कराची हो या मुंबई, दिल्‍ली हो या इस्‍लामाबाद सभी जगह हालात एक जैसे मालूम होते हैं।
जहां तक मथुरा के व्‍यापारी नेता मुरारी अग्रवाल के सवालों का तो ऐसे ही सवाल देशभर को परेशान कर रहे हैं।
हर शहर में आम शख्‍़स परेशान हैं, बशर्ते उसका संबंध राजनीति और राजनेता से न हो।
एक और आम चुनाव सामने आ खड़े हुए हैं पर उनके बाद भी कुछ बदलेगा, इसकी उम्‍मीद ना के बराबर है।
मथुरा हो या मुंबई, मनमोहन हों या मोदी, कांग्रेस हो या भाजपा, क्‍या फर्क पड़ता है।
एलओसी पर कांटों की बाड़ लगा देने से जिस प्रकार दो मुल्‍क अलग हो जाते हैं, काश उसी प्रकार नेताओं की सोच भी इस बाड़ से अलग हो गई होती। कम से कम 66 सालों बाद हम तो वहां खड़े न होते जहां पाकिस्‍तान भी खड़ा है।

सोमवार, 2 सितंबर 2013

खुलासा: सेक्‍स करने में पूरी तरह सक्षम है आसाराम

जोधपुर। अपने ही अनुयायी की नाबालिग बेटी से यौन शोषण मामले में अरेस्ट विवादित धर्मगुरु आसाराम बापू कानून से बचने के लिए तमाम तरकीबों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने रविवार को जांच अधिकारियों से कहा कि वह नपुंसक हैं। ऐसे में इस तरह का अपराध करने में वह समर्थ ही नहीं हैं। 72 वर्षीय आसाराम के इस दावे की पोल तब खुल गई जब 'पोटेंसी टेस्ट' (मर्दानगी जांच) पॉजिटिव निकला। मतलब आसाराम की कामुकता पूरी तरह से ऐक्टिव है।
पुलिस का कहना है कि टेस्ट के पॉजिटिव रिजल्ट से उन्हें इस केस में काफी मजबूत मेडिकल सबूत मिला है। जोधपुर के पुलिस कमिश्नर बिजू जॉर्ज जोसेफ ने बताया कि डॉक्टर्स की एक टीम को राजस्थान के पुलिस हेडक्वॉर्टर में बुलाया गया था। यहीं पर आसाराम का 'पोटेंसी टेस्ट' लिया गया। कमिश्नर का कहना है कि इस 'पोटेंसी टेस्ट' से यह कन्फर्म हो गया हैकि आसाराम 16 साल की उस लड़की के साथ यौन शोषण और रेप जैसा अपराध करने लायक हैं। वहीं दूसरे सीनियर पुलिस ऑफिसर का कहना है कि यह टेस्ट एक नॉर्मल प्रक्रिया का हिस्सा है। किसी भी रेप केस में आरोपी का 'पोटेंसी टेस्ट' इसलिए लिया जाता है ताकि यह साबित हो सके कि वह रेप करने के काबिल है या नहीं।

रविवार, 1 सितंबर 2013

आसाराम बापू बनाम कृपालु आदि...

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
एक बच्‍ची के साथ दुष्‍कर्म के आरोपी आसाराम बापू की गिरफ्तारी से यूं तो मथुरा-वृंदावन का कोई सीधा संबंध नहीं हैं लेकिन जो संबंध है, वो बहुत महत्‍वपूर्ण है और उसके बिना आसाराम की कहानी न तो शुरू की जा सकती है, न उसके क्‍लाईमेक्‍स का कोई मतलब रह जाता है क्‍योंकि मथुरा-वृंदावन भी धर्मनगरी हैं लिहाजा यहां साधु-संत  एवं महंतों का अच्‍छा-खासा आधिपत्‍य है।
आगे बढ़ने से पहले कुछ बातें हैं जिन पर गौर किया जाना बहुत जरूरी है ताकि यह समझा जा सके कि आखिर कैसे कोई 'आसूमल' देखते-देखते आसाराम बापू बन जाता है।
नंबर एक- श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े ने तथाकथित महिला संत राधेमां को विगत माह विवादास्‍पद तरीके से दिया गया महामण्‍डलेश्‍वर का पद बहाल कर दिया। इसकी सफाई में अखाड़े की ओर से कहा गया कि उनके ऊपर लगाये गये आरोपों की जांच के दौरान पुष्‍टि न हो पाने पर यह फैसला लिया गया है।
नंबर दो- गायत्री तपोभूमि ट्रस्‍ट में संचारी के पद पर कार्यरत चन्‍द्रपाल सिंह ने 2 करोड़ 43 लाख रुपये का गबन किया है जिसकी तपोभूमि ट्रस्‍ट ने मथुरा के गोविंदनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
गायत्री तपोभूमि ट्रस्‍ट के संस्‍थापक आचार्य श्रीराम शर्मा वैसे तो पड़ोसी जिला आगरा में गांव आंवलखेड़ा के मूल निवासी थे लेकिन उन्‍होंने अपनी कर्मभूमि बनाई मथुरा और यहीं से दौलत व शौहरत की ऊंचाइयां हासिल कीं।
नंबर तीन- जयगुरूदेव नाम परमात्‍मा का, सतयुग आयेगा का ढोल पीटकर नाम और दाम कमाने वाले बाबा जयगुरुदेव की बेशुमार चल-अचल संपत्‍ति पर उनकी मृत्‍यु के बाद विवाद चल रहे हैं और यह विभिन्‍न न्‍यायालयों में लंबित हैं।
नंबर चार- पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में जनपद प्रतापगढ़ के कस्‍बा मनगढ़ का मूल निवासी है रामकृपाल त्रिपाठी। आज लोग उसे कृपालु महाराज के नाम से जानते हैं। वह खुद को पांचवां जगद्गुरू शंकराचार्य कहता है। कृपालु महाराज की मथुरा के वृंदावन एवं बरसाना सहित देश-विदेश में अरबों की संपत्‍ति है।
आसाराम बापू और कृपालु महाराज में काफी समानताएं हैं। मसलन आसाराम की तरह ही कृपालु महाराज गृहस्‍थ है और उसका भरा-पूरा परिवार है। आसाराम की तरह ही कृपालु की संतानें उसके धर्म के धंधे की वारिस हैं और कृपालु द्वारा स्‍थापित ट्रस्‍टों पर वही काबिज हैं।

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